रातों-रात अमीर बनना भला किसका सपना नहीं होता और जब एक झटके में अमीर बनने की बात हो तो इसका सबसे आसान और चर्चित तरीका है लॉटरी (Lottery), लॉटरी एक प्रकार का खेल या जुआ है, जिसमें लोग टिकट खरीदते हैं और एक ड्रॉ के माध्यम से विजेता/ विजेताओं का चयन किया जाता है।
अधिकांश विकसित देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी आदि में लॉटरी खासा लोकप्रिय है, यहाँ लॉटरी पर किसी प्रकार की कोई कानूनी रोक-टोक नहीं है।
लेकिन भारत में लॉटरी को लेकर अक्सर लोग असमंजस की स्थिति में रहते हैं, आपके इसी कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए हम इस लेख में आज चर्चा करने जा रहे हैं भारत में लॉटरी के लीगल स्टेटस या कानूनी स्थिति की और साथ ही यह भी जानेंगे कि, भारत में लॉटरी से हुई कमाई पर टैक्स की क्या व्यवस्था है।
क्या भारत में लॉटरी कानूनी है?
भारत में लॉटरी को लेकर मिली-जुली व्यवस्था है अर्थात देश के कुछ राज्यों में तो यह कानूनी है, जबकि अन्य राज्यों में इस पर प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि विभिन्न राज्यों में लॉटरी की कानूनी स्थिति अलग-अलग है लेकिन लॉटरी को लेकर केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून लॉटरी (रेगुलेशन) एक्ट, 1998 पूरे देशभर में एक समान रूप से लागू होता है, जिसमें लॉटरी के संबंध में प्रावधान किये गए हैं।
साल 2010 में केंद्र सरकार ने लॉटरी को लेकर कुछ अन्य नियम भी बनाए, जिन्हें लॉटरी (रेगुलेशन) रूल्स 2010 का नाम दिया गया है। इस दस्तावेज में 1998 के कानून के अतिरक्त कुछ अन्य शब्दावलियों जैसे “ऑनलाइन लॉटरी” इत्यादि को परिभाषित किया गया है साथ ही लॉटरी के संबंध में राज्य सरकारों के लिए अनिवार्य करी गई कुछ नई शर्तों को भी जोड़ा है।
लॉटरी रेगुलेशन एक्ट, 1998 क्या है?
भारत में लॉटरी के संबंध में लॉटरी विनियमन अधिनियम, 1998 (Lottery Regulation Act, 1998) पारित किया गया है, जो 2 अक्टूबर 1997 से देश भर में लागू है। यह कानून देश में लॉटरी को प्रतिबंधित (Prohibited) करता है, लेकिन इस कानून में राज्यों की सरकारों को कुछ शर्तों के साथ अपने राज्यों के भीतर लॉटरी आयोजित करने की छूट दी गई है।
दूसरे शब्दों में लॉटरी रेगुलेशन एक्ट, 1998 के अनुसार भारत में केवल राज्य सरकारों को ही अपने प्रदेशों में लॉटरी आयोजित करने की छूट है, कोई निजी कंपनी, व्यक्ति, संस्था इत्यादि के लिए लॉटरी का आयोजन करना गैर-कानूनी है और ऐसा करने पर आयोजक को जेल भी जाना पड़ सकता है।
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लॉटरी कानून के तहत भारत में कुछ राज्यों की सरकारों ने अपने प्रदेश में लॉटरी के आयोजन को कानूनी मान्यता प्रदान करी है, इन राज्यों की सरकारें लॉटरी का आयोजन एवं संचालन स्वयं करती हैं।
लॉटरी (विनियमन) कानून 1998 के तहत राज्य सरकारों के लिए प्रदेश में लॉटरी का संचालन करने से पहले निम्न शर्तों का पालन करना जरूरी है
- राज्य सरकार द्वारा लॉटरी के टिकट पर राज्य की मोहर तथा अपना नाम छपवाया जाना चाहिए ताकि लॉटरी टिकट की वैधता साबित हो सके
- लॉटरी के तहत इनाम पहले से घोषित किसी नंबर या किसी एक सिंगल डिजिट के आधार पर नहीं दिया जाएगा
- राज्य सरकार लॉटरी के टिकट स्वयं या फिर सरकार द्वारा अधिकृत बिक्री एजेंट्स के माध्यम से ही बेचेगी
- सभी लॉटरियों के ड्रॉ राज्य सरकार खुद निकालेगी
- राज्य सरकार दारा घोषित समय सीमा के भीतर यदि विजेता द्वारा इनाम की राशि का दावा नहीं किया जाता है तो वो राज्य सरकार की संपत्ति हो जाएगी।
- ड्रॉ निकालने की जगह उसी राज्य की सीमा में तय की जाएगी जहां लॉटरी आयोजित करी गई है
- एक साल में किसी भी लॉटरी के छह से ज्यादा बंपर ड्रॉ नहीं हो सकते
- केंद्र सरकार द्वारा भविष्य में इस कानून के तहत जोड़ी जाने वाली अन्य शर्तें
लॉटरी (रेगुलेशन) रूल्स, 2010 क्या हैं?
ऊपर बताई गई शर्तों के अलावा 2010 में लॉटरी के संबंध में पारित किये गए नए नियमों में भी आयोजक राज्यों (Organizing State) के लिए कुछ शर्तें जोड़ी गई हैं, जिनमें से कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं-
(i) कोई राज्य सरकार यदि चाहे तो ऑनलाइन अथवा ऑफ़लाइन किसी भी प्रकार से लॉटरी का आयोजन कर सकती है, किन्तु इसके लिए उसे सरकारी गज़ट में इसका नोटिफिकेशन देना होगा, जिसमें लॉटरी के उद्देश्य, तरीके इत्यादि के बारे में जानकारी होगी।
(ii) राज्य सरकार को लॉटरी के जुड़ी जानकारी जैसे लॉटरी का नाम, टिकट की कीमत, टिकटों की संख्या (ऑफ़लाइन की स्थिति में), आधिकारिक बिक्री एजेंट्स के नाम, ड्रॉ का स्थान, विनिंग प्राइज इत्यादि एक नोटिफिकेशन के माध्यम से एडवांस में देनी होगी।
(iii) कागजी लॉटरी टिकट की स्थिति में लॉटरी टिकट केवल सरकारी प्रेस या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पैनल में शामिल किसी प्रेस में ही प्रिन्ट किये जाएंगे।
(iv) बम्पर लॉटरी ड्रॉ को छोड़कर राज्य द्वारा आयोजित करे जाने वाले अन्य सभी प्रकार के लॉटरी ड्रॉ की संख्या एक दिन में 24 से अधिक नहीं होगी। इसके साथ ही राष्ट्रीय अवकाश (National Holiday) वाले दिन किसी प्रकार का ड्रॉ नहीं किया जाएगा।
(v) किसी भी लॉटरी ड्रॉ में पहला इनाम 10 हजार रुपयों से कम नहीं होगा, जबकि किसी भी लॉटरी के टिकट की कीमत दो रुपये से कम नहीं होगी।
(vi) लॉटरी आयोजित करने वाले राज्य को ड्रॉ के परिणाम ऑफिशियल गजेट समेत कम से कम एक राष्ट्रीय स्तर के अखबार और दो राज्य स्तर के अखबारों में छपवाने होंगे।
(vii) सभी राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करेंगी कि प्रदेश में राज्य सरकार के अतिरिक्त कोई अन्य व्यक्ति, संस्था, कंपनी इत्यादि ऑनलाइन या ऑफ़लाइन किसी भी तरीके से लॉटरी का आयोजन एवं संचालन न करे।
भारत के किन राज्यों में लॉटरी लीगल है?
भारत के कई राज्यों में लॉटरी खेलने पर छूट है इन राज्यों में केरल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम, नागालैंड और मिजोरम शामिल हैं। पहले इस सूची में कर्नाटक और तमिलनाडु का भी नाम था लेकिन अब वहाँ लॉटरी पर बैन है।
ऊपर बताए गए राज्यों के अलावा किसी अन्य राज्य में लॉटरी को कानूनी मान्यता नहीं है। गौरतलब है कि, जिन राज्यों में लॉटरी पर रोक नहीं है वहाँ जाकर कोई भी व्यक्ति सरकार द्वारा अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए लॉटरी टिकट खरीद सकता है इसके लिए व्यक्ति को उस राज्य का निवासी होना आवश्यक नहीं है।
क्या ऑनलाइन लॉटरी में भाग लेना गैर-कानूनी है?
जिन राज्यों में सरकारों द्वारा लॉटरी आयोजित करी जाती है उन्हें छोड़कर देश के भीतर ऑनलाइन या ऑफ़लाइन किसी भी तरीके से लॉटरी का आयोजन करना गैर-कानूनी है लेकिन किसी लॉटरी में प्रतिभाग करने पर किसी प्रकार की कोई पाबंदी नहीं है।
वर्तमान में कई अंतर्राष्ट्रीय लॉटरी ऑनलाइन माध्यम से आयोजित करी जाती हैं और इंटरनेट के जरिए कोई भी व्यक्ति इनमें प्रतिभाग कर सकता है, UAE से आयोजित होने वाले Emirates Draw, Millennium Millionaire ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं।
हालांकि ऑनलाइन लॉटरी टिकट खरीदने पर कोई रोक नहीं है किन्तु ऑनलाइन लॉटरी में धोखाधड़ी की संभावना बहुत अधिक होती है, जिसके चलते सरकारें इनसे बचने की सलाह देती हैं।
लॉटरी लगी तो टैक्स कितना लगेगा?
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 194B में लॉटरी से होने वाली इनकम पर टैक्स की व्यवस्था करी गई है। इसके अनुसार लॉटरी से होने वाली कमाई को नियमित आय (Regular Income) की तरह नहीं समझा जाता है, बल्कि इस पर सरकार फ्लैट 30% की दर से टैक्स लगाती है, जो हेल्थ और एजुकेशन सेस जोड़कर तकरीबन 31.2% के करीब हो जाता है।
हेल्थ और एजुकेशन सेस के अलावा यदि लॉटरी की राशि एक सीमा से अधिक हो तो उसपर सरचार्ज भी वसूला जाता है, जैसे जीत की राशि 50 लाख से एक करोड़ के बीच हो तो 10% सरचार्ज वहीं एक करोड़ से अधिक की जीत पर 15% का सरचार्ज देना होगा।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि सरचार्ज और सेस की गणना पूरी राशि से नहीं बल्कि शुद्ध देय कर से होती है। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति एक करोड़ रुपये की लॉटरी जीतता है तो उसे 30% इनकम टैक्स देना होगा जो 30 लाख होगा अब 4% के सेस तथा 10% के सरचार्ज की गणना देय कर यानी 30 लाख से करी जाएगी जो क्रमशः 1.2 लाख और 3 लाख होगी।