कैपिटल ग्रोथ और भविष्य में वित्तीय सुरक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से हम आज अपनी आय का एक हिस्सा बचाकर तरह-तरह के विकल्पों में निवेश करते हैं, जैसे स्टॉक्स, बचत योजनाएं, रियल एस्टेट, गोल्ड इत्यादि।
निवेश न केवल किसी आपातकाल में आपको वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि बच्चों की शिक्षा, शादी तथा घर खरीदने जैसी दीर्घकालिक योजनाओं को साकार करने में भी मदद करता है। एक अच्छा निवेश आपके पैसे को सुरक्षित रखने के साथ-साथ उसे बढ़ाने (Capital Growth) का अवसर भी देता है।
म्यूचुअल फंड, निवेश का एक ऐसा ही विकल्प है, जो वर्तमान दौर में सबसे अधिक पसंद किया जाता है। आइए इस लेख के जरिये समझते हैं म्यूचुअल फंड क्या है (Mutual Fund kya hai), म्यूचुअल फंड कैसे काम करते हैं, म्यूचुअल फंड के कितने प्रकार हैं तथा म्यूचुअल फंड के नुकसान और फायदे क्या हैं?
म्यूचुअल फंड क्या है?
निवेश के कुछ तरीकों में जोख़िम बिल्कुल नहीं होता, लेकिन भविष्य में मिलने वाला रिटर्न भी कम होता है, सेविंग बैंक खाते, फिक्स्ड डिपॉजिट आदि इसके उदाहरण हैं। वहीं कुछ तरीके अधिक जोखिम भरे होते हैं साथ ही उनसे मिलने वाला रिटर्न भी अधिक है। स्टॉक्स में निवेश इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
इन सबके अतिरिक्त निवेश का एक अन्य विकल्प भी है, जिसे “म्यूचुअल फंड” कहा जाता है। म्यूचुअल फंड एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (ASM) द्वारा बनाया गया एक फंड है, जिसमें लोग उनकी क्षमता के अनुसार पूँजी जमा करते हैं तथा ये एसेट मैनेजमेंट कंपनियाँ उस पूँजी को निवेश के विभिन्न विकल्पों जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड, डिबेंचर्स, गोल्ड, रियल एस्टेट आदि में निवेश करती हैं।
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निवेश से मिले रिटर्न या मुनाफे का कुछ हिस्सा एसेट मैनेजमेंट कंपनियाँ अपने प्रबंधन के लिए काट लेती हैं, जबकि बाकी निवेशकों में वितरित कर दिया जाता है। एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के पास अर्थव्यवस्था तथा बाज़ार का विशेष अनुभव रखने वाले पेशेवर लोग (फंड मैनेजर) होते हैं, जो निवेशकों के कॉमन फंड को मैनेज करते हैं। इसके चलते म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करना किसी भी निवेशक के लिए कम जोखिम भरा रहता है।
म्यूचुअल फंड के प्रकार
म्यूचुअल फंड क्या है, इसे जानने के बाद आइए अब म्यूचुअल फंड के अलग-अलग प्रकारों को समझते हैं, जिन्हें एसेट मैनेजमेंट कंपनियों द्वारा निवेशकों के जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार बनाया जाता है।
मुख्य रूप से म्यूचुअल फंड्स को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है, लेकिन कुछ अन्य प्रकार के म्यूचुअल फंड भी हैं जिन्हें अन्य की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है।
- इक्विटी फंड (Equity Funds)
- डेट फंड (Debt Funds)
- हाइब्रिड फंड (Hybrid Funds)
- अन्य फंड (Other Funds)
#1 इक्विटी म्यूचुअल फंड
इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Funds) ऐसे फंड हैं, जो निवेशकों के पैसे को शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के स्टॉक्स या इक्विटी में निवेश करते हैं।
इन्हें स्टॉक म्यूचुअल फंड भी कहा जाता है। इक्विटी म्यूचुअल फंड्स का मुख्य उद्देश्य अपने निवेशकों को शेयर मार्केट में निवेश करने का अवसर एवं अनुभव दोनों प्रदान करना है, ताकि निवेशक स्वयं किसी मुनाफे वाले स्टॉक्स को छाँटने की झंझट से बचते हुए स्टॉक्स में निवेश करने का फायदा उठा सकें।
इक्विटी म्यूचुअल फंड सामान्यतः ऐसे निवेशकों के लिए बनाया जाता है, जो सामान्य से अधिक रिटर्न चाहने के साथ-साथ जोखिम उठाने को भी तैयार रहते हैं। इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Funds) के अंतर्गत निम्न अलग अलग प्रकार के म्यूचुअल फंड शामिल हैं।
#1.1 Small Cap Fund
स्मॉल कैप इक्विटी फंड ऐसी कंपनियों में निवेश करते हैं, जो स्मॉल कैप की श्रेणी में आती हैं। स्मॉल कैप यानी ऐसी कंपनियाँ जिनका मार्केट कैपिटल 5,000 करोड़ से कम होता है। स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड ऐसी कंपनियों में निवेश करते हैं जो आकार में, बड़ी और परिपक्व हो चुकी कंपनियों से छोटी होती हैं।
चूँकि छोटी कंपनियाँ अपने विकास के शुरुआती चरण में होती हैं अतः इन कंपनियों के विकास की संभावना पहले से स्थापित हो चुकी बड़ी कंपनियों की तुलना में अधिक होती है और इसके चलते ऐसे फंड में निवेश करने पर रिटर्न तथा जोखिम दोनों अधिक होता है।
#1.2 Mid Cap Fund
मिड कैप इक्विटी फंड, ऐसे फंड्स हैं जो मुख्य रूप से मिड कैप कंपनियों में निवेश करते हैं। मिड कैप अर्थात ऐसी कंपनियाँ जिनका कुल मार्केट कैपिटल 5,000 करोड़ से 20,000 करोड़ के बीच होता है। मिड कैप कंपनियों में जोखिम स्मॉल कैप कंपनियों की तुलना में कुछ हद तक कम होता है।
#1.3 Large cap Fund
लार्ज कैप इक्विटी फंड, ऐसे फंड्स हैं जो मुख्य रूप से लार्ज कैप कंपनियों में निवेश करते हैं। लार्ज कैप अर्थात ऐसी कंपनियाँ जिनका मार्केट कैपिटल 20,000 करोड़ रुपये से अधिक होता है। लार्ज कैप कंपनियाँ पूर्णतः परिपक्व, वित्तीय रूप से अत्यधिक स्थिर तथा अपने-अपने क्षेत्रों की दिग्गज कंपनियाँ होती हैं।
लार्ज-कैप कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग वॉल्यूम अधिक होता है, जिसके चलते इन स्टॉक्स में मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक्स की तुलना में तरलता अधिक होती है। लार्ज-कैप कंपनियों में निवेश करने पर रिटर्न तथा जोखिम दोनों कम होते हैं। रिलायंस, TCS, HDFC, L&T जैसी कंपनियाँ इस श्रेणी के उदाहरण हैं।
#1.4 Sector Fund
सेक्टर फंड ऐसे म्यूचुअल फंड्स हैं, जो किसी क्षेत्र विशेष जैसे फार्मा क्षेत्र, मीडिया क्षेत्र, FMCG क्षेत्र, IT क्षेत्र आदि में निवेश करते हैं। कोई एसेट मैनेजमेंट कंपनी किसी क्षेत्र विशेष में उस स्थिति में निवेश करती है जब उसे ऐसे क्षेत्र में आने वाले समय में तेजी की संभावना नजर आती है।
चूँकि सेक्टर फंड की अधिकांश पूँजी सिर्फ एक ही क्षेत्र की कंपनियों में निवेशित होती है, जिस कारण इन फंड्स में जोखिम सामान्य म्यूचुअल फंड्स की तुलना में अधिक होता है।
#1.5 Diversified Fund
जैसा कि नाम से स्पष्ट है डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड ऐसे फंड हैं, जो मार्केट कैपिटलाइजेशन और किसी क्षेत्र विशेष की परवाह किए बिना स्मॉल कैप, मिड कैप तथा लार्ज कैप सभी प्रकार की कंपनियों में निवेश करते हैं। डायवर्सिफाइड फंड का प्राथमिक उद्देश्य निवेशकों के जोखिम को कम करते हुए उन्हें अधिकतम रिटर्न देना होता है।
#1.6 Dividend Fund
डिविडेंड फंड ऐसे म्यूचुअल फंड हैं, जो उन कंपनियों में निवेश करते हैं जिनकी वित्तीय स्थिति मजबूत एवं स्थिर होती हैं और जो अपने शेयरधारकों को डिविडेंड देती हैं। गौरतलब है कि, कंपनियाँ अपने प्रॉफ़िट का कुछ हिस्सा अपने शेयरधारकों में वितरित करती हैं जिसे डिविडेंड (Dividend) कहा जाता है।
#1.7 ELSS
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) फंड भी मुख्यतः “इक्विटी या स्टॉक्स” में ही निवेश करते हैं, जो लंबी अवधि में निवेशकों की पूंजी को बढ़ाने की संभावना प्रदान करते हैं।
यह एक दीर्घकालिक फंड है जिनमें तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है, जिसका अर्थ है कि निवेशक निवेश की तारीख से तीन साल पूरे होने तक निवेश से बाहर नहीं निकल सकते हैं।
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ELSS फंड आयकर कानून की धारा 80C के तहत आने वाले निवेश के विकल्पों में भी शामिल हैं, जिनमें निवेश कर कोई व्यक्ति प्रतिवर्ष इनकम टैक्स में 1.5 लाख रुपये तक की छूट प्राप्त कर सकता है।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) फंड्स में निवेश करना आयकर बचाने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। चूँकि ELSS फंड्स स्टॉक्स में निवेश करते हैं अतः लंबी अवधि में यहाँ निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलता है।
#1.8 Thematic Funds
ऐसे फंड जो किसी विषय विशेष पर आधारित कंपनियों में निवेश करते हैं, थीमेटिक फंड कहलाते हैं। हालाँकि ये सेक्टर फंड के समान ही प्रतीत होते हैं किन्तु इनका दायरा सेक्टर फंड की तुलना में बहुत बड़ा होता है।
थीमेटिक फंड में एक से अधिक सेक्टर शामिल हो सकते हैं। उदाहरण के लिए पर्यटन के विषय पर निवेश करने वाले फंड होटल, परिवहन, इंश्योरेंस जैसे क्षेत्रों की कंपनियों में निवेश कर सकते हैं। चूँकि यहाँ निवेश किसी विषय विशेष को आधार बना कर किया जाता है अतः इस फंड में जोखिम भी अधिक होता है।
#2 डेट म्यूचुअल फंड
ऋण उपकरणों (Debt Instruments) में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड, डेट फंड (Debt Mutual Funds) कहलाते हैं। इस प्रकार के म्यूचुअल फंड में इक्विटी म्यूचुअल फंड की तुलना में जोखिम बहुत कम होता है, हालांकि रिटर्न या मुनाफा भी इक्विटी फंड्स की तुलना में कम मिलता है।
गौरतलब है कि, डेट वित्तीय उपकरणों जैसे बॉन्ड, ट्रेजरी बिल, डिबेंचर्स आदि को जारी कर सरकारें तथा कंपनियाँ पूँजी जुटाने का कार्य करती हैं तथा बदले में निवेशकों को निश्चित अवधि तक ब्याज का भुगतान करती हैं। डेट म्यूचुअल फंड के अलग-अलग प्रकार होते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है-
#2.1 Gilt Fund
गिल्ट फंड ऐसे म्यूचुअल फंड हैं, जो मुख्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों जैसे सरकारी बॉन्ड, ट्रेजरी बिल, स्टेट डेवलपमेंट लोन (राज्य सरकार द्वारा जारी बॉन्ड) आदि में निवेश करते हैं।
चूँकि गिल्ट फंड (Gilt Funds) केवल सरकारी प्रतिभूतियों में ही निवेश करते हैं अतः इनमें अन्य म्यूचुअल फंड की तुलना में जोखिम बेहद कम लगभग शून्य होता है, हालांकि इनमें निवेश करने पर मुनाफा भी अन्य प्रकार के म्यूचुअल फंड की तुलना में कम होता है।
#2.2 Junk Bond Fund
जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, जंक बॉन्ड फंड ऐसी कंपनियों के वित्तीय उपकरणों में निवेश करते हैं जिनकी विश्वसनीयता कम होती है तथा जो आर्थिक रूप से कम स्थिर होती हैं। ये कंपनियाँ अन्य की तुलना में अधिक ब्याज देती हैं किन्तु ऐसी कंपनियों के डिफॉल्टर होने की संभावना भी अधिक होती है।
#2.3 Fixed Maturity
यह म्यूचुअल फंड ऐसे वित्तीय उपकरणों में निवेश करते हैं, जो एक निश्चित समयावधि के लिए जारी किये जाते हैं। इसका एक मुख्य उदाहरण "कॉरपोरेट बॉन्ड" हैं।
#2.4 Liquid Fund
ये म्यूचुअल फंड अल्पकालिक समयावधि (अधिकतम 91 दिन) के लिए जारी किए गए वित्तीय उपकरणों जैसे ट्रेजरी बिल आदि में निवेश करते हैं। यहाँ से मिलने वाला रिटर्न सेविंग खाते पर मिलने वाले ब्याज की तुलना में अधिक होता है, इसके अतिरिक्त यहाँ निवेश की गई राशि को कभी भी आवश्यकता पड़ने पर निकाला जा सकता है।
#3 हाइब्रिड म्यूचुअल फंड
ये म्यूचुअल फंड डेट तथा इक्विटी दोनों में निवेश करते हैं। इक्विटी तथा डेट में निवेश करने के अनुपात के आधार पर इस प्रकार के म्यूचुअल फंड्स को तीन अतिरिक्त श्रेणियों में विभाजित किया जाता है।
Monthly Income Plans : इसमें कुल फंड का 70 – 80% डेट (सरकारी तथा कॉर्पोरेट बॉन्ड) में तथा बाकी इक्विटी (स्टॉक मार्केट में) में निवेश किया जाता है। अन्य की तुलना में यहाँ निवेश अधिक सुरक्षित रहता है।
Balanced Fund : इसके नाम के विपरीत इसमें फंड का अधिकांश हिस्सा लगभग 65 से 85% इक्विटी में जबकि बाकी डेट वित्तीय उपकरणों में निवेश किया जाता है।
Arbitrage Mutual Funds : ये फंड एक मार्केट से स्टॉक खरीदकर उन्हें दूसरे मार्केट में बेचते हैं तथा दोनों के अंतर के बराबर मुनाफ़ा कमाते हैं। ये अपना अधिकांश भाग इक्विटी में निवेश करते हैं।
#4 अन्य म्यूचुअल फंड
इसके अंतर्गत कुछ अन्य फंड आते हैं। उदाहरणों की बात करें तो इस श्रेणी में इंडेक्स फंड जो केवल शेयर बाज़ार के किसी सूचकांक जैसे निफ्टी या सेंसेक्स में निवेश करते हैं, सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड जो एक निश्चित समयावधि के बाद होने वाले किसी कार्य विशेष जैसे शिक्षा, शादी आदि के खर्चों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं आदि शामिल हैं।
म्यूचुअल फंड के नुकसान
यहाँ तक आप म्यूचुअल फंड क्या है तथा म्यूचुल फंड के अलग-अलग प्रकार कौन से हैं इस विषय में जाना, आइए अब म्यूचुअल फंड के नुकसान की बात करते हैं।
प्रोफेशनल मैनेजमेंट तथा डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो के चलते वर्तमान दौर में म्यूचुअल फंड लोगों के लिए एक पसंदीदा निवेश विकल्प है, लेकिन इससे जुड़े कुछ संभावित जोखिमों पर विचार करना भी बेहद जरूरी है। म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कुछ मुख्य नुकसान निम्नलिखित हैं-
- निवेश पर सीमित नियंत्रण
चूँकि म्यूचुअल फंड में अनुभवी फंड मैनेजर निवेशकों के पैसे को अलग-अलग विकल्पों जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड आदि में निवेश करते हैं अतः निवेशकों के पैसे पर उनका बेहद सीमित नियंत्रण रहता है।
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निवेशक केवल Debt या Equity में से किसी एक विकल्प का चुनाव कर सकते हैं। किन Stocks अथवा Debt Instruments में निवेश करना है यह फंड मैनेजर पर निर्भर रहता है।
- निवेश पर रिस्क
कुछ चुनिंदा डेट म्यूचुअल फंड्स जैसे गिल्ट फंड आदि को छोड़कर अधिकांश म्यूचुअल फंड खासकर ऐसे फंड जो Equity में निवेश करते हैं हमेशा बाजार जोखिम के अधीन होते हैं। इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश के साथ निवेशकों को नुकसान होने की संभावना भी हमेशा बनी रहती है।
- फंड के प्रबंधन का शुल्क
जैसा कि आप जानते हैं, म्यूचुअल फंड के प्रबंधन के लिए प्रत्येक एसेट मैनेजमेंट कंपनी एक अनुभवी फंड मैनेजर की नियुक्ति करती है और इसके खर्च का बोझ अंततः निवेशकों की जेब पर ही पड़ता है। इसके विपरीत यदि कोई निवेशक स्वयं अपने फंड को मैनेज करे तो वह इन अतिरिक्त शुल्कों से बच सकता है।
- कैश ड्रैग
किसी म्यूचुअल फंड की कुल कीमत हजारों करोड़ की होती है, जिसमें लाखों लोगों का निवेश शामिल होता है। समय के साथ कई निवेशक म्यूचुअल फंड से बाहर भी निकलते रहते हैं।
ऐसे लोग जो म्यूचुअल फंड्स से बाहर निकलना चाहते हैं उन्हें भुगतान करने के लिए कंपनियों के पास निवेशकों के फंड का एक अच्छा-खासा हिस्सा कैश के रूप में भी होता है, जिस पर उन्हें कोई रिटर्न नहीं मिलता।
म्यूचुअल फंड के फायदे
हमनें ऊपर म्यूचुअल फंड के नुकसान देखे, लेकिन म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कई फायदे भी हैं। इसमें निवेश का सबसे बड़ा फायदा यह है कि, निवेश करने से पहले स्वयं किसी प्रकार की मार्केट रिसर्च की आवश्यकता नहीं होती है, अनुभवी फंड मैनेजर आपके पैसे को बेहतरीन विकल्पों में निवेश करते हैं।
म्यूचुअल फंड, निवेशकों को SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान का विकल्प भी देते हैं, जिससे वे नियमित (साप्ताहिक, मासिक, अर्द्धवार्षिक, वार्षिक) रूप से एक निश्चित धनराशि को निवेश कर सकते हैं। इसके साथ ही ELSS म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर निवेशक सालाना 1.5 लाख तक की टैक्स छूट भी प्राप्त कर सकते हैं।
म्यूचुअल फंड कितना रिटर्न देता है?
लेख में ऊपर हमनें म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकारों के बारे में समझाया है और प्रकारों के आधार पर ही हमनें इन फंड्स से हो सकने वाले मुनाफे या नुकसान के बारे में भी बताया है।
डेट म्यूचुअल फंड कम जोखिम भरे होते हैं लिहाजा इनमें रिटर्न भी कम मिलता है। इसके विपरीत इक्विटी म्यूचुअल फंड में मुनाफे की संभावना तो अधिक होती है साथ ही यहाँ जोखिम भी अधिक रहता है।
म्यूचुअल फंड से मिलने वाला रिटर्न बाजार पर निर्भर रहता है, विभिन्न म्यूचुअल फंड्स के पिछले 10 सालों के प्रदर्शन को देखें तो अधिकांश फंड्स ने 15 फीसदी से अधिक का रिटर्न दिया है। नीचे हमनें चार्ट में कुछ म्यूचुअल फंड्स के 3 साल, 5 साल तथा 10 साल के रिटर्न को चार्ट के माध्यम से दिखाया है।
म्यूचुअल फंड | 3 सालों का रिटर्न | 5 सालों का रिटर्न | 10 सालों का रिटर्न |
---|---|---|---|
HDFC Focused 30 Fund - Direct Plan - Growth | 34.67% | 18.03% | 17.32% |
SBI Contra Fund - Direct Plan - Growth | 39.47% | 23.43% | 18.50% |
Kotak Tax Saver Fund - Direct Plan - Growth | 25.53% | 19.01% | 18.47% |
SBI Long Term Equity Fund - Direct Plan - Growth | 27.85% | 18.28% | 16.54% |
Franklin India Flexi Cap Fund - Direct - Growth | 29.59% | 17.56% | 17.84% |
HDFC Tax Saver Fund - Direct Plan - Growth | 28.37% | 15.22% | 15.80% |
Quant Tax Plan - Direct Plan - Growth | 36.77% | 27.91% | 24.63% |
UTI Core Equity Fund - Direct Plan - Growth | 29.94% | 17.07% | 15.01% |
JM Flexi Cap Fund - Direct - Growth | 31.96% | 20.87% | 19.65% |
HDFC Flexi Cap Fund - Direct Plan - Growth | 33.87% | 18.33% | 17.92% |
Mutual Fund में निवेश कैसे करें?
म्यूचुअल फंड में आप एकमुश्त (Lump Sum) या किश्तों में (SIP) निवेश कर सकते हैं। किसी कंपनी के शेयर की तरह म्यूचुअल फंड भी युनिट में खरीदे जाते हैं, लेकिन जहाँ शेयर बाज़ार में किसी कंपनी का न्यूनतम एक शेयर खरीदना अनिवार्य होता है वहीं म्यूचुअल फंड में किसी युनिट को आंशिक रूप से भी खरीदा जा सकता है।
म्यूचुअल फंड के एक युनिट की कीमत उसके नेट एसेट वैल्यू या NAV से पता करी जा सकती है। PayTm, PhonePe जैसी एप्लीकेशन के माध्यम से म्यूचुअल फंड में आसानी से निवेश किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त लगभग सभी बैंक एवं ब्रोकरेज फर्म भी डीमैट अकाउंट के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सुविधा देती हैं।
सार-संक्षेप
म्यूचुअल फंड वर्तमान दौर में निवेश का एक लोकप्रिय माध्यम बनता जा रहा है। म्यूचूअल फंड एक सामूहिक फंड होता है जिसे हजारों लाखों छोटे-छोटे निवेशक मिल कर तैयार करते हैं।
इसके बाद अनुभवी फंड मैनेजर इस विशाल फंड को अलग-अलग वित्तीय साधनों जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड, डिबेंचर्स आदि में निवेश करते हैं और मुनाफे से कुछ शुल्क काटने के बाद उसे निवेशकों में बाँट देते हैं।
निवेशकों के जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार अलग-अलग म्यूचुअल फंड बनाए जाते हैं और इसी आधार पर फंड मैनेजर यह तय करते हैं कि, फंड का कितना हिस्सा, किस तरह के वित्तीय साधन में निवेश किया जाए।
अधिक जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए Equity Funds बनाए जाते हैं जिसमें फंड का बड़ा हिस्सा स्टॉक्स में निवेश किया जाता है वहीं कम जोखिम लेने वालों के लिए Debt Funds बनाए जाते हैं और ऐसे फंड्स का बड़ा हिस्सा सुरक्षित वित्तीय उपकरणों जैसे सरकारी बॉन्ड आदि में लगाया जाता है।
डिसक्लेमर: म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं, निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय लें।