इंडेक्सेशन क्या होता है और इससे कैसे कम हो जाता है आपका टैक्स?

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हाल ही में केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश किया, जिसमें रियल एस्टेट पर मिलने वाले इंडेक्सेशन (Indexation) के लाभ को खत्म करने का फैसला लिया गया। सरकार के इस फैसले से अब लोगों को प्रॉपर्टी बेचने पर हुए मुनाफे में पहले की तुलना में अधिक कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ सकता है।

हालांकि लोगों को कुछ राहत देने के लिए सरकार ने अचल संपत्तियों से होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (Long-term Capital Gains) पर टैक्स की दर को भी 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद रियल एस्टेट में निवेश करने वाले लोग सरकार के इस फैसले से खासा नाखुश हैं।

आइए इस लेख के जरिए समझते हैं, इंडेक्सेशन क्या होता है, इसके क्या फायदे हैं तथा सरकार द्वारा रियल एस्टेट में इंडेक्सेशन के लाभ को खत्म कर देने से पहले के बजाए अब अधिक टैक्स कैसे देना होगा?

इंडेक्सेशन क्या है?

इंडेक्सेशन एक तरीका है, जिसकी मदद से महंगाई (Inflation) को ध्यान में रखते हुए किसी एसेट के क्रय मूल्य की गणना करी जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य निवेश की वास्तविक लागत को प्राप्त करना होता है, ताकि जब कोई एसेट बेचा जाए तो उससे हुए लाभ की गणना महंगाई के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए की जाए।

इंडेक्सेशन लंबी अवधि के निवेशों पर लागू होता है जैसे रियल एस्टेट, स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड्स इत्यादि। यह दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) पर टैक्स की लायबिलिटी को कम करने में मदद करता है।

इंडेक्सेशन को एक उदाहरण की सहायता से समझा जा सकता है। मान लें आपने 2005 में एक प्रॉपर्टी खरीदी जिसकी कीमत 50 लाख रुपये थी और वर्तमान में इसकी कीमत 2 करोड़ रुपये है। यदि आप इसे आज बेचने का फैसला लेते हैं तो सामान्य गणित के अनुसार आपको 1.5 करोड़ रुपयों का फायदा होगा।

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लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि, 2005 में पचास लाख रुपयों से जितनी वस्तुएं या सेवाएं खरीदी जा सकती थी महंगाई बढ़ने के कारण आज इस कीमत में उतने उत्पाद खरीद पाना संभव नहीं है।

ऐसे में 50 लाख को वर्तमान में प्रॉपर्टी की खरीद मानना उचित नहीं होगा। इस त्रुटि को ठीक करने के लिए इंडेक्सेशन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इंडेक्सेशन के इस्तेमाल से हम महंगाई को ध्यान में रखते हुए उस प्रॉपर्टी के वाजिब खरीद मूल्य का हिसाब लगा सकते हैं, ताकि हमारे लाभ की सही गणना हो सके।

इंडेक्सेशन के क्या फायदे हैं?

जैसा कि हमनें ऊपर बताया इंडेक्सेशन का उपयोग किसी निवेश के क्रय मूल्य को समायोजित (Adjust) करने के लिए किया जाता है, ताकि उसे महंगाई के प्रभाव से मुक्त किया जा सके।

किसी संपत्ति का क्रय मूल्य जितना अधिक होगा उसका लाभ उतना ही कम हो जाएगा और कम लाभ का सीधा मतलब कम टैक्स से है। लिहाजा इंडेक्सेशन की मदद से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ को कम किया जा सकता है, जिससे निवेशक की टैक्सेबल इनकम भी कम हो जाएगी।

इंडेक्सेशन (Indexation) की गणना कैसे होती है?

भारत सरकार प्रत्येक वर्ष लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (Cost Inflation Index) जारी करती है। CII से हमें यह जानने में मदद मिलती है कि, समय के साथ महंगाई के कारण रुपये की क्रय शक्ति कितनी प्रभावित हुई है।

लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (CII) का उपयोग मुख्य रूप से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की गणना में महंगाई के प्रभाव को समायोजित करने के लिए किया जाता है। इसका आधार वर्ष 2001-02 है और इस वर्ष CII का मान 100 निर्धारित किया गया था, तब से अब तक महंगाई के अनुसार प्रत्येक वर्ष इसमें वृद्धि हुई है।

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साल 2024 के लागत मुद्रास्फीति सूचकांक को देखें तो यह 363 है, इसका मतलब हुआ कि साल 2001 में जितनी वस्तुएं 100 रुपये में खरीदी जा सकती थी उन्हें आज खरीदने के लिए हमें 363 रुपयों का भुगतान करना होगा।

इंडेक्सेशन की गणना करने में लागत मुद्रास्फीति सूचकांक का महत्वपूर्ण योगदान है। यदि हम ऊपर दिए गए उदाहरण को जारी रखें तो निम्न फॉर्मूले से इंडेक्सेशन की गणना करी जा सकती है।

इंडेक्सेशन या समायोजित लागत = (एसेट बेचने के वर्ष का CII / एसेट खरीदने के वर्ष का CII) X खरीदने की लागत

वास्तविक लागत = (2024 का CII / 2005 का CII) X 50,00,000 = (363 / 117) X ₹50,00,000 ≈ 1.55 करोड़

इस प्रकार प्रॉपर्टी बेचने पर शुद्ध लाभ 1.5 करोड़ न होकर लगभग 45 लाख रुपये (2 करोड़ - 1.55 करोड़) होगा और आपको कैपिटल गेन टैक्स केवल 45 लाख रुपयों पर ही देना होगा।

रियल एस्टेट पर खत्म हुआ इंडेक्सेशन का लाभ

हाल ही में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वित्त वर्ष के लिए बजट पेश किया। बजट में उन्होंने रियल एस्टेट में मिलने वाले इंडेक्सेशन के लाभ को समाप्त करने की घोषणा करी, हालांकि 2001 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी के लिए इंडेक्सेशन बेनिफ़िट जारी रहेगा।

इसके साथ ही सरकार ने रियल एस्टेट से होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) पर टैक्स की दर को भी 20% से घटाकर 12.5% कर दिया है। सरकार इस फैसले को आम लोगों के हित में बता रही है जबकि जानकारों का मानना है कि, इंडेक्सेशन के कारण होने वाला नुकसान टैक्स की दर में कटौती से अधिक होगा।

ऊपर दिए गए अपने उदाहरण को ही देखें तो पुरानी व्यवस्था में व्यक्ति को 45 लाख पर 20% का टैक्स देना होगा जो 9 लाख रुपये होगा वहीं इंडेक्सेशन को हटा देने के पश्चात व्यक्ति को 1.5 करोड़ पर 12.5% का टैक्स देना होगा जो पहले से दोगुना यानी 18,75,000 रुपये होगा।

सरकार की मानें तो केवल उन मामलों में पुरानी व्यवस्था फायदेमंद होगी जहाँ रिटर्न कम हैं, जबकि अधिकांश मामलों में नई व्यवस्था से लोगों को फायदा ही होगा।

सार-संक्षेप

इंडेक्सेशन एक व्यवस्था है, जिसकी मदद से लंबी अवधि के किसी निवेश की लागत को महंगाई के अनुसार समायोजित किया जा सकता है। यह एक टूल है जो इन्फ्लेशन एडजस्टर की तरह कार्य करता है।

इसकी गणना सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष जारी किये जाने वाले लागत महंगाई सूचकांक के द्वारा करी जाती है। इंडेक्सेशन की मदद से हम अपने निवेश की सही लागत ज्ञात कर सकते हैं और सही लागत पता होने पर ही सही लाभ की भी गणना करी जा सकती है।