किसी भी व्यक्ति, व्यवसाय या अर्थव्यवस्था की आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रखने में पैसा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन कई परिस्थितियों में व्यक्ति या व्यवसाय के पास जरूरत के मुताबिक पैसा उपलब्ध नहीं होता और इस स्थिति में ऋण आर्थिक गतिविधियों के संचालन में अहम योगदान अदा करता है।
बड़े-बड़े व्यवसायों से लेकर एक सामान्य व्यक्ति तक सभी को कभी-न-कभी अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ता है और किसी व्यक्ति को कितनी आसानी से कर्ज मिल सकता है यह उसके वित्तीय प्रबंधन एवं ऋण चुकाने की क्षमता (Creditworthiness) पर निर्भर करता है।
ऐसा ही एक मीट्रिक क्रेडिट स्कोर है, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति / व्यवसाय की ऋणयोग्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस लेख में आगे चर्चा करेंगे क्रेडिट या सिबिल स्कोर की, जानेंगे क्रेडिट स्कोर क्या होता है, क्रेडिट स्कोर की जरूरत क्यों है, क्रेडिट स्कोर कैसे बनाया जाता है तथा खराब क्रेडिट स्कोर को कैसे सुधारा जा सकता है?
क्रेडिट क्या है और यह क्यों जरूरी है?
पैसा किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए ईंधन का काम करता है। एक आम व्यक्ति की जीविका से लेकर बड़े-बड़े उद्योगों को शुरू करने तथा उन्हें बढ़ाने आदि के लिए पैसे की ही जरूरत होती है, किन्तु अधिकांश परिस्थितियों में किसी व्यक्ति अथवा कंपनी के पास उनकी जरूरत के मुताबिक पैसा मौजूद नहीं होता
ऐसे में वे विभिन्न वित्तीय संस्थानों जैसे बैंक इत्यादि से कर्ज लेकर अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं। इसी लोन या उधार को क्रेडिट (Credit) कहा जाता है। क्रेडिट की सहायता से ही नए उद्योग अथवा कंपनियाँ स्थापित हो पाती हैं, व्यवसायों के बढ़ने से रोजगार की दर में वृद्धि होती है और अंततः कोई अर्थव्यवस्था फलती-फूलती है।
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इसके अतिरिक्त क्रेडिट की सहायता से कोई कंपनी उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने के लिए नए प्रयोग सुनिश्चित कर पाती है अथवा आवश्यक टेक्नोलॉजी, उपकरण इत्यादि खरीद पाती हैं। वहीं व्यक्तिगत स्तर पर भी क्रेडिट किसी उपभोक्ता को जरूरी उत्पादों को खरीदने में मदद करता है।
यदि ऐसा कहा जाए कि सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था ही क्रेडिट पर टिकी हुई है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। आपातकालीन स्थिति में क्रेडिट का उपलब्ध होना किसी भी व्यक्ति अथवा व्यवसाय को आर्थिक संकट से बाहर निकलने के लिए मददगार साबित हो सकता है।
क्रेडिट स्कोर क्या होता है?
एक दौर था जब ऋण के नाम पर किसी व्यक्ति के पास साहूकार अथवा महाजन आदि का ही विकल्प था, किन्तु समय के साथ वित्तीय संस्थानों की लोगों तक बढ़ती पहुँच ने आज लोगों के लिए लोन की उपलब्धता को कहीं आसान बना दिया है। विभिन्न बैंक तथा वित्तीय कंपनियाँ केवल एक स्मार्टफोन एप की मदद से साख उपलब्ध करवा रही हैं।
सामान्यतः बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों को किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति एवं उसके वित्तीय प्रबंधन के बारे में जानकारी नहीं होती, ऐसे में इनके लिए किसी व्यक्ति को किस सीमा तक ऋण मुहैया करवाया जाना चाहिए इसका निर्णय लेने में कठिनाई होती है।
इस स्थिति में आवश्यकता होती है एक पैमाने की, जिसमें किसी व्यक्ति को उसके अच्छे या खराब आर्थिक व्यवहार के आधार पर मापा जा सके ताकि किसी भी वित्तीय संस्थान के लिए ऐसे व्यक्ति को किस सीमा तक ऋण मुहैया करवाया जाए इसका निर्णय लेने में आसानी हो, क्रेडिट स्कोर (Credit Score) ऐसा ही एक पैमाना होता है।
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क्रेडिट स्कोर किसी व्यक्ति के आर्थिक व्यवहार का एक लेखा-जोखा या रिकॉर्ड होता है, जो बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों को उस व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री को जानने में मदद करता है। इस रिकॉर्ड से किसी व्यक्ति द्वारा पूर्व में लिए गए ऋण अथवा उसके वित्तीय प्रबंधन के बारे में जानकारी मिलती है।
इसे नंबरों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, जो सामान्यतः 300 से 900 के मध्य होता है। जहाँ 900 स्कोर दर्शाता है, कि कोई व्यक्ति समय से अपने ऋण का भुगतान करता है वहीं 300 स्कोर ऐसे व्यक्तियों को दर्शाता है, जिनकी पूर्व में क्रेडिट हिस्ट्री अथवा वित्तीय प्रबंधन अच्छा नहीं रहा है।
क्रेडिट स्कोर कौन जारी करता है?
क्रेडिट स्कोर (Credit Score) जारी करने का कार्य अलग-अलग संस्थाओं, जिन्हें क्रेडिट ब्यूरो कहा जाता है के द्वारा किया जाता है। कोई बैंक या वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों की ऋण से संबंधित सभी आर्थिक गतिविधियों जैसे ऋण, क्रेडिट कार्ड लेन-देन, ओवरड्राफ्ट सुविधा का इस्तेमाल आदि की जानकारी इन्हें मुहैया करवाती हैं।
प्राप्त डेटा के आधार पर ये संस्थाएं किसी व्यक्ति विशेष या कंपनियों का स्कोर तय करती हैं। गौरतलब है कि यह स्कोर सामान्यतः मासिक आधार पर अपडेट किया जाता है।
भारत में क्रेडिट स्कोर कौन जारी करता है?
भारत में मुख्यतः चार क्रेडिट ब्यूरो संस्थाएं हैं, जो व्यक्तियों तथा व्यवसायों को क्रेडिट स्कोर प्रदान करती हैं। आइए इन एजेंसियों तथा क्रेडिट स्कोर प्रदान करने की इनकी प्रणाली को संक्षेप में समझते हैं।
TransUnion CIBIL : आपने कई बार क्रेडिट स्कोर के स्थान पर CIBIL स्कोर का नाम सुना होगा। सिबिल एक क्रेडिट ब्यूरो संस्था है तथा इसके द्वारा दिए जाने वाले क्रेडिट स्कोर को ही सिबिल स्कोर कहा जाता है। अन्य एजेंसियों की तुलना में इसके क्रेडिट स्कोर का अधिक इस्तेमाल किया जाता है।
Experian : यह आयरलैंड आधारित विश्व की बड़ी क्रेडिट ब्यूरो संस्थाओं में शामिल है, जो दुनियाँ के तकरीबन 30 से अधिक देशों में कार्यरत है। भारत में 2006 में इसकी शुरुआत हुई तथा साल 2010 में इसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा काम करने के लिए एक कार्यात्मक लाइसेंस प्रदान किया गया।
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Equifax : TransUnion तथा Experian समेत दुनियाँ की बड़ी क्रेडिट ब्यूरो संस्थाओं में Equifax भी शामिल है। 1899 में शुरू हुई यह कंपनी क्रेडिट स्कोर प्रदान करने का कार्य करती है, जिसे 2010 में भारत में क्रेडिट स्कोर देने का लाइसेंस दिया गया है। CIBIL के समान यह भी 300 से 900 तक क्रेडिट स्कोर प्रदान करती है।
CRIF High Mark Credit Information Services : मुंबई आधारित यह एजेंसी 300 से 900 के मध्य क्रेडिट स्कोर प्रदान करती है, जिसमें 750 या इससे अधिक स्कोर को उत्कृष्ठ एवं 640 एवं इससे कम स्कोर को खराब क्रेडिट स्कोर की श्रेणी में रखा गया है। वर्तमान में यह दुनियाँ के लगभग 26 देशों में कार्यरत है।
ऊपर बताए गए किसी भी क्रेडिट ब्यूरो से आप निर्धारित शुल्क का भुगतान करके अपना क्रेडिट स्कोर अथवा क्रेडिट रिपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं। CIBIL द्वारा क्रेडिट रिपोर्ट तथा क्रेडिट स्कोर प्राप्त करने की कीमत 550 रुपये है, इसके अतिरिक्त Equifax में यह शुल्क 400 रुपये, Experian में 399 एवं CRIF Highmark में 399 रुपये है।
अच्छे क्रेडिट स्कोर के फायदे
अच्छे क्रेडिट स्कोर के आर्थिक रूप से कई फायदे हैं, अच्छे क्रेडिट स्कोर की सहायता से किसी व्यक्ति की वित्तीय विश्वसनीयता एवं आर्थिक स्थिरता का आँकलन किया जा सकता है। आइए इसके कुछ प्रमुख फ़ायदों पर नजर डालते हैं।
- अच्छे क्रेडिट स्कोर होने के चलते इस बात की बहुत अधिक संभावनाएं रहती हैं, कि बैंक या वित्तीय संस्थानों द्वारा किसी व्यक्ति का ऋण बेहद कम समय में मंजूर कर दिया जाए।
- अच्छा क्रेडिट स्कोर किसी व्यक्ति को सस्ती दरों पर ऋण मुहैया करवाने में भी मदद करता है।
- अच्छे क्रेडिट स्कोर के चलते बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा किसी व्यक्ति को क्रेडिट कार्ड जारी करने, पुराने क्रेडिट कार्ड को अपग्रेड करने अथवा उसकी खर्च सीमा में वृद्धि करने की संभावना बनी रहती है।
- अच्छा क्रेडिट स्कोर ऋण प्राप्त करने में लगने वाला प्रक्रिया शुल्क तथा अन्य शुल्कों में आवेदक को छूट दिलवा सकता है।
इन सब के विपरीत खराब क्रेडिट स्कोर के नुकसनों को देखें तो यह इन सभी लाभों के विपरीत हैं। खराब क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्ति के लिए ऋण या अन्य किसी भी प्रकार से क्रेडिट प्राप्त करना मुश्किल होता है। ऐसे व्यक्तियों को यदि ऋण मिल भी जाए तो उसकी ब्याज दरें सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक होती हैं।
क्रेडिट स्कोर को खराब करने वाले कारक
आइए अब उन कारणों को जानते हैं, जिनके चलते किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर बिगड़ सकता है।
- लिए गए ऋण की किसी भी किस्त के भुगतान में देरी क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर डालती है।
- किसी व्यक्ति को जारी कीये गए क्रेडिट कार्ड में खर्च की एक सीमा निर्धारित होती है, अतः इस सीमा का 50% या उससे अधिक इस्तेमाल भी क्रेडिट स्कोर पर बुरा प्रभाव डालता है, यह किसी व्यक्ति के केवल क्रेडिट पर निर्भर रहने तथा खराब वित्तीय प्रबंधन को दर्शाता है।
- किसी एक समयावधि के दौरान अधिक क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करना भी क्रेडिट स्कोर के लिए नकारात्मक है, यह किसी व्यक्ति के खराब आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।
खराब क्रेडिट स्कोर कैसे ठीक करें?
इससे पहले हमनें कुछ ऐसे कारक बताए हैं, जो आपके क्रेडिट स्कोर को खराब करने का काम करते हैं अतः ऊपर बताए गए सभी कारकों पर ध्यान देकर न केवल क्रेडिट स्कोर (Credit Score) को बिगड़ने से रोका जा सकता है, बल्कि एक अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाया भी जा सकता है।
यदि आप भी चाहते हैं कि आपका क्रेडिट स्कोर Excellent की श्रेणी में आए तो आपको एक बेहतरीन वित्तीय प्रबंधन की आवश्यकता है, जिसके लिए आप नीचे बताए गए तरीकों को अपना सकते हैं-
- अपने क्रेडिट कार्ड का बिल अथवा किसी लोन की EMI का समय से भुगतान करें
- क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल उसकी कुल खर्च सीमा या क्रेडिट लिमिट का 40% से अधिक ना करें
- अपने क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान हमेशा पूरा करें। क्रेडिट कार्ड कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराए गए मिनिमम ड्यू विकल्प का इस्तेमाल न करें।
- अपने क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान करने के लिए किसी अन्य क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल न करें।
- क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल केवल तभी करें जब आप आर्थिक रूप से उसके बिल का भुगतान करने में सक्षम हों।
क्रेडिट स्कोर कैसे बनाएं?
गौरतलब है कि किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर केवल उसके द्वारा लिए गए कर्ज के आधार पर बनता है। सामान्य बैंकिंग लेन-देन द्वारा किये गए भुगतान का क्रेडिट स्कोर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता अतः यदि आपने पूर्व में किसी बैंक से कोई ऋण या क्रेडिट कार्ड नहीं लिया है तो आपका क्रेडिट स्कोर नहीं बना होगा।
ऐसे में यदि आप भी अपना क्रेडिट स्कोर बनाना चाहते हैं तो इसका सबसे आसान तरीका किसी क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करना है। क्रेडिट कार्ड का सही तरीके एवं जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल किसी व्यक्ति का एक अच्छा क्रेडिट स्कोर अथवा क्रेडिट हिस्ट्री बनाने में मदद करता है।
यदि आप एक Salaried Person नहीं हैं तो उस स्थिति में आप Amazon, Flipkart जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म द्वारा प्रदान की जाने वाली Pay Later सेवा के माध्यम से भी अपना क्रेडिट स्कोर बना सकते हैं।
क्रेडिट स्कोर फ्री में कैसे चैक करें?
यदि आप अपना क्रेडिट स्कोर चैक करना चाहते हैं तो यह आप मुफ़्त में कर सकते हैं। हालांकि एक विस्तृत क्रेडिट रिपोर्ट के लिए आपको संबंधित क्रेडिट ब्यूरो को भुगतान करना होगा।
फ्री में क्रेडिट स्कोर चैक करने के लिए आप भारत सरकार की एप UMANG को इन्स्टॉल कर सकते हैं, इसके अलावा आप Paisa Bazar, PayTm जैसी एप से भी फ्री में अपना क्रेडिट स्कोर देख सकते हैं।
क्रेडिट ब्यूरो एवं क्रेडिट रेटिंग एजेंसी में क्या अंतर है?
अधिकांश लोग क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों तथा क्रेडिट ब्यूरो को एक ही संस्था समझते हैं, जबकि ये दोनों एक दूसरे से भिन्न हैं। जहाँ क्रेडिट ब्यूरो किसी व्यक्ति अथवा व्यवसाय को उसके वित्तीय व्यवहार के आधार पर क्रेडिट स्कोर प्रदान करते हैं, वहीं क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां मुख्यतः निवेशकों को ध्यान में रखते हुए काम करती हैं।
Credit Rating तथा Credit Score के बीच अंतर को विस्तार से पढ़ने के लिए क्लिक करें 👉 Credit Score Vs Credit Rating: क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रेटिंग में क्या अंतर है?
ये एजेंसियां किसी निवेशक को यह तय करने में मदद करती हैं, कि कोई कंपनी निवेश करने के लिहाज से कितनी सुरक्षित है। नंबरों के विपरीत ये एजेंसियां A, B, C, (AAA, BBB, AA) के आधार पर कंपनियों को रेटिंग देती हैं। प्रमुख क्रेडिट रेटिंग कंपनियों में CRISIL, CARE और Moody's आदि शामिल हैं।