Thursday, February 13, 2025

मनी लॉन्ड्रिंग क्या है और मनी लॉन्ड्रिंग कैसे करी जाती है?

मनी लॉन्ड्रिंग या जिसे हिन्दी में "धन शोधन" भी कहा जाता है, गैर-कानूनी तरीके से कमाये गए पैसे की उत्पत्ति के स्रोत को छिपाते हुए उसे वैध या सफेद करने की एक प्रक्रिया को कहा जाता है।

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मनी लॉन्ड्रिंग या जिसे हिन्दी में “धन शोधन” भी कहा जाता है, गैर-कानूनी तरीके से कमाये गए पैसे की उत्पत्ति के स्रोत को छिपाते हुए उसे वैध या सफेद करने की एक प्रक्रिया को कहा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि अवैध पैसे का इस्तेमाल बिना किसी रोक-टोक के दुनियाँ भर में कहीं भी किया जा सके।

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इस लेख में आगे हम निम्नलिखित बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे

  • मनी लॉन्ड्रिंग क्या है?
  • मनी लॉन्ड्रिंग कैसे करी जाती है?
  • मनी लॉन्ड्रिंग क्यों की जाती है?
  • भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए क्या सजा है?
  • वैश्विक स्तर पर इसके लिए क्या कानून हैं?

मनी लॉन्ड्रिंग क्या है?

मनुष्य को उसके जीवन काल में अनेक वस्तुओं और सेवाओं की आवश्यकता होती है, जिन्हें वह स्वयं उत्पादित नहीं कर सकता। किसी भी वस्तु या सेवा को खरीदने के लिए पैसे की जरूरत होती है, लिहाजा इसमें कोई दो राय नहीं है कि पैसा हमारे जीवन में बेहद महत्वपूर्ण है।

पैसे का इंसान की जीवन शैली से सीधा संबंध है, यह जितना अधिक होगा किसी व्यक्ति की जीवन शैली भी उतनी बेहतर होगी और यही कारण है कि कई लोग पैसा कमाने के लिए गैर-कानूनी तरीकों का भी इस्तेमाल करते हैं, अर्थात ऐसे कार्यों से धन अर्जित करते हैं, जिनकी सरकार अनुमति नहीं देती।

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इन कार्यों में अवैध ड्रग्स अथवा नारकोटिक्स का व्यापार, भ्रष्टाचार, अवैध हथियारों की खरीद-फ़रोख्त, तस्करी, वेश्यावृत्ति, धोखाधड़ी आदि शामिल हैं। इन अवैध कार्यों से कमाया गया धन ही कालाधन (Black Money) कहलाता है।

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ये धन नकद (Cash) रूप में होता है, ताकि इसके लेन-देन को पकड़ा ना जा सके। गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए इस धन अर्थात काले धन को वैध बनाने की प्रक्रिया “मनी लॉन्ड्रिंग” या हिन्दी में “धन शोधन” कहलाती है।

United Nations Office on Drugs and Crime (UNODC) के अनुसार एक वर्ष में विश्व स्तर पर धन शोधन को देखा जाए, तो इसकी अनुमानित राशि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2 से 5% या अमेरिकी डॉलर में लगभग $800 बिलियन से $2 ट्रिलियन तक है।

कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का मानना है कि, मनी लॉन्ड्रिंग चक्र से गुजरने वाली असल राशि इससे कहीं अधिक है, जिसका धन शोधन की गोपनीयता के कारण अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। इतनी अधिक मात्रा में अवैध धन का वित्तीय संस्थानों तथा अर्थव्यवस्था में प्रवेश सरकारों के लिए एक महत्वपूर्ण नीति संबंधी चिंता का विषय है।

मनी लॉन्ड्रिंग क्यों करी जाती है?

चूँकि काले धन को सरकार की नज़र से बचाने के लिए कोई व्यक्ति न ही इसे सीधे बैंक या किसी वित्तीय संस्थान में जमा करवा सकता है और न ही नकद रूप में उस राशि का उपयोग कर सकता है।

हालाँकि एक बार में एक निश्चित राशि तक नकद का इस्तेमाल किया भी जा सकता है, किंतु ऐसे धन को व्यक्ति इच्छानुसार खर्च नहीं कर सकता। अपनी इच्छानुसार धन खर्च करने के लिए इस धन का शोधन या लॉन्ड्रिंग करनी होती है, शोधित होने के पश्चात इस धन को व्हाइट या लीगल मनी कहा जाता है।

मनी लॉन्ड्रिंग कैसे होती है?

मनी लॉन्ड्रिंग करने के कई तरीके हो सकते हैं, किंतु इन सबका उद्देश्य समान है। इस प्रक्रिया में काले धन को किसी दूसरे वैध स्रोत की आय दिखाया जाता है तथा उस आय पर बनने वाले टैक्स का भुगतान करने के पश्चात व्यक्ति बिना किसी रोक-टोक के उस धन का इस्तेमाल कर पाता है। काले धन को वैध बनाने की प्रक्रिया “Money Laundering” निम्नलिखित तीन चरणों में पूरी होती है।

#1 Placement: काले धन को वित्तीय संस्थानों जैसे बैंक इत्यादि तक पहुँचाना

#2 Layering: फर्जी लेन-देन का एक नेटवर्क बनाते हुए धन को आय के मूल स्थान से अलग करना

#3 Integration: शोधित या साफ किये गए धन को किसी बिजनेस आदि में निवेश करना

Money Laundering in Hindi
क्रेडिट : UNODC

मनी लॉन्ड्रिंग की पूरी प्रक्रिया को एक उदाहरण की सहायता से समझा जा सकता है, माना कोई व्यक्ति रमेश किसी आपराधिक गतिविधि के माध्यम से एक करोड़ रुपये कमाता है।

यदि वे इन रुपयों को सीधे बैंक में जमा कराए, तो उसे इन पर टैक्स देने के साथ-साथ सरकार को यह भी बताना होगा कि ये एक करोड़ रुपये किस प्रकार अर्जित किये गए हैं। ऐसे में रमेश एक अन्य तरकीब खोजता है, वह बैंक से लोन लेकर कार की धुलाई का व्यवसाय शुरू करता है।

process of Money Laundering in Hindi

रमेश की दुकान में प्रतिदिन लगभग 50 ग्राहक अपनी कार की धुलाई के लिए आते हैं। मान लें एक कार धुलाई की कीमत 500 रुपये है, जिसमें रमेश 200 रुपयों का शुद्ध लाभ अर्जित करता है।

इस प्रकार वह दिन में 10,000 रुपयों का लाभ कमाता है। शाम को दुकान बंद होने के पश्चात रमेश रजिस्टर में 50 के बजाए 100 ग्राहकों को दिखाता है, जिनमें 50 ग्राहक असल में कार धुलाई के लिए नहीं आए। इस प्रकार उसके दिन का लाभ दस से बढ़कर बीस हजार रुपये हो जाता है।

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इसके पश्चात रमेश उसके पास मौजूद काले धन से 10,000 रुपये निकाल कर दुकान में रख देता है तथा प्रतिदिन 10,000 रुपयों के काले धन को वैध बनाने में कामयाब हो जाता है। यह प्रक्रिया साल भर चलती रहती है, जब तक रमेश गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए एक करोड़ रुपयों को दुकान के लाभ के रूप में न दिखा दे।

आखिर में वह एक करोड़ के लाभ पर (जो सरकार की नज़रों में कार धुलाई से कमाया गया पैसा है) इनकम टैक्स चुकाता है और बाकी बचे रुपयों को अपनी इच्छानुसार कहीं भी खर्च कर सकता है।

मनी लॉन्ड्रिंग के कुछ अन्य तरीके

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य तरीकों का भी मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें विदेशों में शैल कंपनियों के माध्यम से धन शोधन, वित्तीय संस्थानों पर नियंत्रण प्राप्त करना आदि मुख्य हैं।

मनी लॉन्ड्रिंग के लिए शैल कंपनियों का इस्तेमाल प्रमुखता से किया जाता रहा है। शैल कंपनियाँ ऐसी कंपनियाँ होती हैं, जिनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता अर्थात ये कंपनियाँ केवल कागजों में होती हैं। टैक्स हेवन कहे जाने वाले कई देशों में ऐसी कंपनियाँ बहुत आसानी से खोली जाती है।

शैल कंपनियों और टैक्स हेवन देशों के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक खोलें 👉  टैक्स हेवन देश क्या होते हैं, इनकी मदद से टैक्स की चोरी कैसे करी जाती है?

इन देशों की सरकारें शैल कंपनियों की जानकारी बहुत गोपनीय रखती हैं तथा किसी अन्य देश की सरकारों के साथ भी इसे साझा नहीं करती। इन कंपनियों के माध्यम से काला धन किसी दूसरे देश की किसी कंपनी में निवेश, कर्ज आदि के तौर पर भेजा जाता है।

मनी लॉन्ड्रिंग या पैसे को वैध बनाने का एक अन्य तरीका किसी बैंक अथवा वित्तीय संस्थान के प्रबंधन पर कब्जा कर लेना है, जो सामान्यतः इन संस्थानों के शेयर या वोटिंग राइट प्राप्त कर किया जाता है। ऐसे संस्थानों का पूर्ण नियंत्रण किसी व्यक्ति को उसके काले धन को शोधित करने में सहायता करता है।

काले धन का इस्तेमाल अचल संपत्ति को खरीदने या बेचने में भी अधिकता से किया जाता है। सामान्यतः विक्रेता कागजी तौर पर संपत्ति को सस्ते दामों में बेचता है तथा बची कीमत क्रेता से नकद के रूप में प्राप्त करता है, जो कि काला धन होता है। इसके अतिरिक्त कई लोग अपनी किसी संपत्ति को किराए पर देते हैं तथा काले धन को प्रॉपर्टी से आने वाले किराए के रूप में दिखा कर उसे सफेद धन में परिवर्तित करते हैं।

कई परिस्थितियों में किसी बड़ी धनराशि को विभाजित कर कई लोगों में बाँट दिया जाता है, तत्पश्चात उन्हें किसी खास कंपनी से कोई सेवा लेने के लिए कहा जाता है। इस प्रकार विभाजित किया अवैध धन पुनः कंपनी के माध्यम से जमा कर वैध धन या व्हाइट मनी में परिवर्तित हो जाता है।

मनी लॉन्ड्रिंग के क्या नुकसान हैं?

यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि मनी लॉन्ड्रिंग देश तथा वैश्विक स्तर पर कितना खतरनाक है। इसे अनियंत्रित छोड़ना अथवा इससे अप्रभावी रूप से निपटना समाज के लिए गंभीर है। मनी लॉन्ड्रिंग से संगठित अपराधों जैसे मानव तस्करी, आतंकवाद, अवैध ड्रग तस्करी, भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी आदि को प्रोत्साहन मिलता है।

इसके अतिरिक्त वित्तीय संस्थानों में घुसपैठ, निवेश के माध्यम से अर्थव्यवस्था के बड़े क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल करना आदि इसके आर्थिक नुकसान हैं। आपराधिक संगठनों का आर्थिक और राजनीतिक तंत्र में प्रवेश सामाजिक ताने-बाने, नैतिक मानकों और अंततः समाज की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को भी कमजोर करता है।

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सरकारी अधिकारियों तथा सरकारों को रिश्वत देकर सत्ता का दुरुपयोग एक अन्य खतरनाक स्थिति है। मैक्सिको, कोलंबिया, वेनेजुएला तथा कैरेबियन समेत कई अफ्रीकी देशों में ड्रग माफियाओं, भ्रष्टाचारियों का सरकारों में बढ़ता दखल इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।

सरल शब्दों में मनी लॉन्ड्रिंग अनेक ऐसी आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा हुआ है, जिनसे अवैध धन उत्पन्न किया जा रहा है अतः यह आपराधिक गतिविधि को जारी रखने तथा ऐसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर कानून

वैश्विक स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के उद्देश्य से 1989 में फ्रांस के पेरिस शहर में G-7 देशों की बैठक हुई, जिसके परिणामस्वरूप एक अंतर-सरकरी निकाय फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की स्थापना की गई।

पेरिस आधारित यह संस्था आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग तथा आपराधिक कार्यों के वित्तपोषण को रोकने के लिए विभिन्न सरकारों को आवश्यक दिशानिर्देश जारी करती है।

भारत साल 2010 से इसका सदस्य है तथा इसकी नीतियों एवं निर्देशों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा क्षेत्रीय स्तर पर भी मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए अनेक संस्थाएं हैं, जैसे

  • एशिया/पेसिफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्डरिंग (APG)
  • काउंसिल ऑफ यूरोप कमिटी ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन द इवैल्यूएशन ऑफ एंटी-मनी लॉन्डरिंग मेजर्स एंड द फाइनेंसिंग ऑफ टेररिज्म (MONEYVAL)
  • यूरेशियन ग्रुप (EAG)
  • ईस्टर्न एंड सदर्न अफ्रीका एंटी-मनी लॉन्डरिंग ग्रुप (ESAAMLG)

भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के संबंध में कानून

भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के निवारण हेतु धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002 लाया गया है, जिसे PML या Prevention of Money Laundering Act, 2002 कहा जाता है।

यह कानून 1 जुलाई 2005 से लागू हुआ जिसमें समय-समय (2009, 2012, 2019) पर कई संशोधन भी किए गए हैं। इस कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जाँच एजेंसी का कार्य सौंपा गया है।

भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए सजा

मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित किसी अपराध के लिए किसी व्यक्ति अथवा संस्था पर निम्नलिखित कार्यवाही की जा सकती हैं।

(A) PML, 2002 की धारा 5 के अंतर्गत संपत्ति की कुर्की, धारा 17 या 18 के तहत संपत्ति का जब्तीकरण / रोक लगाना तथा रिकार्ड हासिल करना। PML, 2002 के अनुसार संपत्ति में, किसी भी प्रकार के अनुसूचित अपराध में इस्तेमाल की गई संपत्ति शामिल है।

(B) धन शोधन के आरोप में दोषी पाए गए व्यक्तियों को कम से कम तीन वर्ष के सश्रम कारावास का प्रावधान है, जो अपराध की गंभीरता देखते हुए 7 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त PML, 2002 की धारा 4 के तहत जुर्माना अथवा आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।

(C) यदि अनुसूचित अपराध स्वापक औषधि और मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (Narcotic Drugs & Psychotropic Substances Act 1985) के अंतर्गत आता है, तो इस स्थिति में न्यूनतम तीन वर्षों से अधिकतम 10 वर्षों तक के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है, इसके अतिरिक्त अपराधी जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

सार-संक्षेप

मनी लॉन्ड्रिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें अवैध रूप से अर्जित धन को कानूनी रूप से वैध दिखाने के लिए जटिल वित्तीय लेन-देन के माध्यम से छिपाया जाता है। यह अपराधी गतिविधियों, जैसे भ्रष्टाचार, तस्करी, टैक्स चोरी और अन्य गैरकानूनी कार्यों से कमाए गए पैसे को सफेद बनाने का तरीका है।

इसका मुख्य उद्देश्य अवैध आय के स्रोत को छुपाना है। भारत में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए ‘धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002’ (PMLA) लागू है। यह अधिनियम धन शोधन की रोकथाम, दोषियों को दंडित करने, और अवैध संपत्ति को जब्त करने के लिए सख्त प्रावधान करता है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स जैसी संस्थाएं इसके खिलाफ काम करती हैं। मनी लॉन्ड्रिंग से आर्थिक अस्थिरता, सरकारी राजस्व में कमी और अपराध तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।

यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है बल्कि वित्तीय संस्थानों में विश्वास को भी प्रभावित करता है। इसके परिणामस्वरूप विदेशी निवेश में कमी हो सकती है, जिससे विकास दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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