Tuesday, April 1, 2025

सरकारी बॉन्ड क्या होते हैं, कितने प्रकार के होते हैं और इन्हें कैसे खरीदें?

सरकारी बॉन्ड एक प्रकार की सरकारी प्रतिभूति होती है, जिसे सरकारों द्वारा अपने खर्चों की पूर्ति के लिए जारी किया जाता है। इन्हें जारी कर सरकार बाजार से पैसे इकट्ठा करती है और उसका इस्तेमाल विभिन्न परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए किया जाता है।

Text Size:

सरकारी बॉन्ड (Government Bond) क्या होते हैं?

सरकारी बॉन्ड एक प्रकार की सरकारी प्रतिभूति (Government Securities) होती है, जिसे सरकारों द्वारा अपने खर्चों की पूर्ति के लिए जारी किया जाता है। इन्हें जारी कर सरकार बाजार से पैसे इकट्ठा करती है और उसका इस्तेमाल विभिन्न परियोजनाओं तथा विकास कार्यों को वित्तपोषित करने के लिए किया जाता है।

- Advertisement -

सरकारी बॉन्ड सामान्यतः जारीकर्ता (जैसे केंद्र एवं राज्य सरकार) तथा निवेशक के बीच एक कॉन्ट्रेक्ट होता है, जिसमें जारीकर्ता, निवेशक को एक निर्धारित तिथि पर मूलधन की अदायगी के साथ निवेशक द्वारा खरीदे गए बॉन्ड पर एक निश्चित दर से ब्याज की गारंटी देता है।

सरल शब्दों में सरकारी बॉन्ड में निवेश करने वाले निवेशकों को उनके निवेश पर निश्चित दर से ब्याज दिया जाता है और निवेश की अवधि पूरी हो जाने पर उन्हें मूलधन वापस कर दिया जाता है।

सरकारी प्रतिभूति क्या होती है?

प्रतिभूति (Securities) एक प्रकार का वित्तीय साधन है, जिसे धन जुटाने के उद्देश्य से जारी किया जाता है। इसका एक निश्चित मौद्रिक मूल्य होता है और इसकी खरीद-बिक्री करी जा सकती है। प्रतिभूतियों के उदाहरणों की बात करें तो इनमें शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर या सरकारी प्रमाणपत्र आदि शामिल हो सकते हैं।

- Advertisement -

इस प्रकार ऐसी प्रतिभूतियाँ जिन्हें सरकारों द्वारा जारी किया जाता है उन्हें सरकारी प्रतिभूतियाँ या गवर्नमेंट सिक्योरिटीज कहते हैं। सरकारी प्रतिभूति दो प्रकार की होती हैं, जिनमें सरकारी बॉन्ड तथा ट्रेजरी बिल शामिल हैं। आइये अब इन प्रतिभूतियों को जारी करने के पीछे की मंशा को समझते हैं।

यह भी पढ़ें 👉 मुद्रास्फीति क्या होती है, इसके क्या कारण हैं तथा इसे कैसे कंट्रोल किया जाता है?

जिस प्रकार कोई कंपनी पैसे की आवश्यकता होने पर अपने शेयर, बॉन्ड या डिबेंचर जारी करती है उसी प्रकार जब सरकार को किसी योजना या अपने खर्चों को पूरा करने के लिए पैसे की जरूरत होती है, तो वह सरकारी प्रतिभूतियों जैसे बॉन्ड या ट्रेजरी बिल इत्यादि को बाजार में जारी कर पूँजी इकट्ठा करती है।

जहाँ शेयर बाजार में आप किसी कंपनी के शेयर खरीदनें पर उस कंपनी में हिस्सेदार बन जाते हैं, वहीं प्रतिभूति खरीदनें पर जारीकर्ता (कोई कंपनी या सरकार) आपको आपकी खरीदी प्रतिभूतियों के बदले निश्चित अवधि तक ब्याज चुकाता है और अवधि पूर्ण हो जाने पर आपको आपका मूलधन लौटा दिया जाता है।

सरकारी प्रतिभूति कौन जारी करता है?

सरकारी प्रतिभूतियों को जिसके अंतर्गत सरकारी बॉन्ड तथा ट्रेजरी बिल शामिल हैं सरकार के कहने पर भारतीय रिजर्व बैंक जारी करता है। सरकारी बॉन्ड केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों दोनों द्वारा जारी किए जाते हैं।

गौरतलब है कि, केंद्र सरकार बॉन्ड तथा ट्रेजरी बिल दोनों प्रकार की सरकारी प्रतिभूतियों को जारी कर सकती है जबकि राज्य सरकारें केवल बॉन्ड जारी करने का अधिकार रखती हैं, जिन्हें स्टेट डेवलेपमेंट लोन या SDLs कहा जाता है।

सरकारी बॉन्ड तथा ट्रेजरी बिल में क्या अंतर है?

सरकारी प्रतिभूतियाँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं। इनमें पहली ट्रेजरी बिल तथा दूसरी बॉन्ड हैं आइए इन दोनों के मध्य मुख्य अंतर को जानते हैं- 

#1 ट्रेजरी बिल (T-Bill)

यदि कोई सरकारी प्रतिभूति एक साल से कम अवधि के लिए खरीदी जाए, तो उसे ट्रेजरी बिल कहा जाता है। ट्रेजरी बिल 91 दिन, 182 दिन तथा 364 दिन की अवधियों के लिए ही बेचे जाते हैं।

ट्रेजरी बिल सामान्यतः जीरो कूपन बॉन्ड होते हैं अर्थात इनकी खरीद पर आपको कोई ब्याज नहीं दिया जाता। बल्कि ये निवेशको को इनकी मूल कीमत से कम दामों में बेची जाती हैं तथा समयावधि पूर्ण हो जाने पर सरकार द्वारा मूल कीमत में वापस खरीद ली जाती हैं।

#2 सरकारी बॉन्ड (Government Bond)

एक साल की अवधि से अधिक समय के लिए बेची जाने वाली सरकारी प्रतिभूतियाँ, बॉन्ड कहलाती हैं। बॉन्ड में सामान्यतः जितनी अवधि के लिए वह खरीदे गए हैं उतनी अवधि तक आपको ब्याज दिया जाता है।

यह भी पढ़ें 👉 Futures & Options ट्रेडिंग क्या होती है और फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करें?

सरकारी प्रतिभूतियों में दिया जाने वाला ब्याज किसी बैंक के जमा खाते की तुलना में लगभग दो गुना होता है। बॉन्ड की समयावधि 5 से 40 वर्षों तक हो सकती है। सरकार द्वारा जारी किये जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण बॉन्ड निम्न हैं-

  1. फिक्स्ड रेट बॉन्ड
  2. फ्लोटिंग रेट बॉन्ड
  3. कैपिटल इंडेक्स्ड बॉन्ड
  4. इन्फ्लेशन इंडेक्स्ड बॉन्ड
  5. कॉल पुट बॉन्ड
  • फिक्स्ड रेट बॉन्ड

इस प्रकार के बॉन्ड में निवेशकों को दिये जाने वाले ब्याज की दर बॉन्ड की अवधि पूर्ण होने तक एक समान रहता है।

  • फ्लोटिंग रेट बॉन्ड

इस प्रकार के बॉन्ड में निवेशकों को दिये जाने वाले ब्याज की दर निश्चित नहीं होती यह निर्धारित समय में बदलती रहती है।

  • कैपिटल इंडेक्स्ड बॉन्ड

इस प्रकार के बॉन्ड में निवेशकों को पूरी अवधि के लिए ब्याज तो निश्चित दर से मिलता है, किंतु उनके मूलधन को महँगाई से सुरक्षित रखा जाता है। अतः बॉन्ड की समयावधि पूर्ण होने पर उन्हें नया मूलधन (जिसकी गणना महँगाई में वृद्धि के अनुसार की जाती है) दिया जाता है।

  • इन्फ्लेशन इंडेक्स्ड बॉन्ड

इस प्रकार के बॉन्ड में मूलधन के साथ साथ ब्याज दर को भी महँगाई से सुरक्षित रखा जाता है अतः निवेशकों को दिये जाने वाले ब्याज की दरें महँगाई में बदलाव के अनुसार बदलती रहती हैं। महँगाई से पूर्णतः सुरक्षित होने के कारण यह बॉन्ड सर्वाधिक खरीदे जाते हैं।

  • कॉल पुट बॉन्ड

इस प्रकार का बॉन्ड जारीकर्ता तथा निवेशक दोनों को एक विशिष्ट प्रकार का अधिकार देता है, जिसमें जारीकर्ता के पास यह अधिकार होता है कि, वह जारी किया गया बॉन्ड समयावधि पूर्ण होने के पूर्व ही वापस खरीद (कॉल विकल्प का प्रयोग) सकता है।

साथ ही निवेशक के पास यह अधिकार होता है कि, वो अपना बॉन्ड समयावधि पूर्ण होने से पहले ही जारीकर्ता को बेच (पुट विकल्प का प्रयोग) सकता है। निवेशक ऐसे बॉन्ड केवल कॉल सुविधा, केवल पुट सुविधा अथवा दोनों सुविधाओं के साथ खरीद सकते हैं। इस सुविधा का लाभ वे बॉन्ड खरीदने के 5 वर्ष की अवधि के बाद ले सकते हैं।

सरकारी बॉन्ड में निवेश करने के क्या फायदे हैं?

निवेश के पारंपरिक तरीकों जैसे Fixed Deposit, Recurring Deposit आदि के विपरीत सरकारी बॉन्ड में निवेश करना किसी भी निवेशक के लिए अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है। आइए सरकारी बॉन्ड में निवेश करने के कुछ महत्वपूर्ण फ़ायदों को देखते हैं-

  • #1 निवेश की सुरक्षा

सरकारी बॉन्ड में निवेश करना सबसे सुरक्षित निवेश समझा जाता है, क्योंकि ये देश की सरकार द्वारा समर्थित होते हैं अथवा सरकार द्वारा जारी किये जाते हैं। सरकारी बॉन्ड में निवेश करना कॉर्पोरेट बॉन्ड, म्यूचुअल फंड या स्टॉक की तुलना में कम जोखिम भरा है।

  • #2 लगातार आय का स्रोत

सरकारी बॉन्ड में निवेश करने पर सरकार निवेशक को एक निश्चित अवधि में ब्याज का भुगतान करती है अतः इसे अपनी नियमित आय का स्रोत बनाया जा सकता है।

  • #3 पोर्टफोलियो में विविधता

निवेश करने के मामले में “Don’t Put All your Eggs in One Basket” की थ्योरी खासा प्रचलित है, जिसके अनुसार निवेशकों का पोर्टफोलियो हमेशा Diversified होना चाहिए ताकि किसी एक क्षेत्र में नुकसान होने की स्थिति में अन्य विकल्पों से उसकी भरपाई हो सके।

यह भी पढ़ें 👉 Equity Market और Commodity Market क्या हैं और इन दोनों में क्या अंतर है?

इस मामले में सरकरी बॉन्ड में निवेश करना बेहद फायदेमंद होता है, स्टॉक मार्केट या म्यूचुअल फंड के जोखिम को यहाँ से कम किया जा सकता है।

  • #4 टैक्स में छूट

कई तरह के सरकारी बॉन्ड (Government Bond) निवेशकों को टैक्स में छूट का लाभ भी देते हैं अतः इनमें निवेश कर व्यक्ति एक सीमा तक टैक्स में छूट का लाभ ले सकता है।

  • #5 महंगाई से सुरक्षा

सरकारी बॉन्ड में निवेश करने का एक फायदा यह भी है कि यहाँ से मिलने वाला ब्याज तथा मैच्योरिटी पर मिलने वाला मूलधन दोनों महंगाई दर के अनुरूप बढ़ते रहते हैं।

जहाँ वित्तीय संस्थानों की योजनाओं में महँगाई बढ़ने पर भी रिटर्न समान रहता है वहीं सरकारी बॉन्ड में महँगाई को ध्यान में रखते हुए मूलधन तथा ब्याज दर में आवश्यक परिवर्तन किया जाता है। हालांकि यह सरकारी बॉन्ड के प्रकार पर निर्भर करता है।

  • #6 तरलता (Liquidity)

स्टॉक्स में निवेश करने पर निवेशक को तरलता मिलती है अर्थात निवेशक जरूरत पढ़ने पर आसानी से स्टॉक्स को बेच कर नकदी में परिवर्तित कर सकता है।

जबकि अधिकांश सुरक्षित निवेश में यह विकल्प मौजूद नहीं होता यहाँ निवेशक को मैच्योरिटी तक रुकना होता है, लेकिन सरकारी बॉन्ड में निवेश करने पर व्यक्ति को सुरक्षा के साथ-साथ तरलता भी मिलती है। कई तरह के सरकारी बॉन्ड द्वितीयक बाजार में आसानी से खरीदे और बेचे जा सकते हैं।

सरकारी बॉन्ड कैसे खरीदें?

सरकारी बॉन्ड में निवेश करना निश्चित आय प्राप्त करने का एक सुरक्षित तरीका है। सरकारी प्रतिभूतियाँ विभिन्न बैंकों या वित्तीय कंपनियों के माध्यम से खरीदी जा सकती हैं। यदि आप भी सरकारी बॉन्ड में निवेश करने की सोच रहे हैं तो भारत में सरकारी बांडों में निवेश कैसे करें? इस बारे में हमनें नीचे चरणबद्ध तरीके से बताया है

यदि आप सरकारी बॉन्ड में निवेश करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे बेहतरीन विकल्प आरबीआई रिटेल डाइरेक्ट है। साल 2021 में केंद्र सरकार ने आरबीआई रिटेल डाइरेक्ट योजना की शुरुआत करी, जिसका उद्देश्य रिटेल या खुदरा निवेशकों को सीधे सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की सहूलियत प्रदान करना है।

इसके अलावा आप डीमैट अकाउंट के माध्यम से भी सरकारी प्रतिभूतियों जैसे ट्रेजरी बिल तथा बॉन्ड खरीद सकते हैं। इसके लिए नीचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करें।

  • डीमैट खाता खोलें

सरकारी बॉन्ड में निवेश करने के लिए सबसे पहले आपको एक डीमैट एकाउंट की जरूरत होगी। कम शुल्क तथा अच्छी सेवा के चलते जीरोधा सिक्योरिटीज किसी भी प्रकार की प्रतिभूति खरीदने का एक बेहतरीन विकल्प है। ऑनलाइन डीमैट खाता खोलने के लिए आप यहाँ दी गई लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

  • बॉन्ड का चुनाव करें

डीमैट खाता खोलने के पश्चात आपको नीलामी के लिए उपलब्ध सरकारी बॉन्ड, T-Bill तथा SDL में से उस बॉन्ड का चुनाव करना होगा जिसे आप खरीदना चाहते हैं।

गौरतलब है कि सरकारी बॉन्ड को XX GS YY के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, जहाँ XX निवेश पर मिलने वाली ब्याज दर GS सरकारी बॉन्ड तथा YY किसी बॉन्ड की Expiry या Maturity को दिखाता है।

यह भी पढ़ें 👉 Tax Haven Countries in Hindi: टैक्स हेवन देश क्या होते हैं? इनकी मदद से टैक्स की चोरी कैसे करी जाती है?

उदाहरण के लिए 7.5% GS 28 एक सरकारी बॉन्ड का कोड है, जो साल 2028 में एक्सपायर होगा और जिस पर 7.5 फीसदी का ब्याज दिया जाएगा।

  • निवेश करें

इसके बाद आप मनचाहे बॉन्ड के लिए बोली लगा सकते हैं और सरकारी बॉन्ड मिलने के बाद आपके डीमैट खाते में इसे देखा जा सकता है।

  • द्वितीयक मार्केट से कैसे खरीदें बॉन्ड

जैसे किसी कंपनी के शेयर खरीदने के लिए निवेशक के पास प्राइमरी मार्केट यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग तथा सेकेंडरी मार्केट यानी शेयर बाजार का विकल्प होता है उसी प्रकार सरकारी बॉन्ड भी Primary Market तथा Secondary Market से खरीदे जा सकते हैं।

यदि आप सेकेंडरी मार्केट से सरकारी बॉन्ड खरीदना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको वही प्रक्रिया अपनानी होगी जो किसी कंपनी के शेयर खरीदने के लिए अपनाई जाती है।

सार-संक्षेप

सरकारी बॉन्ड या गवर्मेंट बॉन्ड एक प्रकार का वित्तीय उपकरण (Financial Instrument) है, जिसे सरकारों द्वारा पूँजी जुटाने के लिए जारी किया जाता है। जब निवेशक किसी सरकारी बॉन्ड को खरीदते हैं तो वे एक तरीके से सरकार को उधार देते हैं और सरकार उन्हें एक निश्चित दर से ब्याज का भुगतान करती है।

प्रत्येक बॉन्ड एक परिपक्वता अवधि (Maturity Period) के साथ आता है और इस अवधि के पूरा हो जाने पर निवेशक को उसका मूलधन लौटा दिया जाता है।

चूँकि इन्हें सरकारें जारी करती हैं अतः ये निवेश के सबसे सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं। सरकारी प्रतिभूतियों जैसे सरकारी बॉन्ड, ट्रेजरी-बिल, स्टेट डेवलपमेंट लोन इत्यादि को आरबीआई के रिटेल डाइरेक्ट प्लेटफ़ॉर्म या किसी भी डीमैट अकाउंट के माध्यम से खरीदा जा सकता है।

लेटेस्ट आर्टिकल

विज्ञापन spot_img