Thursday, February 13, 2025

एसआईपी (SIP) निवेश क्या है? इसके फायदे, नुकसान एवं प्रकार

एसआईपी (SIP) म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने का एक बेहतरीन और अनुशासित तरीका है जिसमें निवेशक एकमुश्त कोई धनराशि निवेश करने के बजाए एक निश्चित राशि को पहले से निर्धारित समयांतराल में निवेश करते हैं

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हम सभी आर्थिक रूप से एक सशक्त भविष्य की चाह में अपनी आय के एक हिस्से को कहीं न कहीं निवेश करते हैं और निवेश के ये विकल्प अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं। इनमें कुछ विकल्प बेहद सुरक्षित होते हैं जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट, सरकारी बचत योजनाएं, सरकारी बॉन्ड आदि।

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इसके विपरीत कुछ विकल्पों में रिटर्न और जोखिम दोनों अधिक होता है, जैसे इक्विटी, म्यूचुअल फंड, कॉर्पोरेट बॉन्ड इत्यादि। निवेश के ही एक पसंदीदा तरीके की इस लेख में चर्चा करेंगे, जिसे सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान या एसआईपी (SIP) कहा जाता है। जानेंगे एसआईपी क्या है, यह कैसे काम करता है, एसआईपी निवेश कैसे शुरू करें तथा एसआईपी निवेश के फायदे और नुकसान क्या हैं?

एसआईपी (SIP) निवेश क्या है?

एसआईपी (SIP) का पूरा नाम सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान है। यह निवेश करने का एक व्यवस्थित तरीका है, जिसमें कोई निवेशक नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि को किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करता है।

म्यूचुअल फंड यानी लाखों निवेशकों का कॉमन फंड, जिसे पेशेवर फंड मैनेजर अलग-अलग विकल्पों जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड, रियल एस्टेट, कमोडिटी इत्यादि में निवेश करते हैं। इस निवेश से होने वाले मुनाफे का कुछ हिस्सा म्यूचुअल फंड अर्थात एसेट मैनेजमेंट कंपनी रखती है तथा बाकी हिस्सा निवेशकों में बाँट दिया जाता है।

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म्यूचुअल फंड में निवेश करने के सामान्यतः दो तरीके हैं। पहला तरीका है एकमुश्त धनराशि निवेश करने का, जबकि दूसरे तरीके में निवेशक एक निश्चित समयांतराल जैसे साप्ताहिक, मासिक, त्रिमसिक, अर्द्धवार्षिक या वार्षिक आधार पर एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड में निवेश करते रहें।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने का ये दूसरा तरीका एसआईपी (SIP) या सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान कहलाता है। चूँकि एसआईपी (SIP) निवेश एक नियमित अंतराल में किया जाता है, इसलिए यहाँ निवेशकों को बाज़ार की अस्थिरता या इसके उतार-चढ़ाव से बचने का अवसर भी मिलता है।

म्यूचुअल फंड क्या है और कैसे काम करता है इसे विस्तार से पढ़ने के लिए लेख पढ़ें 👉 म्यूचुअल फंड क्या है, कितने प्रकार के होते हैं तथा म्यूचुअल फंड के नुकसान और फायदे

SIP कैसे काम करता है?  

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान विशेष रूप से छोटे निवेशकों के लिए बनाया गया है, जो म्युचुअल फंड में एकमुश्त निवेश करने में सक्षम नहीं है और एक निश्चित समयांतराल में नियमित रूप से निवेश करना चाहते हैं।

म्यूचुअल फंड एसआईपी की शुरुआत सौ रुपये प्रति माह से होती है, हालांकि निवेश की यह न्यूनतम राशि फंड के अनुसार भिन्न हो सकती है। एसआईपी निवेश करने से पहले निवेशकों को किसी म्यूचुअल फंड का चुनाव करना होता है और इसके बाद वे निवेश की राशि और निवेश के अंतराल का चयन करते हैं।

उदाहरण के लिए अगर आप महीने की शुरुआत में 5,000 रुपये किसी खास फंड में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो इस स्थिति में महीने की पहली तारीख को आपके बैंक अकाउंट से 5,000 रुपये डेबिट हो जाएंगे और उस तारीख को म्यूचुअल फंड की NAV का जो भी भाव होगा उसके अनुसार 5,000 रुपये की यूनिट आपके अकाउंट में क्रेडिट कर दी जाएंगी। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक आप अपनी एसआईपी को जारी रखना चाहते हैं।

SIP में निवेश करने पर मुनाफा कैसे होगा?

किसी भी म्यूचुअल फंड की एक नेट एसेट वैल्यू (NAV) होती है, जिसका हमनें ऊपर भी जिक्र किया। जैसे कोई कंपनी अलग-अलग शेयरों में विभाजित होती है ठीक उसी प्रकार कोई म्यूचुअल फंड भी अलग-अलग हिस्सों में विभाजित होता है और इसके एक हिस्से या यूनिट को नेट एसेट वैल्यू कहा जाता है। इसी NAV के भाव में उतार-चढ़ाव आने से निवेशकों को फायदा या नुकसान होता है।

SIP के कितने प्रकार हैं?

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के मुख्यतः तीन प्रकार हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है-

#1 टॉप-अप एसआईपी

यह एसआईपी का एक ऐसा प्रकार है, जिसमें आप समय के साथ अपनी निवेश राशि में वृद्धि कर सकते हैं। यह प्लान ऐसे निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प होता है जो आपनी आय में वृद्धि होने की स्थिति में निवेश की राशि को भी उसी अनुपात में बढ़ाना चाहते हैं अथवा अपनी निवेश राशि को महंगाई से मुक्त रखना चाहते हैं।

इस प्रकार की एसआईपी का फायदा यह है कि निवेशक को अधिक निवेश करने के लिए किसी नई एसआईपी को शुरू करने की जरूरत नहीं होती है वह पुरानी एसआईपी में ही अधिक धनराशि निवेश कर सकता है।

#2 फ्लेक्सिबल एसआईपी

जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, एक नियमित एसआईपी के विपरीत जहाँ निवेशक पूर्वनिर्धारित अंतराल पर एक निश्चित राशि को निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, फ्लेक्सिबल एसआईपी में उनके पास निवेश की जाने वाली राशि को कम करने या बढ़ाने का विकल्प मौजूद रहता है।

इस प्रकार की एसआईपी उन निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकती है, जिनके पास नकदी का अनियमित प्रवाह है या जिनकी आर्थिक जरूरतें निरंतर बदलती रहती हैं।

#3 परपेचुअल एसआईपी

सामान्यतः किसी एसआईपी की एक पूर्व निर्धारित समाप्ति तिथि होती है, जिसके बाद निवेशक निश्चित समयांतराल पर निवेश करने के लिए बाध्य नहीं रहता है।

सामान्य एसआईपी के विपरीत परपेचुअल एसआईपी अनिश्चितकाल तक चलने वाली एसआईपी होती हैं, इनकी कोई परिपक्वता तिथि नहीं होती है और जब तक निवेशक इसे समाप्त न करना चाहे ये जारी रहती हैं।

SIP में निवेश कैसे करें?

अगर आप एसआईपी निवेश करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपके पास ऑफ़लाइन या ऑनलाइन दोनों विकल्प मौजूद हैं। ऑनलाइन माध्यम से एसआईपी में निवेश करने के लिए आप ज़ेरोधा कॉइन का इस्तेमाल कर सकते हैं इसके अलावा आप PayTm, PhonePe जैसी एप्स का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

साथ ही यदि आप ऑफ़लाइन तरीके से म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको एक फॉर्म भरना होगा, जिसे आप अपने पसंदीदा फंड हाउस से प्राप्त कर सकते हैं या उसकी वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं।

इस फॉर्म को भर कर इसके साथ आपको केवाईसी और ऑटो डेबिट फॉर्म भी भरना होगा, अंत में इन सभी दस्तावेजों को आपको एसेट मैनेजमेंट कंपनी के नजदीकी शाखा कार्यालय में जमा करना होगा।

SIP में निवेश करने के फायदे

एसआईपी में निवेश करने के कई फायदे हैं। यह निवेश का एक अनुशासित तरीका है, जिससे नियमित निवेश की आदत पढ़ जाती है और निवेशक अपने दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को आसानी से पूरा कर पाते हैं।

  • छोटे निवेशकों के लिए फायदेमंद

एसआईपी (SIP) निवेश की सबसे खास बात है कि, इसे आप एक मामूली राशि से शुरू कर सकते है। निवेश करने के लिए आपके पास एक बड़ी रकम का होना जरूरी नहीं है। कुछ म्यूचुअल फंड में एसआईपी के माध्यम से निवेश करने की न्यूनतम राशि सौ रुपये जबकि अधिकांश में पाँच सौ रुपये है।

  • निवेश का अनुशासित तरीका

एसआईपी एक बेहतरीन निवेश प्लान है, जो आपको एक अनुशासित निवेशक बनाता है। एक बार एसआईपी शुरू करने के पश्चात आपको निवेश करने के लिए किसी बेहतर अवसर का इंतजार नहीं करना होता।

  • निवेश पर नियंत्रण

एसआईपी निवेश में आप अपनी इच्छा के अनुसार अपनी निवेश राशि को कम या ज्यादा कर सकते हैं, हालांकि यह एसआईपी के प्रकार पर निर्भर करता है।

  • टैक्स छूट का लाभ

यदि आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ईएलएसएस फंड में एसआईपी के माध्यम से निवेश करते हैं, तो आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत सालाना डेढ़ लाख रुपये तक की टैक्स छूट का दावा भी कर सकते हैं। इसके अलावा निवेश से होने वाला प्रॉफ़िट भी एक लाख रुपये तक टैक्स फ्री होता है।

  • अन्य विकल्पों से बेहतर रिटर्न

एसआईपी के माध्यम से किये गए निवेश से मिलने वाला मुनाफा या रिटर्न निवेश के बाकी पारंपरिक विकल्पों जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट आदि की तुलना में अधिक होता है। वहीं पेशेवर प्रबंधन के चलते किये गए निवेश में जोखिम भी सीधे स्टॉक्स में निवेश करने की तुलना में कुछ कम होता है।

  • ऑटोमेटिक निवेश

एसआईपी में एक निश्चित समयांतराल पर आपके बैंक अकाउंट से पैसे ऑटो डेबिट होकर म्यूचुअल फंड में निवेशित हो जाते हैं अतः यहाँ इनवेस्टमेंट के लिहाज से बहुत अधिक मेहनत करने की जरूरत नहीं होती।

SIP में निवेश करने के नुकसान

हालांकि एसआईपी (SIP) निवेश का एक बेहतरीन विकल्प है इसके बावजूद सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान कुछ सीमाएं हैं, जिन पर निवेश करने से पहले विचार किया जाना चाहिए।

  • निवेश पर जोखिम

एसआईपी में प्राप्त मुनाफा शेयर बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, अतः यह अन्य बचत योजनाओं की तुलना में अधिक जोखिम भरा है। शेयर बाजार में आने वाले उतार-चढ़ाव आपके रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं।

  • अनावश्यक शुल्क

म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर निवेशकों को अपने प्रॉफ़िट से एक हिस्सा ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी अथवा फंड मैनेजर को भी देना होता है, ये शुल्क एसआईपी के कुल रिटर्न को कम कर देते हैं।

  • स्टॉक मार्केट की तुलना में सीमित नियंत्रण

एसआईपी निवेश में निवेशकों के पास फंड का सीमित नियंत्रण होता है, निवेशकों का पैसा कहाँ निवेश किया जाना है यह पूर्णतः फंड मैनेजर पर निर्भर करता है।

सार-संक्षेप

एसआईपी (SIP) म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने का एक बेहतरीन और अनुशासित तरीका है, जिसमें निवेशक एकमुश्त कोई धनराशि निवेश करने के बजाए एक निश्चित राशि को पहले से निर्धारित समयांतराल में निवेश करते हैं। यह प्रक्रिया ऑटोमेटिक रूप से संपादित होती है, निवेशकों के बैंक अकाउंट से मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक या वार्षिक आधार पर निवेश की जाने वाली राशि स्वतः डेबिट हो जाती है।

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