शेयर बाजार में फ्रंट रनिंग क्या होती है और निवेशकों को इससे कैसे नुकसान होता है?

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हाल ही में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने क्‍वांट म्यूचुअल फंड (Quant Mutual Fund) के मालिक संदीप टंडन के मुंबई और हैदराबाद स्थित दफ्तरों पर छापेमारी करी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सेबी ने यह कार्यवाही फंड मैनेजरों द्वारा निवेश-संबंधी गतिविधियों में की गई अनियमितताओं विशेष रूप से फ्रंट रनिंग (Front Running) की आशंका को देखते हुए करी है।

बता दें कि क्‍वांट म्यूचुअल फंड पिछले तीन वर्षों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले म्यूचुअल फंड हाउसों में से एक रहा है और सेबी द्वारा की गई इस छापेमारी के बाद से यह नाम खासा चर्चाओं में है।

सेबी को अपनी इस कार्यवाही में गैर-कानूनी गतिविधियों से जुड़े क्या अहम सुबूत मिलेंगे यह देखने वाली बात होगी बहरहाल इस लेख के माध्यम से आज समझने का प्रयास करेंगे कि, आखिर शेयर बाजार में फ्रंट रनिंग क्या होती है, कैसे करी जाती है और इससे निवेशकों को पैसों का नुकसान कैसे होता है।

फ्रंट रनिंग (Front Running) क्या होती है?

फ्रंट रनिंग (Front Running) शेयर बाजार से जुड़ी एक अनैतिक और गैर-कानूनी गतिविधि है, जिसका इस्तेमाल किसी ब्रोकर / डीलर या म्यूचुअल फंड्स के मामले में फंड मैनेजर्स द्वारा अपने निजी लाभ के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में कोई ब्रोकर या फंड मैनेजर किसी बड़े ऑर्डर की गोपनीय जानकारी के आधार पर अपने लिए निवेश करता है और प्रॉफ़िट कमाता है।

फ्रंट रनिंग कैसे करी जाती है?

फ्रंट रनिंग क्या है यह जानने के बाद आइए अब इसकी कार्यप्रणाली को एक आसान उदाहरण की सहायता से समझने का प्रयास करते हैं

माना कोई व्यक्तिगत अथवा संस्थागत निवेशक (म्यूचुअल फंड्स) किसी कंपनी के एक लाख शेयर खरीदने के लिए एक ब्रोकर को ऑर्डर देता है, चूँकि ब्रोकर जनता है कि इतनी बड़ी खरीद से शेयरों की कीमत बढ़ जाएगी इसलिए वह क्लाइंट के ऑर्डर से पहले अपने लिए उसी कंपनी के 1000 शेयर खरीद लेता है और तत्पश्चात क्लाइंट का ऑर्डर बाजार में डालता है।

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क्लाइंट के लिए एक लाख शेयर खरीदने के बाद जब स्टॉक की कीमत बढ़ती है तो ब्रोकर अपने शेयर बेच देता है और अनुचित लाभ कमाता है। फ्रंट रनिंग एक अनैतिक और अवैध तरीका है क्योंकि इसमें ब्रोकर लाभ कमाने के लिए अपने ग्राहक की गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग करता है।

गौरतलब है कि, संस्थागत निवेशक जैसे म्यूचुअल फंड्स की स्थिति में ब्रोकर के साथ-साथ फंड मैनेजर या कोई इनसाइडर भी फ्रंट रनिंग (Front Running) कर सकता है, जिसके पास फंड के आगामी बड़े निवेश की जानकारी उपलब्ध हो।

फ्रंट रनिंग से निवेशकों को कैसे नुकसान होता है?

फ्रंट रनिंग का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे निवेशकों का रिटर्न नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए यदि कोई म्यूचुअल फंड किसी कंपनी में बड़े निवेश की योजना बना रहा हो और उसका ब्रोकर या फंड मैनेजर इस जानकारी का इस्तेमाल करते हुए फंड से पहले कंपनी के शेयर खरीद ले तो डिमांड बढ़ने के चलते फंड को पहले की तुलना में अधिक कीमत पर शेयर खरीदने पड़ेंगे जिससे निवेशकों का रिटर्न कम हो जाएगा।

इसके अलावा फ्रंट रनिंग से किसी म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन तो खराब होता ही है साथ ही यह उसकी प्रतिष्ठा पर भी नकारात्मक असर डालती है जैसा कि, क्‍वांट म्यूचुअल फंड की स्थिति में दिखाई दे रहा है।

फ्रंट रनिंग और इनसाइडर ट्रेडिंग में अंतर

इनसाइडर ट्रेडिंग और फ्रंट रनिंग दोनों ही शेयर बाजार से जुड़ी अवैध गतिविधियाँ हैं। इनसाइडर ट्रेडिंग की स्थित में किसी कंपनी का कोई भीतरी व्यक्ति कंपनी से जुड़ी किसी गोपनीय जानकारी का इस्तेमाल करते हुए शेयरों को खरीदता या बेचता है, ये जानकारी कंपनी के परिणाम, कोई बड़ा फैसला जैसे विलय और अधिग्रहण (M&A) आदि हो सकती है।

वहीं फ्रंट रनिंग ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक ब्रोकर, डीलर या फंड मैनेजर अपने ग्राहक के बड़े ऑर्डर की जानकारी का लाभ उठाकर पहले खुद के लिए ट्रेड करता है। इसका उद्देश्य उस बड़े ऑर्डर के कारण बाजार में पड़ने वाले प्रभाव से पहले लाभ कमाना होता है।

फ्रंट रनिंग के लिए दंड

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी निवेशकों के हितों को संरक्षित करने तथा फ्रंट रनिंग, इनसाइडर ट्रेडिंग जैसी अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम और दंड प्रावधान करता है। इन प्रावधानों में मौद्रिक जुर्माना, ट्रेडिंग लाइसेंस का निलंबन या रद्दीकरण जैसी कानूनी कार्रवाईयां शामिल हैं।