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फाइनेंशियल मार्केट क्या है, इसके कितने प्रकार हैं और अर्थव्यवस्था में इसकी क्या भूमिका है?

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संक्षेप में

फाइनेंशियल मार्केट या वित्तीय बाज़ार वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र है। यह विभिन्न प्रकार के फाइनेंशियल इन्स्ट्रूमेंट्स को खरीदने और बेचने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, वित्तीय बाजार इसके प्रतिभागियों को निवेश करने, पूंजी जुटाने, वित्तीय जोखिम का प्रबंधन करने और धन के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के अवसर प्रदान करता है।

यहाँ आपने वित्तीय बाजार क्या है? संक्षेप में जाना, आर्थिक पाठशाला से जुड़े आज के इस लेख में आगे विस्तार से चर्चा करेंगे फाइनेंशियल मार्केट की, जानेंगे यह क्या है? वित्तीय बाजार के कितने प्रकार हैं? वित्तीय बाजारों की विशेषताएं क्या हैं? वित्तीय बाजार के क्या कार्य हैं तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसकी क्या भूमिका है?

वित्तीय बाजार या फाइनेंशियल मार्केट क्या है?

वित्तीय बाजार जैसा कि इसके नाम से पता चलता है एक प्रकार का बाजार है। जहाँ किसी साधारण बाजार में वस्तुओं अथवा सेवाओं को खरीदा और बेचा जाता है वहीं वित्तीय बाज़ार में विभिन्न प्रकार के वित्तीय उत्पादों (Financial Instruments) जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड, डिबेंचर्स, मुद्राओं आदि की खरीद-बिक्री की जाती है। वित्तीय बाजार में धन का प्रवाह आधिक्य वाले क्षेत्रों से कमी वाले क्षेत्रों की ओर होता है।

किसी अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में वित्तीय बाज़ार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वित्तीय बाजार संसाधनों के बेहतर वितरण और व्यवसायों एवं उद्यमियों (Businesses & Entrepreneurs) के लिए उनकी ज़रूरत के अनुसार धन इकट्ठा करने में मदद करता है।

वित्तीय बाज़ार व्यवसायों एवं उद्यमियों के साथ-साथ आम लोगों को भी अपनी वित्तीय संपत्ति को आसानी से खरीदने और बेचने की सुविधा उपलब्ध करते हैं, ये व्यक्तियों, संस्थाओं आदि के लिए निवेश के विकल्प भी बनाते हैं ताकि लोग अपने अतिरिक्त धन को निवेश कर उससे रिटर्न कमा सकें। स्टॉक मार्केट भी एक प्रकार का वित्तीय बाज़ार ही है, वित्तीय बाज़ार का निर्माण तब होता है जब व्यक्ति, संस्थाएं आदि इक्विटी, बांड, मुद्राएं और डेरिवेटिव सहित अन्य किसी वित्तीय उपकरण को खरीदते या बेचते हैं।

वित्तीय बाजार के कितने प्रकार हैं?

वित्तीय बाज़ार (Financial Market) के मुख्यतः दो अंग हैं।

  • मुद्रा बाज़ार
  • पूँजी बाज़ार

ऐसा बाजार जहाँ विभिन्न वित्तीय संपत्तियों तथा परिसंपत्तियों की खरीद तथा बिक्री अल्प काल, सामान्यतः एक वर्ष से कम की अवधि के लिए की जाती है मुद्रा बाजार कहलाता है। इस बाजार के माध्यम से रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रा की तरलता (Liquidity) को नियंत्रित किया जाता है। 

तरलता से आशय किसी भी वित्तीय संपत्ति को न्यूनतम समय तथा न्यूनतम हानि में नगदी या कैश में परिवर्तन करने से है। उदाहरण के तौर पर सोने को किसी मकान की तुलना में बेहद कम समय में कैश में बदला जा सकता है अतः सोने की तरलता मकान से अधिक होगी।

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मुद्रा बाज़ार के दो भाग हैं, जिनमें संगठित मुद्रा बाजार और असंगठित मुद्रा बाज़ार शामिल हैं। संगठित मुद्रा बाज़ार में बाजार नियामक (Market Regulator) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यहाँ सभी लेन-देन नियामक की निगरानी में नियम-कानूनों का पालन करते हुए सम्पन्न होते हैं। बैंक, NBFCs आदि संगठित मुद्रा बाजार के प्रमुख उदाहरण हैं। संगठित मुद्रा बाज़ार में नियामक की भूमिका देश का केन्द्रीय बैंक (आरबीआई) निभाता है।

रिजर्व बैंक, बैंकों के संचालन के लिए नियम-विनियम बनाने के साथ-साथ महत्वपूर्ण ब्याज दरों का निर्धारण भी करता है तथा मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित कर मुद्रास्फीति (महँगाई) तथा अवस्फीति (मंदी) को नियंत्रित करता है। संगठित मुद्रा बाजार के विपरीत असंगठित मुद्रा बाजार में किसी नियामक या नियमों कानूनों की कोई भूमिका नहीं होती महाजन, सेठ तथा साहूकार आदि इसके मुख्य उदाहरण हैं।

ऐसा बाज़ार जहाँ वित्तीय सम्पतियों अथवा परिसंपत्तियों का क्रय-विक्रय दीर्घावधि, सामान्यतः एक वर्ष की अवधि से अधिक समय के लिए किया जाए पूँजी बाजार (Capital Market) कहलाता है। कैपिटल मार्केट को दो खंडों में विभाजित किया जाता है, जिनमें प्राथमिक बाजार तथा द्वितीयक बाजार शामिल हैं।

प्राथमिक बाजार उसे कहते हैं जहां नई प्रतिभूतियां / फाइनेंशियल इन्स्ट्रूमेंट्स जारी किये जाते हैं जबकि द्वितीयक बाजार, ऐसा बाजार है जहां मौजूदा फाइनेंशियल इन्स्ट्रूमेंट्स खरीदे और बेचे जाते हैं। स्टॉक, बॉन्ड जैसे वित्तीय उपकरण इसके उदाहरण हैं। पूंजी बाजार के नियामक का कार्य Securities and Exchange Board of India (SEBI) द्वारा किया जाता है। यहाँ धन को आधिक्य वाले क्षेत्रों से निकालकर ऐसे क्षेत्रों में निवेश किया जाता है, जहाँ उसकी अधिक माँग है।

डेरिवेटिव मार्केट (Derivative Market) एक ऐसा बाजार है जहाँ विभिन्न प्रकार के डेरिवेटिव उत्पादों को खरीदा और बेचा जाता है। गौरतलब है कि डेरिवेटिव ऐसे वित्तीय उत्पाद होते हैं जिनका अपना कोई मूल्य नहीं होता है बल्कि ये अपना मूल्य इनमें अंतर्निहित ऐसेट (Underlying Asset) द्वारा प्राप्त करते हैं।

फाइनेंशियल इन्स्ट्रूमेंट्स में सीधे व्यापार करने के बजाय, डेरिवेटिव मार्केट में Futures और Options अनुबंधों में व्यापार किया जाता है जो बॉन्ड, कमॉडिटी, करेंसी, ब्याज दरों, बाजार सूचकांक और स्टॉक जैसे अंतर्निहित उपकरणों से अपना मूल्य प्राप्त करते हैं।

डेरिवेटिव मार्केट क्या है तथा कैसे काम करती है इसे विस्तार से जानने के लिए यह लेख पढ़ें 👉 फ्यूचर एवं ऑप्शन (Futures & Options) ट्रेडिंग क्या होती है?तथा फ्यूचर एवं ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करें?

किसी भी देश, कंपनी अथवा व्यक्ति को वैश्विक व्यापार तथा निवेश के लिए विदेशी मुद्रा की आवश्यकता होती है और इस जरूरत को पूरा करने में विदेशी मुद्रा बाजार अहम भूमिका अदा करता है। विदेशी मुद्रा बाजार वह जगह है जहाँ मुख्य रूप से मुद्राओं (Currencies) का कारोबार होता है।

यह वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा और सबसे अधिक लिक्विड फाइनेंशियल मार्केट है, जो एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा के विनिमय की सुविधा प्रदान करता है। फॉरेक्स मार्केट के प्रतिभागियों में सामान्यतः विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक, वित्तीय संस्थान, कंपनियाँ तथा व्यक्तिगत व्यापारी शामिल होते हैं।

जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट होता है कमॉडिटी मार्केट के माध्यम से विभिन्न प्रकार की कमॉडिटीज अथवा भौतिक वस्तुओं जैसे कृषि उत्पादों, ऊर्जा संसाधनों एवं कीमती धातुओं का व्यापार किया जाता है। इस बाज़ार के प्रतिभागियों में मुख्य रूप से उत्पादक, उपभोक्ता और सट्टेबाज शामिल होते हैं।

वित्तीय बाजार के क्या कार्य हैं?

वित्तीय बाजार (Financial Market) वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपना अहम योगदान देते हैं, यहाँ डिमांड-सप्लाई के आधार पर विभिन्न वित्तीय संपत्तियों / परिसंपत्तियों की कीमतों का निर्धारण किया जाता है। फाइनेंशियल मार्केट का एक मुख्य कार्य अर्थव्यवस्था में पूंजी निर्माण करना भी है।

वित्तीय बाज़ार Savers से Borrower के बीच धन के प्रवाह को बढ़ाते हैं। कंपनियां स्टॉक और बॉन्ड जारी करके पूंजी जुटाती हैं, जिन्हें निवेशक कंपनी के विकास में भाग लेने और उसके मुनाफे में हिस्सेदार बनने के लिए खरीदते हैं। किसी भी निवेशक के लिए तरलता या Liquidity बेहद जरूरी होती है वित्तीय बाजार विभिन्न ऐसेट्स की खरीद और बिक्री को सुलभ बनाते हुए बाजार के प्रतिभागियों को तरलता प्रदान करते हैं।

इसके अतिरिक्त वित्तीय बाजार किसी देश के केन्द्रीय बैंक के लिए एक बेहतर मौद्रिक नीति (Monetary Policy) लागू करने का भी प्रमुख टूल होता है, इसकी सहायता से किसी अर्थव्यवस्था में धन के प्रवाह को कम या अधिक किया जा सकता है ताकि मुद्रास्फीति तथा अपस्फीति जैसी स्थितियों से बचा जा सके।