EBITDA in Hindi: शेयर बाजार में निवेश करना वर्तमान दौर में बेहद आम होता जा रहा है, इंटरनेट की लगातार बढ़ती पहुँच के चलते आज कोई व्यक्ति अपने स्मार्टफोन से घर बैठे मिनटों में भारत समेत दुनियाँ की किसी भी कंपनी के स्टॉक्स खरीद या बेच सकता है।
शेयर बाजार में निवेश करना भले ही आसान होता जा रहा हो लेकिन अच्छे रिटर्न के लिए किस कंपनी में निवेश किया जाए यह समझना अभी भी बहुत जटिल कार्य है और इसका एक मुख्य कारण है कंपनी के बारे में उपलब्ध जानकारियों का जटिल रूप में होना।
कोई भी कंपनी जो शेयर बाजार में लिस्टेड है अपने बिजनेस के संबंध में कई प्रकार की सूचनाएं, आँकड़े इत्यादि सार्वजनिक करती है लेकिन दुविधा ये है कि इन आंकड़ों को समझना और इनके आधार पर कोई निष्कर्ष निकालना एक आम निवेशक के लिए बहुत मुश्किल होता है
इसी को ध्यान में रखते हुए आज हम किसी कंपनी से संबंधित एक महत्वपूर्ण शब्दावली के बारे में चर्चा करने जा रहे है, जिसे EBITDA कहा जाता है। इस लेख में आगे विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे EBITDA क्या है? EBITDA की फुल फॉर्म क्या है? इसकी गणना कैसे करी जाती है तथा EBITDA की सहायता से किसी कंपनी के बारे में क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
EBITDA क्या है?
EBITDA की फुल फॉर्म या इसका पूरा नाम Earnings Before Interest, Taxes, and Amortization होता है, यह किसी भी कंपनी की आय को प्रदर्शित करता है। किसी भी कंपनी का शुद्ध मुनाफा उसकी कुल आय से उसके सभी खर्चों को घटाने के बाद प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए यदि जूते बनाने वाली कोई कंपनी साल भर में 1 करोड़ रुपये की आय अर्जित करती है तो इसमें से उसके सभी खर्चों जैसे जूते बनाने की लागत, ब्याज, टैक्स इत्यादि को घटा दिया जाए तो हमें कंपनी को होने वाले शुद्ध मुनाफे के बारे में पता चल सकता है।
लेकिन यदि कंपनी की कुल आय से Interest, Taxes, Depreciation और Amortization को छोड़कर अन्य खर्चों को घटा दिया जाए तो कंपनी की इस आय को EBITDA कहा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो EBITDA कंपनी की वह आय होती है, जिसमें से अभी कंपनी द्वारा लिए गए किसी लोन के ब्याज, टैक्स, डेप्रिसिएशन तथा परिशोधन या Amortization को घटाया जाना शेष है।
आइए इसे एक उदाहरण की सहायता से समझने का प्रयास करते हैं। मान लें ABC कोई कंपनी है, जो जूते बनाती है और एक साल में 1 करोड़ रुपये की आय अर्जित करती है, वहीं कंपनी का कुल खर्च नीचे बताए गए अनुसार होता है-
खर्चे | धनराशि |
---|---|
जूते की फैक्ट्री लगाने का खर्च | 10 लाख |
कच्चा माल खरीदने का खर्च | 20 लाख |
लेबर लागत | 5 लाख |
मार्केटिंग | 10 लाख |
कुल | 45 लाख |
अब यदि कंपनी की कुल आय में से 45 लाख रुपयों को घटा दिया जाए तो प्राप्त 55 लाख रुपये की आय कंपनी का EBITDA होगा। EBITDA शेयर बाजार में निवेशकों द्वारा किसी कंपनी की लाभप्रदता अथवा प्रॉफिटेबिलिटी को जाँचने का एक महत्वपूर्ण टूल है, यह एक ही सेक्टर में एक कंपनी की दूसरी कंपनी से तुलना करने में भी सहायक होता है।
Depreciation तथा Amortization क्या हैं?
किसी कंपनी के अन्य सभी खर्चों जैसे उत्पादन की लागत, टैक्स, लोन पर ब्याज, मार्केटिंग और सेल्स इत्यादि को आप समझ चुके हैं लेकिन कंपनी के खर्चों में Depreciation तथा Amortization भी दो अहम खर्चे होते हैं, गौरतलब है कि EBITDA प्राप्त करने के लिए कुल आय से इन खर्चों को हटाया नहीं जाता है। आइए समझते हैं आखिर Depreciation और Amortization क्या हैं?
कोई भी कंपनी, जो किसी वस्तु का उत्पादन कर रही है उसे विभिन्न प्रकार के भौतिक या Tangible Assets जैसे प्लांट, उपकरण, मशीनरी इत्यादि खरीदने की आवश्यकता होती है, लेकिन किसी भी भौतिक एसेट्स की एक आयु सीमा होती है अर्थात इस्तेमाल किये जाने पर एसेट्स साल दर साल अपनी कार्यक्षमता खोता रहता है इसी को Depreciation कहा जाता है अर्थात किसी वर्ष किसी कंपनी के भौतिक एसेट्स की कार्यक्षमता में होने वाली गिरावट को कंपनी के खर्च में Depreciation के तौर पर दिखाया जाता है।
यह भी पढ़ें:
- सिर्फ 50,000 रुपये से शुरू करें ये बिजनेस, लाखों में होगी कमाई
- डिबेंचर क्या है, ये कितने प्रकार के होते हैं और इनमें निवेश कैसे करें?
इसकी गणना किसी एसेट की कीमत से उसकी अनुमानित आयु को भाग देकर करी जा सकती है उदाहरण के लिए कोई कंपनी एक उपकरण 1 लाख रुपये में खरीदती है जिसकी अनुमानित आयु 25 साल है तो इस उपकरण की Depreciation वैल्यू 4000 रुपये प्रति वर्ष होगी। इसके अलावा Amortization की बात करें तो Non-Tangible Assets के मूल्य ह्रास को Amortization कहा जाता है, उदाहरण के लिए पेटेंट, कोई टेक्नोलॉजी, सॉफ्टवेयर, ट्रेडमार्क आदि।
EBITDA से कया पता चलता है?
जैसा कि हमनें बताया EBITDA यानी Earnings before Interest, Taxes, Depreciation, and Amortization किसी एक क्षेत्र में कार्य कर रही कंपनियों के बीच तुलना करने में बहुत महत्वपूर्ण होता है।
EBITDA की सहायता से कोई निवेशक यह जान पाता है कि कोई कंपनी किसी उत्पाद को बेचकर वास्तविक रूप से कितना मुनाफा कमा रही है। किसी कंपनी का शुद्ध मुनाफा उसकी कुल आय से सभी खर्चों को घटाकर प्राप्त होता है जबकि टैक्स की दरें, मशीनरी का डेप्रिसिएशन इत्यादि खर्चे कंपनियों, भागोलिक स्थिति जैसे कारकों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं, दूसरे शब्दों में समान EBITDA वाली कंपनियों का शुद्ध मुनाफा भिन्न हो सकता है
अतः कंपनी के ऑपरेशन के बारे में सही अंदाजा लगाने के लिए EBITDA का इस्तेमाल किया जाता है। EBITDA का इस्तेमाल एसेट्स इंटेसिव क्षेत्र की कंपनियों के विश्लेषण में व्यापक रूप से किया जाता है उदाहरण के लिए ऐसी कंपनियां जहाँ विभिन्न प्रकार के ऐसेट्स, प्लांट, मशीनरी, उपकरण आदि का इस्तेमाल किया जाता है जैसे ऑइल & गैस कंपनी, टेलीकॉम क्षेत्र की कंपनी इत्यादि।
EBITDA की गणना कैसे करी जाती है ?
EBITDA की गणना कंपनी की शुद्ध आय से ब्याज, करों, मूल्यह्रास और परिशोधन के अलावा अन्य खर्चों को घटाकर की जाती है। फॉर्मूले की बात करें तो इसे EBITDA = Net Income + Interest + Taxes + Depreciation & Amortization या EBITDA = Operating Income + Depreciation + Amortization फॉर्मूले से निकाला जा सकता है।
क्या EBITDA देखकर निवेश किया जा सकता है?
निवेश से जुड़े निर्णय लेने में कई वित्तीय आँकड़े महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और EBITDA इन्हीं में से एक है, EBITDA मुख्यतः कुछ खर्चों को हटाकर कंपनी की आय होती है इसलिए आमतौर पर किसी कंपनी का जितना अधिक EBITDA होता है उसे उतना ही बेहतर समझा जाता है।
किन्तु केवल EBITDA के आधार पर किसी कंपनी में निवेश करना सही निर्णय नहीं होगा। चूँकि यह किसी कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य, मजबूत प्रबंधन और विकास की क्षमता का व्यापक दृष्टिकोण प्रदान नहीं करता अतः निवेश से पूर्व इसके साथ कंपनी से जुड़े अन्य वित्तीय मैट्रिक्स को भी देखा जाना चाहिए।