हम सभी अपने दैनिक जीवन में हर रोज कोई न कोई ऑनलाइन पेमेंट अवश्य करते हैं फिर चाहे वह बिलों का भुगतान हो, ऑनलाइन शॉपिंग हो या किसी होटल, टैक्सी इत्यादि की बुकिंग करनी हो, अधिकांश कार्यों में हम पारंपरिक कागजी मुद्रा के बजाए मुद्रा के डिजिटल या प्लास्टिक रूप (क्रेडिट कार्ड / डेबिट कार्ड) का इस्तेमाल करते हैं।
हमें किसी ऑनलाइन पेमेंट को करने में ब-मुश्किल एक मिनट का समय लगता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है हमारे द्वारा किया गया यह पेमेंट किस प्रकार पूरा होता है? अथवा हमारे बैंक अकाउंट से पैसे डेबिट होने तथा मर्चेन्ट के अकाउंट में क्रेडिट होने के बीच की प्रक्रिया क्या होती है?
बैंकिंग से जुड़े आज के इस लेख में आगे विस्तार से समझेंगे पेमेंट गेटवे (Payment Gateway) क्या होता है और हमारे द्वारा किया गया कोई ऑनलाइन पेमेंट किस प्रकार और कितने समय में पूरा होता है?
ऑनलाइन भुगतान से संबंधित शब्दावलियाँ
ऑनलाइन पेमेंट की पूरी कार्यप्रणाली को समझने से पहले आपके लिए आवश्यक है कि, आप इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण शब्दावलियों (Terminologies) को समझें।
ग्राहक (Customer) : जैसा की नाम से स्पष्ट है ग्राहक अर्थात कोई व्यक्ति, जो किसी वस्तु या सेवा को खरीदना चाहता है।
व्यापारी (Merchant) : ऐसा व्यक्ति अथवा कंपनी, जो किसी ग्राहक को कोई सेवा या वस्तु बेच रही हो। उदाहरण के तौर पर सभी ई-कॉमर्स वेबसाइट जैसे फ्लिपकार्ट, अमेज़न आदि।
पेमेंट गेटवे (Payment gateway) : पेमेंट गेटवे किसी ग्राहक तथा व्यापारी के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है। यह ग्राहक को किसी सेवा या वस्तु का ऑनलाइन भुगतान करने का विकल्प देता है तथा ग्राहक के भुगतान संबंधित डेटा जैसे क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड तथा इंटरनेट बैंकिंग आदि की जानकारी को सुरक्षित तरीके से पेमेंट प्रॉसेसर तक भेजता है।
भुगतान चैनल यानी Payment Gateway की सहायता से कोई व्यक्ति दुनियां भर से कोई भी उत्पाद खरीद सकता है अथवा अपने उत्पाद दुनियां भर में बेच सकता है। बिना भुगतान चैनल के ऑनलाइन भुगतान करना लगभग नामुमकिन है।
पेमेंट प्रॉसेसर (Payment processor) : यह पेमेंट गेटवे द्वारा प्राप्त ग्राहक की जानकारी को सत्यापित करने का कार्य करता है।
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ग्राहक का बैंक(Issuer bank) : वह बैंक, जिससे धनराशि का आहरण (Withdrawal) किया जाता है, अर्थात ग्राहक का बैंक।
व्यापारी का बैंक(Acquirer bank) : वह बैंक, जिसमें अंततः धनराशि जमा की जाती है, अर्थात व्यापारी का बैंक।
ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया
आइये अब ऑनलाइन भुगतान की पूरी प्रक्रिया को समझते है। यह प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी होती है।
चरण 1 : जब कोई ग्राहक मनचाहे उत्पाद चुन लेने के बाद भुगतान करने के लिए “BUY NOW” पर क्लिक करता है तो उसे पेमेंट गेटवे द्वारा भुगतान करने के लिए उपलब्ध कराए गए वेबपेज पर ले जाया जाता है।
चरण 2 : यहाँ भुगतान करने के लिए डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग आदि विकल्प मौजूद होते हैं। माना ग्राहक डेबिट कार्ड के विकल्प का चयन करता है और अपने डेबिट कार्ड की जानकारी जैसे कार्ड नंबर, वैधता, CVV आदि दर्ज करता है।
चरण 3 : दर्ज की गई जानकारी को पेमेंट गेटवे पूर्णतः Encrypt कर व्यापारी के बैंक द्वारा अधिकृत पेमेंट प्रॉसेसर को भेजता है।
चरण 4 : पेमेंट प्रॉसेसर उस जानकारी को क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी करने वाली कंपनी जैसे वीजा या मास्टरकार्ड आदि को भेजता है। इन कंपनियों द्वारा यह सूचना ग्राहक को कार्ड जारी करने वाले बैंक के पास भेजी जाती है।
चरण 5 : बैंक द्वारा ग्राहक के खाते में आवश्यक धनराशि की उपलब्धता को जाँचा जाता है। पर्याप्त राशि उपलब्ध होने पर बैंक द्वारा कार्ड जारी करने वाली कंपनी को भुगतान के मंजूर होने की सूचना दी जाती है तथा ग्राहक को उसके खाते से धनराशि डेबिट होने का संदेश रजिस्टर्ड मोबाइल पर प्राप्त होता है।
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चरण 6 : इसके पश्चात भुगतान के मंजूर होने की सूचना कार्ड कंपनी द्वारा पेमेंट प्रॉसेसर को प्रेषित की जाती है।
चरण 7 : पेमेंट प्रॉसेसर द्वार उस सूचना को पेमेंट गेटवे को भेजा जाता है तथा पेमेंट गेटवे द्वारा ग्राहक को भुगतान के पूर्ण होने का संदेश कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखाया जाता है। गौरतलब है कि इस पूरी प्रक्रिया को पूर्ण होने में केवल 2 से 3 सेकेंड का समय लगता है।
चरण 8 : हालाँकि ग्राहक तथा व्यापारी के मध्य लेन-देन पूर्ण हो चुका है, किन्तु अभी ग्राहक द्वारा भेजी गई धनराशि व्यापारी के बैंक खाते तक नहीं पहुँची है। इस प्रक्रिया में एक से दो दिन का समय लगता है। पेमेंट गेटवे द्वारा अपना शुल्क ले लेने के बाद बाकी राशि व्यापारी के खाते में हस्तांतरित कर दी जाती है। यह प्रक्रिया पेमेंट सेटलमेंट कहलाती है।
ऑनलाइन भुगतान की सुरक्षा
किसी भी व्यापारी के लिए आवश्यक है कि, वह अपने ग्राहकों को एक सुरक्षित तथा आसान भुगतान प्लेटफॉर्म मुहैया कराए, इसी को ध्यान में रखते हुए कुछ सुरक्षा मानक बनाए गए हैं।
इनमें सर्वप्रथम व्यापारी द्वारा उपलब्ध ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म या वेबसाइट का SSL या Secure Socket Layer सर्टिफाइड होना आवश्यक है। यह किसी वेबसाइट में दर्ज की गई सूचना को एन्क्रिप्ट करता है ताकि वेबसाइट पर दर्ज की गई जानकारी किसी हैकर द्वारा चुराई न जा सके।
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इसके अतिरिक्त बैंक कार्ड जैसे क्रेडिट तथा डेबिट कार्ड से भुगतान लेने वाले सभी छोटे बड़े व्यापारियों के लिए Payment Card Industry Data Security Standard (PCI-DSS) के नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
इसकी शुरुआत साल 2004 में पाँच प्रमुख कार्ड जारी करने वाली कंपनियों द्वारा की गई, जिनमें मास्टरकार्ड, वीजा, अमेरिकन एक्सप्रेस, डिस्कवर तथा जेसीबी शामिल हैं।
इसके तहत ऑनलाइन भुगतान के लिए एक सुरक्षित नेटवर्क का निर्माण, कार्ड धारक के डेटा की सुरक्षा, उसका सुरक्षित ट्रांसमिशन एवं भंडारण समेत 12 आवश्यक मानक बनाए गए हैं, जिनका पालन करना प्रत्येक व्यापारी के लिए आवश्यक है। ऐसा न करने एवं किसी प्रकार के डेटा चोरी होने की स्थिति में व्यापारी पर जुर्माना एवं ऑनलाइन भुगतान लेने के लिए बैंक कार्ड जैसे विकल्पों के इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।