Friday, January 17, 2025

क्रेडिट कार्ड (Credit Card) क्या है और इसे इस्तेमाल करने के क्या फायदे हैं?

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हम सभी को अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पैसे की जरूरत होती है। प्राचीन काल की बार्टर व्यवस्था से कागज़ की मुद्रा तक पैसे का स्वरूप समय के साथ बदलता रहा है। वर्तमान दौर में कागजी मुद्रा का स्थान भी प्लास्टिक तथा डिजिटल करेंसी ने ले लिया है।

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प्लास्टिक करेंसी का ही एक प्रकार क्रेडिट कार्ड है जिसे वित्तीय संस्थानों या बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को जारी किया जाता है। इस कार्ड की मदद से कोई व्यक्ति उधार लेकर अपने भुगतान कर सकता है।

इस लेख में आगे विस्तार से जानेंगे प्लास्टिक मुद्रा के मुख्य प्रकार क्रेडिट कार्ड (Credit Card) के बारे में, समझेंगे क्रेडिट कार्ड क्या होता है, क्रेडिट कार्ड की शुरुआत कब हुई, क्रेडिट कार्ड कौन बना सकता है तथा क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने के क्या फायदे और नुकसान हैं।

क्रेडिट कार्ड (Credit Card) क्या है?

क्रेडिट कार्ड प्लास्टिक मुद्रा का एक प्रकार है, जो किसी बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा जारी किया जाता है। अपने नाम के अनुरूप यह किसी उपयोगकर्ता को क्रेडिट उपलब्ध करवाने का काम करता है।

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सामान्यतः कोई व्यक्ति केवल उतनी ही धनराशि खर्च कर सकता है, जितनी उसके बैंक खाते में मौजूद है, लेकिन क्रेडिट कार्ड की सहायता से कार्ड धारक कार्ड की सीमा के अनुसार उधार लेकर भी पेमेंट कर सकता है।

प्रत्येक कार्ड की एक निश्चित क्रेडिट सीमा होती है, जिसे कार्ड की क्रेडिट लिमिट कहा जाता है। किसी कार्ड की क्रेडिट लिमिट (Credit Limit) बैंक ग्राहक की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए तय करते हैं तथा ग्राहक के आर्थिक व्यवहार को देखते हुए इस सीमा में समय के साथ वृद्धि या कटौती करी जाती है।

क्रेडिट कार्ड की शुरुआत कब हुई?

क्रेडिट कार्ड की शुरूआत भले ही कुछ दशकों पहले हुई हो, किन्तु कर्ज देने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। साहूकार एवं महाजन किसानों को निश्चित ब्याज दर पर उधार मुहैया करवाते थे तथा फसल की कटाई के उपरांत अपना कर्ज वसूलते थे, क्रेडिट कार्ड ऋण देने का ही एक आधुनिक एवं आसान तरीका है।

क्रेडिट कार्ड की शुरुआत 20वीं सदी के मध्य में अमेरिका में हुई। साल 1946 में न्यूयॉर्क स्थित एक बैंकर जॉन बिगिन्स ने “चार्ज-इट” नाम से एक कार्ड व्यवस्था की शुरुआत की, जिसकी कार्यप्रणाली आधुनिक क्रेडिट कार्ड के समान थी।

इसका इस्तेमाल व्यक्ति खरीदारी के लिए कर सकता था तथा बदले में जारीकर्ता (बैंक), ग्राहक की तरफ से मर्चेन्ट को भुगतान करता था और बाद में ग्राहक से कुछ शुल्क के साथ भुगतान की माँग करता था। हालाँकि इस कार्ड के इस्तेमाल में मर्चेन्ट सीमित थे, जिस कारण यह बहुत हद तक सफल नहीं रहा।

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इसके पश्चात साल 1950 में सर्वप्रथम “Diners Club” ने केवल एक कार्ड के माध्यम से विभिन्न मर्चेंट्स को भुगतान करने के उद्देश्य से एक क्रेडिट कार्ड जारी किया। इसे ही क्रेडिट कार्ड का शुरुआती रूप समझा जाता है, जो तेजी से लोकप्रिय हुआ तथा एक साल में ही इसके 42,000 से अधिक उपयोगकर्ता बने।

इसके बाद साल 1958 में अमेरिकन एक्सप्रेस ने अपना पहला चार्ज कार्ड अमेरिका तथा कनाडा में लॉन्च किया, शुरुआती दिनों में ये कार्ड यात्रा तथा मनोरंजन जैसे होटल, फिल्मों आदि के क्षेत्रों में इस्तेमाल किये जाते थे। धीरे-धीरे समय के साथ सभी वित्तीय संस्थाओं ने इस दिशा में कार्य किया।

साल 1980 से क्रेडिट कार्ड में चुम्बकीय पट्टी का इस्तेमाल शुरू हुआ, जिसमें कार्ड तथा कार्ड धारक की आवश्यक जानकारी दर्ज होती है, जबकि वर्तमान समय में जारी होने वाले चिप युक्त कार्ड की शुरुआत 1990 के प्रारंभ में हुई।

क्रेडिट कार्ड का बिलिंग साइकिल क्या होता है?

क्रेडिट कार्ड की बिलिंग अथवा स्टेटमेंट अवधि वह समय काल है, जिस दौरान कार्ड का बिल बनाया जाता है, सामान्य तौर पर यह अवधि एक माह की होती है।

प्रति माह किसी निश्चित तारीख को ग्राहक के क्रेडिट कार्ड का बिल उसे भेजा जाता है, जिसमें उसके द्वारा पिछले 30 दिनों में क्रेडिट कार्ड से किये गए समस्त भुगतनों का ब्यौरा होता है। बिलिंग की तारीख से कार्ड धारक को उसका भुगतान करने के लिए लगभग 20 दिनों का अतिरक्त समय दिया जाता है।

उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड का बिल महीने की 5 तारीख को बनता है, तो इसमें पिछले महीने 6 तारीख से वर्तमान महीने की 5 तारीख तक किये गए सभी खर्चों का ब्यौरा होगा और इस बिल को भरने के लिए ग्राहक के पास अगले 20 दिनों का समय होगा यानी उसे महीने की 25 तारीख तक भुगतान करना होगा।

इस प्रकार क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल अधिकतम 50 दिनों का ब्याज मुक्त ऋण मुहैया करवाता है। हालांकि क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ ग्राहकों को 50 दिनों की ब्याज मुक्त अवधि देती हैं, किन्तु यदि इस दौरान यदि भुगतान नहीं किया गया तो ग्राहक को करीब 36 से 48 फीसदी सालाना तक का भारी भरकम ब्याज चुकाना पड़ता है।

क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने के क्या फायदे हैं?

क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को लेकर लोगों के मन मे कई तरह के संदेह होते हैं अथवा अधिकांश लोग इसके इस्तेमाल से बचते भी हैं, किंतु क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का सही तरीके से इस्तेमाल किसी व्यक्ति को कई प्रकार के आर्थिक लाभ देता है तथा उसकी एक अच्छी वित्तीय प्रोफ़ाइल तैयार करने में भी मदद करता है।

  • आइए जानते हैं क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने के कुछ महत्वपूर्ण फायदे क्या हैं-

(i) ग्राहक को क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किये गए भुगतान अथवा लिए गए ऋण को चुकाने हेतु अधिकतम 50 दिनों तक के ब्याज मुक्त समय की सुविधा मिलती है। अतः कोई व्यक्ति इस अवधि के लिए अपनी रकम को बैंक में जमा कर के ब्याज प्राप्त कर सकता है, जबकि इस अवधि के लिए गए ऋण पर उसे कोई ब्याज नहीं चुकाना होगा।

(ii) क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल से किसी व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री या साख का एक रिकॉर्ड बनता है, अतः क्रेडिट कार्ड से लिये गए ऋण का समय पर भुगतान किसी व्यक्ति की सकारात्मक क्रेडिट हिस्ट्री अथवा आर्थिक व्यवहार को प्रदर्शित करता है। इसके चलते व्यक्ति को भविष्य में किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान से ऋण प्राप्त करने में आसानी होती है तथा कई परिस्थितियों में सामान्य से कम दरों पर ऋण प्राप्त होता है।

(iii) बैंक ग्राहकों की जीवनशैली को ध्यान में रखकर कई प्रकार के क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं। जैसे अधिक यात्रा करने वाले लोगों के लिए यात्रा कार्ड, अधिक ऑनलाइन खरीदारी करने वाले लोगों के लिए शॉपिंग कार्ड इत्यादि। ये कार्ड प्रत्येक भुगतान पर ग्राहक को पॉइंट्स के रूप में कुछ रिवार्ड भी देते हैं, जिन्हें रिडीम कर व्यक्ति किसी सेवा या वस्तु को खरीद सकता है।

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(iv) कई ऑनलाइन ई-कॉमर्स वेबसाइट जैसे फ्लिपकार्ट, अमेज़न आदि किसी उत्पाद पर क्रेडिट कार्ड धारकों को विशेष छूट भी ऑफर करते हैं। अतः क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने पर ऑनलाइन शॉपिंग में डिस्काउंट का लाभ भी लिया जा सकता है।

(v) किसी बड़े खर्च की स्थिति में ग्राहक के पास उसे किश्तों में परिवर्तित करने का विकल्प भी रहता है। इसके अतिरिक्त वर्तमान में फ्लिपकार्ट, अमेज़न समेत अधिकांश ई-कॉमर्स वेबसाइट अपने ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड पर बिना ब्याज के EMI या “No Cost EMI” जैसी सुविधा भी मुहैया करवा रहे हैं।

(vi) क्रेडिट कार्ड का सबसे महत्वपूर्ण फायदा आपातकालीन परिस्थितियों में किसी व्यक्ति को आर्थिक मदद मुहैया करवाना है। उदाहरण के तौर पर सैलरी के कुछ दिन बाद मिलने जैसे परिस्थिति में भी क्रेडिट कार्ड की सहायता से बिलों का भुगतान अथवा कोई भी जरूरी खरीदारी की जा सकती है।

क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने के क्या नुकसान हैं?

क्रेडिट कार्ड के विभिन्न फायदों को हमने ऊपर जाना, किन्तु क्रेडिट कार्ड का लापरवाही के साथ इस्तेमाल किसी ग्राहक के लिए आर्थिक रूप से नुकसानदेह भी साबित हो सकता है।

  • आइए इसके कुछ नकारात्मक पहलुओं को भी देखते हैं।

(i) क्रेडिट कार्ड से किये गए भुगतान को समय से न चुकाने पर ग्रहाक को 24 से 48 फीसदी तक वार्षिक ब्याज चुकाना पड़ सकता है। ऐसे में यदि उधार की राशि अधिक हो तो इसे चुका पाना मुश्किल हो जाता है।

(ii) क्रेडिट कार्ड के साथ फ्रॉड होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। अतः क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतना बेहद आवश्यक हो जाता है। इन सावधानियों में किसी अन्य व्यक्ति के साथ क्रेडिट कार्ड से संबंधित जानकारी साझा न करना, किसी संदिग्ध वेबसाइट में क्रेडिट कार्ड से भुगतान न करना, पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करने के दौरान क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल न करना आदि शामिल हैं।

(iii) क्रेडिट कार्ड का समय पर भुगतान न करने के कारण उपयोगकर्ता को अत्यधिक ब्याज तो चुकाना ही होगा, इसके अतिरिक्त इसका व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे ऐसे व्यक्ति को भविष्य में किसी बैंक द्वारा ऋण लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

(iv) क्रेडिट कार्ड का सालाना चार्ज भी इसका एक नुकसान है, जो कार्ड के अनुसार 500 से 10,000 रुपये तक हो सकता है। हालाँकि यह सभी के लिए क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने का एक नुकसान नहीं है, किन्तु क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने से पहले इस पर विचार करना आवश्यक है।

(v) चूँकि क्रेडिट कार्ड व्यक्ति को उपलब्ध धनराशि से अधिक खर्च करने का विकल्प देता है अतः अनावश्यक खर्च करने वाले लोगों के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना बेहद नुकसानदेह है।

क्रेडिट कार्ड कौन बना सकता है?

क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है, कोई भी Salaried अथवा Self-Employed व्यक्ति क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन कर सकता है।

गौरतलब है कि बैंक तथा वित्तीय संस्थान ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार अनेक तरह के क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं, किसी बैंक द्वारा जारी किये जाने वाले अलग-अलग क्रेडिट कार्ड के फीचर्स, उनका वार्षिक शुल्क तथा उन्हें बनाने के लिए योग्यता जैसे ग्राहक की न्यूनतम वार्षिक आय की सीमा भी अलग-अलग होती है।

नया क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए सबसे पहले आपको किसी बैंक के एक क्रेडिट कार्ड को चुनना होगा जो आपकी जरूरतों के अनुरूप हो तथा जिसे बनाने के लिए आप योग्य हों। इसके बाद आप बैंक की वेबसाइट विजिट कर ऑनलाइन अपने क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं।

क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए आपको अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड, सैलरी स्लिप तथा Self-Employed की स्थिति में अंतिम 6 महीनों का बैंक स्टेटमेंट देना होगा।

बिना नौकरी के क्रेडिट कार्ड कैसे बनायें?

यदि आप नौकरीपेशा व्यक्ति नहीं हैं लेकिन अपना क्रेडिट कार्ड बनवाना चाहते हैं तो अब आप बिना सैलरी स्लिप के भी क्रेडिट कार्ड आसानी से बनवा सकते हैं।

अधिकांश बैंक ग्राहकों को फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) की एवज में क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवा रहे हैं, आप भी किसी बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट एकाउंट खुलवा कर अपना क्रेडिट कार्ड बनवा सकते हैं तथा क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाले फीचर्स का लाभ ले सकते हैं। एफडी की न्यूनतम सीमा बैंक के अनुसार बदल सकती है।

उदाहरण के लिए आंध्रा बैंक 10,000 रुपये तथा इससे अधिक के फिक्स्ड डिपॉजिट में अपने ग्राहकों को Credit Card मुहैया करवा रहा है। इसके साथ ही बैंक ऑफ बड़ोदा न्यूनतम 15,000, एक्सिस बैंक न्यूनतम 20,000 तथा स्टेट बैंक न्यूनतम 25,000 के फिक्स्ड डिपॉजिट पर क्रेडिट कार्ड ऑफर कर रहा है।

क्रेडिट कार्ड में मिनिमम पेमेंट क्या होता है?

यदि ग्राहक Due Date यानी बिल भरने की अंतिम तारीख तक पूरा पेमेंट करने में सक्षम नहीं है तो वह मिनिमम पेमेंट के विकल्प का चुनाव कर सकता है। Minimum Amount Due ग्राहक के कुल बिल का एक भाग होता है। इसे भरने पर ग्राहक को क्रेडिट कार्ड लेट पेमेंट फीस जैसी अतिरिक्त पेनाल्टी से राहत मिल जाती है।

लेकिन Minimum Amount Due का चुनाव करने पर ग्राहक को शेष बची राशि पर लगभग 3 से 4% प्रति माह की दर से ब्याज देना होता है जो सालाना करीब 36 से 50 प्रतिशत तक हो सकता है।

अधिक विस्तार से जानें क्रेडिट कार्ड में मिनिमम ड्यू या न्यूनतम देय राशि का क्या मतलब होता है?

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि ब्याज की गणना उस दिन से करी जाती है जिस दिन ग्राहक ने खरीदारी करी थी अतः इस स्थिति में उसे 50 दिनों की छूट नहीं मिलती है।

क्रेडिट तथा डेबिट कार्ड में क्या अंतर है?

प्लास्टिक मुद्रा का एक अन्य प्रकार डेबिट कार्ड या ATM कार्ड है, जो क्रेडिट कार्ड की तुलना में अधिक इस्तेमाल किया जाता है। बैंकिंग सेवा का इस्तेमाल करने वाला लगभग प्रत्येक व्यक्ति इसका इस्तेमाल करता है।

क्रेडिट कार्ड तथा डेबिट कार्ड के मध्य मुख्य अंतर की बात करें तो, जहाँ क्रेडिट कार्ड (Credit Card) में कार्ड धारक बैंक में उपलब्ध राशि से अधिक का इस्तेमाल कर सकता है, वहीं डेबिट कार्ड से केवल उतनी ही राशि का भुगतना किया जा सकता है, जितनी कार्ड धारक के बैंक खाते में मौजूद है।

इसके अतिरिक्त डेबिट कार्ड का वार्षिक शुल्क भी क्रेडिट कार्ड की तुलना में बहुत कम सामान्यतः 150 रुपये से 250 रुपये तक होता है और कुछ स्थितियों में यह शून्य भी होता है।

भारत एवं विश्व में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल

भारत की आर्थिक स्थिति को देखा जाए तो देश में अभी भी कई लोग बैंकिंग सेवाओं से वंचित हैं। हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने के लिए चलाया गया अभियान प्रधानमंत्री जन धन योजना ने इस दिशा में बहुत हद तक सकारात्मक कार्य किया है।

ताज़ा आंकड़ों के अनुसार साल 2023 में देश में क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वालों की संख्या तकरीबन 8.6 करोड़ थी, जबकि दुनियाँ के विकसित देशों जैसे अमेरिका, कनाडा, जापान, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड आदि में इसका अधिकता से उपयोग किया जाता है।

सार-संक्षेप

क्रेडिट कार्ड पेमेंट करने के एक साधन है, जिसे बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा अपने ग्राहकों को जारी किया जाता है। यह यूजर्स को उधार पर खरीदारी करने या किसी पेमेंट को करने की सुविधा देता है, जिसे अधिकतम 50 दिनों की ब्याजमुक्त अवधि के भीतर चुकाना होता है।

क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने के कई फायदे हैं जैसे ब्याज मुक्त कर्ज, कैशलेस लेन-देन, क्रेडिट स्कोर सुधारने का मौका, रिवॉर्ड पॉइंट्स और कैशबैक, इमरजेंसी में तुरंत धन उपलब्धता और EMI के माध्यम से भुगतान का विकल्प। यदि जिम्मेदारी से इसका उपयोग किया जाए तो क्रेडिट कार्ड वित्तीय प्रबंधन का एक प्रभावी उपकरण है।

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