Friday, January 17, 2025

शेयर मार्केट में Intraday Trading और Delivery Trading क्या हैं और इनमें क्या अंतर है?

इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग शेयर मार्केट में की जाने वाली ट्रेडिंग के अलग-अलग प्रकार हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब है एक ही दिन में स्टॉक खरीदना और बेचना, जबकि डिलीवरी ट्रेडिंग की स्थिति में ट्रेडर स्टॉक को लंबी अवधि के लिए अपने डीमैट खाते में होल्ड करके रखते हैं।

Text Size:

किसी निवेशक के लक्ष्य को देखते हुए शेयर मार्केट में निवेश करने के कई अलग-अलग तरीके हो सकते हैं, उदाहरण के तौर पर शॉर्ट टर्म में मुनाफा कमाने के लिए ट्रेडिंग, समय के साथ अपनी पूँजी को बढ़ाने के लिए लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट, रेगुलर इनकम के लिए डिविडेंड देने वाले स्टॉक्स में निवेश आदि।

- Advertisement -

निवेश की अवधि को आधार मानें तो दो तरीकों से शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करी जा सकती है। इन तरीकों में इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग शामिल हैं। इस लेख में समझने का प्रयास करेंगे इंट्राडे तथा डिलीवरी ट्रेडिंग क्या हैं, इंट्राडे तथा डिलीवरी ट्रेडिंग में क्या अंतर हैं तथा इन दोनों में कौन अधिक जोखिम भरा है।

Intraday Trading क्या है?

शेयर मार्केट में एक ही दिन शेयर खरीदना और उन्हें बेचना इंट्राडे ट्रेडिंग या डे-ट्रेडिंग कहलाता है। दूसरे शब्दों में जब कोई निवेशक एक ही ट्रेडिंग दिवस (सुबह 9:15 से दोपहर 15:30 बजे तक) के भीतर शेयरों की खरीद और बिक्री करता है, तो इसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग में एक ही दिन के भीतर लेन-देन के दोनों चरण यानी खरीद और बिक्री निष्पादित किये जाते हैं, जिसके चलते मार्केट बंद होने के पश्चात ट्रेडर की शुद्ध होल्डिंग शून्य होती है।

- Advertisement -

यदि कोई व्यक्ति इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान दिन के अंत तक अपने ट्रेड को “स्क्वायर ऑफ” नहीं करता है, तो दिन के अंत में ब्रोकर द्वारा स्वयं ऐसा किया जाता है। स्क्वायर ऑफ का मतलब अपनी वर्तमान स्थिति से बाहर निकालना होता है, जैसे सामान्य ट्रेडिंग की स्थिति में स्टॉक बेचना और शॉर्ट सेलिंग की स्थिति में खरीदना

यह भी पढ़ें 👉 Equity Market और Commodity Market क्या हैं और इन दोनों में क्या अंतर है?

इंट्राडे ट्रेडिंग के पीछे निवेशकों का उद्देश्य एक दिन में शेयरों की कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव का फायदा उठाते हुए प्रॉफ़िट कमाना होता है। इसके लिए वे ऐसे स्टॉक्स को चुनते हैं, जिनमें किसी खास दिन तेज मूवमेंट होने की संभावना होती है। वे निचले भाव पर शेयर खरीदते हैं और थोड़ी बढ़त होते ही बेचकर मुनाफा कमाते हैं।

इंट्राडे की स्थिति में ब्रोकर निवेशकों को मार्जिन पर ट्रेडिंग करने की सुविधा भी देते हैं, यानी निवेशक उधार लेकर कम पूँजी के साथ भी बड़ी मात्रा में शेयर खरीद-बेच सकते हैं, जिससे लाभ की संभावना बढ़ जाती है। गौरतलब है कि, इस स्थिति में लाभ के साथ-साथ जोखिम की संभावनाएं भी उतनी ही बढ़ती हैं।

डिलीवरी ट्रेडिंग के विपरीत यहाँ कोई ट्रेडर किसी शेयर को पहले बेचकर बाद में खरीद भी सकते हैं। ऐसा उस स्थिति में किया जाता है, जब ट्रेडर को किसी शेयर की कीमतों में गिरावट का अंदेशा होता है। ऐसे में ट्रेडर दिन की शुरुआत में शेयर बेच देते हैं तथा दिन के मध्य या अंत में जब शेयर के दाम गिर जाएं तो उसे खरीद लेते हैं।

Intraday Trading कैसे शुरू करें?

किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग के लिए चाहे वह इंट्राडे ट्रेडिंग हो या डिलीवरी ट्रेडिंग आपको एक डीमैट अकाउंट की आवश्यकता होती है। डीमैट अकाउंट खुल जाने के पश्चात आपको स्टॉक का चुनाव करना होगा और इसके बाद स्टॉक के सामने बने BUY बटन पर क्लिक करना होगा।

Difference Between Intraday and Delivery Trading

यहाँ आपको इंट्राडे तथा लॉन्ग टर्म दो विकल्प दिखाई देंगे, इनमें से आप Intraday का चुनाव करते हुए Buy बटन पर क्लिक कर ट्रेड ले सकते हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग में ब्रोकर द्वारा लेवरेज या सामान्य शब्दों में उधार भी मुहैया करवाया जाता है। इस स्थिति में ट्रेड की कुल कीमत का सिर्फ एक हिस्सा देकर भी ट्रेड लिया जा सकता है।

उदाहरण के लिए ऊपर चित्र में हमनें HDFC BANK के इंट्राडे ट्रेड का स्क्रीनशॉट साझा किया गया है, जिसमें आप कुल ट्रेड का केवल 20% देकर भी ट्रेड ले सकते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे

इंट्राडे ट्रेडिंग के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं

  • इंट्राडे ट्रेडिंग में ब्रोकर द्वारा मिलने वाला लेवरेज के चलते कम पूँजी के साथ बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है
  • इसमें किसी प्रकार का ओवरनाइट रिस्क नहीं रहता यानी किसी ऐसी खबर जिससे शेयर की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं उसके आने से पहले ही ट्रेडर अपना ट्रेड पूरा कर चुका होता है
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में बेहद कम समय मात्र कुछ घंटों में ही अच्छा प्रॉफ़िट कमाया जा सकता है

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान

इंट्राडे ट्रेडिंग के कुछ नकारात्मक पक्ष निम्नलिखित हैं

  • ट्रेड करने के लिए एक निश्चित समय सीमा मिलती है, जिसके चलते जोखिम बहुत अधिक रहता है
  • यहाँ मिलने वाला लेवरेज मुनाफे के साथ-साथ नुकसान की संभावना को भी उतना ही बढ़ा देता है
  • निवेशकों को बाजार तथा शेयर के ट्रेंड पर पर बहुत बारीकी से ध्यान देने की आवश्यकता होती है

Delivery Trading क्या है?

ऐसी ट्रेडिंग जहाँ ट्रेडर लंबी अवधि के लिए किसी स्टॉक में निवेश करता है, उसे डिलीवरी ट्रेडिंग कहते हैं। यहाँ निवेशकों को इंट्राडे ट्रेडिंग के विपरीत शेयरों की डिलीवरी उनके डीमैट खाते में प्राप्त होती है।

चूँकि किसी डीमैट खाते में शेयर ट्रांसफर होने में दो दिनों का समय लगता है अतः डिलीवरी ट्रेडिंग में कोई ट्रेडर दो दिनों से लेकर अनिश्चित काल तक शेयर अपने पास रख सकता है। जहाँ इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेडर के पास ट्रेड करने की एक निश्चित समय सीमा होती है, वहीं डिलीवरी ट्रेडिंग में समय की कोई सीमा नहीं है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे

डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं

  • डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयरों को बेचने की कोई समय सीमा नहीं होती है
  • इंट्राडे ट्रेडिंग के उलट डिलीवरी ट्रेडिंग में जोखिम बहुत हद तक कम होता है
  • डिलीवरी ट्रेडिंग शॉर्ट सेलिंग से सुरक्षित होती है
  • इसमें कैपिटल ग्रोथ के साथ कई अन्य कई लाभ जैसे डिविडेंड, बोनस इश्यू आदि भी मिलते हैं
  • यहाँ शेयर की कीमत पूर्णतः कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर करती है, जबकि इंट्राडे ट्रेडिंग में कुछ अन्य कारक भी शेयर की कीमत प्रभावित करने में अहम भूमिका अदा करते हैं
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में ट्रेडर के पास किसी कंपनी के शेयर होते हैं, जो उसे कंपनी में हिस्सेदार बनाते हैं

डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान

डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ नकारात्मक पक्ष निम्नलिखित हैं

  • डिलीवरी ट्रेडिंग में इंट्राडे के विपरीत ब्रोकर द्वारा किसी प्रकार का लेवरेज उपलब्ध नहीं करवाया जाता है अतः कोई ट्रेडर केवल उतनी ही मात्र में शेयर खरीद सकता है, जितनी धनराशि उसके पास मौजूद है
  • शेयरों को होल्ड करने के चलते भविष्य में कंपनी के किसी खराब प्रदर्शन का प्रभाव निवेशक पर पड़ता है

निष्कर्ष

Intraday तथा Delivery स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के दो प्रकार हैं, इन दोनों में मुख्य अंतर ट्रेड की अवधि का है। इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयरों को एक ही दिन के भीतर खरीदा और बेचा जाता है। यहाँ ट्रेडर का लक्ष्य स्टॉक्स की कीमतों में दिनभर के उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाना होता है।

इसके विपरीत डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक खरीदे गए शेयरों को अपने डीमैट अकाउंट में लंबे समय के लिए रखते हैं ताकि उन्हें कैपिटल ग्रोथ, डिविडेंड तथा बोनस इश्यू जैसे लाभ मिल सकें।

इंट्राडे ट्रेडिंग अल्पकालिक होती है और इसमें त्वरित निर्णय लेना होता है, जिस कारण यहाँ जोखिम और रिटर्न दोनों अधिक होते हैं। इसके विपरीत डिलीवरी ट्रेडिंग निवेश का अधिक सुरक्षित तरीका है।

लेटेस्ट आर्टिकल

विज्ञापन spot_img