देश की प्रगति के लिए केंद्र और राज्यों के रिश्तों का मजबूत होना बेहद जरूरी है और जब बात इन दोनों के संबंधों की हो तो इसमें पैसा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
टैक्स में हिस्सेदारी हो, अनुदान हो या किसी अन्य प्रकार की वित्तीय सहायता हो प्रत्येक राज्य, केंद्र सरकार से दूसरे राज्यों के मुकाबले अधिक पैसे की उम्मीद करता है।
बीते दिनों दक्षिण के कुछ राज्यों कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, इन राज्यों का दावा था कि केंद्र से करों (Taxes) में उन्हें उचित हिस्सा नहीं दिया जा रहा है।
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चूँकि मुद्दा केंद्र और राज्यों के संबंधों खासकर वित्तीय संबंधों का है इसलिए आज के इस लेख में चर्चा करेंगे एक ऐसे संवैधानिक निकाय1 की, जिसकी व्यवस्था केंद्र एवं राज्यों के बीच पैसों तथा संसाधनों का बंटवारा करने के लिए करी गई है, ताकि दोनों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत किया जा सके।
हम बात कर रहे हैं वित्त आयोग (Finance Commission) की, जिसके बारे में अक्सर समाचारों इत्यादि में सुनने को मिलता हैं। इस लेख में विस्तार से जानेंगे वित्त आयोग क्या है, वित्त आयोग के क्या काम हैं, आयोग का गठन कैसे और कौन करता है, इसके सदस्यों की योग्यताएं क्या हैं, वित्त आयोग को प्राप्त विभिन्न शक्तियां कौन सी है तथा वर्तमान में गठित 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष कौन हैं
वित्त आयोग क्या है?
केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का बेहतरीन वितरण करते हुए देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 280 में वित्त आयोग के रूप में एक निकाय के गठन की व्यवस्था करी गई है।
वित्त आयोग का गठन राष्ट्रपति द्वारा सामान्यतः पाँच साल में किया जाता है। आयोग की संरचना को देखें तो इसमें एक अध्यक्ष तथा चार अन्य सदस्य होते हैं, इन सदस्यों का कार्यकाल भारत के राष्ट्रपति द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है और कुछ मामलों में सदस्यों की पुनर्नियुक्ति भी की जाती है।
वित्त आयोग अधिनियम 1951 के द्वारा आयोग के सदस्यों की योग्यता का निर्धारण किया गया है, वहीं सदस्यों के वेतन, भत्ते एवं अन्य सेवा शर्तें राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित करी जाती हैं। वित्त आयोग अधिनियम 1951 के अनुसार आयोग के अध्यक्ष को सार्वजनिक कार्यों का विशेष अनुभव होना चाहिए जबकि अन्य चार सदस्यों के लिए योग्यता की शर्तें नीचे बताए अनुसार हैं।
- ऐसा व्यक्ति जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश हो या बनने की योग्यता रखता हो
- जो सरकार के वित्त एवं लेखा (Finance & Accounts) का विशेष जानकार हो
- ऐसा व्यक्ति जो वित्तीय एवं प्रशासनिक मामलों का अनुभवी हो
- जो आर्थिक मामलों का विशेषज्ञ हो
वित्त आयोग क्या काम करता है?
मोटे तौर पर हमनें ऊपर जाना कि, वित्त आयोग (Finance Commission) का काम संघ और राज्यों के बीच राजस्व संसाधनों का वितरण करना है। आइए इसके अन्य सभी कार्यों को समझते हैं
- कुल प्राप्त करों (Tax Collection) को केंद्र तथा राज्यों के बीच बांटने के लिए मानकों का निर्धारण करना
- यदि किसी राज्य को आर्थिक सहायता की जरूरत है तो उसके लिए नियम एवं आर्थिक सहायता की मात्रा का निर्धारण करना
- भारतीय संविधान के 73वें एवं 74वें संविधान संशोधन के अनुसार राज्य वित्त आयोग की सिफारिश पर पंचायतों एवं नगर पालिकाओं के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने हेतु राज्य संचित निधि को बढ़ाने के लिए उपाय सुझाना
- भारत की संचित निधि (Consolidated Fund) में से केंद्र द्वारा राज्यों को दिए जाने वाले अनुदान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों का निर्धारण करना
- देश के आर्थिक विकास एवं वित्तीय महत्व के किसी भी अन्य विषय के संबंध में राष्ट्रपति को सुझाव देना
- सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अनुसार, FC के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ हैं। यह गवाहों को बुला सकता है, किसी भी कार्यालय या न्यायालय से सार्वजनिक दस्तावेज़ या रिकॉर्ड पेश करने के लिए कह सकता है।
वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है तथा राष्ट्रपति इसे संसद के दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत करवाते हैं। वित्त आयोग की सिफारिशें सलाहकारी प्रवृत्ति की होती हैं अर्थात सरकार इन्हें मानने या नहीं मानने के लिए स्वतंत्र होती है, किन्तु एक संवैधानिक निकाय होने के चलते सरकार इन्हें मान लेती है।
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इसके अतिरिक्त अन्य शक्तियों की बात करें तो वित्त आयोग को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अनुसार अपने कार्यों को करने के लिए सिविल कोर्ट का दर्जा प्राप्त है। इसके अंतर्गत किसी को समन करना2, अपने समक्ष उपस्थित करना, किसी दस्तावेज को अपने पास मंगवाना तथा किसी भी सरकारी कार्यालय या न्यायालय से कोई भी रिकॉर्ड मंगवाना शामिल है।
16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष कौन हैं?
केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति के अनुमोदन से संविधान के अनुच्छेद 280 (1) का अनुसरण करते हुए 31 दिसंबर 2023 को सोलहवें वित्त आयोग का गठन किया, जिसके अध्यक्ष नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अरविंद पनगढ़िया हैं।
16वां वित्त आयोग डॉ. अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में 31 अक्टूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौपेगा। इस रिपोर्ट की सिफारिशों को 1 अप्रैल 2026 से आगामी 5 वित्तीय वर्षों के लिए लागू किया जाना है।
वित्त आयोग की रिपोर्ट
वित्त आयोग क्या है और इसके क्या काम हैं यह समझने के बाद यदि आप वित्त आयोग किस तरह की रिपोर्ट जारी करता है यह जानने में उत्सुक हैं तो नीचे दी गई पंद्रहवें वित्त आयोग की रिपोर्ट को देख सकते हैं।
पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन श्री एन.के. सिंह की अध्यक्षता में 27 नवंबर, 2017 को किया गया और आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट 1 फरवरी 2021 को पेश करी। इस रिपोर्ट में करी गई सिफारिशों को नीचे संलग्न किये गए पीडीएफ़ में देखा जा सकता है, गौरतलब है कि, ये सिफारिशें 2021-2026 तक के लिए मान्य होंगी।
वित्त आयोग की वर्षवार सूची
देश के सबसे पहले वित्त आयोग (Finance Commission) से लेकर अब तक गठित सभी आयोगों के अध्यक्षों का नाम एवं नियुक्ति वर्ष निम्नलिखित हैं
वित्त आयोग | आयोग के अध्यक्ष | नियुक्ति का वर्ष |
पहला | के. सी. नियोगी | 1951 |
दूसरा | के. संथानम | 1956 |
तीसरा | ए. के. चंदा | 1960 |
चौथा | डॉ. पी. वी. राजमन्नार | 1964 |
पाँचवा | महावीर त्यागी | 1968 |
छठा | ब्रह्मानंद रेड्डी | 1972 |
सातवाँ | जे . एम. शेलाट | 1977 |
आठवाँ | वाई. बी. चव्हाण | 1982 |
नौवां | एन. के. पी. साल्वे | 1987 |
दसवां | के. सी. पंत | 1992 |
ग्यारहवां | ए. एम. खुसरो | 1998 |
बारहवां | डॉ. सी. रंगराजन | 2002 |
तेरहवां | डॉ. विजय केलकर | 2007 |
चौदहवां | वाई. वी. रेड्डी | 2013 |
पंद्रहवां | एन. के. सिंह | 2017 |
सोलहवां | अरविंद पनगढ़िया | 2024 |
- जिन संस्थाओं या प्राधिकरणों का गठन भारत के संविधान के तहत किया जाता है, उन्हें संवैधानिक निकाय कहते हैं। इनकी संरचना, शक्तियां, कार्य और कर्तव्य संविधान में ही बताए गए होते हैं। ↩︎
- समन (Summons) किसी व्यक्ति को किसी कानूनी मामले में उपस्थित होने के लिए किया जाने वाला अनुरोध या आदेश होता है। यह एक औपचारिक लिखित आदेश है, जो अदालत या किसी सरकारी संस्थान द्वारा जारी किया जा सकता है ↩︎