आयकर (Income Tax) केंद्र सरकार द्वारा देश के निवासियों से सीधे तौर पर वसूला जाने वाला एक टैक्स है। यह टैक्स किसी व्यक्ति की एक वित्त वर्ष के भीतर समस्त स्रोतों से हुई आय पर लगाया जाता है, जबकि वह आय एक सीमा से अधिक हो। वर्तमान में आय की यह सीमा 5 लाख रुपये है।
लेकिन इस सीमा से अधिक की आय होने पर भी टैक्स से बचा जा सकता है। कुछ विशेष रणनीतिक निवेश विकल्पों का इस्तेमाल करते हुए टैक्सपेयर अपनी करयोग्य आय को कम कर सकते हैं, दूसरे शब्दों में टैक्स से छूट का लाभ ले सकते हैं। टैक्सपेयर्स को ये सुविधा आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत प्रदान करी गई है।
आयकर कानून की धारा 80सी क्या है?
देश में आयकर से जुड़े सभी नियमों और प्रावधानों को प्रवतत करने के लिए आयकर अधिनियम, 1961 लागू किया गया है। आयकर अधिनियम की धारा 80C करदाताओं को रणनीतिक निवेश के माध्यम से उनकी कुल कर योग्य आय या टैक्स देनदारी (Tax Liability) को कम करने का अवसर देती है।
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धारा 80सी के अनुसार कोई व्यक्ति तथा हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) कुछ चुनिंदा विकल्पों में निवेश कर अधिकतम ₹1,50,000 तक की कर कटौती का लाभ उठा सकता है। यह धारा टैक्स में छूट प्राप्त करने के साथ-साथ दीर्घकालिक बचत को भी प्रोत्साहित करती है।
धारा 80सी के तहत किन लोगों को मिलेगा लाभ
आयकर कानून की धारा 80सी के तहत केवल व्यक्तिगत करदाता और हिंदू अविभाजित परिवार को ही टैक्स में छूट प्रदान करी गई है। इसका लाभ कंपनियों, पार्टनरशिप फर्मों या किसी अन्य इकाई को नहीं मिलता।
- व्यक्तिगत करदाता (Individuals)
सभी भारतीय निवासी और गैर-निवासी (NRIs) धारा 80C के तहत कर कटौती का दावा कर सकते हैं। इनमें वेतनभोगी कर्मचारी (Salaried Employee) और स्व-नियोजित पेशेवर जैसे व्यवसायी, डॉक्टर, वकील, फ्रीलांसर इत्यादि शामिल हैं। ये करदाता विभिन्न निवेश विकल्पों के माध्यम से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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गौरतलब है कि, वरिष्ठ नागरिक भी व्यक्तिगत करदाता की श्रेणी में ही आते हैं, लेकिन वे आयकर की धारा 80सी के तहत सूचीबद्ध सभी निवेश विकल्पों के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) जैसे विशेष विकल्पों का उपयोग भी कर सकते हैं।
- हिंदू अविभाजित परिवार (HUF)
हिंदू अविभाजित परिवार एक कानूनी इकाई है, जो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत परिवार के सदस्यों के समूह को दर्शाती है। यह परिवार संयुक्त रूप से किसी संपत्ति का स्वामित्व रखता है, जिसे वंशानुगत रूप से या किसी योगदान के माध्यम से प्राप्त किया गया हो। आयकर अधिनियम, 1961 के तहत, HUF को एक अलग कर योग्य इकाई माना जाता है और यह धारा 80C जैसी कटौतियों के लिए पात्र है।
- ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम
वर्तमान में आयकर की दो भिन्न टैक्स प्रणालियाँ, पुरानी टैक्स प्रणाली (Old Tax Regime) तथा नई टैक्स प्रणाली (New Tax Regime) चलन में हैं।
आपको बता दें कि, धारा 80C केवल पुरानी टैक्स प्रणाली में ही लागू होती है। नई टैक्स प्रणाली में मानक कटौती (Standard Deduction) के अलावा, अन्य कटौतियों का दावा नहीं किया जा सकता। इसलिए यदि आप धारा 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ चाहते हैं, तो आपको पुरानी टैक्स प्रणाली को चुनना होगा।
धारा 80सी के तहत निवेश के विकल्प
आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्स बचत करने के लिए करदाताओं को विभिन्न प्रकार के विकल्प दिए गए हैं। इन्हें निम्नलिखित तीन श्रेणियों में शामिल किया जा सकता है
- निवेश योजनाएं
- बचत योजनाएँ
- कुछ विशेष व्यय
धारा 80सी में बचत एवं निवेश के साथ-साथ कुछ खर्चों को भी शामिल किया गया है, जिन पर टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। साथ ही बता दें 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट सभी निवेश विकल्पों के लिए संयुक्त रूप से है न कि प्रत्येक के लिए स्वतंत्र रूप से।
80सी के तहत बचत योजनाएं
बचत योजनाओं के अंतर्गत कुछ प्रमुख योजनाएं निम्नलिखित हैं
- कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
कर्मचारी भविष्य निधि वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक अनिवार्य बचत योजना है, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान होता है। EPF खाते में नियोक्ता द्वारा किया गया योगदान टैक्स से बाहर होता है, जबकि कर्मचारी द्वारा किये गए योगदान पर धारा 80सी के तहत छूट प्राप्त करी जा सकती है।
- सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF)
सार्वजनिक भविष्य निधि या पब्लिक प्रोविडेंट फंड भारत सरकार द्वारा संचालित एक दीर्घकालिक बचत और निवेश योजना है। इसमें प्रतिवर्ष 500 रुपये से 1.5 लाख रुपये तक का निवेश किया जा सकता है। आयकर अधिनियम 80C के तहत PPF में किया गया निवेश तथा यहाँ से मिलने वाला ब्याज दोनों इनकम टैक्स से मुक्त होते हैं।
- टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट
टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट का लॉक-इन पीरियड पाँच वर्षों का होता है। इसमें प्रतिवर्ष 1.5 लाख रुपये तक का निवेश किया जा सकता है, जो टैक्स के दायरे से बाहर होता है।
- सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) की शुरुआत करी गई है। कोई भी माता-पिता इस योजना के तहत अपनी 10 वर्ष से कम उम्र की बेटी का खाता खुलवा सकते हैं, जो बेटी के 21 वर्ष का होने या 18 वर्ष की आयु के बाद उसकी शादी होने पर परिपक्व हो जाता है।
- सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS)
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS), योजना में 60 वर्ष से अधिक की आयु का कोई भी व्यक्ति तथा 55 से 60 वर्ष की आयु वर्ग के ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारी, जिन्होंने वोलंटरी रिटायर्मेंट स्कीम (VRS) को चुना हो निवेश कर सकते हैं। इसकी लॉक-इन अवधि 5 वर्ष की है, जिसमें 1000 से 30 लाख तक निवेश किया जा सकता है।
- जीवन बीमा प्रीमियम
करदाता स्वयं के, अपने जीवनसाथी और अपने बच्चों के लिए खरीदी गई जीवन बीमा पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान पर सालाना 1.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
- अन्य बचत योजनाएं
कुछ अन्य बचत योजनाएं भी हैं, जिन पर धारा 80सी के तहत टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकता है। इनमें प्रधानमंत्री वय वंदना योजना, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट आदि शामिल हैं।
80सी के तहत निवेश योजनाएं
निवेश योजनाओं के अंतर्गत कुछ प्रमुख योजनाएं निम्नलिखित हैं
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) म्यूचुअल फंड का एक प्रकार है और इसमें तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है। धारा 80C के तहत आने वाली किसी भी अन्य निवेश योजना की तुलना में यहाँ किया गया निवेश अधिक रिटर्न देता है हालांकि इसमें जोखिम भी दूसरे विकल्पों से अधिक होता है।
- यूनिट-लिंक्ड बीमा की योजना (ULIP)
यूनिट-लिंक्ड बीमा की योजना या यूलिप, निवेश और बीमा योजना का संयोजन है। आपका पैसा लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी और म्यूचुअल फंड के बीच विभाजित किया जाता है। इस योजना में निवेश की गई राशि कम से कम 5 वर्षों की अवधि तक के लिए निवेश की जाती है।
- नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) का उद्देश्य निवेशकों को उनके रिटायरमेंट के पश्चात मासिक आय प्रदान करना है। यहाँ निवेश की गई राशि को सरकार द्वारा चुने गए फंड मैनेजरों के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों जैसे शेयर बाज़ार, सरकारी बॉन्ड इत्यादि में निवेश किया जाता है।
आयकर अधिनियम की धारा 80CCD (1B) के तहत राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में किए गए योगदान पर अतिरिक्त ₹50,000 की टैक्स छूट भी मिलती है। यह छूट धारा 80C की ₹1.5 लाख की सीमा के ऊपर होती है, यानी राष्ट्रीय पेंशन योजना के माध्यम से कुल दो लाख तक की टैक्स छूट ली जा सकती है।
80सी के तहत खर्चों पर छूट
धारा 80सी के तहत कुछ विशेष खर्चों पर भी टैक्स से छूट प्रदान करी जाती है। ऐसे कुछ मुख्य व्यय निम्न हैं।
- बच्चों की ट्यूशन फीस
आयकर कानून की धारा 80सी के तहत करदाता अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा के लिए ट्यूशन फीस पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। गौरतलब है कि, ये दावा केवल दो बच्चों की ट्यूशन फीस के लिए ही किया जा सकता है। इसके साथ ही हिन्दू अविभाजित परिवार (HUFs) इस छूट का लाभ नहीं ले सकते हैं।
- होम लोन के प्रिंसिपल का भुगतान
घर खरीदने या बनाने के लिए लिया गया लोन धारा 80C के तहत कवर होता है, अतः इसके प्रिंसिपल अमाउंट के भुगतान पर सेक्शन 80C के तहत साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक की छूट मिलती है। वहीं आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत इस लोन का ब्याज भी कटौती के लिए योग्य है।
सार-संक्षेप
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80C करदाताओं को विभिन्न बचत एवं निवेश योजनाओं तथा कुछ खर्चों पर इनकम टैक्स छूट प्राप्त करने का बेहतरीन अवसर प्रदान करती है।
इसके तहत मुख्य रूप से पब्लिक प्रोविडेंट फंड, नेशनल पेंशन स्कीम, एम्प्लोयी प्रोविडेंट फंड, इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे कई विकल्प आते हैं।
गौरतलब है कि, सेक्शन 80सी के तहत एक वर्ष में कुल 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है और ये विकल्प केवल ऐसे करदाताओं के लिए है, जो व्यक्तिगत एवं HUFs हैं तथा जिन्होनें पुरानी टैक्स रिजीम का चुनाव किया है।