Credit Rating Vs Credit Score: क्रेडिट रेटिंग और क्रेडिट स्कोर वित्तीय बाजार से जुड़ी दो महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं, हालांकि इन दोनों का इस्तेमाल साख (Creditworthiness) एवं विश्वसनीयता को दर्शाने के लिए किया जाता है लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर हैं।
क्रेडिट स्कोर (Credit Score) किसी व्यक्ति या संस्था को प्रदान की जाने वाली तीन अंकों की एक संख्या है, जिसके आधार पर उधारदाता जैसे बैंक या वित्तीय संस्थाएं आसानी से यह निर्णय ले पाती हैं कि, क्या किसी व्यक्ति / संस्था को कर्ज दिया जाना चाहिए या नहीं और यदि दिया जाना चाहिए तो उसकी सीमा क्या होनी चाहिए।
वहीं दूसरी ओर क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) एक प्रकार की रेटिंग व्यवस्था है जो केवल संस्थाओं जैसे कंपनियों, सरकारों आदि के संबंध में जारी करी जाती है। इसका इस्तेमाल छोटे-बड़े सभी प्रकार के निवेशकों द्वारा यह सुनिश्चित करने में किया जाता है कि, कोई कंपनी अथवा सरकार निवेश करने के लिहाज से कितनी सुरक्षित या जोखिम भरी है।
क्रेडिट स्कोर क्या है?
क्रेडिट स्कोर किसी व्यक्ति या संस्था को प्रदान किया जाने वाला तीन अंकों का एक नंबर होता है, जो उनके वित्तीय प्रबंधन (Financial Management) को दर्शाता है। किसी व्यक्ति या संस्था को ये नंबर उसके आर्थिक व्यवहार को देखते हुए कुछ खास संस्थाओं जिन्हें क्रेडिट ब्यूरो कहते हैं उनके द्वारा दिया जाता है।
भारत में CIBIL या Credit Information Bureau (India) Limited एक प्रमुख क्रेडिट ब्यूरो है, जिसके चलते क्रेडिट स्कोर को CIBIL स्कोर के नाम से भी जाना जाता है। CIBIL के अलावा देश में Equifax, Experian तथा CRIF Highmark तीन अन्य क्रेडिट ब्यूरो कार्यरत हैं।
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क्रेडिट स्कोर आम तौर पर 300 से 900 के बीच प्रदान किया जाता है जहाँ 300 किसी व्यक्ति / संस्था के बेहद खराब वित्तीय प्रबंधन तथा 900 उनके बेहतरीन वित्तीय प्रबंधन को प्रदर्शित करता है। इस नंबर के आधार पर ही बैंक किसी व्यक्ति को कर्ज देने के संबंध में फैसला ले पाते हैं।
किसी व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर की गणना विभिन्न कारकों के आधार पर की जाती है, जैसे उसके द्वारा पूर्व में लिए गए क्रेडिट की पेमेंट हिस्ट्री, क्रेडिट इतिहास की लंबाई तथा उसके कुल क्रेडिट खाते इत्यादि।
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क्रेडिट रेटिंग क्या है?
सरकारों, निगमों आदि को अपने विभिन्न क्रियाकलापों का संचालन करने के लिए पैसे की जरूरत होती है और जब इन संस्थाओं के पास पर्याप्त पूँजी उपलब्ध न हो तो ये बॉन्ड, डिबेंचर्स जैसे फाइनेंशियल इन्स्ट्रूमेंट्स जारी कर निवेशकों से पैसा जुटाते हैं और निवेशकों को भी उनके निवेश पर ब्याज के रूप में एक नियमित आय प्राप्त होती है।
ऐसे में किसी निवेशक के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि वह जिस व्यवसाय या सरकार द्वारा जारी वित्तीय उपकरणों में निवेश करने जा रहा है वह कितने सुरक्षित हैं, क्या जारीकर्ता निवेशकों को समय पर ब्याज एवं मूलधन का भुगतान करने में समर्थ है या नहीं।
क्रेडिट रेटिंग ऐसा ही एक टूल है, जिसकी मदद से निवेशक किसी फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना कितना सुरक्षित है इस बात का आँकलन कर पाते हैं। दूसरे शब्दों में क्रेडिट रेटिंग निगमों, सरकारों को दी जाने वाली एक रेटिंग है जो उनकी साख (Creditworthiness) को दर्शाती है। हाई क्रेडिट रेटिंग किसी संस्था की मजबूत आर्थिक स्थिति तथा उसके बेहतरीन मैनेजमेंट को दिखाता है।
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- डिबेंचर क्या है, ये कितने प्रकार के होते हैं और इनमें निवेश कैसे करें?
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संस्थाओं / सरकारों को यह रेटिंग, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा प्रदान करी जाती है, जो इनके ओवरऑल मैनेजमेंट, वित्तीय स्वास्थ्य (राजस्व, प्रॉफ़िट, कर्ज, कैशफ्लो आदि), कारोबार की स्थिति समेत अन्य कई आर्थिक कारकों के आधार पर तय होती है।
क्रेडिट रेटिंग को A से लेकर D तक अक्षरों के माध्यम से दिया जाता है। सामान्यतः रेटिंग पैमानों में निवेश-ग्रेड के लिए (जोखिम के बढ़ते क्रम में) AAA, AA, A, BBB तथा गैर-निवेश ग्रेड के लिए BB, B, CCC शामिल हैं। देश विदेश की कुछ प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां निम्नलिखित हैं
- Standard & Poor’s (S&P)
- Moody’s Investors Service
- Fitch Ratings
- Credit Rating Information Services of India Limited (CRISIL)
- ICRA Limited
- Credit Analysis and Research Limited (CARE Ratings)
- India Ratings and Research Private Limited
क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रेटिंग में अंतर
ऊपर हमनें क्रेडिट स्कोर तथा क्रेडिट रेटिंग के बारे में विस्तार से समझा आइए अब इन दोनों के मध्य कुछ प्रमुख अंतरों पर नजर डालते हैं
क्रेडिट स्कोर | क्रेडिट रेटिंग |
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यह किसी व्यक्ति या संस्था के वित्तीय प्रबंधन को दिखाता है | यह किसी कंपनी, सरकार की साख को प्रदर्शित करती है |
यह तीन अंकों (सामान्यतः 300 से 900 के मध्य) का एक नंबर होता है | यह अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों A, B, C के माध्यम से प्रदान करी जाती है |
यह किसी निजी व्यक्ति के संबंध में भी जारी किया जा सकता है | यह सामान्यतः संस्थाओं (कंपनियों / सरकारों आदि) के संबंध में जारी किया जाता है |
इसे क्रेडिट ब्यूरो द्वारा जारी किया जाता है | इसे क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा जारी किया जाता है |
इसे व्यक्ति / संस्था के आर्थिक व्यवहार के आधार पर जारी किया जाता है | इसे संस्था के मैनेजमेंट उसकी फाइनेंशियल हेल्थ तथा अर्थव्यवस्था के अन्य कारकों के आधार पर जारी किया जाता है |
सार- संक्षेप
क्रेडिट रेटिंग तथा क्रेडिट स्कोर दोनों साख / Creditworthiness का मूल्यांकन करने के तरीके हैं। क्रेडिट स्कोर का इस्तेमाल बैंक एवं वित्तीय संस्थाएं किसी व्यक्ति, व्यवसाय आदि को कर्ज देने के लिए करती हैं, इससे उन्हें कर्ज लेने वाले व्यक्ति के वित्तीय प्रबंधन की जानकारी मिलती है और वे यह निर्धारित कर पाते हैं कि उक्त व्यक्ति / संस्था लिए गए ऋण का पुनर्भुगतान करने में सक्षम है अथवा नहीं।
वहीं क्रेडिट रेटिंग का इस्तेमाल निवेशकों (निजी व्यक्ति, संस्था आदि) द्वारा किसी वित्तीय उपकरण जैसे बॉन्ड, डिबेंचर्स आदि के जारीकर्ता की साख का अंदाजा लगाने के लिए किया जाता है। क्रेडिट रेटिंग के आधार पर निवेशक यह तय कर पाते हैं कि, उनका जारीकर्ता लिए गए ऋण तथा उसके ब्याज का भुगतान समय पर कर सकता है या नहीं।