शेयर मार्केट में अपने जोखिम को कैसे कम करें, यहाँ जानें कुछ बेहतरीन उपाय

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शेयर मार्केट में किये गए निवेश बेशक निवेशकों को मालामाल बना सकते हैं, लेकिन यहाँ नुकसान होने की संभावना भी उतनी ही अधिक होती है। इसलिए शेयर मार्केट में निवेश करने से पूर्व एक बेहतर रणनीति बनाना बहुत जरूरी है जैसे अपने वित्तीय लक्ष्यों का निर्धारण, बाजार एवं बिजनेस का सही विश्लेषण, उचित समय का चुनाव इत्यादि।

निवेश के दौरान अपनाई जाने वाली इन्हीं रणनीतियों में एक जोखिम प्रबंधन या रिस्क मैनेजमेंट भी है, जो अपने नाम के अनुरूप आपको आर्थिक नुकसान से बचाती है। इस लेख में बात करेंगे शेयर मार्केट में जोखिम प्रबंधन के अंतर्गत आने वाले कुछ उपायों की और जानेंगे कैसे इन उपायों को करके आप अपने निवेश को सुरक्षित कर सकते हैं।

कंपनियों का बारीकी से विश्लेषण

कंपनियों का बारीकी से विश्लेषण करना जिसे फंडामेंटल एनालिसिस कहा जाता है, किसी भी सफल निवेश की कुंजी है। इसके अंतर्गत कंपनी के वित्तीय अथवा गैर-वित्तीय पहलुओं का गहन अध्ययन करना शामिल है। कंपनी के वित्तीय पहलुओं के अंतर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित विषय आते हैं

कंपनी के वित्तीय विवरण: कंपनी के वित्तीय विवरणों के तहत आय और व्यय का विवरण, कैश फ़्लो विवरण तथा कंपनी की बैलेंस शीट का अध्ययन शामिल है।

वित्तीय अनुपातों का विश्लेषण: वित्तीय अनुपात अलग-अलग विवरणों के आपस में संबंध होते हैं, जिससे कंपनी के प्रदर्शन, आर्थिक स्थिति के बारे में अच्छे से अंदाज लगाया जा सकता है। इसके अंतर्गत P/E रेशियो, P/B रेशियो, रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE), रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA), डेट-टू-इक्विटी रेशियो इत्यादि का अध्ययन शामिल है।

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दूसरी ओर कंपनी के गैर-वित्तीय पहलुओं की बात करें तो इसके अंतर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित विषय हैं

कंपनी का प्रबंधन: प्रबंधन के अंतर्गत कंपनी वे शीर्ष लोग शामिल होते हैं, जो कंपनी के संचालन में मुख्य भूमिका निभाते हैं जैसे CEO, CFO, MD, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स इत्यादि। कंपनी के प्रबंधन का मूल्यांकन करने के दौरान प्रबंधन की साख, उनका अनुभव तथा नेतृत्व क्षमता जैसे विषयों को देखा जाता है।

बिजनेस और बाजार का विश्लेषण: कोई भी कंपनी ग्राहकों को वस्तुएं अथवा सेवाएं ऑफर करती है अतः उसमें निवेश करने से पूर्व इन उत्पादों की माँग तथा इनके भविष्य के बारे में विश्लेषण करना जरूरी हो जाता है। इसके साथ ही कंपनी का बिजनेस मॉडल तथा प्रतिस्पर्धा का स्तर भी महत्वपूर्ण विषय हैं जिनका विश्लेषण किया जाना चाहिए।

मैक्रोइकोनॉमिक कारक: कंपनी के आंतरिक विषयों के अलावा कुछ बाहरी कारक भी आपके निवेश को प्रभावित कर सकते हैं अतः किसी स्टॉक का मौलिक विश्लेषण करने के दौरान इन बातों को भी ध्यान में रखना चाहिए। इसके अंतर्गत ब्याज दरें, जीडीपी, महंगाई दर, सरकार की नीतियाँ इत्यादि महत्वपूर्ण हैं।

पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन

अंग्रेजी में एक कहावत है "Don't put all your eggs in one basket" जिसका मतलब है कि अपने सभी संसाधनों को केवल एक क्षेत्र में नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि यदि आपने ऐसा किया तो नुकसान होने की स्थिति में आपके पास कुछ नहीं बचेगा। इस कहावत का इस्तेमाल शेयर मार्केट में निवेश के दौरान बखूबी किया जाता है अतः यहाँ निवेश करने के दौरान डायवर्सिफिकेशन के इस सिद्धांत को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।

डायवर्सिफिकेशन का सीधा सा मतलब है अपने पैसे को विभिन्न क्षेत्रों, कंपनियों और एसेट्स में निवेश करना ताकि किसी एक क्षेत्र में नुकसान होने पर आपका पूरा पोर्टफोलियो इससे प्रभावित ना हो। एक विविधतापूर्ण (Diversified) पोर्टफोलियो बनाने के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखें

  • अलग-अलग क्षेत्रों की कंपनियों में निवेश करें जैसे FMCG, फार्मा, आईटी, ऑटो, एनर्जी इत्यादि
  • मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर स्मॉल कैप, मिड कैप तथा लार्ज कैप सभी प्रकार की कंपनियों को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करें
  • विभिन्न आर्थिक परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली कंपनियों को ध्यान में रखते हुए निवेश करें। उदाहरण के लिए मंदी में FMCG एवं फार्मा क्षेत्र जबकि तेजी में आईटी, वित्तीय सेवाएँ देनी वाली कंपनियाँ अच्छा प्रदर्शन करती हैं
  • निवेश के दौरान समयावधि को भी ध्यान में रखें, कुछ कंपनियाँ शॉर्ट टर्म में रिटर्न देती हैं जबकि कई स्टॉक्स लंबी अवधि में निवेशकों को मालामाल करते हैं
  • अलग-अलग बाजारों में निवेश करें, यदि संभव हो तो भारतीय स्टॉक मार्केट के बाहर अन्य बाजारों में भी निवेश करें ताकि किसी देश की आर्थिक स्थिति का प्रभाव पूरे पोर्टफोलियो पर ना पड़े
  • स्टॉक्स के अलावा कुछ अन्य विकल्पों जैसे बॉन्ड, म्यूचुअल फंड्स, रियल एस्टेट, गोल्ड इत्यादि में भी निवेश करें।

नियमित रूप से पोर्टफोलियो की समीक्षा

किसी स्टॉक में निवेश करने के दौरान कंपनी का मौलिक विश्लेषण (Fundamental Analysis) करना जितना अहम है, अपने पोर्टफोलियो की नियमित रूप से समीक्षा करना भी उतना ही जरूरी है।

इसके तहत बाजार की गतिविधियों, सरकारी नीतियों इत्यादि को ध्यान में रखते हुए अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करना, उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन ना करने वाले स्टॉक्स को बेचना आदि शामिल है। उचित समय पर उठाया गया एक कदम आपके नुकसान को कम कर सकता है अतः इसके लिए देश-विदेश की आर्थिक गतिविधियों तथा उन स्टॉक्स पर विशेष नजर रखना बहुत जरूरी है जिनमें आपने अपना पैसा लगाया है।

जोखिम क्षमता का आंकलन

शेयर मार्केट में किया गया कोई भी निवेश 100 फीसदी सुरक्षित नहीं होता, इसलिए भले ही आप कितनी बारीकी से किसी कंपनी का विश्लेषण कर लें बावजूद इसके नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। अतः आपको जोखिम उठाने की अपनी क्षमता का आँकलन करना चाहिए और अपनी क्षमता के अनुसार ही निवेश करना चाहिए।

भावनाओं पर नियंत्रण

शेयर मार्केट में हर रोज उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है अतः इससे खासा प्रभावित होने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि कोई उतार-चढ़ाव यदि असामान्य हो तो इसे गंभीरता से लेते हुए इसके कारणों को जानना चाहिए।

किसी स्टॉक की कीमत आंतरिक अथवा बाहरी किसी भी कारण से प्रभावित हो सकती है। कई बार किसी स्टॉक की कीमत में गिरावट आपके लिए एक अच्छा अवसर हो सकता है जबकि स्टॉक की कीमतों में तेजी चिंता का विषय। इसलिए इन कारणों को जानने के बाद ही पोर्टफोलियो में किसी प्रकार का बदलाव किया जाना चाहिए।

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उदाहरण के लिए यदि किसी स्टॉक की कीमत बाहरी कारणों जैसे वैश्विक महामारी इत्यादि के चलते गिर रही है जबकि कंपनी आंतरिक रूप से मजबूत है तो इस गिरावट को लेकर आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। वहीं यदि किसी स्टॉक की कीमत उसके प्रदर्शन की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ रही हो तो यह "पंप एंड डंप" जैसी स्थिति भी हो सकती है।

महत्वपूर्ण तथ्य

पंप एंड डंप शेयर मार्केट में होने वाली एक तरह की धोखाधड़ी है, जिसमें कुछ लोग किसी स्टॉक की कीमत को कृत्रिम तरीके से बढ़ाते हैं। इसके चलते आम निवेशक स्टॉक की तरफ खासा आकर्षित होते हैं और जैसे-जैसे स्टॉक की माँग बढ़ती है उसकी कीमत में तेजी आती है। जब कीमत काफी बढ़ जाती है तो ये लोग अपना स्टेक बेचकर प्रॉफ़िट कमाते हैं

विशेषज्ञों की सलाह

स्टॉक मार्केट में निवेश करने से पहले बाजार के विशेषज्ञों की सलाह भी ली जा सकती है। जहाँ एक फाइनेंशियल एडवाइजर आपको आपके लक्ष्यों के अनुरूप निवेश योजना बनाने में मदद कर सकता है, वहीं अनुभवी निवेशक शेयर बाजार तथा यहाँ निवेश करने के संबंध में आपकी जानकारी को बढ़ा सकते हैं।

सार-संक्षेप

जैसा कि हमनें पूर्व में बताया शेयर बाजार में निवेश करते समय जोखिम को पूरी तरह से खत्म करना संभव नहीं है किन्तु ऊपर बताए गए उपायों के जरिए आप अपने निवेश को बहुत हद तक सुरक्षित जरूर कर सकते हैं दूसरे शब्दों में अपने जोखिम को कम कर सकते हैं।

इसके अंतर्गत कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस, पोर्टफोलियो का विविधीकरण, देश-दुनियाँ की आर्थिक गतिविधियों पर नजर, सरकारों की विभिन्न नीतियों का अध्ययन, भावनाओं पर नियंत्रण रखने जैसे विषय शामिल हैं।