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टैक्स (Tax), सेस (Cess) और सरचार्ज (Surcharge) क्या हैं तथा इन सब में क्या अंतर है?

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Tax Cess and Surcharge in Hindi: किसी भी देश की सरकार की आय का मुख्य स्रोत वहाँ की जनता से वसूला जाने वाला कर या टैक्स होता है। सरकारें प्रत्यक्ष (जैसे Income Tax) एवं अप्रत्यक्ष (जैसे GST) रूप से कर लगाकर राजस्व की वसूली करती हैं। करों के अतिरिक्त भी सरकारें किसी खास मद के खर्चों हेतु कुछ अन्य तरीकों से राजस्व वसूली करती हैं, जिनमें उपकार अथवा Cess तथा Surcharge शामिल हैं।

आर्थिक पाठशाला से जुड़े आज के इस लेख में बात करेंगे Tax, Cess और Surcharge की, लेख में जानेंगे Cess क्या होता है? Tax क्या होता है? Surcharge क्या होता है? Cess और Surcharge में क्या अंतर है? Cess और Surcharge किन लोगों से लिया जाता है? Cess और Surcharge सरकार द्वारा लिए जाने वाले Tax से कैसे अलग हैं?

कर (Tax) क्या है?

जैसा की हमनें पूर्व में बताया कर या टैक्स सरकारों की आय का महत्वपूर्ण साधन है। सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली प्रत्येक योजनाएं एवं विकास कार्यों का खर्च टैक्स द्वारा वसूले गए राजस्व से ही पूरा किया जाता है। देश में साधारणतः दो तरीके से कर आरोपित किए जाते हैं, इनमें पहला है अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) जिसे वस्तु एवं सेवा कर अथवा जीएसटी के नाम से जाना जाता है। यह कर देश के भीतर बेची जाने वाली किसी भी वस्तु अथवा सेवा पर दिया जाता है।

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कर का दूसरा प्रकार प्रत्यक्ष कर (Direct Taxes) का है, प्रत्यक्ष कर अर्थात जो सीधे तौर पर किसी भी प्रकार की आय या लाभ पर लगाया जाता है। इसके अंतर्गत आय पर लगने वाला कर, पूँजी के लाभ पर लगने वाला कर (जैसे शेयर बाज़ार आदि से हुआ लाभ) आदि शामिल हैं। टैक्स के माध्यम से प्राप्त राजस्व भारत की संचित निधि में जमा होता है तथा सरकार इसे आवश्यकतानुसार किसी भी कार्य हेतु खर्च कर सकती है, इसके अतिरिक्त टैक्स द्वारा वसूला गया राजस्व केंद्र एवं राज्यों के मध्य वितरित किया जाता है।

उपकर (Cess) क्या होता है?

करों के संबंध में एक शब्द सेस (Cess) अक्सर सुनाई देता है। उपकर जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट होता है किसी कर के ऊपर लगाया जाने वाला कर है। यह केंद्र सरकार द्वारा राजस्व वसूली का एक महत्वपूर्ण साधन है। केंद्र सरकार इसे आम तौर पर किसी योजना विशेष के लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाने के उद्देश्य से आरोपित करती है।

हालाँकि सेस द्वारा प्राप्त राजस्व भी देश की संचित निधि में जमा किया जाता है, किन्तु इसे केंद्र सरकार केवल किसी कार्य विशेष (जिसके लिए इसे वसूला गया है) हेतु ही उपयोग में ला सकती है। इसके अलावा संविधान का अनुच्छेद 270 उपकर (Cess) को करों के विभाज्य पूल से भी बाहर रखता है। दूसरे शब्दों में टैक्स के विपरीत सेस का उपयोग केवल केंद्र सरकार करती है, इसे राज्यों में वितरित करने की बाध्यता नहीं है। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा आरोपित कुछ सेस निम्नलिखित हैं-

Swachh Bharat Cess : स्वच्छ भारत सेस साल 2015 में देश में स्वच्छता को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया। यह सेस कर योग्य सेवाओं पर 0.5% की दर से लागू होगा।

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Agriculture Infrastructure and Development Cess : इस वर्ष के बजट (2021-22) में केंद्र सरकार ने एक नए सेस की शुरुआत की है। सरकार के अनुसार AIDC का उपयोग कृषि बुनियादी ढांचे में सुधार और अन्य विकास व्यय के वित्तपोषण के लिए किया जाएगा। देश में कृषि के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए ईंधन और शराब सहित कई वस्तुओं पर एक नया उपकर या Cess लगाया गया है। AIDC पेट्रोल एवं डीजल पर प्रस्तावित किया गया है। यह 2.5 रुपये होगा।

Education & Health Cess : साल 2018 में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) और ग्रामीण परिवारों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का प्रस्ताव रखा। इन्हीं में एक शिक्षा एवं स्वास्थ्य उपकर भी शामिल था। इसके अनुसार पूर्व के 'माध्यमिक और उच्च शिक्षा उपकर', जो कुल कर देय का 3% होता था को समाप्त कर दिया गया तथा कुल देय कर पर 4% 'स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर' लगाया गया।

Krishi Kalyan Cess : देश में कृषि गतिविधियों के लिए किसानों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से कृषि कल्याण उपकर 2016 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किया गया। स्वच्छ भारत सेस की भाँति यह भी सभी कर योग्य सेवाओं पर 0.5% की दर से लागू होगा।

सरचार्ज (Surcharge) क्या है?

सरकार के राजस्व का एक अन्य स्रोत Surcharge या अधिभार भी है। यह भी कुल देय कर पर वसूला जाता है, जिसका भुगतान किया जा चुका है। इसे अतिरिक्त शुल्क के तौर पर समझा जा सकता है। सेस के विपरीत इसे सामान्य टैक्स की भाँति किसी भी प्रयोजन के लिए खर्च किया जाता है। यह मुख्यतः आयकर एवं कॉर्पोरेट कर पर लागू होता है।

यह एक सशर्त शुल्क है अर्थात यह तभी देय होता है, जब कोई व्यक्ति किसी निश्चित शर्त को पूरा करे। साधारणतः यह शर्त अर्जित की गई आय पर निर्भर करती है। एक निश्चित सीमा से अधिक आय वाले किसी भी व्यक्ति को अपनी अर्जित आय पर आयकर के अतिरिक्त अधिभार का भुगतान भी करना होता है।

देश में वर्तमान कर प्रावधानों के तहत 50 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय अर्जित करने वाला कोई व्यक्ति तथा कोई निगम, जिसकी वार्षिक आय एक करोड़ से अधिक हो वह अधिभार का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे। नीचे अधिभार की दो सूचियाँ दी गई हैं, जिनमें क्रमशः किसी व्यक्ति तथा कंपनी पर लगने वाले अधिभार को दर्शाया गया है।

कुल आयअधिभार (Surcharge)
50 लाख से कमNil
50 लाख से 1 करोड़10%
1 करोड़ से 2 करोड़15%
2 करोड़ से 5 करोड़25%
5 करोड़ से अधिक37%
कुल आय अधिभार (Surcharge)
1 करोड़ से कमNil
1 करोड़ से 10 करोड़7% घरेलू कंपनी / 2% विदेशी कंपनी
10 करोड़ से अधिक12% घरेलू कंपनी / 5% विदेशी कंपनी

Tax, Cess तथा Surcharge में क्या अंतर है?

ऊपर हमनें Tax, Cess तथा Surcharge तीनों को अलग-अलग विस्तार से समझाया है आइए इन तीनों में कुछ महत्वपूर्ण अंतरों को देखते हैं-

क्रम संख्याTaxCessSurcharge
1Tax केंद्र सरकार द्वारा किसी "वस्तु एवं सेवा" की बिक्री (GST) तथा विभिन्न स्रोतों से हुई आय या मुनाफे पर वसूला जाता हैCess टैक्स की तरह सीधे तौर पर नहीं लगाया जाता इसे किसी कर के ऊपर आरोपित किया जाता हैSurcharge कुछ विशेष आय वर्ग वाले करदाताओं से कुल देय कर पर वसूला जाता है
2सरकार द्वारा Direct तथा Indirect Tax की दरों का निर्धारण किया जाता है जिसके अनुसार इसे वसूला जाता हैCess की दर जिस उद्देश्य के लिए उसे वसूला जाता है के अनुसार तय करी जाती हैSurcharge सालाना 50 लाख से अधिक की आय वाले लोगों को देना होता है इसकी दरें ऊपर दी गई हैं
3Tax सरकार की आय का मुख्य स्रोत होता हैCess वसूलने का मुख्य कारण किसी खास मद या उद्देश्य के लिए राजस्व जुटाना होता हैSurcharge अतिरिक्त Tax के रूप में वसूला जाता है जिसे किसी भी उद्देश्य से लिए खर्च किया जा सकता है
4टैक्स Direct और Indirect दो तरीके से लगाया जाता है, Indirect Tax देश के प्रत्येक नागरिक को देना होता है जबकि Direct Tax एक निश्चित आय वर्ग वाले लोगों से वसूला जाता हैCess सभी करदाताओं पर समान रूप से लगाया जाता हैSurcharge किन्हीं खास वर्ग के करदाताओं पर लगाया जाता है जिनकी आय एक सीमा से अधिक हो