Monday, December 2, 2024

स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या है, कितने तरीके की होती है और ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे सीखें?

किसी संपत्ति/परिसंपत्ति को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया ट्रेडिंग कहलाती है। ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य कम कीमत पर खरीदना और अधिक कीमत पर बेचना होता है ताकि बीच के अंतर के रूप में मुनाफा कमाया जा सके।

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ट्रेडिंग शेयर मार्केट से शॉर्ट-टर्म में पैसे कमाने के एक आकर्षक तरीका बनता जा रहा है, हर कोई ट्रेडिंग के जरिए कम समय में पैसे कमाने की चाह रखता है, लेकिन आंकड़ों को देखें तो करीब 90% लोग इसमें नुकसान उठाते हैं।

ट्रेडिंग की तरफ निवेशकों, खासकर युवा निवेशकों की लगातार बढ़ती दिलचस्पी आरबीआई एवं सेबी समेत सरकार के लिए भी चिंता का विषय बनता जा रहा है। हालांकि इसमें कोई शक नहीं है कि, ट्रेडिंग के जरिए शेयर बाजार से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए बाजार एवं ट्रेडिंग की अच्छी समझ होना बेहद जरूरी है।

ट्रेडिंग में रुचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति शेयर बाजार में अपनी मेहनत की कमाई न गंवा बैठे, इसको ध्यान में रखते हुए आज हम ट्रेडिंग पर विस्तार से चर्चा करने जा रहे हैं। इस लेख में आगे समझेंगे ट्रेडिंग क्या होती है, कितने प्रकार की होती है, ट्रेडिंग कैसे सीख सकते हैं तथा ट्रेडिंग करने से पहले और इसके दौरान किन नियमों का पालन किया जाना चाहिए।

ट्रेडिंग क्या होती है?

किसी उत्पाद को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया ट्रेडिंग (Trading) कहलाती है। ये उत्पाद कोई वस्तु, संपत्ति या फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हो सकते हैं। ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य कम कीमत पर खरीदना और अधिक कीमत पर बेचना होता है, ताकि बीच के अंतर के रूप में मुनाफा कमाया जा सके। शेयर मार्केट की स्थिति में यह खरीद-फरोख्त विभिन्न प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट के साथ करी जाती है, जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड, कमोडिटी, करेंसी, डेरिवेटिव प्रोडक्ट इत्यादि।

डेरिवेटिव ऐसे वित्तीय उत्पाद होते हैं जिनका अपना कोई मूल्य नहीं होता, बल्कि ये अपनी कीमत किसी अंतर्निहित (Underlying) एसेट से प्राप्त करते हैं। शेयर बाजार में होने वाली फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग इसी का उदाहरण है।

स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग कितने तरीके की होती है?

स्टॉक मार्केट में मुख्य रूप से स्टॉक, स्टॉक्स के फ्यूचर तथा ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट और कमोडिटीज के फ्यूचर तथा ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट ट्रेड किये जाते हैं। आइए अब इन एसेट्स में किन तरीकों से ट्रेडिंग करी जाती है उसे समझते हैं।

स्टॉक्स में ट्रेडिंग: स्टॉक में ट्रेडिंग मुख्यतः दो तरीके से करी जा सकती है, पहला इंट्रा-डे ट्रेडिंग, जिसमें किसी स्टॉक को एक ही ट्रेडिंग दिन में (सुबह 9:15 से दोपहर 3:30 बजे के बीच) खरीद कर बेच दिया जाता है और दूसरा लंबी अवधि के लिए निवेश जहाँ स्टॉक को एक दिन के बाद कभी बेचा जाता है।

स्टॉक्स के फ्यूचर तथा ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट: शेयर बाजार में होने वाली फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग इसी का उदाहरण है। इस प्रकार की ट्रेडिंग में सीधे स्टॉक नहीं खरीदे जाते बल्कि स्टॉक्स से जुड़े अनुबंध या कॉन्ट्रैक्ट खरीदे-बेचे जाते हैं।

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कमोडिटीज के फ्यूचर तथा ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट: ये भी फ्यूचर्स एंड ऑप्शन ट्रेडिंग का ही एक प्रकार है, लेकिन यहाँ ट्रेड होने वाले कॉन्ट्रैक्ट में अंतर्निहित संपत्ति कोई स्टॉक न होकर कमोडिटी होती है जैसे सोना, चांदी, क्रूड ऑयल इत्यादि।

ट्रेडिंग कैसे सीखें

आइए अब समझते हैं कि, आप ट्रेडिंग कैसे सीख सकते हैं। जहाँ लंबी अवधि के निवेश में निवेशकों को कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस यानी कंपनी के बिजनेस मॉडल, उसके फाइनेंशियल आँकड़े, मैनेजमेंट और उत्पादों की गुणवत्ता जैसे पहलुओं पर फोकस किया जाता है, वहीं ट्रेडिंग (Trading) की स्थिति में कंपनी के टेक्निकल एनलिसिस पर अधिक जोर दिया जाता है।

टेक्निकल एनालिसिस विश्लेषण का एक ऐसा तरीका है, जहाँ किसी स्टॉक के पास्ट परफॉर्मेंस और वॉल्यूम डेटा का अध्ययन करते हुए उसकी कीमतों के संबंध में भविष्यवाणी करी जाती है। इसमें मुख्यतः चार्ट्स पैटर्न और तकनीकी संकेतकों (Technical Indicators) का उपयोग किया जाता है।

दरअसल बाजार में निवेशकों की मनोदशा एक अहम भूमिका निभाती है और ट्रेडिंग चार्ट में इसे अलग-अलग पैटर्न के रूप में देखा जा सकता है। इन्हीं पैटर्न का इस्तेमाल ट्रेडिंग में किया जाता है। निवेशकों को लगता है कि, किसी विशेष पैटर्न के रिपीट होने पर बाजार की दिशा वही रहेगी जैसा भूतकाल में हुआ था।

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हालांकि यह एनालिसिस सौ फीसदी सही नहीं होता, किन्तु अधिकांश स्थिति में सही साबित होता है। चार्ट पैटर्न के अलावा ट्रेडिंग में कुछ संकेतकों का इस्तेमाल भी किया जाता है जैसे ट्रेंड इंडिकेटर, मूमेंटम इंडिकेटर, वॉल्यूम इंडिकेटर इत्यादि।

इंडिकेटर गणितीय टूल्स होते हैं, जो वित्तीय डेटा का विश्लेषण करते हैं और किसी स्टॉक, डेरिवेटिव आदि के भविष्य की कीमतों के बारे में संकेत देते हैं। टेक्निकल एनालिसिस के अलावा नीचे बताई गई कुछ अन्य जरूरी बातें भी ट्रेडिंग सीखने में आपकी मदद कर सकती हैं।

#1 प्रेक्टिस के लिए पेपर ट्रेडिंग का इस्तेमाल करना

ट्रेडिंग में अनुभव और पूर्ण आत्मविश्वास प्राप्त करने के लिए पेपर ट्रेडिंग एक बेहतरीन विकल्प है। पेपर ट्रेडिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें वास्तविक पैसे का उपयोग किए बिना एक डेमो अकाउंट के माध्यम से ट्रेडिंग करी जाती है।

चूँकि पेपर ट्रेडिंग में वर्चुअल मनी का उपयोग किया जाता है अतः इसकी सहायता से किसी नुकसान की संभावना के बिना आप ट्रेडिंग का अभ्यास कर सकते हैं, ट्रेडिंग के लिए नई रणनीतियाँ बना सकते हैं और ट्रेडिंग की अलग-अलग तकनीकों को सीख सकते हैं।

पेपर या वर्चुअल ट्रेडिंग करना बेहद आसान है, इसके लिए सबसे पहले किसी पेपर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का चयन करें और अपना अकाउंट सेट-अप करें। Thinkorswim तथा TradingView ऐसे ही प्लेटफ़ॉर्म हैं जो आपको पेपर ट्रेडिंग की सुविधा मुहैया करवाते हैं। अकाउंट सेट-अप हो जाने के बाद आप यहाँ अपने मनचाहे ट्रेड ले सकते हैं और अभ्यास कर सकते हैं।

#2 ट्रेडिंग से जुड़ी किताबें और ई-बुक्स

किताबें भी ट्रेडिंग सीखने का एक बेहतरीन तरीका हो सकती हैं। किताबें या ई-बुक्स ट्रेडिंग के संबंध में बुनियादी समझ विकसित करने से लेकर व्यापक जानकारी हासिल करने में खासा मदद करती हैं। एक शुरुआती ट्रेडर के तौर पर आप दुनियाँ भर के सफल निवेशकों द्वारा लिखी गई किताबें पढ़ सकते हैं और ट्रेडिंग के संबंध में नई रणनीतियों एवं ट्रेडिंग की नई तकनीकों को सीख सकते हैं।

ऐसी कुछ प्रमुख किताबों में निम्नलिखित शामिल हैं, जिन्हें आप ट्रेडिंग सीखने के लिए पढ़ सकते हैं

  • “ए रैंडम वॉक डाउन वॉल स्ट्रीट” – बर्टन जी. माल्कीएल
  • “ट्रेडिंग इन द ज़ोन” – मार्क डगलस
  • “टेक्निकल एनालिसिस ऑफ द फाइनेंशियल मार्केट्स” – जॉन जे. मर्फी
  • “मार्केट विज़ार्ड्स” – जैक डी. श्वेगर
  • “हाउ टू मेक मनी इन स्टॉक्स” – विलियम जे. ओ’नील
  • “द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर” – बेंजामिन ग्राहम

#3 ऑनलाइन ट्रेडिंग कोर्स

वर्तमान में खाना बनाने से लेकर गाना गाने तक विभिन्न प्रकार के स्किल्स इंटरनेट के माध्यम से सीखे जा सकते हैं। ट्रेडिंग सीखने के लिए भी आप इंटरनेट का सहारा ले सकते हैं। इंटरनेट पर Coursera, Udemy और Skillshare जैसे अनेकों प्लेटफ़ॉर्म हैं जहाँ कई सफल ट्रेडर फ्री में अथवा कुछ शुल्क के साथ अपने कोर्स लॉन्च करते हैं तथा ट्रेडिंग की अपनी यात्रा को सांझा करते हुए ट्रेडिंग सीखने में लोगों की मदद करते हैं।

इन कोर्सेज में वीडियो लेक्चर, प्रैक्टिकल असाइनमेंट्स और लाइव सेशन के माध्यम से ट्रेडिंग की बुनियादी बातों से लेकर इसकी उन्नत तकनीकें सिखाई जाती हैं। इसके साथ ही कई संस्थाएं कोर्स के पूरा होने पर प्रमाणपत्र भी प्रदान करती हैं।

#4 ट्रेडिंग वेबिनार

वेबिनार एवं वर्कशॉप्स, सीखने के इंटरएक्टिव तथा प्रैक्टिकल तरीके हैं। इनमें विशेषज्ञ लाइव सेशन के माध्यम से किसी विषय विशेष की जटिलताओं को आसान भाषा में समझाते हैं। ट्रेडिंग से जुड़े वेबिनार भी समय-समय पर आयोजित होते रहते हैं, जिनसे जुड़कर आप इस संबंध में अपनी जानकारी को बढ़ा सकते हैं साथ ही यहाँ आपको विशेषज्ञों के साथ सवाल-जवाब करने का अवसर भी प्राप्त होता है।

इस तरीके के वेबिनार Zerodha Varsity, Interactive Brokers और Investopedia Academy जैसे प्लेटफॉर्म्स पर नियमित रूप से आयोजित होते हैं, जो शुरुआती और अनुभवी दोनों प्रकार के ट्रेडर्स के लिए उपयोगी हैं।

#5 ट्रेडिंग ग्रुप्स और कम्युनिटीज से जुड़ना

एक ट्रेडर के तौर पर ट्रेडिंग ग्रुप्स और कम्युनिटीज से जुड़ना आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। यहाँ आप ट्रेडिंग से जुड़े नए पैंतरे सीखने के साथ-साथ अन्य ट्रेडर्स के वास्तविक अनुभवों को भी जान सकते हैं।

ऐसे प्लेटफॉर्म्स आपको न केवल निजी अनुभवों से रू-ब-रू करवाते हैं, बल्कि बाजार के रुझानों तथा हाल की समसामयिक घटनाओं से भी आपको अपडेट रखते हैं। Discord, Telegram, Facebook, Whatsapp कुछ ऐसे प्लेटफ़ॉर्म हैं जहाँ ऐसी कम्युनिटीज बनाई जा सकती हैं।

#6 फाइनेंशियल न्यूज और आर्टिकल्स पढ़ना

हालांकि ट्रेडिंग में किसी स्टॉक के फंडामेंटल एनालिसिस पर अधिक जोर नहीं दिया जाता, लेकिन बाजार से जुड़ी खबरों से अपडेट रहना किसी ट्रेडर के लिए भी बहुत जरूरी है। वैश्विक घटनाएँ, आर्थिक रिपोर्ट्स, कंपनियों के परिणाम और केंद्रीय बैंकों की नीतियाँ सीधे तौर पर बाजारों को प्रभावित करती हैं। इन जानकारियों के जरिए ट्रेडर्स को बाजार के रुझान और संभावित बदलावों का पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलती है।

ट्रेडिंग करने से पहले ध्यान रखें ये बातें

आइए अब जानते हैं कुछ ऐसी बातों या ऐसे कुछ नियमों को जिनका पालन ट्रेडिंग के दौरान करना शेयर मार्केट में एक कामयाब ट्रेडर बनने हेतु प्रत्येक व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है।

#1 ट्रेड लेने के दौरान स्टॉप लॉस सेट करें

चाहे आप वर्चुअल ट्रेडिंग कर रहे हों अथवा वास्तविक ट्रेडिंग, ट्रेड लेने के दौरान स्टॉप लॉस सेट करना आपकी आदत में होना बहुत जरूरी है। स्टॉप लॉस किसी ट्रेड की वह निचली कीमत होती है, जिस कीमत पर स्टॉक के पहुंचते ही आपका ट्रेड खुद स्क्वायर ऑफ हो जाता है अर्थात स्वतः बिक जाता है।

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इसका इस्तेमाल असीमित नुकसान को कम करने के लिए किया जाता है। स्टॉप लॉस को उस स्तर पर सेट करना चाहिए, जितना नुकसान आप आसानी से वहन करने में सक्षम हैं।

#2 लेवरेज का इस्तेमाल ना करें

तकरीबन सभी ब्रोकरेज फर्म अपने ग्राहकों को ट्रेडिंग करने के लिए लेवरेज की सुविधा देते है। यह एक प्रकार का उधार होता है, जिसका इस्तेमाल कर आप अपने खाते में मौजूद धनराशि से 20 गुना तक बड़ा ट्रेड ले सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपके खाते में 10,000 रुपये हैं तो आप दो लाख रुपये तक का ट्रेड आसानी से ले सकते हैं।

शुरुआती ट्रेडर बड़ा मुनाफा कमाने के लालच में लेवरेज का इस्तेमाल करते हैं और नुकसान होने की स्थिति में उनकी जमापूँजी तो डूबती ही है साथ ही उन पर कर्ज भी चढ़ता है।

#3 क्षमता के अनुसार ट्रेड लें

अधिकांश शुरुआती निवेशक बड़ा ट्रेड लेकर अधिक मुनाफा कमाने की सोचते हैं और पूरा पैसा केवल एक ट्रेड में लगा देते हैं, आपको इससे बचना चाहिए। ट्रेडिंग के लिए आपके पास जितनी भी पूंजी है उसका कम से कम 10 फीसदी ही एक सिंगल ट्रेड में निवेश करना चाहिए।

#4 ट्रेडिंग के दौरान समझदारी

ट्रेडिंग के दौरान आपको भावुक होने की कतई जरूरत नहीं है, ट्रेड तभी लें जब आप अपनी आजमाई तकनीकों एवं रणनीतियों के अनुसार उस ट्रेड को लेने की स्थिति में हों। आपको ध्यान देना चाहिए कि प्रत्येक दिन, जबकि आप बाजार का विश्लेषण कर रहे हैं आपको ट्रेड लेने की आवश्यकता नहीं हैं, केवल तभी ट्रेड लें जब आप पूरी तरह उसके प्रति आश्वस्त हों।

सार-संक्षेप

ट्रेडिंग किसी संपत्ति को खरीदने-बेचने की प्रक्रिया को कहा जाता है। शेयर बाजार में ट्रेडिंग वह प्रक्रिया है जिसमें ट्रेडर स्टॉक्स, बॉन्ड या अन्य वित्तीय उपकरणों को खरीदते और बेचते हैं, ताकि उन्हें मुनाफा हो सके। स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करना बेहद जोखिम भरा होता है, लेकिन सही जानकारी और रणनीति के साथ इसमें अच्छा लाभ भी अर्जित किया जा सकता है।

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