कोई भी कंपनी अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय संस्थानों या पब्लिक से पैसे जुटाती है। वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों इत्यादि से कंपनियाँ लोन के रूप में पैसा प्राप्त करती हैं, जबकि पब्लिक से पैसे इकट्ठा करने के लिए ये शेयर, बॉन्ड अथवा डिबेंचर्स इश्यू करती हैं।
कंपनियों की ही भांति सरकारें भी अपने खर्चों की पूर्ति के लिए पब्लिक से पैसे जुटाती हैं। देश में चलाई जा रही योजनाओं, परियोजनाओं इत्यादि के वित्तपोषण के लिए सरकारें अलग-अलग प्रकार के वित्तीय उपकरण जारी करती हैं जैसे सरकारी बॉन्ड, एसडीएल इत्यादि और इन्हें खरीदने पर निवेशकों को फिक्स दर से ब्याज दिया जाता है।
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इन्हीं वित्तीय उपकरणों में एक ट्रेजरी बिल (Treasury Bills) भी हैं, जिन्हें शॉर्ट में T-Bills भी कहा जाता है। इस लेख में आगे विस्तार से समझेंगे ट्रेजरी बिल क्या होते हैं, इन्हें कौन जारी करता है, इनके कितने प्रकार हैं, ट्रेजरी बिल के फायदे और नुकसान क्या हैं तथा ट्रेजरी बिल में किस तरह निवेश किया जा सकता है।
ट्रेजरी बिल या T-Bills क्या हैं?
ट्रेजरी बिल एक तरह की सरकारी प्रतिभूति या गवर्नमेंट सिक्योरिटीज होती है। सरकारी प्रतिभूति यानी ऐसे वित्तीय उपकार, जिन्हें केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा पैसे जुटाने के लिए जारी किया जाता है। गवर्नमेंट सिक्योरिटीज को सरकार की तरफ से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है।
सरकारी प्रतिभूतियाँ शॉर्ट टर्म तथा लॉन्ग टर्म दोनों अवधियों के लिए जारी करी जाती हैं। लॉन्ग टर्म के लिए जारी की जाने वाली प्रतिभूतियों को सरकारी बॉन्ड या स्टेट डेवलेपमेंट लोन (एसडीएल) कहा जाता है, जबकि शॉर्ट टर्म यानी एक साल या इससे कम अवधि के लिए जारी की जाने वाली प्रतिभूतियों को ट्रेजरी बिल (T-Bills) कहते हैं।
स्टेट डेवलपमेंट लोन लंबी अवधि के लिए जारी की जाने वाली गवर्नमेंट सिक्योरिटीज हैं, जिन्हें अपनी वित्तीय जरूरतें पूरा करने के लिए राज्य सरकारें जारी करती हैं। आसान भाषा में केंद्र सरकार द्वारा जारी की जाने वाली डेटेड सिक्योरिटीज को सरकारी बॉन्ड कहा जाता है, जबकि राज्य सरकरों द्वारा जारी की जाने वाली डेटेड सिक्योरिटीज को स्टेट डेवलपमेंट लोन या एसडीएल कहते हैं।
सरकारों द्वारा अपनी अल्पकालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए ट्रेजरी बिल जारी किये जाते हैं। बॉन्ड तथा एसडीएल के विपरीत ट्रेजरी बिल की खरीद पर कोई ब्याज नहीं दिया जाता है, बल्कि सरकार इन्हें इनकी मूल कीमत से कम अर्थात डिस्काउंट में बेचती है और मैच्योरिटी पर मूल कीमत में वापस खरीद लेती है।
ट्रेजरी बिल के प्रकार
ट्रेजरी बिल को उनकी परिपक्वता अवधि के आधार पर तीन अलग-अलग प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। वर्तमान में ट्रेजरी बिल 91 दिन, 182 दिन तथा 364 दिनों की अवधि के साथ जारी किये जाते हैं। प्रत्येक प्रकार के ट्रेजरी बिल की अवधि निश्चित रहती है, जबकि बिल पर अंकित मूल्य या उसकी फेस वैल्यू कई कारकों जैसे लगाई गई कुल बोलियों, आरबीआई की मौद्रिक नीति तथा सरकार की वित्तीय आवश्यकताओं के आधार पर बदल सकती है।
ट्रेजरी बिल कहाँ से खरीदें?
यदि आप ट्रेजरी बिल में निवेश करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे बेहतरीन विकल्प आरबीआई रिटेल डाइरेक्ट है। साल 2021 में केंद्र सरकार ने आरबीआई रिटेल डाइरेक्ट योजना की शुरुआत करी, जिसका उद्देश्य रिटेल या खुदरा निवेशकों को सीधे सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की सहूलियत प्रदान करना था।
इस प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से आप ट्रेजरी बिल समेत तीन अन्य सरकारी प्रतिभूतियों जैसे सरकारी बॉन्ड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम तथा स्टेट डेवलपमेंट लोन (एसडीएल) में आसानी से निवेश कर सकते हैं। इसके साथ ही आप जेरोधा या किसी अन्य ब्रोकरेज फर्म के माध्यम से भी ट्रेजरी बिल में निवेश कर सकते हैं।
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ट्रेजरी बिल (T-Bills) में निवेश की न्यूनतम राशि ₹10,000 रुपये है तथा बिल की परिपक्वता अवधि समाप्त होने पर बिल की मूल राशि उनके खाते में क्रेडिट कर दी जाती है।
ट्रेजरी बिल में निवेश पर यील्ड की गणना
गौरतलब है कि, यील्ड (Yield) किसी निवेश पर प्राप्त होने वाले रिटर्न को दर्शाता है। ट्रेजरी बिल पर मिलने वाले रिटर्न की गणना निम्नलिखित फॉर्मूले से करी जा सकती है
उदाहरण के लिए यदि किसी ट्रेजरी बिल की फेस वैल्यू या बिल में अंकित मूल्य ₹100 रुपये है, जिसे आप ₹95 रुपये में 91 दिनों की अवधि के लिए खरीदते हैं तो इस निवेश पर आपकी सालाना यील्ड लगभग 21.10% होगी। इसका अर्थ है कि यदि आप इसी दर से पूरे साल के लिए निवेश करें, तो आपको 21.10% का सालाना रिटर्न मिलेगा।
ट्रेजरी बिल में निवेश के फायदे
किसी अन्य वित्तीय उपकरण में निवेश करने के बजाए, ट्रेजरी बिल में निवेश करना कई लिहाज से फायदेमंद होता है। इसके कुछ मुख्य फायदे निम्नलिखित हैं
- निवेश में तरलता
ट्रेजरी बिल बहुत कम अवधि 91 दिनों से 365 दिनों के लिए जारी किये जाते हैं, जिसके चलते यहाँ तरलता (Liquidity) बहुत अधिक होती है। यह ऐसे निवेशकों के लिए निवेश का एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है, जो कम अवधि तथा अच्छे रिटर्न के साथ सुरक्षित निवेश विकल्प चाहते हैं।
- निवेश पर जोखिम
चूँकि ट्रेजरी बिल एक तरह की सरकारी प्रतिभूति है, इसलिए इनमें किया गया निवेश सौ फीसदी सुरक्षित होता है। जोखिम-मुक्त निवेश के चलते ट्रेजरी बिल निवेशकों के बीच खासा लोकप्रिय हैं। ये बैंक में की जाने वाली एफडी से भी अधिक सुरक्षित होते हैं तथा समान अवधि वाली एफडी की तुलना में अच्छा रिटर्न देते हैं।
- गैर-प्रतिस्पर्धा
ट्रेजरी बिलों की खरीद पर कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होती है जैसा कि, शेयरों के मामले में किसी आईपीओ के दौरान होता है। इनकी नीलामी साप्ताहिक होती है तथा रिटेल निवेशकों को नीलामी में भाग लेने की अनुमति होती है। उन्हें नीलामी के दौरान बिल की कीमत या यील्ड का उल्लेख करने की आवश्यकता भी नहीं होती है, सरकार इसे खुद तय करती है।
सार-संक्षेप
ट्रेजरी बिल (Treasury Bills) या टी-बिल एक प्रकार की सरकारी प्रतिभूति है, जिसे सरकार द्वारा अपनी अल्पकालिक वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जारी किया जाता है।
ये जीरो-कूपन बॉन्ड होते हैं अर्थात इनकी खरीद पर निवेशकों को कोई ब्याज नहीं मिलता, बल्कि ये उन्हें डिस्काउंट में ऑफर करी जाती हैं और मैच्योरिटी पर सरकार मूल कीमत में इन्हें वापस खरीद लेती है।
ट्रेजरी बिल में निवेश करना जोखिम मुक्त होता है, इसमें तरलता अधिक होती है तथा यहाँ मिलने वाला रिटर्न समान अवधि के लिए किये गए फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाले रिटर्न से बेहतर होता है।