एक देश की किसी कंपनी, व्यक्ति, संस्थान या सरकार द्वारा दूसरे देश में स्थित व्यवसायों में किया गया निवेश, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कहलाता है। ये निवेश सामान्यतः दीर्घकालिक अवधि के होते हैं, जिनका लक्ष्य विदेशी बिजनेस में नियंत्रण या स्वामित्व प्राप्त करना तथा उस देश में सेवाओं तथा वस्तुओं का उत्पादन कर उनसे लाभ अर्जित करना होता है।
ऊपर आपने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश या FDI क्या है इस बारे में संक्षेप में जाना, आर्थिक पाठशाला से जुड़े आज के इस लेख में आगे विस्तार से चर्चा करेंगे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) की, जानेंगे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्या होता है? किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए FDI क्यों जरूरी है, FDI के फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं तथा देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सर्वाधिक लाभ किस क्षेत्र को मिला है?
विदेशी निवेश क्या है?
हमनें भुगतान संतुलन वाले लेख में पूँजी खाते के अंतर्गत विदेशी निवेश के बारे में संक्षेप में चर्चा की थी, आइये विदेशी निवेश को विस्तार से समझते हैं। किसी भी देश में विकास कार्यों को संचालित करने के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है और जब कोई देश विकासात्मक कार्यों के लिए घरेलू स्रोतों से पर्याप्त साधन नहीं जुटा पाता तब उस देश द्वारा विदेशी निवेश (Foreign Investment) को आकर्षित करने के प्रयास किये जाते हैं।
हाँलाकि विदेशी निवेशकों का मुख्य उद्देश्य घरेलू संसाधनों के अधिकतम दोहन द्वारा लाभ अर्जित करना ही होता है, किंतु संसाधनों का अधिकतम दोहन देश के विकास के लिए भी आवश्यक होता है अतः विदेशी निवेश के आने से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र विकसित होने लगते हैं और देश विकास के पथ पर आगे बढ़ता है।
विदेशी निवेश के प्रकार
विदेशी निवेश के प्रकारों से आशय है कि किन-किन तरीकों से देश में विदेशी निवेश किया जा सकता है। विदेशी निवेश मुख्यतः दो प्रकार से किया जाता है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश या FDI
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेश या FPI
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश या FDI किसी एक देश की कंपनी, व्यक्ति, संस्थान या सरकार द्वारा दूसरे देश के किसी व्यवसाय / उद्योग में किया गया निवेश है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश शब्द का इस्तेमाल किसी विदेशी व्यवसाय में किये गए मामूली निवेश जैसे किसी विदेशी कंपनी के स्टॉक में निवेश आदि को दर्शाने के लिए नहीं किया जाता बल्कि इसका इस्तेमाल किसी विदेशी बिजनेस में अच्छी-खासी हिस्सेदारी हासिल करने या उसे पूर्ण रूप से खरीद लेने की स्थित में किया जाता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से किसी देश में विदेशी मुद्रा के अतिरिक्त नए कौशल तथा तकनीकी का भी आगमन होता है। इस निवेश का मुख्य उद्देश्य किसी देश में सेवाओं तथा वस्तुओं का उत्पादन कर उनसे लाभ अर्जित करना होता है, जो एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है अतः FDI एक स्थायी प्रवृत्ति का निवेश है।
कोई निवेशक, कंपनियाँ अथवा सरकारें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के लिए सामान्यतः खुली अर्थव्यवस्थाओं (Open Economies) की फर्मों, परियोजनाओं को प्राथमिकता देती हैं, इसके साथ ही FDI को लेकर आसान कानूनी प्रक्रिया वाले देशों को भी निवेशक अधिक महत्व देते हैं। चूँकि FDI एक दीर्घकालिक निवेश होता है अतः यहाँ पूंजी के साथ-साथ कुशल प्रबंधन, प्रौद्योगिकी और उपकरणों का निवेश भी किया जाता है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI)
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investment) विदेशी निवेश का एक अहम हिस्सा है यह निवेशकों, संस्थानों या विभिन्न म्यूचुअल फंड्स द्वारा किसी अन्य देश में स्टॉक, बॉन्ड, डिबेंचर्स अथवा अन्य किसी वित्तीय उपकरण में किये गए निवेश को संदर्भित करता है। FPI किसी निवेशक के Portfolio Diversification की एक रणनीति होती है, ताकि देश के घरेलू कारणों से पोर्टफोलियो का एक हिस्सा सुरक्षित रहे।
जहाँ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का उद्देश्य दूसरे देश के किसी व्यवसाय / उद्योग आदि के प्रबंधन पर नियंत्रण प्राप्त करना होता है वहीं FPI का मुख्य उद्देश्य अल्पकालिक समय में लाभ कामना होता है यहाँ निवेशक निवेशित व्यवसाय के दिन-प्रतिदिन के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेता। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश मुख्यतः शेयर बाज़ार में किया जाता है, गौरतलब है की किसी कंपनी में 10% से अधिक विदेशी निवेश को FDI की श्रेणी में रखा जाता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रकार
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मुख्यतः निम्नलिखित 4 प्रकार का होता है-
- Horizontal FDI
- Vertical FDI
- Conglomerate FDI
- Platform FDI
#1 Horizontal FDI
क्षैतिज प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अथवा Horizontal FDI एक ऐसा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है, जिसमें कोई कंपनी अपने मूल व्यवसाय का ही विस्तार किसी दूसरे देश में करती है और उत्पादन की उन्हीं गतिविधियों को दोहराती है जैसा वह अपने देश में कर रही थी। क्षैतिज प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अक्सर नए बाजारों में प्रवेश करने, उत्पादन लागत को कम करने जैसे उद्देश्यों से प्रेरित होता है, इसके उदाहरण की बात करें तो McDonald’s कंपनी द्वारा भारतीय बाजार में प्रवेश इसका एक उदाहरण है।
#2 Vertical FDI
Vertical FDI में कोई कंपनी अपने व्यवसाय को बदले बिना किसी अन्य देश में अपने मूल बिजनेस के ही किसी पूरक बिजनेस (Complimentary Business) में निवेश करती है, इस निवेश का उद्देश्य अपनी आपूर्ति श्रंखला को मजबूत करना होता है। उदाहरण के लिए यदि McDonald’s किसी अन्य देश में अपने मूल बिजनेस की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किसी मांस प्रसंस्करण से जुड़ी कंपनी का अधिग्रहण कर ले तो इसे Vertical विदेशी निवेश कहा जाएगा।
#3 Conglomerate FDI
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के इस प्रकार में कोई कंपनी दूसरे देश में किसी ऐसे बिजनेस में निवेश करती है, जो उसके मूल बिजनेस से पूर्णतः अलग होता है। अधिकांशतः Conglomerate विदेशी निवेश करने वाली कंपनी को विदेशी कंपनी के व्यवसाय का कोई पूर्व अनुभव नहीं होता है, इसलिए यह निवेश अक्सर एक संयुक्त उद्यम या Joint Venture का रूप ले लेता है।
#4 Platform FDI
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का अंतिम प्रकार Platform FDI है, इस प्रकार के निवेश में कोई कंपनी किसी अन्य देश में अपने मूल बिजनेस का विस्तार करती है, किन्तु Horizontal FDI के विपरीत यहाँ उत्पादित होने वाले उत्पादों को दुनियाँ के अन्य देशों में निर्यात कर दिया जाता है।
उदाहरण के लिए दुनियाँ के प्रसिद्ध फैशन ब्रांडस द्वारा बेची जाने वाली अधिकांश लग्जरी वस्तुएं जैसे कपड़े इत्यादि बांग्लादेश, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों में निर्मित होते हैं, इसके अलावा दुनियाँ की सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी Apple के 90 फीसदी से अधिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद चीन में निर्मित किये जाते हैं ये दोनों Platform FDI के मुख्य उदाहरण हैं।
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मुख्यतः दो मार्गों से किया जा सकता है, जिनमें पहला है ऑटोमैटिक रूट इसमें किसी गैर-निवासी निवेशक या भारतीय कंपनी को निवेश करने के लिए सरकार से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होती है, भारत में अधिकांश निवेश इसी मार्ग से आता है।
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निवेश का दूसरा विकल्प है मंजूरी मार्ग या Approval Route इसमें निवेश करने से पूर्व भारत सरकार की मंजूरी लेना आवश्यक होता है। वित्त वर्ष 2022-23 में देश में आने वाला कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश $70.97 अरब डॉलर रहा और
देशी उद्योगों में विदेशी निवेशकों का प्रभुत्व न हो इसलिए सरकार द्वारा कुछ विशेष महत्व वाले क्षेत्रों में FDI के लिए सीमाएं तय की गई हैं, हालांकि कई क्षेत्रों में निवेशक बिना सरकार की मंजूरी के 100 फीसदी तक निवेश भी कर सकते हैं ऐसे कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र तथा इनमें हो सकने वाले अधिकतम विदेशी निवेश के बारे में नीचे बताया गया है।
क्षेत्र | निवेश की सीमा | निवेश के मार्ग |
---|---|---|
Banking- Public | 20% | Government |
Banking- Private | 74% | 49%- Automatic. Above 49-74%- Government |
Insurance | 74% | Automatic |
Asset Reconstruction Companies | 100% | Automatic |
Credit Information Companies | 100% | Automatic |
White Label ATMs | 100% | Automatic |
Pension sector | 49% | Automatic |
Agriculture & Animal Husbandry | 100% | Automatic |
Plantation sector | 100% | Automatic |
Mining | 100% | Automatic |
Petroleum & Natural gas refining | 100% | Automatic |
Defence manufacturing | 100% | Automatic upto 49%. Above 49% under Government route. |
Broadcasting teleports | 100% | Automatic |
Broadcasting content services | 49% | Government |
Print media, dealing with news | 26% | Government |
Publishing/printing of scientific and technical magazines/specialty journals | 100% | Government |
Civil aviation- Airports | 100% | Automatic |
Civil aviation- Air transport services | 100% | Automatic up to 49% Above 49% under Government route. |
Digital Media | 26% | Government |
Telecom | 100% | 49%- Automatic. Above 49%- Government |
Railways | 100% | Automatic |
Financial services’ activities regulated by RBI, SEBI, IRDAI, other regulator | 100% | Automatic |
Pharmaceuticals (Greenfield) | 100% | Automatic |
Pharmaceuticals (Brownfield) | 100% | Automatic upto 74%, above 74% under Government |
Power exchanges | 49% | Automatic |
Construction development | 100% | Automatic |
Industrial parks | 100% | Automatic |
Satellites | 100% | Government |
E-commerce activities | 100% | Automatic |
Private security agencies | 74% | Automatic up to 49%. Above 49%- 74% under Government |
Single brand retail trading | 100% | Automatic up to 49%. Above 49% under Government |
Multi-brand retail trading | 51% | Government |
Duty-free shops | 100% | Automatic |
Food products manufactured or produced in India | 100% | Government |
Cash & carry wholesale trading | 100% | Automatic |
Biotechnology | 100% | Automatic |
Electricals machinery and system | 100% | Automatic |
Food processing | 100% | Automatic |
Ports and shipping | 100% | Automatic |
Textiles and garments | 100% | Automatic |
Tourism and hospitality | 100% | Automatic |
FDI के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र
देश की संप्रभुता को देखते हुए सरकार द्वारा कुछ विशेष क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर रोक लगाई गई है, ऐसे क्षेत्र निम्नलिखित हैं।
- सरकारी या गैर-सरकारी लौटरी
- सट्टेबाजी या कसीनो
- चिट फंड एवं निधि कंपनियों में निवेश
- Transferable Development Rights (TDR) में ट्रेडिंग
- रियल एस्टेट व्यवसाय
- नाभिकीय ऊर्जा
- तंबाकू उत्पाद जैसे सिगरेट, सिगार आदि
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का देश पर प्रभाव
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किसी भी देश में विकास कार्यों को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह निवेश करने वाले तथा निवेश किये गए दोनों देशों के लिए फायदेमंद होता है। FDI से जहाँ विकासशील देशों में नए बुनियादी ढांचे (Infrastructure) का निर्माण और स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों के सृजन होता है वहीं इससे निवेश करने वाली कंपनियों को भी अपने व्यवसाय को वैश्विक स्तर पर ले जाने का मौका मिलता है। इसके अलावा किसी अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के निम्नलिखित अच्छे और बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं-
FDI के किसी देश पर सकारात्मक प्रभाव
संसाधनों का दोहन : वर्तमान स्थिति की बात करें तो भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है तथा देश में उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण रूप से दोहन करने के लिए देश में आवश्यक तकनीकी का अभाव है अतः संसाधनों का पूर्ण रूप से इस्तेमाल किया जा सके इसके लिए विदेशी निवेश (FDI) की आवश्यकता है।
आधारभूत संरचना का निर्माण : देश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि में आधारभूत संरचना की स्थिति खराब है, जिस कारण देश की आर्थिक विकास दर धीमी है। अतः देश में आधारभूत संरचना को मजबूत करने में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
द्वितीयक क्षेत्र का विकास : अर्थव्यवस्था में द्वितीयक या विनिर्माण क्षेत्र / Manufacturing Sector (कच्चे माल से निर्मित उत्पाद) की महत्वपूर्ण भूमिका है जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका योगदान बहुत कम है। अतः इस क्षेत्र में विदेशी निवेश द्वारा देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सकता है।
रोजगार : विदेशी निवेश का एक महत्वपूर्ण फायदा तकनीकी हस्तांतरण है ताकि देश किसी तकनीकी विशेष में आत्मनिर्भर बन सके। इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ने के चलते रोजगार के अवसरों का भी सृजन होता है, जिसकी देश को अधिक आवश्यकता है।
FDI के किसी देश पर नकारात्मक प्रभाव
किसी क्षेत्र विशेष में अधिक मात्रा में विदेशी निवेश के कारण घरेलू कंपनियों तथा उद्योगों को इसका नुकसान होता है। इसके अतिरिक्त अत्यधिक मात्रा में विदेशी निवेश किसी देश की संप्रभुता के लिए भी हानिकारक है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सर्वाधिक लाभ किस क्षेत्र को मिला है?
Invest India पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में तकरीबन $70.97 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया, जिसमें उच्चतम एफडीआई इक्विटी प्राप्त करने वाले शीर्ष 5 क्षेत्र निम्नलिखित हैं-
- सेवा क्षेत्र (वित्त, बैंकिंग, बीमा, गैर-वित्तीय/व्यवसाय, आउटसोर्सिंग, अनुसंधान एवं विकास, कूरियर, तकनीकी परीक्षण और विश्लेषण, अन्य) – 16%
- कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर – 15%
- ट्रेडिंग – 6%
- दूरसंचार – 6%
- ऑटोमोबाइल उद्योग – 5%
इसके अलावा सबसे अधिक निवेश प्राप्त करने वाले राज्यों की बात करें तो इनमें महाराष्ट्र (29%), कर्नाटक (24%), गुजरात (17%), दिल्ली (13%) और तमिलनाडु (5%) शामिल हैं।
सार-संक्षेप
FDI कंपनियों या सरकारों द्वारा विदेशी फर्मों, परियोजनाओं आदि में प्रत्यक्ष रूप से किया गया निवेश है, जिसका उद्देश्य विदेशी बिजनेस के प्रबंधन में नियंत्रण प्राप्त करना होता है। FDI दुनिया भर में नकदी प्रवाह (Cash Flow) में लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर का योगदान देता है, साल 2022 में सबसे अधिक FDI प्राप्त करने वाले शीर्ष 5 देशों में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, चीन, नीदरलैंड और आयरलैंड शामिल हैं।
विदेशी निवेश के किसी भी देश पर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रभाव हैं इसके बावजूद विदेशी निवेश देश के विकास के लिए आवश्यक है, अतः सरकारों को चाहिए कि ऐसी नीतियों का निर्माण किया जाए जिनसे घरेलू उद्योगों का भी संरक्षण किया जा सके तथा विदेशी निवेश का शत प्रतिशत लाभ भी देश को मिले।