डिबेंचर क्या है, ये कितने प्रकार के होते हैं और इनमें निवेश कैसे करें?

डिबेंचर क्या है?

डिबेंचर्स एक प्रकार का Debt Instrument है, जिसे मुख्यतः प्राइवेट कंपनियों तथा कई बार सरकारों द्वारा अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने हेतु पैसे जुटाने के उद्देश्य से जारी किया जाता है। डिबेंचर्स खरीदने वाले व्यक्ति को जारीकर्ता कंपनी या सरकार निर्धारित दर से ब्याज की अदायगी करती है और डिबेंचर की अवधि पूर्ण हो जाने के पश्चात व्यक्ति को मूल राशि लौटा दी जाती है।


लेख से जुड़ी मुख्य बातें

  • डिबेंचर्स एक वित्तीय उपकरण (Financial Instruments) हैं, जिन्हें किसी कंपनी या सरकार द्वारा जारी किया जाता है, इन्हें जारी करने का उद्देश्य बैंकों के बजाए आम जनता से पूँजी इकट्ठा करना है।
  • डिबेंचर्स खरीदने वाले व्यक्ति को कंपनी निर्धारित दर से ब्याज देती है और डिबेंचर्स की परिपक्वता के समय उसकी पूरी कीमत निवेशक को लौटा दी जाती है।
  • डिबेंचर्स इन्हें जारी करने वाले जैसे किसी कंपनी या सरकार की साख और प्रतिष्ठा द्वारा समर्थित होते हैं।
  • डिबेंचर्स और बॉन्ड दोनों लगभग एक ही प्रकार के वित्तीय उपकरण हैं, लेकिन बॉन्ड डिबेंचर्स की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं।

डिबेंचर्स क्यों जारी किये जाते हैं?

किसी भी कंपनी को अपने क्रियाकलापों को संचालित करने या अपने खर्चों की पूर्ति के लिए पूँजी (Capital) की जरूरत होती है और अधिकांशतः कंपनियों के पास जरूरत के अनुसार पूँजी मौजूद नहीं होता है अतः अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कंपनियाँ अलग-अलग तरीकों से रकम इकट्ठा करती हैं।

इन तरीकों में पहला विकल्प है किसी बैंक से कर्ज लेना लेकिन इसका नकारात्मक पहलू यह है कि, बैंक से कर्ज लेने पर कंपनी को भारी-भरकम ब्याज बैंक को चुकाना होता है अतः इससे बचने के लिए कंपनियाँ दूसरे विकल्प का इस्तेमाल करती हैं जो कि, IPO के माध्यम से अपनी कुछ हिस्सेदारी को बेचने का है।

लेकिन यदि कोई कंपनी बैंक से महंगी दरों में लोन ना लेना चाहे और साथ ही अपनी हिस्सेदारी को बेचने के पक्ष में भी ना हो तो उसके पास पैसे इकट्ठा करने का एक तीसरा विकल्प भी मौजूद होता है, जो कुछ वित्तीय उपकरणों या Financial Instruments को जारी करना है। ये वित्तीय उपकरण दो तरीके के होते हैं जिन्हें बॉन्ड एवं डिबेंचर्स कहा जाता है।

डिबेंचर कितने प्रकार के होते हैं?

डिबेंचर्स को कई तरीके से वर्गीकृत किया जा सकता है, लेकिन कुछ प्रमुख आधार पर इन्हें 8 प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं-

  • Registered & Bearer
  • Redeemable & Irredeemable
  • Convertible & Nonconvertible
  • Fixed-Rate Debentures & Floating-Rate Debentures

डिबेंचर्स को जारी करने के आधार पर इन्हें दो प्रकारों (रजिस्टर्ड और बेयरर) में विभाजित किया जा सकता है। रजिस्टर्ड डिबेंचर ऐसे डिबेंचर होते हैं, जिन्हें जारीकर्ता द्वारा धारक के नाम पर जारी किया जाता है, इन डिबेंचर्स से जुड़े लाभ जैसे ब्याज का भुगतान, डिबेंचर्स का रीदमशन केवल रजिस्टर्ड धारक ही ले सकता है। हालांकि यदि धारक चाहे तो इन्हें किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर भी करवा सकता है।

रजिस्टर्ड डिबेंचर के विपरीत बेयरर डिबेंचर ऐसे डिबेंचर्स होते हैं जिन्हें धारक के नाम पर जारी नहीं किया जाता है, ये भौतिक रूप से जिसके अधिकार में हों वहीं इनका असली मालिक होता है और इनसे जुड़े लाभ ले सकता है। इस प्रकार के डिबेंचर्स अपनी पहचान को गुप्त रखने वाले निवेशक खरीदते हैं इसके अलावा इन्हें किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर करना भी बेहद आसान होता है।

डिबेंचर्स को उनके पुनर्भुगतान या Repayment के आधार पर Redeemable Debenture तथा Irredeemable Debenture में विभाजित किया जा सकता है।

Redeemable Debentures ऐसे फाइनेंशियल इन्स्ट्रूमेंट्स होते हैं, जिनमें उनके रि-पेमेंट की तारीख का जिक्र होता है, दूसरे शब्दों में इस प्रकार के डिबेंचर्स कॉन्ट्रेक्ट में एक पूर्व-निर्धारित परिपक्वता तिथि होती है, इस परिपक्वता तिथि के दिन जारीकर्ता डिबेंचर धारकों को मूल राशि चुकाने के लिए बाध्य होता है।

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इसके विपरीत Irredeemable Debenture में कोई परिपक्वता तिथि नहीं होती है जिसके चलते जारीकर्ता किसी निश्चित तिथि को मूल राशि चुकाने के लिए बाध्य नहीं होता है। इस प्रकार के डिबेंचर की अवधि अनंतकाल की होती है ये लगातार धारक को ब्याज के रूप में आय देते हैं लेकिन इनकी मूल राशि की अदयगी के संबंध में कोई निर्धारित तारीख कॉन्ट्रेक्ट में शामिल नहीं की होती है।

किसी डिबेंचर्स को किसी अन्य फाइनेंशियल सिक्योरिटी में परिवर्तित करने के आधार पर डिबेंचर्स को दो भागों में बांटा जाता है, जिनमें परिवर्तनीय या Convertible Debentures तथा अपरिवर्तनीय या Non-convertible Debentures शामिल हैं।

परिवर्तनीय डिबेंचर जैसा कि, इसके नाम से साफ होता है, किसी और सिक्योरिटी खासकर स्टॉक्स (Equity) में परिवर्तित किये जा सकते हैं। “परिवर्तनीय डिबेंचर धारक” एक निश्चित अवधि के बाद जारीकर्ता कंपनी के स्टॉक्स में पूर्व निर्धारित Conversion Ratio के अनुसार अपने डिबेंचर्स को परिवर्तित कर सकते हैं। वहीं अपरिवर्तनीय डिबेंचर्स को किसी अन्य सिक्योरिटी जैसे स्टॉक्स में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।

डिबेंचर्स को उनपर मिलने वाले ब्याज के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है, इस आधार पर डिबेंचर्स दो प्रकार के हो सकते हैं, जिनमें फिक्स्ड रेट डिबेंचर और फ्लोटिंग रेट डिबेंचर शामिल हैं। Fixed-Rate Debenture में मिलने वाले ब्याज की दरें पूरी अवधि के दौरान समान रहती हैं, जबकि Floating Rate Debenture में मिलने वाला ब्याज समय-समय पर बाजार की स्थितियों जैसे महंगाई आदि के साथ परिवर्तित होता रहता है।

डिबेंचर्स और बॉन्ड में क्या अंतर है?

डिबेंचर और बॉन्ड दोनों डेट इंस्ट्रूमेंट (Debt Instruments) हैं, जिन्हें जारी कर कोई कंपनी या सरकार आम जनता से पूंजी जुटाने का काम करती है, दोनों में निवेश करने पर निवेशक या धारक को ब्याज दिया जाता है तथा इंस्ट्रूमेंट की अवधि पूर्ण हो जाने पर मूल राशि वापस लौटा दी जाती है।

इन दोनों में मुख्य अंतर की बात करें तो डिबेंचर्स किसी भी कोलैटरल द्वारा सुरक्षित नहीं होते ये केवल जारीकर्ता की प्रतिष्ठा और क्रेडिट रेटिंग के आधार पर जारी किये जाते हैं, कंपनियों को ये रेटिंग “क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों” द्वारा प्रदान करी जाती है। गौरतलब है कि, कोलैटरल (Collateral) एक ऐसा एसेट होता है जो कोई ऋणदाता किसी लोन के लिए सिक्योरिटी के रूप में अपने पास रखता है।

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वहीं बॉन्ड एक प्रकार का सुरक्षित इंस्ट्रूमेंट हैं, ये जारीकर्ता कंपनी के भौतिक या किसी अन्य प्रकार के एसेट्स के द्वारा सुरक्षित होते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो यदि कोई कंपनी बॉन्ड जारी करने के पश्चात निवेशकों को ब्याज या मूल राशि का भुगतान करने में समर्थ नहीं है तो कंपनी को अपने भौतिक या अन्य ऐसेट्स बेचकर ब्याज / मूलधन की अदायगी करनी होगी।

चूँकि डिबेंचर्स किसी प्रकार के ऐसेट्स से सुरक्षित नहीं होते हैं अतः इनमें निवेश करने पर रिस्क बॉन्ड की तुलना में अधिक होता है साथ ही डिबेंचर्स में मिलने वाला ब्याज बॉन्ड की तुलना में कहीं अधिक होता है जो निवेशकों को डिबेंचर्स में निवेश करने के लिए आकर्षित करता है।

डिबेंचर्स में निवेश कैसे करें?

किसी कंपनी के स्टॉक्स की भांति डिबेंचर्स और बॉन्ड भी द्वितीयक बाजार (Secondary Market) में ट्रेड किये जाते हैं। आप किसी भी ब्रोकरेज फर्म जैसे Zerodha, Groww द्वारा उपलब्ध कराए गए प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करते हुए डिबेंचर्स या बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं, इसके साथ ही आप समय-समय पर फ्रेश इश्यू होने वाले डिबेंचर्स भी इन्हीं प्लेटफॉर्म्स की सहायता से खरीद सकते हैं।

डिबेंचर्स में निवेश करने के फायदे और नुकसान

हर कोई एक बेहतर भविष्य के लिए बचत या निवेश करता है, निवेश के संबंध में रिस्क और रिटर्न एक दूसरे के समानुपाती होते हैं अर्थात जितना अधिक रिस्क उतना अधिक रिटर्न। डिबेंचर निवेश के ऐसे साधन हैं, जिनमें रिस्क और रिटर्न दोनों मॉडरेट स्तर का होता है अर्थात यहाँ मिलने वाला रिटर्न FD, RD की तुलना में अधिक होता है जबकि जोखिम स्टॉक मार्केट में निवेश करने की तुलना में कहीं कम।

चूँकि डिबेंचर किसी ऐसेट्स द्वारा सुरक्षित नहीं होते अतः इनमें निवेश करने से पूर्व जारीकर्ता की क्रेडिट रेटिंग की जाँच करना बेहद जरूरी है, कंपनियों को क्रेडिट रेटिंग देने वाली कुछ प्रमुख एजेंसियों में CRISIL, Standard & Poor’s (S&P), Moody’s तथा Fitch Ratings शामिल हैं।

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