जैसे-जैसे दुनियाँ डिजिटलाइजेशन की तरफ बढ़ रही है विभिन्न क्षेत्रों समेत अर्थव्यवस्था में भी इसका असर दिखाई दिया है। हम पारंपरिक कागजी मुद्रा के बजाए डिजिटल मुद्रा अथवा प्लास्टिक मुद्रा (क्रेडिट/डेबिट कार्ड) का अधिक इस्तेमाल करने लगे हैं और ऐसा करने का एक मुख्य कारण इसका सुरक्षित एवं सुविधाजनक होना है।
हालाँकि हम कोई लेन-देन मिनटों में पूरा कर लेते हैं, किन्तु ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया इतनी सरल नहीं है, बल्कि किसी एक खाते से धनराशि को दूसरे खाते तक पहुँचने में कई चरणों से गुजरना पड़ता है और यदि कोई लेन-देन अंतर्राष्ट्रीय हो तब यह प्रक्रिया थोड़ी और जटिल हो जाती है।
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चूँकि बात ऑनलाइन पेमेंट खासकर इंटरनेशनल पेमेंट्स की हो रही है अतः इस लेख के माध्यम से चर्चा करेंगे ऐसी ही एक व्यवस्था की, जो वर्तमान में किसी भी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय भुगतान या लेन-देन को पूरा करने के लिए उत्तरदाई है। हम बात कर रहे हैं SWIFT सिस्टम की, इस लेख में आगे विस्तार से जानेंगे SWIFT क्या है, यह कैसे काम करता है, SWIFT कोड क्या होता है और अपने बैंक का स्विफ्ट कोड कैसे पता कर सकते हैं?
SWIFT क्या है?
SWIFT या Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication एक मैसेजिंग प्रणाली है। इसे व्हाट्सएप के समान समझा जा सकता है, किन्तु व्हाट्सएप के विपरीत इस व्यवस्था का इस्तेमाल केवल दुनियाँ भर के वित्तीय संस्थान ही कर सकते हैं।
SWIFT की शुरुआत का मुख्य उद्देश्य विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (मुख्यतः अंतर्राष्ट्रीय बैंक) के बीच तेजी तथा सुरक्षित तरीके से संवाद करने का एक नेटवर्क बनाना था।
SWIFT नेटवर्क के द्वारा कोई जारीकर्ता बैंक किसी ट्रांजेक्शन से जुड़ी जानकारी को प्राप्तकर्ता बैंक को प्रेषित करता है, जिसके आधार पर प्राप्तकर्ता बैंक उस ट्रांजेक्शन को पूरा करता है। SWIFT के माध्यम से प्रतिदिन तकरीबन 40 मिलियन से अधिक वित्तीय लेन-देन से जुड़े संदेश भेजे जाते हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर विभिन्न कंपनियों, सरकारों आदि का खरबों डॉलर का लेन-देन पूरा हो पता है।
SWIFT कोई वित्तीय संस्थान नहीं है। यह केवल एक संदेश प्रणाली है, जो सीधे तौर पर स्वयं लेन-देन को पूरा नहीं करता है, बल्कि यह वित्तीय संस्थानों के मध्य लेन-देन की जानकारी साझा करता है, ताकि ऐसे संस्थानों को कोई लेन-देन पूरा करने में आसानी हो सके।
SWIFT की शुरुआत कब हुई?
SWIFT की शुरुआत से पूर्व Telex (Telegraphic Transfer) का इस्तेमाल इसके स्थान पर किया जाता था, हालाँकि यह भी एक अंतर्राष्ट्रीय संदेश प्रणाली थी, किन्तु इसमें कई खामियाँ थी, जिसके चलते आगे चलकर SWIFT की शुरुआत की गई। टेलेक्स द्वारा स्थानांतरित की जाने वाली जानकारी के लिए कोई मानकीकृत (Standardized) प्रारूप नहीं बनाया गया था।
कोई मानकीकृत व्यवस्था ना होने के चलते इसमें प्रेषक को वित्तीय लेन-देन से जुड़ी जानकारी संकेतों के बजाए वाक्यों में भेजनी होती थी, जिससे मानवीय त्रुटि होने की अधिक संभावनाएं बनी रहती थी। इसके अतिरिक्त धीमी गति, सुरक्षा आदि कुछ अन्य कारण थे, जिसके चलते नई व्यवस्था की शुरुआत करने की आवश्यकता महसूस हुई।
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इस समस्या के समाधान के तौर पर साल 1973 में अमेरिका तथा यूरोप आधारित 15 देशों के 239 बैंकों द्वारा एक एकीकृत अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन संचरण प्रणाली की शुरुआत की गई। साल 1977 में इसके पूर्णतः कार्यशील होने तक 22 देशों के 513 से अधिक वित्तीय संस्थान इससे जुड़ चुके थे। वर्तमान की बात करें तो इस प्रणाली का इस्तेमाल 200 से अधिक देशों के लगभग 11,000 से अधिक वित्तीय संस्थान कर रहे हैं।
SWIFT कोड क्या है?
SWIFT इससे जुड़े प्रत्येक संस्थान को एक युनीक कोड प्रदान करता है, ताकि उसे वैश्विक स्तर पर एक पहचान मिल सके। यह कोड स्विफ्ट कोड या बैंक पहचानकर्ता कोड (Bank Identifier Code) के रूप में जाना जाता है। SWIFT कोड सामान्यतः 8 तथा कुछ स्थितियों में 11 अल्फ़ान्यूमेरिक वर्णों का होता है।
SWIFT कोड को कैसे पढ़ा जाता है?
किसी बैंक के SWIFT कोड में शुरुआती चार वर्ण उस बैंक का नाम, अगले दो उस देश का नाम जहाँ उक्त बैंक की शाखा स्थित है और आखिरी दो वर्ण उस जगह को प्रदर्शित करते हैं, जहाँ बैंक की शाखा मौजूद है।
कई बैंकों के संबंध में यह कोड 11 वर्णों का होता है। इस स्थिति में अंत के अतिरिक्त तीन वर्ण बैंक की शाखा विशेष के कोड को दर्शाते हैं। नीचे चित्र में आप दोनों स्विफ्ट संकेतों की व्यवस्था को आसानी से समझ सकते हैं।
SWIFT नेटवर्क कैसे काम करता है?
ऊपर आपने स्विफ्ट कोड क्या है तथा इसे कैसे पढ़ा जाता है इस संबंध में जाना, आइए अब समझते हैं आखिर SWIFT नेटवर्क कैसे काम करता है? SWIFT द्वारा प्रदान किए गए इन कोड्स से ही दुनियाँ में मौजूद किसी विशेष वित्तीय संस्थान की पहचान सुनिश्चित हो पाती है, इसकी कार्यप्रणाली को एक उदाहरण की सहायता से समझा जा सकता है।
मान लें कोई व्यक्ति “A” जो अमेरिका में रहता है भारत में अपने मित्र “B” को USD 1000 की आर्थिक सहायता भेजना चाहता है। A का खाता बैंक ऑफ अमेरिका की न्यूयॉर्क शाखा में है, जबकि B भारतीय स्टेट बैंक की दिल्ली शाखा का ग्राहक है।
A जब ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम से अपने मित्र को भुगतान करने की कोशिश करेगा तो उसे लाभार्थी के बैंक का SWIFT कोड प्रदान करना होगा। एक बार A द्वारा भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दिए जाने पर बैंक ऑफ अमेरिका (A का बैंक) SWIFT कोड की सहायता से दिल्ली स्थित भारतीय स्टेट बैंक को संदेश भेजेगा और उक्त संदेश मिलने पर B का बैंक उसके खाते में USD 1000 क्रेडिट कर देगा।
किसी बैंक का SWIFT कोड कैसे पता करें?
जैसा कि, हमनें ऊपर बताया SWIFT कोड की जरूरत अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में पड़ती है उदाहरण के लिए यदि आप विदेश में किसी व्यक्ति को पैसे भेजना चाहते हैं अथवा विदेश से कोई व्यक्ति आपको पैसे भेजना चाहता है तो उस स्थिति में आपको SWIFT कोड की आवश्यकता होगी।
किसी भी बैंक की वेबसाइट में जाकर आप उस बैंक की शाखाओं का SWIFT कोड देख सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि किसी बैंक की प्रत्येक शाखा का BIC या SWIFT कोड हो, यह कोड केवल उन शाखाओं को दिया जाता है जो अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में सक्रिय होती हैं अतः एक देश के भीतर किसी एक बैंक की शाखा का SWIFT कोड ना होने की स्थिति में किसी भी नजदीकी शाखा का SWIFT कोड इस्तेमाल किया जा सकता है।
नीचे देश के कुछ महत्वपूर्ण बैंकों के SWIFT कोड दिए गए हैं-
- भारतीय स्टेट बैंक की सभी शाखाओं के SWIFT कोड
- पंजाब नैशनल बैंक की सभी शाखाओं के SWIFT कोड
- बैंक ऑफ इंडिया स्विफ्ट कोड लिस्ट
- आईसीआईसीआई बैंक स्विफ्ट कोड लिस्ट
- बैंक ऑफ बड़ोदा स्विफ्ट कोड लिस्ट
SWIFT का इस्तेमाल करने वाले वित्तीय संस्थान
हालाँकि SWIFT का इस्तेमाल मुख्यतः वैश्विक स्तर पर मुद्रा के लेन-देन के लिए किया जाता है, जिसमें बैंक प्रमुख संस्थान हैं, किन्तु समय के साथ स्विफ्ट ने अन्य वित्तीय संस्थानों को भी सेवा देना शुरू किया है। ऐसे कुछ महत्वपूर्ण संस्थान, जो स्विफ्ट सिस्टम का हिस्सा हैं नीचे उल्लेखित हैं।
- Securities Dealers
- Clearing Houses
- Exchanges
- Corporate Business Houses
- Brokerage Institutes
- Asset Management Companies
- Depositories
- Treasury Market Participants
- Foreign Exchange & Money Brokers
SWIFT नेटवर्क को कौन नियंत्रित करता है?
SWIFT सहकारी संरचना पर आधारित व्यवस्था है अतः यह किसी एक देश द्वारा नियंत्रित नहीं है, बल्कि इसका स्वामित्व अलग-अलग सदस्यों के पास है।
इसकी देखरेख G-10 देशों के केन्द्रीय बैंकों (Bank of Canada, Deutsche Bundesbank, European Central Bank, Banque de France, Banca d’Italia, Bank of Japan, De Nederlandsche Bank, Sveriges Riksbank, Swiss National Bank, Bank of England, USA Federal Reserve) समेत बेल्जियम के केन्द्रीय बैंक तथा यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा की जाती है।
स्विफ्ट के शेयरधारक दुनियाँ भर के बैंकों का प्रतिनिधित्व करने वाले 25 स्वतंत्र निदेशकों के बोर्ड (Board of Directors) का चुनाव करते हैं, कंपनी के प्रबंधन तथा संचालन के लिए यही निदेशक मण्डल उत्तरदाई होता है।
SWIFT प्रतिबंध का किसी देश पर असर
जैसा कि, हमनें ऊपर बताया SWIFT अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में अहम भूमिका अदा करता है अतः किसी देश को इससे प्रतिबंधित करने का उस देश की अर्थव्यवस्था पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, ये प्रतिबंध देश की सरकारों, उद्योगों समेत आम नागरिक को प्रभावित करते हैं।
गौरतलब है कि, SWIFT से किसी देश को प्रतिबंधित करने से आशय, उस देश के महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थानों जैसे बैंक इत्यादि को इस सुविधा से बाहर करना है। SWIFT प्रतिबंध के किसी देश पर पड़ने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रभावों की बात करें तो मुख्यतः ऐसे देश अन्य देशों के साथ किसी भी प्रकार का वित्तीय लेन-देन नहीं कर पाएंगे।
देश का आयात-निर्यात नकारात्मक रूप से प्रभावित होगा, देश के नागरिकों को किसी वस्तु या सेवा के लिए अंतर्राष्ट्रीय भुगतान करने में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, देश से बाहर काम कर रहे लोगों के लिए देश में मुद्रा भेजना तथा देश के बाहर शिक्षा ग्रहण कर रहे लोगों के लिए मुद्रा प्राप्त करना मुश्किल होगा।
SWIFT के अलावा अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन का दूसरा विकल्प
हालाँकि SWIFT की वर्तमान में इसके विशाल नेटवर्क एवं स्वीकार्यता के चलते अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में महत्वपूर्ण भूमिका है, किन्तु किसी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए इसे प्रतिस्थापित करना आने वाले समय में बहुत मुश्किल नहीं होगा। जैसा कि, हम जानते हैं स्विफ्ट एक संदेश प्रणाली है यह कोई पेमेंट सिस्टम नहीं है अतः भुगतान के विपरीत भुगतान से जुड़े संदेश को कई अलग-अलग तरीकों से भेजा जा सकता है।
उदाहरण के तौर पर 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर आक्रमण करने के बाद रूसी सेंट्रल बैंक ने अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में पश्चिमी देशों के एकाधिकार को काम करने के लिए स्विफ्ट जैसी एक संदेश प्रणाली System for Transfer of Financial Messages (SPFS) की शुरुआत की। वर्तमान में रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे देशों के तकरीबन 400 वित्तीय संस्थान इस नेटवर्क का हिस्सा हैं।
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रूस के अलावा 2015 में चीन ने अन्य देशों खासकर बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल देशों की अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने तथा युआन के वैश्विक इस्तेमाल को बढ़ाने के उद्देश्य से Cross-Border Interbank Payment System (CIPS) नेटवर्क की शुरुआत करी।
CIPS में कई देशों में अप्रत्यक्ष प्रतिभागी शामिल हैं। CIPS के प्रत्यक्ष प्रतिभागी (Direct Participants) इसके माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं, जबकि अप्रत्यक्ष प्रतिभागी ज्यादातर SWIFT के माध्यम से प्रत्यक्ष प्रतिभागियों के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।