पुरानी पेंशन योजना (OPS) तथा नई पेंशन योजना (NPS) में क्या अंतर है?

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हर किसी को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक रूप से सुरक्षित भविष्य हेतु पेंशन की आवश्यकता होती है और इसी को ध्यान में रखते हुए कोई भी व्यक्ति अपनी नौकरी के दौरान विभिन्न प्रकार के पेंशन फंड में निवेश करता है। ताकि जब व्यक्ति शारीरिक रूप से कोई कार्य करने में सक्षम न हो तो उस स्थिति में भी उसकी वित्तीय जरूरतें पूरी हो सकें।

दरअसल बीते कुछ समय से देश भर में पुरानी पेंशन योजना (OPS) तथा नई पेंशन योजना (NPS) को लेकर बहस जोरों पर है। राज्य से लेकर केंद्र सरकार के कर्मचारी भी पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग कर रहे हैं और कई राज्यों में ये धीरे-धीरे चुनावी मुद्दा भी बनता जा रहा है।

आइए समझते हैं आखिर पुरानी पेंशन स्कीम या OPS क्या है, नई पेंशन स्कीम क्या है, पुरानी पेंशन स्कीम को क्यों बंद किया गया, OPS तथा NPS में क्या-क्या अंतर हैं, वर्तमान में कौन सी योजना अधिक फायदेमंद है तथा कर्मचारी क्यों पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की माँग कर रहे हैं?

पुरानी पेंशन योजना क्या है?

OPS यानी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति (Retirement) के पश्चात पेंशन प्रदान करने का प्रावधान था ताकि सरकारी कर्मचारी अपने बुढ़ापे में आर्थिक रूप से स्वतंत्र एवं सशक्त रहें। ओल्ड पेंशन स्कीम सरकारी कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के बाद भी आजीवन एक आय का साधन मुहैया करवाती थी और सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु होने की स्थिति में जीवनसाथी को यह पेंशन उपलब्ध करवाई जाती थी।

पेंशन राशि की बात करें तो यह किसी कर्मचारी द्वारा प्राप्त आखिरी बेसिक सैलरी का आधा तथा महंगाई भत्ते का योग होती थी। उदाहरण के तौर पर यदि किसी कर्मचारी की रिटायरमेंट के दौरान बेसिक सैलरी 50,000 रुपये हैं तथा उसे 40 फीसदी की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा हो तो उसे 50,000 / 2 + 20,000 = 45,000 रुपये महीने की पेंशन मिलेगी और इसमें समय-समय पर महंगाई भत्ते में होने वाली वृद्धि के चलते बढ़ोत्तरी भी होती रहेगी।

नई पेंशन योजना या NPS क्या है?

साल 2004 में भारत सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को समाप्त कर दिया और केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 में बदलाव कर NPS यानी नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) की शुरुआत करी। इसके अनुसार देश में सशस्त्र बलों को छोड़कर ऐसे सभी सरकारी कर्मचारी जो 1 अप्रैल 2004 के बाद सेवा में शामिल हुए हैं उन्हें ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ नहीं मिल पाएगा और वे नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) योजना के अंतर्गत शामिल होंगे।

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गौरतलब है कि, जहाँ OPS सेवानिवृत्त कर्मचारियों को एक निश्चित आय का भरोसा दिलाता था वहीं नई पेंशन योजना (NPS) एक सहभागी योजना है। इसमें सरकार तथा कर्मचारी दोनों अंशदान (Contribution) कर एक फंड का निर्माण करते हैं और कर्मचारी के सेवाकाल के दौरान एकत्र होने वाली इस धनराशि को पेंशन फंड मेनेजर्स द्वारा विभिन्न निवेश योजनाओं तथा बाजार में निवेश किया जाता है।

NPS के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों को एक स्थाई सेवानिवृत्ति खाता संख्या या Permanent Retirement Account Number (PRAN) आवंटित किया जाता है, जहाँ से वे अपने पेंशन खाते की सम्पूर्ण जानकारी ले सकते हैं साथ ही अपने खाते का प्रबंधन भी कर सकते हैं।

NPS में कर्मचारी और सरकार का अंशदान

पेंशन फंड में होने वाले अंशदान की बात करें तो सभी कर्मचारियों को अपनी बेसिक सैलरी तथा महंगाई भत्ते का न्यूनतम 10 फीसदी अंशदान करना अनिवार्य होता है। साथ ही सरकार भी कर्मचारी के पेंशन फंड में अपनी तरफ से कर्मचारी की बेसिक सैलरी तथा महंगाई भत्ते का 14 फीसदी जमा करती है।

बता दें कि, साल 2019 से पहले तक सरकार और कर्मचारी दोनों का अंशदान समान था लेकिन 2019 के बाद सरकार ने अपना अंशदान 10 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया है।

NPS के तहत जमा की गई राशि को कर्मचारी अपने रिटायरमेंट के दौरान 60 फीसदी तक एकमुश्त निकाल सकते हैं और यह धनराशि टैक्स से भी मुक्त होती है, जबकि 40 फीसदी राशि को पेंशन या वार्षिकी के रूप में कर्मचारी को प्रदान किया जाता है और यह राशि टैक्स के दायरे में आती है।

NPS में टियर-1 तथा टियर-2 अकाउंट क्या हैं?

किसी कर्मचारी के NPS एकाउंट के दो अलग-अलग घटक होते हैं जहाँ कर्मचारी / निवेशक अलग-अलग निवेश कर सकते हैं। ये घटक क्रमशः टियर-1 तथा टियर-2 हैं। टीयर-1 और टीयर-2 दोनों की संरचना लगभग समान है। दोनों फंड योजनाओं के शुल्क और निवेश के विकल्प भी काफी समान हैं, हालांकि NPS टियर-2 खाता खोलने के लिए किसी व्यक्ति के पास टियर-1 एकाउंट होना अनिवार्य है।

टीयर-1 NPS खाता मुख्य रूप से रिटायरमेंट बचत के लिए है, जहां आपको खाता खोलते समय न्यूनतम ₹500 का योगदान करना होता है। इसके विपरीत टियर-2 एक सामान्य बचत के लिए है जहाँ न्यूनतम 1,000 रुपये से निवेश किया जा सकता है।

टियर-2 खाता निवेशकों को अपनी धनराशि आहरित (Withdrawal) करने अथवा निकालने में अधिक छूट देता है। यहाँ किये गए निवेश को एकमुश्त निकाला जा सकता है या बिना किसी सीमा के कई निकासी करी जा सकती हैं, जबकि टियर-1 खाते की स्थिति में ऐसा संभव नहीं है।

OPS और NPS में क्या अंतर हैं?

पुरानी पेंशन योजना तथा नई पेंशन योजना के बीच के मुख्य अंतर को आपने ऊपर जाना आइए इनके मध्य कुछ अन्य महत्वपूर्ण अंतरों की चर्चा करते हैं-

आधारपुरानी पेंशन योजना (OPS)नई पेंशन योजना (NPS)
पेंशन का प्रकारपुरानी पेंशन स्कीम में, कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन मिलती थीयह एक सहभागी योजना है, जिसमें सरकार तथा कर्मचारी मिल कर अंशदान करते हैं और इस फंड से भविष्य में कर्मचारी को पेंशन दी जाती है
पेंशन की राशिOPS के तहत मूल वेतन का 50% + DA पेंशन के रूप में दिया जाता हैNPS में रिटायरमेंट के समय निर्मित कुल फंड का 60% एकमुश्त तथा 40% पेंशन के रूप में दिया जाता है
अंशदान की राशिOPS के तहत आने वाले कर्मचारी कोई भी अंशदान नहीं करते हैंNPS में कर्मचारी उनके मूल वेतन + DA का 10 फीसदी तथा सरकार 14 फीसदी अंशदान मासिक रूप से करते हैं
जोखिमOPS की स्थिति में कर्मचारी को निश्चित तौर पर पेंशन मिलती थी अतः इस योजना में जोखिम नहीं के बराबर थाNPS में कर्मचारी तथा सरकार के अंशदान से निर्मित फंड को बाजार में निवेश किया जाता है अतः इसमें जोखिम की स्थिति बनी रहती है
महंगाई भत्ता (DA)OPS में कर्मचारियों को पेंशन के साथ हर 6 महीने में बढ़ने वाला महंगाई भत्ता भी दिया जाता थाNPS में महंगाई भत्ता देने की कोई व्यवस्था नहीं करी गई है
भागीदारOPS केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए बनाई गई योजना थीNPS में सरकारी कर्मचारी के अलावा कोई सामनी व्यक्ति भी निवेश कर सकता है और भविष्य में पेंशन का लाभ ले सकता है
पेंशन की गारंटीOPS के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन की गारंटी मिलती थीNPS में फिक्स पेंशन की कोई गारंटी नहीं है कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन उनके पेंशन फंड के रिटर्न पर निर्भर करती है
पेंशन राशि पर टैक्सOPS के तहत मिलने वाली पेंशन टैक्स फ्री होती हैNPS के तहत मिलने वाली पेंशन टैक्स के दायरे में आती है हालांकि एकमुश्त मिलने वाली 60% रकम टैक्स से मुक्त है
इनकम टैक्स में छूटOPS के तहत आने वाले कर्मचारियों को इनकम टैक्स में कोई छूट नहीं मिलती हैNPS के तहत आने वाले कर्मचारी आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत 1.5 लाख तथा 80CCD (1b) के तहत 50,000 की छूट का लाभ ले सकते हैं

NPS तथा OPS में कौन सी है बेहतर

पुरानी पेंशन योजना तथा नई पेंशन योजना दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं, जिन्हें नीचे बताया गया है इनके आधार पर किसी कर्मचारी के लिए कौन सी योजना बेहतर है इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।

पुरानी पेंशन योजना के फ़ायदों की बात करें तो इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि, यह योजना रिटायरमेंट के बाद आजीवन एक स्थाई पेंशन की गारंटी देती है, इसमें पेंशन की राशि पूर्व निर्धारित होती है और इसके लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती भी नहीं करी जाती है।

वहीं इसके नुकसान की बात करें तो इसका सबसे बड़ा नुकसान सरकारों पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ है, कई सरकारों को अपने बजट का एक बहुत बड़ा हिस्सा केवल कर्मचारियों को वेतन एवं पेंशन देने में खर्च हो जाता है जिसके चलते सरकारें या तो कर्ज में डूबती हैं या उन्हें सार्वजनिक व्यय में कटौती करनी पड़ती है।

NPS के फ़ायदों की बात करें तो, इसका मुख्य फायदा भविष्य में मिलने वाला उच्च रिटर्न है। चूँकि इस योजना के तहत कर्मचारी का पैसा बाजार में निवेश किया जाता है अतः यहाँ से भविष्य में उन्हें एक शानदार रिटर्न मिलने की उम्मीद बनी रहती है। NPS में कर्मचारी कुल फंड का 60% एकमुश्त निकाल सकता है और इसे पुनः किसी सुरक्षित बचत योजना में निवेश कर पेंशन के साथ-साथ सालाना अच्छा-खासा ब्याज भी कमा सकता है।

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नई पेंशन योजना के नुकसान की बात करें तो यह बाजार जोखिम के अधीन है, अतः पेंशन फंड का पैसा 100 फीसदी सुरक्षित नहीं होता है, इसके अलावा NPS में एक निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं है जैसा कि सरकार OPS के अंतर्गत प्रदान करती है।

OPS में कर्मचारी को स्वयं कुछ करने की आवश्यकता नहीं थी, किन्तु NPS में कर्मचारी अपने पेंशन अकाउंट में लॉगिन करने फंड मैनेजर या उनका पैसा कहाँ निवेश किया जाना चाहिए जैसे विकल्पों में बदलाव कर सकते हैं ऐसे में एक सामान्य कर्मचारी जो इक्विटी एवं डेट वित्तीय उपकरणों से अनजान है, बाजार से मिलने वाले रिटर्न का पूरा लाभ नहीं ले सकेगा।

OPS को लेकर हालिया मामला

जैसा कि, हमनें बताया OPS में कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन उनके रिटायरमेंट के पश्चात प्रदान करी जाती है, जबकि NPS में कर्मचारियों तथा सरकार द्वारा किया गया अंशदान पेंशन फंड मेनेजर्स द्वारा बाजार में निवेश किया जाता है और कर्मचारी के फंड की स्थिति बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर रहती है

अतः सरकारी कर्मचारियों द्वारा ओल्ड पेंशन स्कीम को पुनः बहाल करे जाने की मांग एक लंबे समय से करी जा रही थी और पिछले कुछ समय से OPS एक मुख्य चुनावी मुद्दा भी बनता जा रहा है। राज्यों में चुनावों के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा OPS को पुनः बहाल करने को एक मुख्य चुनावी वादे के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

हिमाचल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब समेत कई राज्यों की सरकारों ने पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने की घोषणा भी करी है। कर्मचारियों का OPS की बहाली की मांग करने के पीछे मुख्य कारणों में NPS के तहत कम पेंशन होना, बाजार में निवेश होने के चलने अनिश्चितता का बने रहना आदि हैं।

निष्कर्ष

बता दें कि, पुरानी पेंशन स्कीम के चलते राज्यों के कर राजस्व का 30 से 80 फीसदी तक खर्च हो रहा है, अतः किसी राज्य की केवल 10 से 12 फीसदी आबादी पर राजस्व का इतना बड़ा हिस्सा खर्च करना किसी भी मायने में सही नहीं दिखता है।

नई पेंशन व्यवस्था यानी NPS के तहत ऐसे कर्मचारी है, जो 2004 के बाद सेवा में शामिल हुए हैं और 2034 में सेवानिवृत्त होंगे अतः वर्तमान में राजनीतिक दलों के लिए OPS की बहाली को एक चुनावी वादा बनाना बहुत आसान है, जबकि आने वाली सरकारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

हाल ही में देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने भी सरकारों का ध्यान इस ओर आकर्षित करते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली को सरकारों के लिए आने वाले समय में बड़ा वित्तीय जोखिम बताया है।