बैंकिंग क्षेत्र के संबंध में आपने अक्सर ई-मेंडेट या स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन जैसे शब्दों को सुना होगा। आइए इस लेख के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं आखिर स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन क्या होते हैं, इनका इस्तेमाल क्यों किया जाता है, स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन के क्या फायदे और नुकसान हैं तथा आप अपने खाते में एक्टिव इंस्ट्रक्शन कैसे देख सकते हैं?
Standing Instruction क्या है?
स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन (Standing Instruction) पेमेंट करने का एक स्वचालित या ऑटोमेटिक तरीका है। जहाँ कोई व्यक्ति या व्यवसाय अपने बैंक / वित्तीय संस्थान को यह निर्देश देता है कि, वह किसी अन्य व्यक्ति या व्यवसाय को एक निश्चित अंतराल पर नियमित रूप से किसी निश्चित धनराशि का भुगतान करे।
ये इंस्ट्रक्शन अथवा निर्देश किसी भुगतान को करने के लिए प्रत्येक बार मैन्युअल हस्तक्षेप से बचने के लिए सेट किए जाते हैं। स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जैसे बिलों का भुगतान, ऋण का पुनर्भुगतान, म्यूचुअल फंड्स SIP एवं नियमित फंड ट्रांसफर इत्यादि।
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किसी स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन पर भुगतानकर्ता का पूरा नियंत्रण होता है, वे इसे सेट या रद्द कर सकते हैं। इसके साथ ही भुगतान की धनराशि और आवृत्ती (वह समायान्तराल जिस पर नियमित भुगतान किया जाना है) का चुनाव कर सकते हैं।
स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन का इस्तेमाल
Standing Instruction का इस्तेमाल ऐसे पेमेंट्स को करने के लिए किया जाता है, जिन्हें एक निश्चित समयान्तराल पर बार-बार किया जाना होता है, ऐसे कुछ भुगतान जिनके लिए इस सेवा का इस्तेमाल किया जा सकता है निम्नलिखित हैं-
- लोन का पुनर्भुगतान
- विभिन्न प्रकार के बिलों का भुगतान जैसे बिजली, पानी, टेलीफोन, गैस, इंटरनेट इत्यादि
- मासिक किराये जैसे मकान, दुकान इत्यादि के किराये का भुगतान
- सेविंग और इनवेस्टमेंट जैसे म्यूचुअल फंड SIP, रिकरिंग डिपॉजिट इत्यादि
- विभिन्न प्रकार की सेवाओं का सब्सक्रिप्शन अथवा मेंबरशिप जैसे OTTs, Apps इत्यादि
- नियमित करी जानें वाली चैरिटी डोनेशन
- सैलरी का भुगतान
Standing Instruction के क्या फायदे हैं?
स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि, इसके इस्तेमाल से कोई व्यक्ति अपने नियमित पेमेंट्स को खुद से करने की चिंता से मुक्त हो जाता है, जिसके कारण किसी भी पेमेंट की समय सीमा (Deadline) छूटने का खतरा नहीं रहता। इसके अलावा स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन सुविधा के कुछ अन्य फायदे निम्न हैं
- बेहतर वित्तीय प्रबंधन
- बिलों का समय पर भुगतान
- भुगतानकर्ता तथा प्राप्तकर्ता दोनों के लिए निःशुल्क
- समय की बचत
- क्रेडिट स्कोर के खराब होने से सुरक्षा
- लेट पेमेंट के चलते किसी पेनाल्टी से बचाव
स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन के नुकसान
गौरतलब है कि, स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन के सीधे तौर पर कोई भी नुकसान नहीं हैं, किन्तु कुछ संभावनाओं पर नजर डालना बेहद आवश्यक हो जाता है।
पेमेंट डिक्लाइन अथवा ओवरड्राफ्ट : यदि आपके खाते में पर्याप्त धनराशि न हो, जबकि आपने कोई स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन सेट किया हुआ है तो उस स्थिति में या तो आपका पेमेंट डिक्लाइन हो जाएगा जो आपकी साख के लिए अच्छा नहीं है अथवा आपके खाते से ओवरड्राफ्ट हो सकता है जिसके लिए आपको अंततः अतिरिक्त शुल्क बैंक को चुकाना होगा।
कम फ़्लेक्सिबिलिटी : स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन की स्थिति में डेबिट होने वाली धनराशि एवं उसकी आवृत्ति पूर्व निर्धारित होती है ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की वित्तीय स्थिति में समय-समय पर उतार-चढ़ाव आते हैं तो किसी समय उसके लिए भुगतान कर पाना मुश्किल हो सकता है।
e-Mandate क्या है?
ई-मेंडेट (Electronic Mandate) ऑटोमेटिक पेमेंट्स करने का ही एक डिजिटल तरीका है, जो स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन की तरह ही काम करता है। इसे रिजर्व बैंक और नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI ने विशेष रूप से कंपनियों के लिए अपने ग्राहकों से भुगतान प्राप्त करने हेतु शुरू किया गया है।
खाते में सक्रिय स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन की जाँच कैसे करें?
यदि आप अपने खाते में सक्रिय स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन या ई-मेंडेट की जांच करना चाहते हैं अथवा उन्हें संपादित करना चाहते हैं तो इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से आसानी से ऐसा कर सकते हैं। स्टेट बैंक के ग्राहक इंटरनेट बैंकिंग लॉगिन करने के बाद डैशबोर्ड में स्थित “Request and Enquiries” वाले ऑप्शन पर क्लिक कर “Standing Instruction” देख, कैंसिल या उन्हें मोडिफ़ाई कर सकते हैं।
सार-संक्षेप
स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन नियमित अंतराल में होने वाले पेमेंट्स को ऑटोमेटिक करने का एक बेहतरीन टूल है। इसकी मदद से कोई व्यक्ति और व्यवसाय समय पर भुगतान सुनिश्चित कर सकते हैं, अपने वित्तीय प्रबंधन में सुधार कर सकते हैं साथ ही मैन्युअल पेमेंट प्रोसेसिंग के प्रशासनिक बोझ को भी कम कर सकते हैं।