मेनबोर्ड तथा एसएमई आईपीओ क्या हैं और इनमें क्या अंतर हैं?

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आईपीओ यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग छोटी-बड़ी विभिन्न प्रकार की कंपनियों के लिए सार्वजनिक बाजार से पूंजी जुटाने का एक सामान्य तरीका है। IPOs के माध्यम से प्राइवेट कंपनियाँ अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए पब्लिक से पैसा इकट्ठा करती हैं और इसके बदले पब्लिक को उस कंपनी में हिस्सेदारी प्राप्त होती है।

बाजार में आने वाले आईपीओ सामान्यतः दो तरीके के होते हैं। इनमें पहला मेनबोर्ड आईपीओ (Mainboard IPO) जबकि दूसरा एसएमई आईपीओ (SME IPO) है। पब्लिक ऑफरिंग के ये दोनों प्रकार मेनबोर्ड तथा एसएमई क्या हैं, इन दोनों में क्या अंतर हैं तथा आपको किस आईपीओ में निवेश करना चाहिए इन सभी विषयों को हम आगे जानेंगे।

मेनबोर्ड आईपीओ क्या है?

मेनबोर्ड आईपीओ (Mainboard IPO) ऐसी कंपनियों की पब्लिक ऑफरिंग को कहा जाता है, जो सामान्यतः बड़ी तथा अच्छी तरह से स्थापित कंपनियाँ होती हैं। चूँकि ये आकार में बड़ी कंपनियाँ होती हैं अतः इनका इश्यू साइज़ (IPO के जरिये जुटाया जाने वाला पैसा) भी बड़ा, सामान्यतः कुछ सौ करोड़ से लेकर कई हजार करोड़ तक का होता है।

आईपीओ के पश्चात ये कंपनियाँ स्टॉक एक्सचेंज के मुख्य प्लेटफ़ॉर्म एनएसई तथा बीएसई पर लिस्ट होती हैं, इसीलिए इन्हें मेनबोर्ड या मेनलाइन आईपीओ कहा जाता है। मेनबोर्ड तथा एसएमई दोनों प्रकार के IPOs के लिए अलग-अलग नियम हैं, मेनबोर्ड की बात करें तो इसके लिए किसी कंपनी का पोस्ट-इश्यू-पेड-अप कैपिटल कम से कम 10 करोड़ रुपये होना अनिवार्य है।

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पेड-अप कैपिटल वह राशि होती है, जिसे एक कंपनी के शेयर जारी करके इसके शेयरधारकों (कंपनी के प्रमोटर्स सहित) से प्राप्त किया जाता है। अतः मेनबोर्ड आईपीओ की श्रेणी में आने के लिए किसी कंपनी का कुल पेड-अप कैपिटल, जिसमें आईपीओ से जुटाई धनराशि भी शामिल होगी, 10 करोड़ रुपये से कम नहीं होना चाहिए।

एसएमई आईपीओ क्या है?

SME का पूरा नाम “स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज” है। SME आईपीओ की व्यवस्था विशेष रूप से छोटे अथवा मध्यम साइज़ के उद्यमों के लिए करी गई है, ताकि वे भी सार्वजनिक बाजारों से पूंजी जुटा सकें।

SME की श्रेणी में आने के लिए किसी आईपीओ का कुल पोस्ट-इश्यू-पेड-अप कैपिटल 25 करोड़ रुपयों से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही मेनबोर्ड के विपरीत SMEs की स्थिति में आईपीओ के पश्चात कंपनियाँ स्टॉक एक्सचेंज के SME प्लेटफ़ॉर्म जैसे BSE SME तथा NSE EMERGE पर लिस्ट करी जाती हैं।

एसएमई तथा मेनबोर्ड आईपीओ में अंतर

मेनबोर्ड आईपीओ तथा एसएमई आईपीओ कई आधार पर एक दूसरे से भिन्न हैं, जैसे आईपीओ के लिए योग्यता मानक, पेड-अप कैपिटल, शेयरों के आवंटन की प्रक्रिया, कंपनी की लिस्टिंग तथा शेयरों की ट्रेडिंग इत्यादि। आइए मेनबोर्ड तथा एसएमई आईपीओ के बीच इन अंतरों को विस्तार से समझते हैं

अंतर का आधारएसएमई आईपीओमेनबोर्ड आईपीओ
परिभाषा छोटे अथवा मध्यम साइज़ के उद्यमों का पब्लिक इश्यू SME आईपीओ की श्रेणी में आता है।यह बड़ी कंपनियों का पब्लिक इश्यू होता है, जिनका कामकाज व्यापक और वित्तीय स्थिति मजबूत होती है
इश्यू के लिए योग्यता मानदंड एसएमई आईपीओ के लिए योग्यता मानदंड कम सख्त होते हैंयोग्यता मानदंड SME के मुकाबले बेहद कड़े होते हैं, जिन्हें सेबी द्वारा जाँचा जाता है
कुल पेड-अप कैपिटल पोस्ट-इश्यू पेड अप कैपिटल ₹25 करोड़ से अधिक नहीं होना चाहिएपोस्ट-इश्यू पेड अप कैपिटल कम से कम ₹10 करोड़ रुपये होना चाहिए
एक्सचेंज में लिस्टिंगये कंपनियाँ स्टॉक एक्सचेंज के SME प्लेटफ़ॉर्म में लिस्ट होती हैये स्टॉक एक्सचेंज के मेनबोर्ड प्लेटफ़ॉर्म पर लिस्ट होती है
आईपीओ अंडरराइटिंग(1)SME आईपीओ की स्थिति में 100% अंडरराइटिंग अनिवार्य होती है।यदि 50% आवंटन क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) को होता है, तो अंडरराइटिंग अनिवार्य नहीं होती है।
आईपीओ ऑफरिंग दस्तावेजआईपीओ का ड्राफ्ट या DRHP की जांच और समीक्षा स्टॉक एक्सचेंज द्वारा करी जाती हैDRHP की जांच और समीक्षा सेबी द्वारा करी जाती है, जो बहुत सख्त प्रकृति की होती है
सब्सक्राइबर्स की संख्याएसएमई आईपीओ में कम से कम 50 सब्सक्राइबर होने चाहिएमेनबोर्ड के लिए न्यूनतम सब्सक्राइबर्स की संख्या 1000 होनी चाहिए
न्यूनतम आवेदन कीमतSME आईपीओ में एक लॉट की कीमत सामान्यतः एक से डेढ़ लाख रुपये के बीच होती हैमेनबोर्ड आईपीओ में एक लॉट की कीमत 10 से 15 हजार रुपये के बीच होती है
मार्केट मेकिंग की आवश्यकता(2)इश्यू के पश्चात ‘मार्केट मेकर’ की आवश्यकता होती हैपोस्ट-इश्यू मार्केट मेकर की आवश्यकता नहीं होती
आईपीओ की समयावधि SME आईपीओ के पब्लिक इश्यू में 3 से 4 महीनों का समय लगता हैमेनबोर्ड आईपीओ के इश्यू में करीब 6 महीनों का समय लगता है
पोस्ट-आईपीओ रिपोर्टिंगछमाही रूप से वित्तीय स्टेटमेंट्स का ऑडिट करवाना होता हैमेनबोर्ड में कंपनी के लिए तिमाही रिपोर्टिंग अनिवार्य होती है
एक्सचेंज पर स्टॉक ट्रेडिंग SME प्लेटफ़ॉर्म पर लिस्ट होने के बाद भी कंपनी के स्टॉक्स की ट्रेडिंग केवल लॉट में ही होती हैमेनबोर्ड प्लेटफ़ॉर्म पर लिस्ट होने के बाद स्टॉक को रिटेल में खरीदा या बेचा जा सकता है

(1) आईपीओ अंडरराइटिंग: आईपीओ अंडरराइटिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें किसी आईपीओ के दौरान इश्यू करने वाली कंपनी को गारंटर के तौर पर किसी वित्तीय संस्था को पेश करना होता है। ये संस्था इस बात की गारंटी देती है कि, यदि कंपनी को आपेक्षित निवेशक नहीं मिलते हैं, तो अंडरराइटर खुद बचे हुए शेयर खरीदेगा।

(2) मार्केट मेकिंग: बाजार में मार्केट मेकिंग एक प्रक्रिया है, जिसके तहत सामान्यतः कोई वित्तीय संस्था जैसे इन्वेस्टमेंट बैंक, ब्रोकरेज फर्म इत्यादि स्टॉक्स, बॉन्ड एवं अन्य वित्तीय उपकरणों में तरलता (Liquidity) लाने का काम करते हैं। इन संस्थाओं को ‘मार्केट मेकर’ कहा जाता है, यहाँ तरलता से मतलब है कि ये संस्थाएं बाजार में खरीदने और बेचने की प्रक्रिया को निरंतर सुचारू रखते हैं।

किस आईपीओ में करें निवेश?

किसी आईपीओ में किया गया निवेश कितना सफल होगा यह बहुत हद तक उस कंपनी तथा उसके कारोबार पर निर्भर करता है। लेकिन दोनों IPOs में जोखिम की बात करें तो एसएमई आईपीओ, मेनबोर्ड आईपीओ की तुलना में अधिक जोखिम भरे होते हैं। SMEs, मेनबोर्ड कंपनियों की तुलना में बहुत छोटी और आर्थिक रूप से अस्थिर प्रकृति की होती हैं, लिहाजा इन कंपनियों में किये गए निवेश पर जोखिम अधिक बना रहता है।

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इसके अलावा लिस्टिंग के बाद SME स्टॉक्स की ट्रेडिंग केवल लॉट में की जा सकती है। चूँकि इनके एक लॉट की कीमत लाखों में होती है, जिसके चलते यहाँ तरलता (Liquidity) की भी कमी रहती है।

वहीं इसमें निवेश के फ़ायदों को देखें तो SMEs छोटे आकार की कंपनियाँ होती हैं, जिनके ग्रोथ की संभावना बहुत अधिक होती है और इसके चलते ये भविष्य में किसी निवेशक के लिए मल्टीबैगर भी साबित हो सकती हैं।

सार-संक्षेप

इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग या IPO एक प्रक्रिया है, जिसके तहत कोई प्राइवेट कंपनी पहली दफा, पब्लिक से पूंजी जुटाने का काम करती है और इसके बदले पब्लिक को अपनी कंपनी में हिस्सेदार बनाती है। कंपनी के कारोबार के अनुसार ये आईपीओ दो तरीकों के होते हैं, जिनमें मेनबोर्ड आईपीओ तथा SME आईपीओ शामिल हैं।

मेनबोर्ड आईपीओ सामान्यतः बड़ी और अच्छी तरह से स्थापित कंपनियों के पब्लिक इश्यू को कहा जाता है, जो किसी आईपीओ से सैकड़ों या हजारों करोड़ रुपये जुटाती हैं। मेनबोर्ड एवं एसएमई दोनों प्रकार के आईपीओ के लिए आवेदन की प्रक्रिया, आईपीओ की योग्यता, कुल पेड-अप कैपिटल समेत अन्य शर्तें अलग-अलग होती हैं।

छोटे एवं मध्यम साइज़ के उद्यम भी पब्लिक इश्यू के जरिए सार्वजनिक बाजार से पूंजी जुटा सकें इसके लिए SME आईपीओ की व्यवस्था करी गई है। एसएमई कंपनियों की ट्रेडिंग के लिए स्टॉक एक्सचेंज द्वारा भिन्न प्लेटफ़ॉर्म डिजाइन किये गए हैं, इनमें एनएसई का NSE EMERGE तथा बीएसई का BSE SME शामिल है।