डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) क्या है और किस काम आता है?

आर्टिकल शेयर करें

डिजिटल सिग्नेचर क्या है?

सिग्नेचर यानी हस्ताक्षर से आप भली भांति वाक़िफ़ होंगे, आए दिन तरह-तरह के कागजी कार्यों में हमें अपने हस्ताक्षर (Signature) करने की जरूरत पड़ती है। हस्ताक्षर दरअसल किसी व्यक्ति की पहचान को प्रमाणित करता है और इस बात की पुष्टि करता है कि, व्यक्ति ने दस्तावेज़ में लिखी गई जानकारी को स्वीकार किया है।

जब आप किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हैं तो यह दिखाता है कि, आपने उस दस्तावेज को पढ़ लिया है और आप उसमें लिखी गई बातों / शर्तों से सहमत हैं या उनकी पुष्टि करते हैं। किसी व्यक्ति की पहचान को प्रमाणित करने के साथ-साथ यह किसी दस्तावेज को कानूनी मान्यता देता है साथ ही लोगों को धोखाधड़ी से भी बचाता है।

यह भी पढ़ें : फ्रैंचाइज़ बिजनेस क्या है और आप इसे किस तरह शुरू कर सकते हैं?

किसी भौतिक दस्तावेज पर अपने हस्ताक्षर करना एक आसान काम है, इसके लिए केवल एक पेन की आवश्यकता होती है। लेकिन वर्तमान दौर में, जबकि अधिकांश आधिकारिक काम डिजिटल रूप में (Paperless) सम्पन्न हो रहे हैं, पेन से हस्ताक्षर कर अपनी पहचान को प्रमाणित करना संभव नहीं है।

इसी उद्देश्य के लिए हस्ताक्षर के डिजिटल रूप या डिजिटल सिग्नेचर (Digital Signature) की शुरुआत करी गई है, जिसकी मदद से आप किसी डिजिटल दस्तावेज पर अपनी सहमति दे सकते हैं या उसे प्रमाणित कर सकते हैं। डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल आईटीआर फाइलिंग, ई-टेंडरिंग, पेटेंट और ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन, कंपनी रजिस्ट्रेशन, ई-अनुबंधों समेत कई कार्यों में किया जा सकता है।

डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) क्या है?

डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) एक इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ या डिजिटल कुंजी ( Digital Key) है, जिसे किसी व्यक्ति, संगठन आदि की पहचान को प्रमाणित करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। 

इस सर्टिफिकेट में उपयोगकर्ता का नाम, पिन कोड, देश, उसका ई-मेल पता, प्रमाण पत्र जारी करने की तिथि और जारीकर्ता प्रमाणन प्राधिकरण का नाम शामिल होता है। यह डिजिटल सर्टिफिकेट पब्लिक-की एन्क्रिप्शन का उपयोग करके, इसे रखने वाले व्यक्ति का एक सुरक्षित डिजिटल सिग्नेचर बनाता है।

डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) को कॉर्पोरेट मंत्रालय (MCA) द्वारा मान्यता प्राप्त कुछ प्रमाणन प्राधिकारणों (Certifying Authorities) द्वारा जारी किया जा सकता है। ये सर्टिफिकेट आमतौर पर एक से दो साल के लिए वैध होते हैं, हालांकि इन्हें समाप्ति अवधि से पहले नवीनीकृत (Renewal) किया जा सकता है।

पब्लिक-की एन्क्रिप्शन क्या है?

पब्लिक-की एन्क्रिप्शन क्रिप्टोग्राफ़ी पर आधारित एक तकनीक है, जो यूजर्स को किसी डेटा का सुरक्षित आदान-प्रदान करने अथवा किसी फ़ाइल को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से प्रमाणित करने की सुविधा देती है। इसमें यूजर को प्राइवेट तथा पब्लिक दो कुंजियाँ (Keys) प्राप्त होती हैं, जिनका इस्तेमाल डेटा के एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन में होता है।

यह भी पढ़ें : जन सेवा केंद्र या CSC खोलने की योग्यता, जरूरी दस्तावेज और प्रोसेस

किसी व्यक्ति की पब्लिक कुंजी की मदद से दूसरे लोग उसे एन्क्रिप्ट करके कोई डेटा भेज सकते हैं, जिसे केवल उसकी प्राइवेट कुंजी की मदद से ही देखा जा सकता है। वहीं ऐसा व्यक्ति प्राइवेट कुंजी की मदद से किसी डिजिटल दस्तावेज पर हस्ताक्षर भी कर सकता है, जिसे पब्लिक कुंजी द्वारा सत्यापित किया जा सकता है।

डीएससी के प्रकार अथवा इसकी क्लास

वर्तमान में प्रमाणन प्राधिकरणों द्वारा डीएससी का केवल एक ही प्रकार, CLASS (3) DSC जारी किया जाता है। हालांकि इससे पूर्व तक इसके दो अन्य प्रकार क्रमशः CLASS (1) तथा CLASS (2) डीएससी भी जारी किये जाते थे। आइए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट के इन तीनों प्रकारों पर एक नजर डालते हैं।

यह सबसे बुनियादी स्तर का डीएससी है, जिसे व्यक्तिगत तथा संस्थागत दोनों स्तर पर जारी किया जाता था। इनका उपयोग केवल प्रमाणन प्राधिकारी के डेटाबेस में उपयोगकर्ता के नाम और ई-मेल एड्रेस की पुष्टि के लिए ही होता था और इस सर्टिफिकेट की मदद से किसी दस्तावेज में डिजिटल हस्ताक्षर करना संभव नहीं था।

इसकी मदद से किसी व्यक्ति की पहचान (नाम और व्यक्तिगत जानकारी) को पहले से सत्यापित डेटाबेस के आधार पर प्रमाणित किया जा सकता था। क्लास 2 डीएससी का इस्तेमाल कंपनी पंजीकरण, आयकर रिटर्न समेत किसी भी प्रकार की सरकारी ई-फाइलिंग के दौरान डिजिटल हस्ताक्षर करने के लिए किया जा सकता था।

यह डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट का सबसे एडवांस और सुरक्षित रूप है। इसे व्यक्तिगत तथा संस्थागत दोनों स्तर पर जारी किया जा सकता है और इसका इस्तेमाल लगभग सभी तरह के डिजिटल दस्तावेजों में हस्ताक्षरकर्ता की पहचान सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। क्लास 2 डीएससी के चलन से बाहर होने के बाद इसका ही इस्तेमाल होता है।

डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट कैसे बनाए जाते हैं?

सरकार द्वारा कुछ प्राधिकारणों को डीएससी बनाने के लिए अधिकृत किया है, वर्तमान में इनकी संख्या पंद्रह है। इनमें से किसी भी प्राधिकरण की वेबसाइट विजिट कर आप अपने डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) के लिए आवेदन कर सकते हैं, कुछ प्रमुख CAs जहाँ से आप डीएससी बनवा सकते हैं निम्नलिखित हैं

यहाँ बताई गई वेबसाइट के अलावा दस अन्य वेबसाइट्स भी हैं जहाँ से आप डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) बनवा सकते हैं। इसके लिए किसी भी सर्टिफाइंग अथॉरिटी (CA) की वेबसाइट पर जाएं और उनके होमपेज पर CLASS 3 डीएससी रजिस्ट्रेशन/आवेदन का चयन करते हुए फॉर्म भरने के लिए आगे बढ़ें।

इसके बाद आपको डीएससी आवेदन करने के लिए कुछ जरूरी जानकारी दर्ज करनी होगी जैसे आपकी पर्सनल डीटेल्स, डीएससी की वैधता इत्यादि। इन सब के अलावा आपको सर्टिफिकेशन का प्रकार भी चुनना होगा। यहाँ आपको तीन विकल्प दिखाई देंगे जिनमें केवल हस्ताक्षर, केवल एन्क्रिप्शन तथा दोनों शामिल हैं।

How are Digital Signature Certificates created?

यदि आप सर्टिफिकेट टाइप में हस्ताक्षर (Signature) का चुनाव करते हैं तो आप डीएससी का इस्तेमाल केवल डिजिटल हस्ताक्षर करने के लिए ही कर सकेंगे। यह सर्टिफिकेट किसी पीडीएफ फाइल को साइन करने, जीएसटी या आयकर रिटर्न जमा करने, एमसीए ऑनलाइन फॉर्म सत्यापित करने जैसी कई सेवाओं के लिए किया जा सकता है।

वहीं एन्क्रिप्शन (Encryption) का इस्तेमाल डेटा को एन्क्रिप्ट कर सुरक्षित तरीके से इसका आदान-प्रदान करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार के सर्टिफिकेट का इस्तेमाल संवेदनशील जानकारी (फ़ाइलें, कानूनी दस्तावेज, गोपनीय कॉन्ट्रैक्ट्स इत्यादि) को सुरक्षित रूप से भेजने में होता है।

यह भी पढ़ें : क्रेडिट कार्ड में मिनिमम ड्यू या न्यूनतम देय राशि का क्या मतलब होता है?

इसके अलावा तीसरा विकल्प दोनों (Both) का है अतः यदि आप हस्ताक्षर तथा एन्क्रिप्शन दोनों उद्देश्यों के लिए डीएससी का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपको इस विकल्प का चयन करना होगा। आवेदन फॉर्म भरने के पश्चात आपको अपनी केवाईसी करवानी होगी, जिसके लिए आप ई-केवाईसी का चयन कर सकते हैं।

डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट के क्या फायदे हैं?

डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) का इस्तेमाल व्यापक स्तर पर किया जा सकता है और यह कई मायनों में भौतिक हस्ताक्षर की तुलना में अधिक सुरक्षित भी है। डीएससी इस्तेमाल करने के कुछ मुख्य फायदे निम्न हैं

प्रमाणीकरण और पहचान: इसकी मदद से ऑनलाइन किसी व्यक्ति अथवा संस्था की पहचान को सुनिश्चित किया जा सकता है ताकि किसी व्यापारिक लेन-देन, समझौते आदि की स्थिति में कोई धोखाधड़ी न हो।

डेटा की सुरक्षा: डीएससी की मदद से किसी भी डेटा को एन्क्रिप्ट किया जा सकता है, ताकि केवल अधिकृत (Authorized) व्यक्ति ही उस डेटा को देख सके। इससे किसी भी प्रकार के संवेदनशील डेटा जैसे कोई गोपनीय सूचना, ई-टेंडरिंग, ई-प्रोक्योरमेंट से जुड़े दस्तावेज, पावर ऑफ अटॉर्नी इत्यादि को ऑनलाइन ट्रांसफर करना सुरक्षित हो जाता है।

Also Read

TAN कार्ड क्या है, क्यों जरूरी है और यह PAN से कैसे अलग है?

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी क्या है, इसके फायदे और रजिस्ट्रेशन प्रोसेस

ट्रेडमार्क क्या है और भारत में ऑनलाइन ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन कैसे करें?

TDS क्या होता है और क्यों कटता है? यहाँ जानें टीडीएस से जुड़ी पूरी जानकारी

डिजिटल हस्ताक्षर: डीएससी का इस्तेमाल करते हुए आप किसी भी डिजिटल दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, यह उपयोगकर्ता का समय और पैसे दोनों की बचत करता है। उदाहरण के लिए यदि आपको किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने हों जो पीडीएफ़ फॉर्मेट में है तो आपको इसे प्रिन्ट करना होगा और फिर हस्ताक्षर करके स्कैन करना होगा लेकिन डीएससी की मदद से आप सीधे पीडीएफ़ फ़ाइल में ही हस्ताक्षर कर सकते हैं।

डेटा की अखंडता: डीएससी द्वारा डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित दस्तावेजों में हस्ताक्षर करने के पश्चात किसी प्रकार की छेड़-छाड़ या सम्पादन संभव नहीं है, जिससे दस्तावेज का डेटा सुरक्षित रहता है।

कानूनी मान्यता: कानूनी मान्यता प्राप्त होना डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) का एक महत्वपूर्ण फायदा है, जिसके चलते इस तकनीक का इस्तेमाल सरकारी अथवा गैर-सरकारी किसी भी कार्य के लिए किया जा सकता है। इसके साथ ही डीएससी न्यायालयों में भी मान्य होते हैं।

डीएससी बनाने के लिए आवश्यक दस्तावेज

यदि आप व्यक्तिगत तौर पर डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) बनवा रहे हैं तो डीएससी बनवाने के लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी

  • पेन कार्ड
  • पहचान का प्रमाण
  • पते का प्रमाण
  • पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
  • ई-मेल एड्रेस
  • मोबाइल नंबर

वहीं यदि आप किसी कंपनी या संस्था के तौर पर डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) बनवाना चाहते हैं तो इसके लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की जरूरत होगी।

  • कंपनी के पंजीकरण का प्रमाण पत्र
  • हालिया बैंक स्टेटमेंट की प्रति
  • कार्यालय के पते का प्रमाण
  • कंपनी का पेन कार्ड
  • डायरेक्टर या अधिकृत व्यक्ति के पहचान प्रमाण
  • डायरेक्टर या अधिकृत व्यक्ति के पते का प्रमाण

डीएससी बनवाने का शुल्क

डीएससी बनवाने के शुल्क, इसे जारी करने वाली अथॉरिटी के अनुसार अलग-अलग हो सकता है, eMudhra की बात करें तो यहाँ आपको एक साल की वैधता वाले डीएससी के लिए 1350 रुपये, दो साल की वैधता वाले डीएससी के लिए 1500 रुपये तथा तीन साल की वैधता वाले डीएससी के लिए 2250 रुपये का शुल्क देना होगा।

वहीं यदि आप सर्टिफिकेट के प्रकार में हस्ताक्षर एवं एन्क्रिप्शन दोनों का चयन करते हैं तो तब आपको एक, दो और तीन साल की वैधता वाले डीएससी के लिए शुल्क क्रमशः 2000 रुपये, 2250 रुपये तथा 3350 रुपये देना होगा।

सार-संक्षेप

डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (Digital Signature Certificate) एक इलेक्ट्रॉनिक डोक्यूमेंट है, जिसका इस्तेमाल एक व्यक्ति की पहचान को सत्यापित करने, सुरक्षित रूप से संवेदनशील फ़ाइलों, दस्तावेजों या किसी अन्य डेटा को ट्रांसफर करने तथा डिजिटल प्रारूप के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए किया जाता है।

कॉर्पोरेट मंत्रालय के अधीन आने वाले प्रमाणन प्राधिकरण नियंत्रक (सीसीए) द्वारा कुछ प्राधिकरणों को डीएससी जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है, जिनकी जानकारी आप लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं। इन प्राधिकरणों की वेबसाइट्स के मध्यम से डीएससी बनवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।