Thursday, April 17, 2025

Mutual Funds और Stocks में क्या अंतर है और आपको किसमें निवेश करना चाहिए?

Mutual Funds एक प्रबंधित निवेश विकल्प है, जहाँ विशेषज्ञ आपके पैसे को विविध प्रकार के शेयरों और बांड्स में निवेश करते हैं। वहीं, Stocks में आप सीधे किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं और उसकी परफॉर्मेंस के आधार पर जोखिम एवं रिटर्न प्राप्त करते हैं।

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आर्थिक रूप से एक मजबूत और सुरक्षित कल की कामना करते हुए हम सभी आज अलग-अलग तरीकों से अपना पैसा निवेश करते हैं। इन्हीं तरीकों में म्यूचुअल फंड्स और स्टॉक्स दो ऐसे विकल्प हैं, जिन्हें इस दौर में लोगों द्वारा खासा पसंद किया जा रहा है।

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इस लेख में आज विस्तार से चर्चा करेंगे निवेश के इन दो प्रमुख विकल्पों Mutual Funds तथा Stocks की, जानेंगे म्यूचुअल फंड और स्टॉक्स क्या हैं, इन दोनों के बीच क्या प्रमुख अंतर हैं तथा म्यूचुअल फंड्स और स्टॉक्स में से किसमें निवेश करना आपके लिए अधिक फायदेमंद हो सकता है।

स्टॉक्स या शेयर क्या हैं?

शेयर किसी कंपनी की एक इकाई (Unit) या उसके एक छोटे से हिस्से को प्रदर्शित करता है। अलग-अलग कंपनियों के ये शेयर स्टॉक मार्केट में रोज खरीदे और बेचे जाते हैं, जब आप किसी कंपनी के कुछ शेयर खरीद लेते हैं तो आप उस कंपनी में शेयरों की संख्या के अनुसार हिस्सेदार बन जाते हैं।

किसी कंपनी के शेयर खरीदने पर निवेशक दो तरीके से पैसे कमा सकते हैं। इनमें पहला तरीका है शेयरों की कीमत में वृद्धि अर्थात X कीमत में शेयर खरीद कर उन्हें X+Y कीमत में बेच देना, इस स्थिति में निवेशक को Y रुपये प्रति शेयर का मुनाफा होता है।

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वहीं दूसरा तरीका है डिविडेंड, यह कंपनियों को हुए मुनाफे का एक हिस्सा है जिसे वे अपने शेयरधारकों में बांटती हैं। कंपनी के बोर्ड द्वारा प्रति शेयर डिविडेंड की घोषणा की जाती है और निवेशकों को उनके डीमैट खाते में मौजूद शेयरों की संख्या के अनुसार यह राशि प्राप्त होती है।

Mutual Funds क्या हैं?

वर्तमान में भारतीय शेयर बाजार में छोटी-बड़ी तकरीबन 5,000 से अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं। ऐसे में किसी निवेशक के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि वह इन हजारों कंपनियों में से केवल उनमें निवेश करे जहाँ उसे नुकसान होने की संभावना लगभग ना के बराबर हो और साथ ही एक अच्छा रिटर्न भी मिले।

निवेश के लिए सही स्टॉक्स पर दांव लगाया जाए इसके लिए किसी भी स्टॉक का बारीकी से विश्लेषण करना आवश्यक है, लेकिन प्रत्येक व्यक्ति जो शेयर बाजार में निवेश कर पैसे कमाना चाहता है उसके लिए यह काम आसान नहीं है।

म्यूचुअल फंड्स इसी समस्या के समाधान के तौर पर निवेश का एक बेहतरीन विकल्प बने हैं। म्यूचुअल फंड जैसा कि इसके नाम से साफ होता है अलग-अलग निवेशकों का एक “कॉमन फंड” होता है, जिसे शेयर बाजार के जानकारों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों की अलग-अलग कंपनियों में निवेश किया जाता है।

किसी कंपनी के शेयरों की भांति म्यूचुअल फंड्स को भी यूनिट में बांटा जाता है, जिन्हें NAV (Net Asset Value) कहते हैं। निवेशक इन यूनिट्स को खरीदते हैं और भविष्य में इनकी कीमतों में हुई वृद्धि के आधार पर उन्हें मुनाफा होता है।

म्यूचुअल फंड्स में निवेशकों का पैसा स्टॉक्स के अलावा अन्य वित्तीय उपकरणों में भी निवेश किया जाता है। फंड का कितना हिस्सा कहाँ निवेश होगा यह उस म्यूचुअल फंड के प्रकार के अनुसार तय होता है, जैसे इक्विटी फंड में पैसा स्टॉक्स में निवेश किया जाता है जबकि डेट फंड में बॉन्ड, डिबेंचर्स इत्यादि में।

किसी स्टॉक्स में निवेश करने पर कंपनी का चुनाव तथा उसका फंडामेंटल एनालिसिस निवेशक को स्वयं करना होता है जबकि म्यूचुअल फंड्स की स्थिति में शेयर बाजार के जानकार, जिन्हें आमतौर पर फंड मैनेजर कहा जाता है निवेशक के लिए यह काम करते हैं।

Mutual Funds में निवेश करने के फायदे

स्टॉक्स तथा म्यूचुअल फंड्स दोनों में जोखिम की संभावना बनी रहती है, लेकिन म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना स्टॉक्स की तुलना में कम जोखिम भरा होता है क्योंकि यहाँ फंड मैनेजर आपके पैसे को निवेश करते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी हैं, जिनके चलते म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने को प्राथमिकता दी जा सकती है।

Stocks की तुलना में अधिक स्थिर

स्टॉक्स की तुलना में म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना कम जोखिम भरा होता है और इसके कई कारण हैं, मुख्य कारण की बात करें तो यह म्यूचूअल फंड्स का विविधता से भरा होना (Diversified) है।

उदाहरण के तौर पर जब आप किसी कंपनी का एक शेयर खरीदते हैं तो उस शेयर की कीमत केवल एक कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर रहती है, जबकि म्यूचुअल फंड की स्थति में इसकी एक यूनिट की कीमत उन सभी कंपनियों के औसत प्रदर्शन पर निर्भर करती है जहाँ-जहाँ फंड को निवेश किया गया है।

फंड का बेहतर मैनेजमेंट

जैसा कि, हमनें ऊपर बताया म्यूचुअल फंड की स्थिति में शेयर बाजार के जानकार आपके पैसे को विभिन्न क्षेत्रों की अलग-अलग कंपनियों में निवेश करते हैं, लिहाजा किसी आम इंसान की तुलना में जानकारों द्वारा चुनी गई कंपनियों में जोखिम की संभावना कम और फायदा होने की संभावना अधिक हो जाती है।

निवेश करने का सुविधाजनक विकल्प

म्यूचुअल फंड्स में आपको निवेश करने का एक सुविधाजनक विकल्प मिलता है, जिसे SIP (Systematic Investment Plan) कहा जाता है। SIP के माध्यम से आप हर महीने एक निश्चित राशि अपने पसंद के फंड में निवेश कर सकते हैं, एक बार SIP करने के पश्चात यह राशि हर महीने बैंक एकाउंट से ऑटो डेबिट हो जाती है।

Income Tax में छूट

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने का एक सबसे बड़ा फायदा आयकर में मिलने वाली छूट भी है। ELSS (Equity Linked Saving Scheme) म्यूचुअल फंड्स का एक प्रकार है, जहाँ निवेश करने पर आप आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत एक साल में 1.5 लाख तक की आयकर छूट ले सकते हैं।

Stocks में निवेश करने के फायदे

ऊपर हमनें स्टॉक्स के बजाए म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कुछ प्रमुख फ़ायदों को देखा, लेकिन स्टॉक्स में निवेश करने के भी कुछ फायदे हैं जिनकी चर्चा यहाँ की गई है-

निवेश की स्वतंत्रता

यदि आप अपने फंड को खुद मैनेज करना चाहते हैं, तो म्यूचुअल फंड के बजाए स्टॉक्स में निवेश करना आपके लिए अधिक फायदेमंद हो सकता है।

म्यूचुअल फंड्स की स्थिति में आपका पैसा AMCs (Asset Management Companies) द्वारा नियुक्त किये गए फंड मैनेजर अपने अनुसार निवेश करते हैं, आपका इस पर कोई नियंत्रण नहीं होता। किन्तु स्टॉक्स की स्थिति में आपको निवेश करने या अपने फंड को प्रबंधित करने की पूरी स्वतंत्रता होती है।

अधिक लाभ की संभावना

म्यूचुअल फंड में जहाँ Diversified पोर्टफोलियो आपके जोखिम को कम करता है वहीं यह स्टॉक्स की तुलना में आपके मुनाफे को भी कम कर देता है। स्टॉक्स यदि गहन विश्लेषण कर चुने जाएं तो कई गुना तक मुनाफा दे सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर हैदराबाद आधारित क्लाउड कम्युनिकेशन कंपनी Tanla Platforms Ltd. ने पिछले 3 सालों में ही अपने निवेशकों का पैसा 14 गुना किया है। वहीं टाटा समूह की Tata Elxsi Ltd. में पिछले 4 वर्षों में निवेशकों को 12 गुना से अधिक का बम्पर रिटर्न दिया है।

अनावश्यक शुल्कों से मुक्ति

म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर आपको कई तरह के चार्जेस देने होते हैं, जिनमें Exit Load और एक्सपेंस रेश्यो मुख्य हैं। एग्जिट लोड वह शुल्क है, जो निवेशकों पर एक निश्चित अवधि से पहले म्यूचुअल फंड से बाहर निकलने पर लगाया जाता है वहीं एक्सपेंस रेश्यो आपके फंड को मैनेज करने के सालाना शुल्क के तौर पर वसूला जाता है।

यदि आप स्टॉक्स में निवेश करते हैं तो आप इन दोनों शुल्कों से बच सकते हैं। स्टॉक्स को आप अपनी इच्छा के अनुसार होल्ड कर सकते हैं या कभी भी बेच सकते हैं, साथ ही स्टॉक्स में निवेश करने पर आपको अपने फंड को मैनेज करने के लिए भी कोई शुल्क देने की आवश्यकता नहीं होती है।

निष्कर्ष

स्टॉक्स तथा म्यूचुअल फंड दोनों वर्तमान दौर में निवेश के बेहतरीन विकल्प बनकर उभरे हैं। स्टॉक्स किसी कंपनी का एक छोटा सा हिस्सा है, जिसे एक संस्थागत या व्यक्तिगत निवेशक ट्रेड कर सकता है।

वहीं म्यूचुअल फंड हजारों-लाखों निवेशकों के पैसों का एक पूल होता है, जिसे एसेट मैनेजमेंट कंपनियों द्वारा विभिन्न कंपनियों के स्टॉक्स, प्राइवेट एवं सरकारी बॉन्ड, डिबेंचर्स आदि में निवेश किया जाता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर निवेशकों को किसी कंपनी के स्टॉक्स के विपरीत उस फंड की यूनिट मिलती हैं। स्टॉक्स तथा म्यूचुअल फंड में से किसे निवेश के विकल्प के तौर पर चुना जाए यह बहुत हद तक निवेशक की मानसिकता पर निर्भर करता है।

स्टॉक्स में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट एवं ट्रेडिंग एकाउंट की आवश्यकता होती है, जबकि म्यूचुअल फंड में आप बिना डीमैट खाते के भी निवेश किया जा सकता है, डिजिटल वॉलेट की सेवा देने वाले कई एप्स अब म्यूचुअल फंड में निवेश करने का विकल्प भी प्रदान कर रहे हैं।

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