शेयर बाजार में Intraday Trading और Delivery Trading क्या हैं और इनमें क्या अंतर है?

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Difference Between Intraday and Delivery Trading: इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग शेयर बाजार में की जाने वाली तो महत्वपूर्ण ट्रेडिंग हैं, इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब है एक ही दिन में स्टॉक खरीदना और बेचना, जबकि डिलीवरी ट्रेडिंग की स्थिति में ट्रेडर स्टॉक को लंबी अवधि के लिए अपने डीमैट खाते में होल्ड करके रखते हैं।

शेयर मार्केट में निवेश करना वर्तमान दौर में बेहद आसान बनता जा रहा है, यहाँ कई अलग-अलग तरीके से निवेश किया जा सकता है, जिनके बारे में एक निवेशक के तौर पर आपके लिए जानना आवश्यक है। उदाहरण के लिए कुछ शेयर मार्केट ट्रेडिंग अल्पकालिक अवधि के लिए होती हैं जबकि कुछ ट्रेडिंग लंबी अवधि के निवेश के रूप में की जाती हैं।

इसके साथ ही शेयर बाज़ार में स्टॉक्स के Future & Option Contract भी ट्रेड किये जाते हैं (फ्यूचर एवं ऑप्शन क्या हैं और इनमें निवेश कैसे किया जाता है जानने के लिए लिंक खोलें) किन्तु आज इस लेख में हम मुख्यतः अवधि के आधार पर शेयर मार्केट में की जाने वाली ट्रेडिंग के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं।

अवधि के आधार पर शेयर बाजार में दो तरीके से ट्रेडिंग करी जा सकती है, जिनमें Intraday Trading तथा Delivery Trading शामिल हैं, लेख में आगे विस्तार से जानेंगे Intraday Trading क्या है? इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करती है? Intraday ट्रेडिंग कितने रुपये से शुरू करी जा सकती है? Delivery Trading क्या है तथा Intraday ट्रेडिंग तथा Delivery ट्रेडिंग में क्या अंतर है?

Intraday Trading क्या है?

एक ही दिन शेयर खरीदना और उन्हें बेचना इंट्राडे ट्रेडिंग या डे-ट्रेडिंग कहलाता है दूसरे शब्दों में जब कोई ट्रेडर एक ही ट्रेडिंग दिन (सुबह 9:15 से दोपहर 15:30 बजे तक) के भीतर शेयरों की खरीद और बिक्री करता है तो इसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है। किसी इंट्राडे ट्रेडिंग में एक ही दिन के भीतर लेन-देन के दोनों चरण यानी खरीद और बिक्री निष्पादित किये जाते हैं जिसके चलते मार्केट बंद होने के पश्चात ट्रेडर की शुद्ध होल्डिंग शून्य होती है।

यदि कोई व्यक्ति इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान दिन के अंत तक अपने ट्रेड को “Square Off” नहीं करता है तो दिन के अंत में ब्रोकर द्वारा स्वचालित रूप से ऐसा जाता है। गौरतलब है कि स्क्वायर ऑफ का मतलब अपनी वर्तमान स्थिति से बाहर निकालना है, स्क्वायर ऑफ से आशय स्टॉक्स बेचने (सामान्य ट्रेडिंग की स्थिति में) या खरीदने (शॉर्ट सैलिंग की स्थिति में) दोनों से हो सकता है।

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इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयरों को कम समय में लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदा जाता है लंबी अवधि के निवेश के रूप में नहीं।Intraday Trading में ट्रेडर किसी स्टॉक के लिए एक “टार्गेट प्राइज” निर्धारित करते हैं और स्टॉक के इस कीमत से नीचे रहने पर उसे खरीद लेते हैं इसके पश्चात यदि दिन के अंत तक किसी भी समय स्टॉक निर्धारित टार्गेट प्राइज तक पहुंच जाता है तो ट्रेडर उसे बेच देते हैं। ट्रेडिंग में लाभ एवं जोखिम दोनों शामिल हैं अतः यह जरूरी नहीं कि स्टॉक, ट्रेडर की उम्मीदों के मुताबिक टार्गेट प्राइज को हिट करे।

इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी ट्रेडिंग दिन में शेयर की कीमत में हुए परिवर्तन के आधार पर ट्रेडर लाभ अर्जित करते हैं, गौरतलब है कि डिलीवरी ट्रेडिंग के विपरीत यहाँ कोई ट्रेडर किसी शेयर को पहले बेचकर बाद में खरीद भी सकते हैं। ऐसा उस स्थिति में किया जाता है, जब ट्रेडर को किसी शेयर की कीमतों में गिरावट का अंदेशा होता है, ऐसे में ट्रेडर दिन की शुरुआत में शेयर बेच देते हैं तथा दिन के मध्य या अंत में जब शेयर के दाम गिर जाएं तो उसे खरीद लेते हैं।

Intraday Trading कैसे शुरू करें?

किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग चाहे वह इंट्राडे ट्रेडिंग हो अथवा डिलीवरी ट्रेडिंग आपको एक डीमैट एवं ट्रेडिंग एकाउंट की आवश्यकता होती है, जिसे जीरोधा के साथ मिनटों में खोला जा सकता है। डीमैट एवं ट्रेडिंग एकाउंट खुल जाने के पश्चात आपको उस स्टॉक का चुनाव करना होगा जिसे आप खरीदना चाहते हैं, स्टॉक सलेक्ट करने के बाद स्टॉक के सामने बने BUY बटन पर क्लिक करें।

Difference Between Intraday and Delivery Trading

इसके बाद आपको Intraday तथा Long-term दो विकल्प दिखाई देंगे इनमें से आपको Intraday का चुनाव करना होगा इसके बाद Buy बटन पर क्लिक कर आप ट्रेड ले सकते हैं। गौरतलब है कि Intraday ट्रेडिंग में ब्रोकर द्वारा Leverage या सामान्य शब्दों में उधार मुहैया करवाया जाता है।

इस स्थिति में ट्रेड की कुल कीमत का सिर्फ एक हिस्सा देकर भी ट्रेड लिया जा सकता है। उदाहरण के लिए ऊपर चित्र में हमनें HDFC BANK के इंट्राडे ट्रेड का स्क्रीनशॉट साझा किया है जिसमें आप कुल ट्रेड का केवल 20% देकर भी ट्रेड ले सकते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे

इंट्राडे ट्रेडिंग के कुछ सकारात्मक पक्ष निम्नलिखित हैं

  • इंट्राडे ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फायदा ब्रोकर द्वारा मिलने वाला मार्जिन या उधार है अतः आप कम धनराशि के साथ भी ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी प्रकार का ओवरनाइट रिस्क नहीं रहता अर्थात किसी ऐसी खबर जिससे शेयर की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं के आने से पहले ही ट्रेडर अपना ट्रेड पूरा कर चुका होता है
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में बेहद कम समय मात्र कुछ घंटों में ही अच्छा लाभ अर्जित किया जा सकता है

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान

इंट्राडे ट्रेडिंग के कुछ नकारात्मक पक्ष निम्नलिखित हैं

  • इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको ट्रेड करने के लिए एक निश्चित समय सीमा मिलती है यदि इस अवधि के भीतर उचित परिणाम नहीं मिलते हैं तो आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है
  • जहाँ इंट्राडे ट्रेडिंग में मिलने वाला मार्जिन या उधार आपके मुनाफे को कई गुना कर देता है वहीं इससे नुकसान भी उतना ही अधिक होने की संभावना बनी रहती है
  • इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ट्रेडर को बाजार तथा शेयर के ट्रेंड पर पर बहुत बारीकी से ध्यान देने की आवश्यकता होती है

Delivery Trading क्या है?

ऐसी ट्रेडिंग जहाँ ट्रेडर लंबी अवधि के लिए किसी शेयर में निवेश करता है उसे डिलीवरी ट्रेडिंग कहा जाता है। जैसा कि, इसके नाम से भी स्पष्ट होता है यहाँ निवेशक को इंट्राडे ट्रेडिंग के विपरीत शेयरों की डिलीवरी उसके डीमैट खाते में प्राप्त होती है। चूँकि किसी डीमैट खाते में शेयर ट्रांसफर होने में दो दिनों का समय लगता है अतः डिलीवरी ट्रेडिंग में कोई ट्रेडर दो दिनों से लेकर अनिश्चित काल तक शेयर अपने पास रख सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य दीर्घकालिक अवधि के लिए किसी कंपनी में निवेश करना होता है। जहाँ इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेडर के पास ट्रेड करने की एक निश्चित समय सीमा होती है वहीं डिलीवरी ट्रेडिंग में समय की कोई सीमा नहीं है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे

डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ सकारात्मक पक्ष निम्नलिखित हैं

  • डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयरों को बेचने की कोई समय सीमा नहीं होती है
  • इंट्राडे ट्रेडिंग के उलट डिलीवरी ट्रेडिंग में जोखिम बहुत हद तक कम होता है
  • डिलीवरी ट्रेडिंग सॉर्ट सैलिंग (पहले बेच के बाद में शेयरों को खरीदना) से सुरक्षित होती है
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर की कीमत में होने वाली वृद्धि से मिलने वाले लाभ के अलावा भी अन्य कई लाभ जैसे डिविडेन्ड, बोनस इश्यू आदि मिलते हैं
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर की कीमत पूर्णतः कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर करती है, जबकि इंट्राडे ट्रेडिंग में कुछ अन्य कारक भी शेयर की कीमत प्रभावित करने में अहम भूमिका अदा करते हैं
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में ट्रेडर के पास किसी कंपनी के शेयर होते हैं, जो उसे कंपनी में (खरीदे गए शेयरों की मात्रा के अनुसार) हिस्सेदार बनाते हैं

डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान

डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ नकारात्मक पक्ष निम्नलिखित हैं

  • डिलीवरी ट्रेडिंग में इंट्राडे के विपरीत ब्रोकर द्वारा किसी प्रकार का Leverage या उधार उपलब्ध नहीं करवाया जाता है अतः कोई ट्रेडर केवल उतनी ही मात्र में शेयर खरीद सकता है, जितनी धनराशि उसके पास मौजूद हो
  • चूँकि इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेड दिन के अंत तक स्क्वायर ऑफ कर दिया जाता है जिसके चलते भविष्य में कंपनी के प्रदर्शन का ट्रेडर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता वहीं डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयरों को होल्ड करने के चलते भविष्य में कंपनी के किसी खराब प्रदर्शन का प्रभाव ट्रेडर पर पड़ता है।

निष्कर्ष

इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग में मुख्य अंतर ट्रेड की अवधि का है, यदि कोई स्टॉक एक ट्रेडिंग दिन के भीतर खरीद कर बेच दिया जाए तो इसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है इसके विपरीत यदि कोई स्टॉक लंबी अवधि के लिए खरीदा जाए तो इसे डिलीवरी ट्रेडिंग कहा जाता है। इंट्राडे और डिलीवरी दोनों प्रकार की ट्रेडिंग के लिए अलग-अलग रणनीति की जरूरत होती है।

ऊपर हमनें ट्रेडिंग के दोनों प्रकारों को उनके सकारात्मक तथा नकारात्मक पहलुओं के साथ समझा। ट्रेडिंग के इन तरीकों में लाभ और जोखिम दोनों शामिल है अतः किसी ट्रेडर का लाभ अथवा नुकसान पूर्णतः उसकी कुशलता पर निर्भर करता है। यदि आप भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो देश के नंबर 1 ब्रोकरेज फर्म जीरोधा के साथ शेयर बाजार में निवेश की अपनी इस यात्रा को शुरू कर सकते हैं।