बैंकिंग लोकपाल क्या है और अपनी शिकायत लोकपाल के पास कैसे दर्ज करें?

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भारतीय रिजर्व बैंक देश में छोटे-बड़े सभी बैंकों के नियामक के रूप में कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता है कि, बैंकिंग सेवाएँ पारदर्शी और सुरक्षित हों। इसी क्रम में केन्द्रीय बैंक द्वारा बैंकिंग लोकपाल योजना (Banking Ombudsman Scheme) की शुरुआत भी करी गई है।

इस योजना का उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं से जुड़ी ग्राहकों की समस्याओं तथा शिकायतों को सुनना और उनका निवारण करना है। आइए इस लेख के माध्यम से समझते हैं आखिर बैंकिंग लोकपाल क्या है, यह कैसे काम करता है तथा बैंक से जुड़ी अपनी शिकायतों को बैंकिंग लोकपाल के पास किस प्रकार दर्ज कर सकते हैं?

बैंकिंग लोकपाल क्या है?

बैंकिंग लोकपाल या बैंकिंग ओम्बड्समैन एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा बैंक के ग्राहकों की शिकायतों को सुनने और उनका निवारण करने के लिए स्थापित किया गया है। लोकपाल दरअसल एक स्वतंत्र और निष्पक्ष अधिकारी होता है, जिसकी नियुक्ति केन्द्रीय बैंक द्वारा करी जाती है।

“Ombudsman” स्वीडिश शब्द “Ombud” से लिया गया है, जिसका अर्थ “प्रतिनिधि” होता है। इस प्रकार ओम्बड्समैन का इस्तेमाल ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जो किसी संगठन, संस्थान या सरकारी एजेंसी के खिलाफ नागरिकों, ग्राहकों या कर्मचारियों की शिकायतों और विवादों को सुनता है और उनका समाधान करता है।

बैंकिंग लोकपाल योजना क्या है?

यदि ग्राहक बैंकिंग सेवाओं से संतुष्ट नहीं हैं तथा बैंक के स्तर पर उनकी शिकायतों को नहीं सुना जा रहा है, तो इस स्थिति में ग्राहकों की समस्याओं का निवारण करने के लिए बैंकिंग लोकपाल योजना की शुरुआत करी गई है। बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 35A में बैंकिंग लोकपाल योजना के बारे में बताया गया है।

हालांकि इस योजना को सबसे पहले साल 1995 में शुरू किया गया था लेकिन इसके वर्तमान प्रारूप की शुरुआत 2006 में हुई, जिसके बाद से समय के साथ इसमें कई संशोधन भी किए जा चुके हैं।

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2021 में हुए लेटेस्ट संशोधन के तहत अब रिजर्व बैंक की तीन अलग-अलग लोकपाल योजनाओं 2006 की बैंकिंग लोकपाल योजना, 2018 की एनबीएफसी के लिए लोकपाल योजना और 2019 की डिजिटल लेन-देन की लोकपाल योजना को एकीकृत करते हुए इसे एकीकृत बैंकिंग लोकपाल योजना का नाम दिया गया है।

बैंकिंग लोकपाल की नियुक्ति

बैंकिंग लोकपाल की नियुक्ति रिजर्व बैंक द्वारा करी जाती है। इस पद पर नियुक्त होने के लिए किसी व्यक्ति को कानूनी, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं तथा लोक प्रशासन के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्ति होना चाहिए।

लोकपाल (Banking Ombudsman) की नियुक्ति सामान्यतः तीन वर्षों के लिए करी जाती है, लेकिन इनके कार्यकाल को दो वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते व्यक्ति की आयु 65 वर्ष से अधिक न हो।

शिकायत किये जाने का आधार

इंटरनेट बैंकिंग समेत अन्य बैंकिंग सेवाओं में किसी प्रकार की कमी होने पर बैंकिंग लोकपाल के समक्ष शिकायत दर्ज करी जा सकती हैं। शिकायत दर्ज करने के कुछ प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं-

  • ग्राहकों को अदायगी न करना या उसमें विलंब होना
  • चैकों, ड्राफ्टों, बिलों आदि की वसूली या भुगतान में असाधारण विलंब
  • कम मूल्य के नोटों तथा सिक्कों को बिना किसी पर्याप्त कारण के अस्वीकार करना
  • काम काज के निर्धारित समय का पालन न करना
  • किसी वैध कारण के बिना जमा खाता खोलने से मना करना
  • ग्राहक को पर्याप्त पूर्व सूचना दिए बिना कोई चार्ज लगाना
  • खाते को बंद करने से मना करना या उसमें विलंब करना
  • बैंक द्वारा अपनाई गई बेहतर व्यवहार संहिता का पालन न करना
  • बैंकों द्वारा वसूली एजेंटों के नियोजन में आरबीआई के नियमों का पालन न करना
  • बैंक द्वारा लिखित रूप में वचन दी गई बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने में देरी या उपलब्ध न करना
  • रिजर्व बैंक द्वारा बैंकिंग सेवाओं (चालू खाते, बचत खाते, एटीएम, क्रेडिट कार्ड इत्यादि) के संबंध में बनाए गए नियमों का पालन न करना
  • रिजर्व बैंक द्वारा भविष्य में शामिल किये जाने वाले अन्य आधार

बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत कैसे करें?

रिजर्व बैंक द्वारा वर्तमान में 24 बैंकिंग लोकपालों को नियुक्त किया गया है, जो अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले समस्त बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के ग्राहकों की शिकायतों को सुनते हैं। बैंकिंग लोकपाल के समक्ष अपनी शिकायत ले जाने से पहले ग्राहक या शिकायतकर्ता को निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना होगा।

  • बैंकिंग लोकपाल से पूर्व शिकायतकर्ता ने बैंक में लिखित शिकायत दर्ज करी हो तथा बैंक द्वारा उसे खारिज कर दिया गया हो या 30 दिनों के पश्चात भी उसका जवाब न दिया हो
  • लोकपाल के समक्ष शिकायत, बैंक में लिखित अपील करने के एक वर्ष एवं 30 दिनों के भीतर की गई हो
  • ग्राहक की शिकायत किसी अन्य कानूनी मंच या अदालत में लंबित नहीं होनी चाहिए
  • शिकायत बैंकिंग सेवाओं से जुड़ी हो तथा उसका स्वरूप तंग करने वाला न हो

यदि कोई ग्राहक उपरोक्त सभी मानदंडों को पूरा करता है तो वह आरबीआई के बैंकिंग लोकपाल के पास अपनी शिकायत ऑनलाइन या ऑफ़लाइन किसी भी माध्यम से दर्ज कर सकता है। रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त सभी लोकपालों का पता एवं इनके क्षेत्राधिकार की जानकारी रिजर्व बैंक की वेबसाइट से प्राप्त करी जा सकती है।

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अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए आरबीआई के सीएमएस पोर्टल cms.rbi.org.in पर जाएं तथा “शिकायत दर्ज करें” वाले बटन पर क्लिक करें। इसके बाद एक फॉर्म खुलेगा जिसमें आपको अपना नाम, पता, शिकायत का आधार, संबंधित बैंक की जानकारी देनी होगी, साथ ही आप कोई दस्तावेज यदि हो तो उसे भी संलग्न कर सकते हैं।

शिकायत दर्ज हो जाने के बाद आपको एक रेफरेंस नंबर प्राप्त होगा, जिसकी मदद से आप भारतीय रिजर्व बैंक के सीएमएस पोर्टल में जाकर अपनी शिकायत की स्थिति भी जाँच सकते हैं।

लोकपाल की शक्तियां एवं उसके अधिकार

हालांकि बैंकिंग लोकपाल पूर्ण रूप से कोई न्यायिक प्राधिकरण नहीं है, किन्तु ग्राहकों की समस्याओं का निवारण करने के लिए इसे कुछ अधिकार प्रदान किये गए हैं, जिनमें से कुछ निम्न हैं-

  • लोकपाल शिकायत में उल्लिखित बैंक या किसी संबंधित बैंक से, शिकायत के मामले से जुड़ी कोई जानकारी या दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कह सकता है।
  • लोकपाल शिकायतकर्ता को उसके समय की बर्बादी तथा मानसिक पीड़ा को ध्यान में रखते हुए एक लाख रुपये तक का मुआवजा दिला सकता है।
  • बैंकिंग लोकपाल शिकायतों का निवारण करने के लिए ऐसी किसी भी प्रक्रिया को अपना सकता है, जिसे वह न्यायसंगत और उचित समझे।

बैंकिंग लोकपाल के फायदे

यदि आप बैंक की वित्तीय सेवाओं से संतुष्ट नहीं हैं, तो बैंकिंग लोकपाल की मदद से अपनी समस्याओं का आसानी से समाधान प्राप्त कर सकते हैं। बैंकिंग लोकपाल के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं

  • लोकपाल के समक्ष शिकायत करना एक निःशुल्क प्रक्रिया है
  • लोकपाल शिकायत के वित्तीय मूल्य को ध्यान में रखे बिना शिकायतें सुनता है
  • शिकायत करना बेहद सरल है और इसका समाधान तेजी से होता है
  • बिना किसी जटिल न्यायिक प्रक्रिया से गुजरे समस्या का निपटारा किया जा सकता है
  • यहाँ शिकायत किसी वकील के बिना स्वयं करी जा सकती है
  • ग्राहकों के वित्तीय नुकसान की भरपाई करी जा सकती है
  • बैंकिंग लोकपाल वित्तीय क्षति के अतिरिक्त मुआवजा दिलाने का अधिकार भी रखते हैं

सार-संक्षेप

बैंकिंग लोकपाल या बैंकिंग ओम्बड्समैन रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त किया गया स्वतंत्र अधिकारी होता है, जो अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले बैंकों के ग्राहकों की बैंकिंग सेवाओं से जुड़ी शिकायतों को सुनता है तथा उनका समाधान करता है। यह एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के तौर पर कार्य करता है।

यदि कोई ग्राहक बैंक की सेवाओं से असन्तुष्ट है तथा बैंक उसकी शिकायतों का निवारण नहीं करते हैं तो ग्राहक बैंकिंग लोकपाल के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।

ऐसी शिकायतें रिजर्व बैंक के सीएमएस पोर्टल के जरिये दर्ज करी जा सकती हैं, हालांकि लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करने से पहले संबंधित बैंक को लिखित रूप में शिकायत देना अनिवार्य होता है।