सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी किसी देश के भीतर एक वर्ष के दौरान उत्पादित होने वाली सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को कहा जाता है। यह किसी अर्थव्यवस्था की स्थिति तथा उसकी उत्पादकता को मापने का एक बेहतरीन टूल है, इसकी सहायता से समग्र रूप से किसी अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का आँकलन किया जा सकता है।
इस लेख में आगे निम्नलिखित बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे
- सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) क्या है?
- जीडीपी की गणना कैसे करी जाती है?
- जीडीपी के कितने प्रकार हैं?
- जीडीपी से किसी देश के बारे में क्या पता चलता है?
सकल घरेलू उत्पाद या GDP क्या है?
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) जिसे अंग्रेजी में “ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट” कहा जाता है, किसी देश की घरेलू सीमा के भीतर एक वर्ष की अवधि में निवासियों द्वारा उत्पादित होने वाली कुल अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाज़ार मूल्य को कहा जाता है।
गौरतलब है कि, निवासियों से आशय ऐसे व्यक्तियों या संस्थाओं से है, जो किसी देश में निवास कर रहे हों तथा उनकी आर्थिक रुचि उस देश में केंद्रित हैं। यह आवश्यक नहीं है कि, ऐसे निवासी उस देश के नागरिक भी हों।
उदाहरण के तौर पर भारत की सीमा के भीतर किसी विदेशी व्यक्ति द्वारा अर्जित आय को भी भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में शामिल किया जाएगा।
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सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) किसी देश की राष्ट्रीय आय (National Income) का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह देश के आर्थिक स्वास्थ्य को जाँचने के लिए इस्तेमाल होने वाला एक टूल है।
इसके माध्यम से किसी देश की उत्पादकता एवं आयात-निर्यात समेत समग्र आर्थिक संवृद्धि का अंदाजा लगाया जाता है, साथ ही जीडीपी देश के नीति निर्माताओं एवं अर्थशास्त्रियों को बेहतर आर्थिक नीतियाँ बनाने में मदद करती है।
जीडीपी की गणना कैसे करी जाती है?
सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी की गणना दो प्रकार से करी जा सकती है। जब एक वर्ष में देश की सीमा के भीतर उत्पादित सेवाओं तथा वस्तुओं का मूल्य उनकी बाजार कीमत के अनुसार निकाला जाता है, तो उसे मौद्रिक या नॉमिनल जीडीपी कहा जाता है।
वहीं यदि उत्पादित सेवाओं तथा वस्तुओं के मूल्य की गणना किसी आधार वर्ष से की जाए, तो उसे वास्तविक जीडीपी कहा जाता है। सकल घरेलू उत्पाद की गणना करने में मुख्यतः चार कारकों को ध्यान में रखा जाता है।
- देश की सीमा के भीतर उपभोग पर कुल खर्च
- सरकारों द्वारा किया गया कुल खर्च
- कम्पनियों द्वारा मशीनों, फैक्ट्रियों आदि में किया गया निवेश
- शुद्ध निर्यात (कुल निर्यात – कुल आयात)
जीडीपी बनाने वाले सभी घटकों में विदेशी व्यापार विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। किसी देश की जीडीपी तब बढ़ती है जब घरेलू उत्पादकों द्वारा विदेशों को बेची जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा विदेशों से खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से अधिक होता है।
यह स्थिति ट्रेड सरप्लस के रूप में जानी जाती है। इसके विपरीत जब घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा विदेशी उत्पादों पर खर्च की गई राशि, घरेलू उत्पादकों द्वारा विदेशी उपभोक्ताओं को बेचे गए उत्पादों की कुल राशि से अधिक हो तो इसे व्यापार घाटा या ट्रेड डेफिसिट कहा जाता है और इस स्थिति में किसी देश की जीडीपी घटने लगती है।
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जीडीपी के प्रकार
आइए अब जीडीपी ले अलग-अलग प्रकारों को समझते हैं। जीडीपी का वर्गीकरण इसकी गणना करने के तरीकों के आधार पर किया जाता है, जिसके तहत इसे तीन भागों क्रमशः नॉमिनल जीडीपी, वास्तविक या रियल जीडीपी तथा प्रति व्यक्ति जीडीपी (GDP Per Capita) में बाँटा जाता है।
#1 नॉमिनल जीडीपी
नॉमिनल जीडीपी सामान्यतः एक वर्ष की अवधि के दौरान किसी देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित कुल वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य होता है।
यह किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) को मापने का सबसे कारगर तरीका नहीं है और इसका मुख्य कारण यह है कि, इसमें मुद्रास्फीति और अपस्फीति के चलते वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों में आए बदलाव को नजरंदाज कर दिया जाता है।
उदाहरण के लिए मान लें साल 2022 में भारत में जीडीपी 100 अरब डॉलर थी और साल 2023 में यह बढ़कर 200 अरब डॉलर हो गई। इसी अवधि में देश में महंगाई दर भी दोगुनी हो गई अर्थात उत्पादों की कीमतें 2022 की तुलना में 100 फीसदी से बढ़ गई।
अब यदि साल 2023 की नॉमिनल जीडीपी को देखा जाए तो यह 200 अरब डॉलर है और इसमें पिछले साल के मुकाबले 100% की वृद्धि हुई है, जबकि वास्तविक जीडीपी देखें तो यह 100 अरब डॉलर ही है।
नॉमिनल जीडीपी की गणना निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात करी जाती है
जहाँ,
- C = उपभोग
- I = निवेश
- G = सरकारी खर्च
- X = कुल निर्यात
- M = कुल आयात
#2 वास्तविक जीडीपी
वास्तविक जीडीपी जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, किसी देश की जीडीपी को मापने का एक सटीक तरीका है। यह भी किसी वर्ष के दौरान देश की सीमा के भीतर उत्पादित कुल वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के बारे में बताता है।
नॉमिनल जीडीपी के विपरीत वास्तविक जीडीपी में समय के साथ उत्पादों की कीमतों में हुई वृद्धि या कमी को भी ध्यान में रखा जाता है। वास्तविक जीडीपी की गणना करने के लिए आधार वर्ष (Base Year) का इस्तेमाल किया जाता है।
किसी वर्ष को आधार वर्ष मान कर उस वर्ष की नॉमिनल जीडीपी से आने वाले वर्षों की जीडीपी की तुलना करी जाती है। गौरतलब है कि वर्तमान में साल 2011-12 को आधार वर्ष मानते हुए वास्तविक जीडीपी की गणना करी जाती है।
वास्तविक जीडीपी की गणना के लिए निम्नलिखित सूत्र का इस्तेमाल किया जाता है-
यहाँ जीडीपी डिफ्लेटर, महंगाई अथवा आर्थिक मंदी के चलते अर्थव्यवस्था में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में होने वाले बदलाव को मापता है, इसे सरकार द्वारा वार्षिक रूप से जारी किया जाता है।
#3 प्रति व्यक्ति जीडीपी
प्रति व्यक्ति जीडीपी या जीडीपी पर कैपिटा किसी देश की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद की माप है, दूसरे शब्दों में इससे देश की जीडीपी अथवा उत्पादकता में प्रति व्यक्ति कितना योगदान है इसका पता चलता है।
प्रति व्यक्ति जीडीपी की गणना किसी देश की जीडीपी को उस देश की जनसंख्या से विभाजित करके ज्ञात करी जाती है, यह किसी राष्ट्र के भीतर निवास करने वाले लोगों के जीवन स्तर के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है।
यदि किसी देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी स्थिर जनसंख्या के साथ बढ़ रही हो, तो यह समग्र रूप से उस देश की आर्थिक प्रगति को दर्शाता है। किसी देश की कुल जीडीपी से उस देश में प्रति व्यक्ति आर्थिक समृद्धि का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है इसके लिए जीडीपी पर कैपिटा एक बेहतर टूल है।
उदाहरण के तौर पर भारत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मामले में पाँचवे स्थान पर है, जबकि प्रति व्यक्ति जीडीपी की बात करें तो भारत $2,389 के साथ 120वें स्थान पर है।
जीडीपी का क्या महत्व है?
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अर्थशास्त्र के क्षेत्र में खासा महत्व रखता है। किसी अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का संकेतक होने के साथ-साथ यह कई अन्य कारणों के चलते भी महत्वपूर्ण है, ऐसे ही कुछ कारण निम्नलिखित हैं-
#1 आर्थिक स्थिति का संकेतक
जैसा कि, हमनें पूर्व में भी बताया जीडीपी एक ऐसा टूल है, जिसके माध्यम से किसी अर्थव्यवस्था की स्थिति एवं विकास का आँकलन किया जा सकता है। ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) में वृद्धि साधारणतः आर्थिक विकास की ओर इशारा करती है, जबकि गिरती हुई जीडीपी आर्थिक गिरावट या मंदी का संकेत हो सकती है।
#2 नीति निर्माण में सहायक
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) सरकारों तथा नीति निर्माताओं को देश के लिए बेहतरीन आर्थिक नीतियों का निर्माण करने और उन्हें लागू करने में सहायता करती है। जीडीपी के माध्यम से सरकारों को आर्थिक विकास, रोजगार दर, मुद्रास्फीति नियंत्रण और राजकोषीय एवं मौद्रिक नीतियों के लक्ष्य निर्धारित करने में सहायता मिलती है।
#3 अन्य देशों से तुलना
जीडीपी के माध्यम से दुनियाँ के अन्य देशों के साथ आर्थिक विकास, उत्पादकता इत्यादि की तुलना करी जा सकती है। जीडीपी से यह पहचानने में मदद मिलती है कि, दुनियाँ के कौन से देश अधिक उत्पादक हैं, किन देशों में जीवन स्तर ऊंचा हैं अथवा कौन से देश तेज़ गति से आर्थिक विकास का अनुभव कर रहे हैं।
#4 निवेश की रणनीति
विदेशी निवेश किसी भी देश खासकर विकासशील देशों के लिए बेहद जरूरी है और विदेशी निवेश को आकर्षित करने में किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अहम भूमिका निभाता है।
किसी देश का बढ़ता जीडीपी उस देश की बढ़ती विकास दर को दिखाता है और विदेशी निवेशक किसी देश के विकास में भागीदार बनते हुए मुनाफा कमाने के लिए ऐसे देशों में निवेश करते हैं।
राष्ट्रीय आय (National Income) क्या है?
किसी देश की एक वर्ष में होने वाली कुल आय को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। दूसरे शब्दों में एक वर्ष के दौरान देश नागरिकों तथा देश में रहने वाले विदेशियों द्वारा उत्पादित कुल अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य राष्ट्रीय आय या नेशनल इनकम कहलाती है।
किसी देश की राष्ट्रीय आय से उस देश की आर्थिक स्थिति या अर्थव्यवस्था का अंदाज़ा लगाया जा सकता है, इसके साथ ही राष्ट्रीय आय सरकारों को आर्थिक नीतियाँ बनाने में भी मदद करती है। भारत में इसकी गणना राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा की जाती है। राष्ट्रीय आय के निम्नलिखित चार घटक हैं
- सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
- सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)
- शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP)
- शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP)
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बारे में हम ऊपर विस्तार से समझ चुके हैं, आइए अब राष्ट्रीय आय के दूसरे घटकों के बारे में जानते हैं
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)
सकल राष्ट्रीय उत्पाद, एक वर्ष की समयावधि में किसी देश के नागरिकों द्वारा उस देश की सीमा के अंदर या विदेश में उत्पादित कुल अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य होता है।
दूसरे शब्दों में सकल घरेलू उत्पाद के विपरीत इसमें देश के भीतर विदेशियों द्वारा अर्जित आय को नहीं जोड़ा जाता, जबकि देश के बाहर रहने वाले नागरिकों द्वारा विदेशों में अर्जित आय को जोड़ा जाता है।
शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP)
यदि किसी देश की जीडीपी में से ह्रास दर को घटा दिया जाए, तो हमें शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP) की प्राप्ति होती है। किसी भी वस्तु या सेवा के उत्पादन में मशीन, फर्नीचर, भवन आदि का इस्तेमाल किया जाता है और समय के साथ इनकी दक्षता में कमी आती रहती है, जिसके चलते इनकी मरम्मत या इन्हें बदलने की आवश्यकता होती है।
इसी को मूल्य ह्रास (Depreciation) कहा जाता है। इस प्रकार किसी देश की जीडीपी में से उस वर्ष में हुए मूल्य ह्रास को घटा देने पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP) प्राप्त होता है।
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP)
यदि सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) में से उस वर्ष का मूल्यह्रास घटा दिया जाए, तो इससे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) की प्राप्ति होती है और यही किसी देश की शुद्ध राष्ट्रीय आय भी कहलाती है।
सार-संक्षेप
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) किसी देश की सीमाओं के भीतर एक निश्चित समयावधि में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य होता है और यह किसी देश की आर्थिक गतिविधि का मुख्य संकेतक है।
सकल घरेलू उत्पाद के मुख्य तीन प्रकार हैं, जिनमें रियल जीडीपी, नॉमिनल जीडीपी तथा पर कैपिटा जीडीपी शामिल हैं। रियल जीडीपी मुद्रास्फीति को समायोजित करके अर्थव्यवस्था की वास्तविक वृद्धि को दर्शाती है, जबकि नॉमिनल जीडीपी केवल वर्तमान कीमतों पर आधारित होता है।
जीडीपी किसी देश की आर्थिक गतिविधियों को मापने का मुख्य मानक है, जो एक निश्चित अवधि में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को दर्शाता है। यह आर्थिक प्रदर्शन का आकलन करने, नीतियां बनाने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देशों की आर्थिक शक्ति की तुलना करने में मदद करता है।