शेयर बाजार की वर्तमान स्थिति अथवा वर्तमान ट्रेंड को समझाने के लिए निवेशक अक्सर कुछ विशेष शब्दावलियों "बुल मार्केट" तथा "बेयर मार्केट" का इस्तेमाल करते हैं। 'बुल मार्केट' बाजार में तेजी जबकि 'बेयर मार्केट' बाजार में आई मंदी को दर्शाता है।
शेयर बाजार में बुल मार्केट और बेयर मार्केट क्या है? इस बारे में आपने यहाँ संक्षेप में जाना, स्टॉक मार्केट से जुड़े आज के इस लेख में आगे विस्तार से समझेंगे बुल मार्केट क्या होता है, बेयर मार्केट क्या होता है, बुलिश और बेयरिश मार्केट में क्या अंतर है, बुल और बेयर मार्केट को उनके नाम कैसे मिले तथा शेयर बाजार में निवेश करने के लिए कौन सी बाजार परिस्थिति सबसे बेहतर होती है।
Bull Market क्या होता है?
शेयर बाज़ार में निवेशक अक्सर करेंट बाज़ार ट्रेंड का वर्णन करने के लिए “बुलिश” और “बेयरिश” जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं, ये शब्दावलियाँ बाजार की दिशा के बारे में बताती हैं, जिससे किसी भी व्यक्ति के लिए बाजार के वर्तमान स्वभाव को समझना आसान हो जाता है।
बुल मार्केट या बुलिश मार्केट बाजार की वह स्थिति है जब बाजार में तेजी देखने को मिलती है, इस स्थिति में विभिन्न वित्तीय उत्पादों जैसे स्टॉक, बॉन्ड, कमॉडिटीज आदि की कीमतों में 20 फीसदी या इससे अधिक की तेजी दिखाई देती है।
बाजार में इस तेजी के कई कारण हो सकते हैं जिनमें अर्थव्यवस्था का मजबूत होना, बेरोजगारी दर में कमी, उद्योगों का बेहतर प्रदर्शन, बेहतर मौद्रिक नीति, बाजार को लेकर सकारात्मक सोच आदि शामिल हैं।
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बाजार में तेजी के चलते निवेशकों के बीच बाजार को लेकर समग्र सकारात्मक दृष्टिकोण बुलिश मार्केट की एक मुख्य विशेषता है।
बुलिश मार्केट की स्थिति में एक आम धारणा है कि स्टॉक की कीमतों में बढ़ोतरी का रुझान जारी रहेगा जिसके चलते शेयर बाजार में अच्छी खासी खरीदारी देखने को मिलती है और यह फिर से बाजार के बुलिश ट्रेंड को जारी रखने का काम करती है।
Bullish Market के लिए रणनीति
बाजार के बुलिश ट्रेंड में समय के साथ स्टॉक्स की कीमतों में खासी तेजी देखने को मिलती है अतः इस स्थिति में शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के बजाए निवेशक लंबी अवधि के निवेश (Buy and Hold) की सलाह देते हैं, साथ ही इस दौरान ग्रोथ स्टॉक्स में निवेश करने की सलाह भी दी जाती है।
ग्रोथ स्टॉक्स सामान्यतः ऐसे स्टॉक्स हैं जिनमें किसी लार्ज कैप या वित्तीय रूप से स्थिर हो चुकी कंपनी की तुलना में अधिक मुनाफा देने की क्षमता होती है।
Bearish Market क्या है?
बुलिश मार्केट के विपरीत बेयरिश मार्केट या बेयर मार्केट बाजार में मंदी या गिरावट की स्थिति को दर्शाता है, इस दौरान विभिन्न वित्तीय उत्पादों जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड आदि में खासी कमी देखने को मिलती है।
बाजार में यह स्थिति कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है जिनमें कमजोर अर्थव्यवस्था, उद्योगों का खराब प्रदर्शन, भ्रष्टाचार, खराब मौद्रिक नीति, बेरोजगारी दर में वृद्धि, वैश्विक महामारी, युद्ध, बाजार में गिरावट का भय आदि शामिल हैं।
Bullish Market के लिए रणनीति
बेयरिश मार्केट में बाजार का ट्रेंड नीचे की तरफ होता है अतः इस स्थिति में शॉर्ट सेलिंग के जरिए निवेशक अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं, शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें किसी कंपनी के शेयरों को पहले बेच दिया जाता है तथा बाद में उन्हें खरीदा जाता है।
नीचे गिरते बाजार में निवेशक पहले ऊँची कीमतों में शेयरों को बेच देते हैं जबकि बाद में कम कीमतों में उन्हें खरीद कर मुनाफा कमाते हैं। शॉर्ट सेलिंग को और विस्तार से समझने के लिए यह लेख पढ़ सकते हैं 👉 शेयर बाजार में Short Selling क्या होती है और इसे कैसे और क्यों किया जाता है?
बुल और बेयर मार्केट को उनके नाम कैसे मिले?
बाजार में “तेजी” और “मंदी” के लिए बुल और बेयर नामों की शुरुआत के पीछे एक से अधिक कहानियाँ हैं हालांकि सबसे प्रचलित कहानी इन जानवरों के हमला करने के तरीके से जुड़ी है।
बुल यानी बैल अपने सींगों को हवा में उछालते हुए ऊपर की ओर प्रहार करता है इसलिए बाजार में जब तेजी का माहौल हो तो इसे बुल मार्केट या बुलिश मार्केट की संज्ञा दी जाती है।
इसके विपरीत कोई बेयर या भालू जब किसी पर हमला करता है तो वह शिकार को नीचे की तरफ दबाने का प्रयास करता है, लिहाजा नीचे जाते बाजार को बेयरिश मार्केट का नाम दिया गया है।
सार-संक्षेप
शेयर बाजार अनिश्चितताओं से भरा है, देश या दुनियाँ से जुड़ी कोई भी खबर इसे प्रभावित कर सकती है लिहाजा शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता रहता है। शेयर बाजार में आने वाले इन्हीं उतार-चढ़ावों को अलग-अलग शब्दावलियों से दर्शाया जाता है।
जब शेयर बाजार में चढ़ाव देखने को मिलता है या लोग अधिक से अधिक खरीदारी करते हैं तो इस स्थिति को Bull Market या Bullish Market कहा जाता है और यही शब्द किसी कंपनी विशेष के लिए भी इस्तेमाल होता है।
वहीं जब शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिलती है, स्टॉक्स, बॉन्ड जैसे उत्पादों को खरीदने के बजाए बेचने वाले लोगों की संख्या अधिक होने लगती है तो इस स्थिति को Bearish Market कहा जाता है।
उम्मीद है अगली बार जब आप किसी व्यक्ति को शेयर बाजार के संबंध में Bullish या Bearish कहते सुने तो आप इसका मतलब समझ पाएंगे।