विज्ञापन

शेयर बाजार में Short Selling क्या होती है, इसे कैसे और क्यों किया जाता है?

आर्टिकल शेयर करें

Short Selling Explained in Hindi: इस वर्ष की शुरुआत में अमेरिकी रिसर्च फर्म Hindenburg Research ने देश के जाने-माने व्यवसायिक समूह Adani Group पर धोखाधड़ी के कई गंभीर आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट (Adani Group: How The World’s 3rd Richest Man Is Pulling The Largest Con In Corporate History) सार्वजनिक करी थी, जिसके बाद से ही शेयर बाजार में Adani Group की सभी लिस्टेड कंपनियों के शेयरों की कीमतों में खासा गिरावट देखने को मिली।

शेयरों की कीमत में आयी गिरावट का ही नतीजा है कि, समूह के मालिक गौतम अडानी जो कि रिपोर्ट के आने से पहले दुनियाँ के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे, लाखों करोड़ के नुकसान के बाद वर्तमान में इस सूची में 22वें स्थान पर आ चुके हैं। अडानी समूह के लिए सूनामी साबित हुई इस रिपोर्ट को जारी करने वाली Hindenburg Research एक ‘Short Seller‘ फर्म है और इससे पहले भी कई कंपनियों के फर्जीवाड़े की पोल खोल चुकी है, हालांकि अडानी समूह पर जारी रिपोर्ट में कितना दम है यह जाँच का विषय रहेगा।

Hindenburg Research की अडानी समूह पर आयी इस रिपोर्ट के बाद से ही एक शब्द “Short Selling” शब्द खासा चर्चाओं में रहा है, आज इस लेख में विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे आखिर शेयर बाजार में शॉर्ट सैलिंग क्या होती है (What is Short Selling in Hindi), शॉर्ट सैलिंग कैसे करी जाती है और Short Selling के क्या फायदे हैं अथवा कोई ट्रेडर Short Selling क्यों करता है?

Short Selling क्या होती है?

इंटरनेट की पहुँच बढ़ने के चलते आज शेयर बाजार में निवेश करना एक आम इंसान के लिए बेहद आसान हो गया है। शेयर बाजार में निवेश करने का सामान्य फंडा है आज किसी कंपनी के शेयर खरीदो और जब उस कंपनी के शेयरों के भाव बढ़ जाएं तो उन्हें बेच कर मुनाफा कमा लो और अधिकांश निवेशक इसी तरीके का इस्तेमाल करते हुए शेयर बाजार में निवेश करते हैं।

लेकिन शेयर बाजार में ऊपर बताई गई प्रक्रिया का विपरीत भी संभव है अर्थात आज शेयर बेचो और जब उनकी कीमत कम हो जाए तो उन्हें खरीद लो, यहाँ आपके मन में यह प्रश्न उठना लाज़मी है कि, कोई व्यक्ति बिना शेयरों को खरीदे बेच कैसे सकता है? यह जानने के लिए Short Selling की पूरी प्रक्रिया को समझना जरूरी है, जिसे हम आगे समझेंगे, बहरहाल शेयरों की खरीद बिक्री के इस तरीके को ही Short Selling कहा जाता है।

Short Selling कैसे की जाती है?

जैसा कि, हमनें पहले भी बताया Short selling की प्रक्रिया में कोई निवेशक सामान्य ट्रेडिंग के विपरीत पहले शेयर बेच देता है और बाद में उन्हें खरीदता है। इस पूरी प्रक्रिया को एक उदाहरण की सहायता से समझा जा सकता है, मान लें आज सोने की कीमत ₹50,000 रुपये तोला या प्रति 10 ग्राम है लेकिन आपको लगता है कि, आने वाले एक महीने में सोने की कीमत में 10 फीसदी की गिरावट आ सकती है।

अब आप अपने किसी मित्र से एक महीने के लिए एक तोला सोना तय ब्याज पर उधार लेते हैं और उसे ₹50,000 के भाव में बेच देते हैं, एक महीने बाद आपकी उम्मीद के अनुरूप सोने के दाम में 10% की गिरावट आती है और सोना ₹45,000 रुपये प्रति तोला हो जाता है अब आप बाजार से एक तोला सोना खरीद कर अपने मित्र को दे देते हैं और ₹5,000 रुपये का लाभ अर्जित करते हैं, इस प्रक्रिया को Short Selling कहा जाता है।

यह भी पढ़ें

शेयर बाजार में होने वाली Short Selling में भी यही तरीका अपनाया जाता है यहाँ ट्रेडर शेयरों को एक निश्चित ब्याज दर पर उधार लेकर उन्हें वर्तमान भाव में बेच देते हैं और उधार की अवधि पूरी हो जाने पर बाजार से शेयरों को खरीद कर वापस कर देते हैं इस पूरी प्रक्रिया में ब्रोकरेज फर्म ट्रेडर्स के बीच बिचौलिये का काम करती है।

आप Short Selling कैसे कर सकते हैं?

Short Selling भी सामान्य ट्रेडिंग की तरह दो तरीके (इंट्राडे और लॉन्ग टर्म) से की जा सकती है, इंट्राडे में ट्रेडर केवल एक दिन के लिए ही शेयर उधार लेता है, ट्रेडर को बाजार बंद होने (3:30 Pm) से पहले शेयर खरीदना होता है।

इंट्राडे Short Selling सामान्य ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म से करी जा सकती है जैसे आप सामान्यतः शेयरों को खरीदते या बेचते हैं। वहीं CNC (Cash and Carry) या लॉन्ग टर्म Short Selling में लंबे समय जैसे एक, दो या तीन महीनों के लिए शेयरों को उधार लिया जा सकता है, CNC शॉर्ट सैलिंग केवल Future ट्रेडिंग के जरिये की जाती है।

Short Selling के फायदे

हालांकि कुछ मायनों में Short Selling सामान्य ट्रेडिंग के मुकाबले अधिक जोखिम युक्त है लेकिन इसके कुछ फायदे भी हैं, जिन्हें हमनें यहाँ समझाया है-

गिरते बाजार से मुनाफा : अधिकांश निवेशकों को लगता है कि, जब किसी शेयर के भाव में तेजी आएगी उसी स्थिति में शेयर बाजार से मुनाफा कमाया जा सकता है लेकिन Short Selling आपको यह मौका देता है कि, आप गिरते बाजार से भी अच्छा खासा पैसा बना सकते हैं।

निवेश के लिए कम रकम की आवश्यकता : सामान्य ट्रेडिंग में आप केवल उतना ही निवेश कर सकते हैं जितनी धनराशि आपके डीमैट या बैंक खाते में मौजूद हैं लेकिन Short Selling में की स्थिति में ब्रोकर अपने ग्राहकों को 5, 10, 20 गुना तक उधार (leverage) उपलब्ध करवाते हैं उदाहरण के तौर पर यदि आपके डीमैट खाते में 10,000 रुपये हैं तो आप एक लाख या दो लाख तक की Short Selling कर सकते हैं।

हैजिंग (Hedging) : Hedging शेयर बाजार में अपने नुकसान को कम करने की एक रणनीति है, उदाहरण के लिए माना आपके डीमैट खाते में किसी कंपनी XYZ के शेयर मौजूद हैं और कंपनी अपने तिमाही के परिणाम जारी करने वाली है अब यहाँ परिणाम के संबंध में दो स्थितियाँ हो सकती है लेकिन यदि आप चाहते हैं कि, कंपनी के परिणामों से आप प्रभावित ना हो तो आप Short Selling का इस्तेमाल कर सकते हैं अब कंपनी के परिणाम कुछ भी हों आपका पोर्टफोलियो उससे सुरक्षित रहेगा।

Short Selling के नुकसान

Short Selling के कुछ फ़ायदों को जानने के बाद आइए अब इसके कुछ नकारात्मक पहलुओं पर भी नजर डालते हैं

हाई रिस्क (High Risk) : आपने अक्सर सुना होगा भारत एक विकासशील देश है और विकासशील होने का मतलब है कि, देश समय के साथ आर्थिक रूप से विकसित हो रहा है। विकासशील अवस्था में किसी देश में अलग-अलग क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ती है, नए स्टार्टअप, उद्योग आदि शुरू होते हैं लिहाजा बाजार का ट्रेंड भी ऊपर की ओर रहता है, अतः इस स्थिति में Short Selling करना अधिक जोखिम भरा समझा जाता है क्योंकि यह बाजार के ट्रेंड के विपरीत है।

असीमित नुकसान : सामान्य ट्रेडिंग में आपको केवल उतना ही नुकसान हो सकता है, जितना आपने निवेश किया है उदाहरण के तौर पर आपने किसी कंपनी में 1 लाख रुपये निवेश किये हैं अब यदि कंपनी के शेयर की कीमत 0 भी हो जाए तो आपको अधिकतम 1 लाख का ही नुकसान होगा लेकिन Short Selling में कई स्थितियों में यह असीमित हो सकता है, ऐसा इसलिए क्योंकि आपने जो शेयर उधार लेकर पहले बेच दिया है उस शेयर की कीमत आने वाले समय में कितनी भी बढ़ सकती है और बढ़ी हुई कीमत में शेयर खरीदना तब आपकी बाध्यता होगी।

सीमित विकल्प : जहाँ सामान्य ट्रेडिंग में आप शेयर बाजार में लिस्टेड 4,000 से अधिक कंपनियों में से किसी भी कंपनी के शेयरों में ट्रेड कर सकते हैं वहीं Short Selling में यह विकल्प सीमित हो जाता है, शेयर बाजार में केवल कुछ चुनिंदा कंपनियां हैं जिनमें आप Short Sell कर सकते हैं।

Adani के शेयरों से Hindenburg Research ने कैसे कमाया मुनाफा?

Hindenburg Research द्वारा जारी रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के निवेशकों तथा प्रोमोटर्स को हर दिन लाखों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा जबकि Adani Group की कंपनियों के शेयरों की कीमत में आयी इस गिरावट से Hindenburg Research को शॉर्ट सैलिंग के चलते काफी मुनाफा मुनाफा हुआ।

जैसा कि हमने पूर्व में बताया Hindenburg Research एक एक्टिव Short Seller है, रिसर्च फर्म अपनी रिसर्च की लागत समेत अन्य सभी खर्चे Short Selling से हुए मुनाफे से ही पूरे करती है। सबसे पहले यह रिसर्च फर्म किसी संदिग्ध कंपनी का चुनाव करती है और उस कंपनी पर गहन रिसर्च कर किसी फर्जीवाड़ें की जाँच करती है।

जैसे ही रिसर्च फर्म को कंपनी के खिलाफ किसी फर्जीवाड़े या वित्तीय गड़बड़ी के पक्ष में कोई ठोस सबूत मिलते हैं तो वे उस कंपनी के शेयरों में Short Position बनाते हैं अर्थात बाजार से उधार लेकर कंपनी के शेयर बेच देते हैं और इसके पश्चात उस कंपनी के संबंध में बनाई अपनी रिपोर्ट को जारी करते हैं कंपनी के खिलाफ वित्तीय गड़बड़ी की जानकारी बाजार में आने से कंपनी के शेयरों में गिरावट आती है और रिसर्च फर्म इस गिरावट से मुनाफा कमाती है।