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टैक्स हेवन देश क्या होते हैं, इनकी मदद से टैक्स की चोरी कैसे करी जाती है?

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संक्षेप में

टैक्स हेवन (Tax Haven) देश ऐसे देशों को कहा जाता है जहाँ Direct Tax जैसे इनकम टैक्स या कॉर्पोरेट टैक्स की दरें बेहद कम या कई स्थितियों में शून्य होती हैं। कई कंपनियाँ टैक्स बचाने के लिए इन देशों में अपने मुख्यालय खोलती हैं साथ ही इन देशों का इस्तेमाल कंपनियाँ एवं आम लोग कर चोरी करने के लिए भी करते हैं।

टैक्स हेवन (Tax Haven) देशों के बारे में आपने ऊपर संक्षेप में जाना लेख में आगे विस्तार से चर्चा करेंगे टैक्स हेवन देशों के बारे में, जानेंगे टैक्स हेवन क्या होते हैं, टैक्स हेवन कैसे काम करते हैं, टैक्स हेवन देशों का इस्तेमाल टैक्स चोरी के लिए कैसे किया जाता है तथा दुनियाँ के कुछ प्रमुख टैक्स हेवन देश कौन से हैं।

टैक्स हेवन देश क्या होते हैं?

जैसा कि नाम से स्पष्ट है टैक्स हेवन या कर मुक्त क्षेत्र कुछ ऐसे देश होते हैं जहाँ प्रत्याशित करों (Direct Tax) की दरें शून्य या बहुत कम होती हैं। इसी कारण अधिकांश कंपनियाँ तथा पूंजीपति लोग अपनी आय पर देय कर बचाने तथा अपनी कुल आय को छिपाने के लिए ऐसे देशों का इस्तेमाल करते हैं।

ये देश टैक्स में किसी प्रकार की पारदर्शिता नहीं रखते और न ही किसी प्रकार की वित्तीय जानकारी को अन्य देशों की सरकारों के साथ साझा करते हैं, टैक्स चोरी करने वाले लोगों के लिए ये देश स्वर्ग के समान हैं। हालांकि वर्तमान दौर में, टैक्स हेवेन देशों पर विदेशी कर धोखाधड़ी पूछताछ में सहयोग करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक दबाव बढ़ रहा है जिसके चलते ये देश कई मामलों में विदेशी सरकारों के साथ सहयोग करते हैं।

टैक्स (Tax) क्या होता है?

कर या टैक्स किसी देश की सरकार द्वारा वहाँ के लोगों पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का शुल्क है जिससे सरकार अपने सभी खर्चों की पूर्ति करती है। लोगों पर लगाए जाने वाले कर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं, जिनमें प्रत्याशित कर (Direct Tax) एवं अप्रत्याशित कर (Indirect Tax) सम्मिलित हैं।

प्रत्याशित कर के अंतर्गत किसी व्यक्ति की आय पर लगने वाला कर, पूँजी लाभ कर (Capital Gain Tax), निगम कर (Corporate Tax) आदि शामिल है जबकि अप्रत्याशित कर में वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगने वाले कर (GST), अचल संपत्ति के हस्तांतरण पर लगने वाला कर (Stamp Duty) आदि आते हैं। 

टैक्स हेवन कैसे काम करते हैं?

आइये अब जानते हैं आखिर टैक्स हेवन देश कैसे काम करते हैं अथवा इनके माध्यम से कैसे कंपनियाँ तथा पूंजीपति लोग टैक्स की चोरी करते हैं। यह कार्य मुख्यतः शैल कंपनियों (Shell Companies) के माध्यम से किया जाता है। शैल कंपनियाँ ऐसी कम्पनियाँ होती हैं जो वास्तविकता में अस्तित्व में नहीं होती बल्कि केवल कागजों में दर्ज होती हैं।

टैक्स चोरी के लिए अधिकांश कम्पनियाँ टैक्स हेवन देशों में ऐसी ही शैल कम्पनियाँ स्थापित करती हैं। ऐसे देशों में शैल कंपनियाँ स्थापित करने की कानूनी प्रक्रिया बहुत आसान होती है, जिसके चलते कोई भी व्यक्ति यहाँ आसानी से शैल कंपनी खोल सकता है, इसके साथ ही टैक्स हेवन देशों की सरकारें इन कंपनियों के बारे में भी किसी प्रकार की जानकारी साझा नहीं करती हैं।

शैल कंपनियाँ कैसे काम करती हैं?

शैल कंपनियों के माध्यम से होने वाली टैक्स की चोरी को एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं। माना भारत स्थित कोई कंपनी ABC स्मार्टफोन का उत्पादन करती है जिसे भारत में 15 फीसदी कॉर्पोरेट टैक्स देना पड़ता है। सामान्य स्थिति में कंपनी सालाना 1 करोड़ डॉलर का लाभ अर्जित करती है अतः कंपनी को 15 लाख डॉलर का कॉर्पोरेट टैक्स चुकाना पड़ता है। 

टैक्स चोरी करने के लिए ABC अपनी एक सहायक कंपनी ऐसे किसी देश में स्थापित करती है जहाँ कॉर्पोरेट टैक्स बहुत कम माना 2 फीसदी है। अब ABC अपनी सहायक कंपनी को सस्ते दामों में स्मार्टफोन की सप्लाई करती है जिससे उसका कुल लाभ 1 करोड़ डॉलर से घटकर 70 लाख डॉलर रह जाता है। इसके अतिरिक्त ABC द्वारा विदेश स्थित अपनी सहायक कंपनी को मामूली सेवाओं के नाम पर 50 लाख डॉलर का अतिरिक्त भुगतान भी किया जाता है।

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अंततः ABC के पास लाभ के रूप में केवल 20 लाख डॉलर शेष बचते हैं जिस पर कंपनी 15 फीसदी के अनुसार 3 लाख डॉलर का टैक्स जमा करती है। वहीं सहायक कंपनी स्मार्टफोन की डिलीवरी मिलने के बाद स्मार्टफोन को बाजार कीमतों में बेच देती है तथा 30 लाख डॉलर का मुनाफा प्राप्त करती है। सहायक कंपनी 30 लाख के लाभ तथा ABC को बेची गई सेवा से प्राप्त 50 लाख पर 2 फीसदी के अनुसार 1.6 लाख डॉलर का टैक्स अदा करती है।

इस प्रकार ABC 10.4 लाख डॉलर का टैक्स बचाने में कामयाब हो जाती है। इसके बाद सहायक कंपनी अपने कुल लाभ 78.4 लाख डॉलर को ABC में निवेश (FDI) के माध्यम से हस्तांतरित कर देती है।यही कारण है कि भारत में आने वाला अधिकांश विदेशी निवेश मॉरीशस, सिंगापुर, केमन आइलेंड जैसे देशों से प्राप्त होता है। 

टैक्स चोरी रोकने के लिए सरकारों द्वारा किये गए प्रयास

करों की चोरी रोकने के लिए राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई कानून बनाए गए हैं। OECD द्वारा कॉमन रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड (CRS) विकसित किया गया है जिससे वर्तमान में तकरीबन 100 से अधिक देश जुड़े हैं। यह प्लेटफॉर्म किसी देश को उसके नागरिकों की विदेश में हुई आर्थिक गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध कराता है। इसके अतिरिक्त भारत ने भी Double Taxation Avoidance Agreement (DTAA) कानून में संशोधन किए हैं।

टैक्स हेवन देशों की आय का स्रोत

जैसा कि, आपने ऊपर जाना किसी भी देश की सरकार अपने नागरिकों से टैक्स की वसूली करती है और इससे ही देश की सरकारें अपने सभी कार्य करती हैं तथा देश में सभी विकास के कार्य संचालित किये जाते हैं। यहाँ यह सवाल उठना लाज़मी है कि यदि टैक्स हेवन देशों की सरकारें कंपनियों तथा लोगों से किसी प्रकार का टैक्स नहीं वसूलती तो इन देशों की सरकारों का आय का स्रोत क्या है?

बता दें कि, टैक्स हेवन देश भले ही Direct Tax या सीधे तौर पर टैक्स की वसूली नहीं करते किन्तु इन देशों में Indirect Tax की दरें बहुत अधिक होती हैं दूसरे शब्दों में इन देशों में निवास करने वाले लोगों को उनके द्वारा खरीदी गई किसी वस्तु या सेवा पर अच्छा खासा टैक्स देना होता है। ये देश Indirect Taxes के माध्यम से ही अपने खर्चों की पूर्ति करती हैं यही कारण है कि ऐसे देश पर्यटन को खासा बढ़ावा देते हैं तथा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए Tourism Friendly वातावरण तैयार करते हैं।

कुछ मुख्य Tax Haven देश

दुनियाँ के कुछ प्रमुख टैक्स हेवन देशों में निम्नलिखित शामिल हैं।

#1 बरमूडा

बरमूडा अमेरिका के पूर्व में उत्तरी अटलांटिक में स्थित एक द्वीपीय देश है। यह एक ब्रिटिश ओवरसीज क्षेत्र है अर्थात इस देश के विदेशी तथा रक्षा मामले ब्रिटिश सरकार के अधीन हैं। यहाँ कॉर्पोरेट तथा आय दोनों पर लगने वाला टैक्स शून्य है, सरकार द्वारा अपने खर्चों को अप्रत्याशित करों द्वारा पूरा किया जाता है।

#2 केमन द्वीप

यह पश्चिमी कैरिबियन सागर में स्थित छोटा सा द्वीपीय देश है। यह भी एक ब्रिटिश ओवरसीज क्षेत्र है, यहाँ आय तथा कॉर्पोरेट टैक्स दोनों शून्य है जबकि अप्रत्याशित करों जैसे वस्तुओं तथा सेवाओं पर लगने वाले कर की दरें उच्च हैं।

#3 ब्रिटिश वर्जिन द्वीप

यह एक अन्य ब्रिटिश ओवरसीज क्षेत्र है जो कैरिबियन सागर में स्थित है। करों की बात करें तो यहाँ कॉर्पोरेट टैक्स शून्य हैं हालाँकि कंपनियों को 2 से 6 फीसदी का मामूली पेरॉल टैक्स चुकाना पड़ता है। यहाँ पंजीकृत कंपनियों का रिकॉर्ड गोपनीय रखा जाता है अतः किसी कंपनी के मालिक की जानकारी सार्वजनिक नहीं होती। कंपनी के पंजीकरण की ये नीतियां दुनियाँ भर के भ्रष्टाचारियों को छिपने की सुविधा मुहैया कराती हैं।

#4 बहामास

बहामास एक कैरिबियन देश है जो 1973 तक ब्रिटेन के अधीन था। बैंकिंग गतिविधियों का केंद्र माने जाने वाले इस देश में आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स तथा कैपिटल गेन टैक्स शून्य है। जबकि देश की मुख्य आय अप्रत्याशित करों से होती है। ब्रिटिश वर्जिन द्वीप की भाँति बहामास भी कम्पनियों को उनकी पहचान छिपाए रखने की सुविधा देता है।

#5 आयरलैंड

आयरलैंड में कॉर्पोरेट टैक्स की दरें अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में बहुत कम केवल 12.5% हैं वहीं जर्मनी में ये 30 फीसदी तथा फ्रांस में 28 फीसदी है। कम टैक्स रेट होने के चलते कई कंपनियां अपने मुख्यालय इस देश में खोलती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य टैक्स हेवन कहे जाने वाले देशों में निम्नलिखित शामिल हैं।

  • हाँग काँग
  • मोनेको
  • मॉरीशस
  • पनामा
  • जर्सी द्वीप
  • सिंगापुर