ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है और ट्रेडर इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं?

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ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या है?

ट्रेडिंग वॉल्यूम उस मात्रा को दर्शाता है, जो एक निश्चित अवधि के भीतर ट्रेड होती है यानी खरीदी या बेची जाती है। ये खरीद-फरोख्त किसी भी एसेट की हो सकती है जैसे स्टॉक, बॉन्ड, डेरिवेटिव, कमोडिटी इत्यादि।

शेयर बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम, किसी एक अवधि सामान्यतः एक ट्रेडिंग दिवस के दौरान ट्रेड होने वाले शेयरों की संख्या को कहा जाता है। ट्रेडिंग वॉल्यूम निवेशकों तथा ट्रेडर्स दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, जो उन्हें बाजार की गतिविधि और किसी प्रतिभूति जैसे स्टॉक, बॉन्ड आदि की तरलता (Liquidity) को समझने में मदद करता है।

कुल ट्रेडिंग वॉल्यूम की गणना करने में, शेयरों की संख्या को प्रत्येक लेन-देन पर अलग-अलग गिना जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी ट्रेडिंग दिन में एक व्यक्ति XYZ कंपनी के 100 शेयर दूसरे व्यक्ति को बेचता है और दूसरा व्यक्ति इन्हें आगे तीसरे व्यक्ति को बेच देता है तो इस दिन का ट्रेडिंग वॉल्यूम 300 होगा।

ट्रेडिंग वॉल्यूम निवेशकों के लिए क्यों खास है?

शेयर मार्केट में निवेश करने के दो प्रमुख तरीके हैं, पहला इन्वेस्टिंग जिसमें लंबी अवधि के लिए निवेश किया जाता है और निवेशक कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस को निवेश का आधार बनाते हैं। वहीं दूसरा तरीका ट्रेडिंग है, जिसमें स्टॉक्स का टेक्निकल एनलिसिस कर उन्हें शॉर्ट टर्म के लिए खरीदा जाता है।

टेक्निकल एनलिसिस का ही एक महत्वपूर्ण मीट्रिक ट्रेडिंग वॉल्यूम भी है, जो किसी स्टॉक, सेक्टर अथवा पूरे बाजार के संबंध में निवेशकों के सेंटिमेंट को दर्शाता है। किसी स्टॉक के ट्रेडिंग वॉल्यूम को देखते हुए निम्नलिखित बातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।

  • मार्केट का सेंटिमेंट

वॉल्यूम किसी स्टॉक में निवेशकों की दिलचस्पी को समझने में मदद करता है। जैसे उच्च वॉल्यूम दर्शाता है कि किसी स्टॉक में निवेशकों की रुचि और सक्रियता अधिक है। वहीं कम वॉल्यूम इसकी विपरीत स्थिति के संकेत देता है।

  • एसेट की लिक्विडिटी

ट्रेडिंग वॉल्यूम किसी स्टॉक की लिक्विडिटी के बारे में भी बताता है। दूसरे शब्दों में वॉल्यूम देख कर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि, किसी स्टॉक को कितनी आसानी से खरीदा या बेचा जा सकता है।

  • डर और लालच

किसी स्टॉक के ट्रेडिंग वॉल्यूम में यदि अचानक असामान्य बदलाव देखने को मिलता है, तो इससे बाजार में पैनिक या लालच (Euphoria) की स्थिति का पता लगाया जा सकता है और इसके कारणों को जानते हुए निवेशक एक बेहतर निवेश रणनीति बना सकते हैं।

  • प्राइस ट्रेंड की मजबूती

ट्रेडिंग वॉल्यूम किसी स्टॉक के प्राइज मूवमेंट के बारे में भी जानकारी देता है। यदि किसी स्टॉक की कीमतों में वृद्धि हो रही है और साथ ही इसका ट्रेडिंग वॉल्यूम भी बढ़ रहा है तो यह एक स्थाई वृद्धि का संकेत देता है।

  • मार्केट ब्रेकआउट

कोई भी स्टॉक एक अनुमानित ऊपरी और निचली सीमा के भीतर ट्रेड करता है। इसकी निचली सीमा को सपोर्ट तथा ऊपरी सीमा को रेजिस्टेंस कहते हैं। इन सीमाओं के टूटने को ही मार्केट ब्रेकआउट कहा जाता है और ये ब्रेकआउट कितना मजबूत और स्थाई है इसका अंदाजा ट्रेडिंग वॉल्यूम के जरिये लगाया जा सकता है।

उदाहरण के लिए यदि किसी स्टॉक की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं तो इसका यह मतलब नहीं है कि, उस स्टॉक में निवेशकों की रुचि भी बढ़ रही है। स्टॉक के प्रति निवेशकों की दिलचस्पी को जानने के लिए उसका ट्रेडिंग वॉल्यूम देखा जाता है। यदि यह भी कीमत के साथ बढ़ रहा है तो स्टॉक के ब्रेकआउट यानी नए रेजिस्टेंस लेवल को मजबूत माना जा सकता है।

चार्ट में ट्रेडिंग वॉल्यूम कैसे देखें

किसी स्टॉक के प्राइज चार्ट में ट्रेडिंग वॉल्यूम को एक वर्टिकल बार के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, जो किसी खास समयावधि के लिए कुल वॉल्यूम का प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के तौर पर नीचे चित्र में येस बैंक (YES BANK) का प्राइज चार्ट दिखाया गया है, जिसमें कंपनी के डेली प्राइज मूवमेंट और वॉल्यूम को देखा जा सकता है।

What is trading volume and how do traders use it

ऊपर चित्र में आप देख सकते हैं कि, वॉल्यूम बार को हरे और लाल रंगों में दिखाया गया है। हरा रंग दर्शाता है कि, किसी विशेष दिन स्टॉक की क्लोजिंग प्राइस उसकी ओपनिंग प्राइस से अधिक रही है यानी स्टॉक की कीमत बढ़ी है। वहीं वॉल्यूम बार का लाल रंग इसकी विपरीत स्थिति को प्रदर्शित करता है।

हाई और लो ट्रेडिंग वॉल्यूम का क्या मतलब है?

हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम का सीधा सा मतलब एक ट्रेडिंग अवधि में किसी सिक्योरिटी जैसे स्टॉक, बॉन्ड इत्यादि का बहुत ज्यादा संख्या में ट्रेड होना है। उच्च वॉल्यूम अक्सर इस बात के संकेत देता है कि, सिक्योरिटी की कीमतों में जो बदलाव हो रहे हैं, वे मजबूत और वास्तविक हैं। ये बदलाव वृद्धि या गिरावट किसी भी प्रकार के हो सकते हैं।

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इसके विपरीत यदि ट्रेडिंग वॉल्यूम कम है तो यह बताता है कि, स्टॉक में शेयरों का लेन-देन कम मात्रा में हो रहा है। दूसरे शब्दों में बहुत कम लोग उस शेयर को खरीदने या बेचने में रुचि रखते हैं। इस स्थिति में स्टॉक का प्राइस मूवमेंट अस्थाई हो सकता है, जैसे यदि कोई स्टॉक गिर रहा है लेकिन ट्रेडिंग वॉल्यूम कम है तो इस बात की बहुत संभावना है कि, ये गिरावट अस्थाई हो और शेयर आने वाले समय में अच्छी खासी तेजी दिखाए।

इस प्रकार केवल प्राइज ट्रेंड को देखकर किसी स्टॉक को खरीदने या बेचने का निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए, इसे ट्रेडिंग वॉल्यूम के साथ देखकर ही एक सही इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी बनाई जा सकती है।

सार-संक्षेप

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग वॉल्यूम किसी समयावधि के भीतर ट्रेड किये जाने वाले शेयरों की मात्रा को प्रदर्शित करता है। ट्रेडिंग वॉल्यूम किसी स्टॉक के टेक्निकल एनालिसिस का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

वॉल्यूम का विश्लेषण किसी स्टॉक में निवेशकों की दिलचस्पी के बारे में जानकारी देता है, साथ ही इसकी सहायता से किसी स्टॉक की लिक्विडिटी यानी तरलता का अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकता है।