शेयर बाजार से पैसे कमाने के मूलभूत सिद्धांत को देखें तो यह “किसी कंपनी के शेयरों को सस्ते में खरीद कर उन्हें महँगे में बेचना” है और इसके कई तरीके हो सकते हैं।
ऐसे ही दो महत्वपूर्ण तरीकों की हम आज चर्चा करने जा रहे हैं जिन्हें Investing और Trading के रूप में जाना जाता है। लेख में आगे विस्तार में जानेंगे इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग क्या हैं, दोनों में क्या अंतर है (Difference Between Investing & Trading) और आपके लिए इनमें से कौन सा विकल्प बेहतर है।
Investing क्या है?
Investing शेयर बाजार में निवेश करने का एक ऐसा तरीका है, जहाँ कोई निवेशक लंबी अवधि के लिए विभिन्न प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट जैसे किसी कंपनी के शेयर्स, बॉन्ड तथा डिबेंचर आदि में निवेश करता है। यह अवधि कुछ सालों से लेकर दशकों तक की हो सकती है।
Investing के पीछे किसी निवेशक का मुख्य उद्देश्य समय के साथ धीरे-धीरे अपने निवेश पर मुनाफा कमाना अथवा अपनी वेल्थ को बढ़ाना होता है।
Trading क्या होती है?
ट्रेडिंग में एक निवेशक जिसे आमतौर पर “ट्रेडर” कहा जाता है, बहुत कम समय के लिए किसी फाइनेंशियल इन्स्ट्रूमेंट जैसे स्टॉक्स आदि को खरीदता है। इस स्थिति में ट्रेडर का उद्देश्य कम समय में बाजार से अधिक मुनाफा कमाना होता है, ट्रेडिंग की अवधि सामान्यतः कुछ मिनटों से लेकर कुछ दिनों या महीनों तक की हो सकती है।
Investing और Trading में क्या अंतर है?
ऊपर बताई गई परिभाषाओं के माध्यम से आप Investing और Trading क्या हैं तथा इन दोनों के बीच क्या बुनियादी अंतर है इसे समझ चुके हैं। लेकिन इनके बीच कुछ अन्य अंतर भी हैं, आइए इन्हें समझते हैं
#1 निवेश करने का आधार
शेयर बाजार में पैसे लगाने वाला प्रत्येक व्यक्ति यहाँ से अच्छा मुनाफा कमाना चाहता है और इसके लिए उसके पास किसी कंपनी के शेयरों को खरीदने के लिए पर्याप्त कारणों का होना बेहद आवश्यक है, फिर चाहे वह दीर्घकालिक अवधि के लिए किया गया इन्वेस्टमेंट हो या कम समय के लिए लिया गया ट्रेड। इन्हीं कारणों को तलाशने की प्रक्रिया Trading और Investing को एक दूसरे से अलग करती है।
सामान्य शब्दों में समझें तो कोई निवेशक किसी कंपनी के शेयरों को खरीदने के लिए उसका फंडामेंटल विश्लेषण (Fundamental Analysis) करता है, जिसके अंतर्गत कंपनी का बिजनेस मॉडल, उसकी वित्तीय स्थिति, पिछला परफ़ॉर्मेंस रिकॉर्ड, उस उद्योग का विश्लेषण जिस पर कंपनी आधारित है जैसे पहलू शामिल हैं।
इन्वेस्टिंग के विपरीत कोई ट्रेडर टेक्निकल विश्लेषण (Technical Analysis) के आधार पर ट्रेड लेता है। तकनीकी विश्लेषण के अंतर्गत मुख्य रूप से बाजार के रुझान को देखा जाता है जैसे प्राइस चार्ट्स, वॉल्यूम एनालिसिस, मूविंग एवरेज, सपोर्ट और रेजिस्टेंस, ट्रेंड लाइन इत्यादि। ट्रेडर बहुत कम समय के लिए बने बाजार के किसी रुझान का विश्लेषण करते हैं और इसका फायदा उठाते हुए मुनाफा कमाते हैं।
#2 निवेश पर जोखिम
शेयर बाजार में किये गए निवेश पर जहाँ निवेश के अन्य विकल्पों की तुलना में अधिक लाभ मिलने की संभावना होती है, वहीं किये निवेश पर जोखिम भी अधिक रहता है। लेकिन यदि Investing और Trading के बीच जोखिम को देखें तो इन दोनों में ट्रेडिंग अधिक जोखिम भरा विकल्प है और इसका कारण है बाजार का बेहद अस्थिर होना।
शेयर बाजार में किसी कंपनी की स्थिति आंतरिक और बाहरी दोनों कारणों से प्रभावित हो सकती है। आंतरिक कारण अर्थात ऐसे मुद्दे जिनके लिए कंपनी स्वयं जिम्मेदार है। उदाहरण के तौर पर ये कंपनी के भीतर वित्तीय गड़बड़ी, कंपनी की खराब नीतियाँ इत्यादि हो सकती हैं।
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इसके अलावा बाहरी कारण ऐसे कारण होते हैं, जिनके लिए कंपनी स्वयं जिम्मेदार नहीं होती। इनमें कोविड जैसी महामारी के चलते बाजार से पैसे की निकासी, कंपनी को लेकर कोई अफवाह, सरकार की कोई नई नीति जैसे उदाहरण शामिल हैं। बाहरी कारणों से प्रभावित होने पर कंपनी एक समय के पश्चात पुनः सामान्य स्थिति में आ जाती है, जबकि आंतरिक कारणों से प्रभावित होने पर सामान्यतः ऐसा नहीं होता है।

अब यदि Investing की बात करें तो यहाँ लंबे समय के लिए निवेश किया जाता है और कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस अगर अच्छे से किया गया हो तो बाजार के उतार-चढ़ावों का निवेशक पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता। जबकि Trading की स्थिति में ऐसा नहीं है यहाँ ट्रेडर बाजार के किसी भी उतार-चढ़ाव से प्रभावित हो सकता है।
इसके अलावा तकरीबन सभी ब्रोकरेज फर्म अपने ग्राहकों को ट्रेडिंग के लिए लेवरेज या एक प्रकार का उधार भी मुहैया करवाती हैं जिससे जोखिम और बढ़ जाता है। Investing में निवेशकों को अधिकतम उतना ही नुकसान हो सकता है, जितना उन्होंने निवेश किया है, जबकि Trading की स्थिति में वे कर्ज में भी डूब सकते हैं।
#3 किसमें कितना मुनाफा
Trading में कोई ट्रेडर सही मौके का इस्तेमाल कर बहुत कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकता है, वहीं Investing की स्थिति में निवेशकों की पूँजी समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती है। इसके अलावा निवेश करने पर निवेशकों को डिविडेंड का भी लाभ मिलता है, जबकि Trading में ऐसा नहीं होता।
Investing और Trading के प्रकार
निवेश की रणनीति के अनुसार Investing और Trading के अलग-अलग प्रकार हैं। यहाँ हमनें दोनों के कुछ प्रमुख प्रकारों को समझाया है।
Investing के प्रकार
Investing को जोखिम के आधार पर तथा निवेश की रणनीति के आधार पर दो भिन्न तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है। जोखिम के आधार पर देखें तो Investing के निम्नलिखित दो प्रकार हैं।
#1 Value Investing: इस श्रेणी में कोई निवेशक देश की बड़ी कंपनियों में निवेश करता है, जो वित्तीय रूप से मजबूत होती हैं। चूँकि ये कंपनियां आर्थिक रूप से स्थिर होती हैं, लिहाजा इन कंपनियों में निवेश करने से जोखिम के साथ-साथ निवेश पर मिलने वाले रिटर्न की दर भी कम हो जाती है।
#2 Growth Investing: इस विकल्प के तहत निवेशक ऐसी कंपनियों में निवेश करते हैं जो अपने शुरुआती दौर में होती हैं। ये कंपनियां बेहद जोखिम भरी होती हैं, किन्तु यहाँ किये गए निवेश पर रिटर्न भी बहुत अच्छा (कुछ स्थितियों में कई गुना तक) मिलने की संभावना होती है।
जोखिम के अलावा Investing को निवेश करने की रणनीति के आधार पर भी दो भिन्न श्रेणियों में बांटा जा सकता है
#1 Active Investing: जैसा कि, इसके नाम से पता चलता है Active Investing में निवेशक नियमित रूप से बाजार ट्रेंड को मॉनिटर करते रहते हैं और इस आधार पर अपने पोर्टफोलियो में आवश्यक बदलाव करते हैं। Active Investing के लिए कई स्थितियों में निवेशक फंड मैनेजर भी नियुक्त करते हैं, जो निवेशक के फंड या पोर्टफोलियो को मैनेज करते हैं।
#2 Passive Investing: Active Investing के उलट यहाँ निवेशक ‘निवेश करो और भूल जाओ’ की रणनीति पर कार्य करते हैं। दूसरे शब्दों में निवेशक निवेश करने के पश्चात नियमित रूप से बाजार ट्रेंड्स को फॉलो नहीं करते, Index Investing पैसिव इन्वेस्टिंग का एक मुख्य उदाहरण है। Index Investing में निवेशक उन कंपनियों में निवेश करते हैं जो शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांकों (जैसे SENSEX या NIFTY) में शामिल होती हैं।
Trading के प्रकार
Trading, ट्रेड की अवधि के अनुसार 4 अलग-अलग प्रकार की होती है-
Position Trading: पोजीशन या डिलीवरी ट्रेडिंग में कोई ट्रेडर लिए गए ट्रेड को कुछ महीनों से लेकर सालभर तक रख सकता है। यह सामान्य ट्रेडिंग के विपरीत एक प्रकार की Investing ही है क्योंकि यहाँ ट्रेडर को Trading के दौरान मिलने वाले अतिरक्त फायदे जैसे उधार या शॉर्ट सेलिंग की सुविधा नहीं मिलती है।
Swing Trading: इस प्रकार की ट्रेडिंग में कोई ट्रेडर, लिए गए ट्रेड को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक के लिए रख सकता है।
Intraday Trading: इंट्राडे ट्रेडिंग में जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट होता है, ट्रेड को सिर्फ दिन भर के लिए लिया जाता है। इसकी अवधि सुबह बाजार खुलने से शाम को बाजार बंद होने तक ही होती है।
Scalp Trading: यहाँ ट्रेड बहुत ही कम अवधि सामान्यतः कुछ सेकेंड्स से लेकर कुछ मिनटों के लिए लिया जाता है।
Trading और Investing में कौन है ज्यादा मुश्किल?
हालांकि शेयर बाजार में किसी भी प्रकार के निवेश से पूर्व अर्थव्यवस्था एवं बाजार की बुनियादी समझ होना बेहद आवश्यक है, लेकिन Investing और Trading की बात करी जाए तो Trading सामान्यतः Investing से अधिक जटिल प्रक्रिया है।
ट्रेडिंग में ट्रेडर को बाजार और अर्थव्यवस्था से जुड़ी छोटी से छोटी बात पर नियमित रूप से नजर रखनी होता है, जबकि इन्वेस्टिंग की स्थिति में एक बार किसी कंपनी का मूलभूत विश्लेषण कर निवेश किया जा सकता है।
इन्वेस्टिंग में निवेशक के पास ‘Value Investing’ का विकल्प मौजूद होता है, जिसका इस्तेमाल कर कोई निवेशक अपने जोखिम को बहुत हद तक कम कर सकता है। जबकि कम अवधि के लिए होने के चलते ट्रेडिंग में यह सुविधा नहीं है, क्योंकि कम अवधि के लिए किसी स्थिर कंपनी में भी उतार-चढ़ाव आने की संभावना बनी रहती है।
आपके लिए क्या सही है Trading या Investing?
Trading और Investing दोनों एक दूसरे से कैसे अलग हैं और दोनों के लिए किसी व्यक्ति के पास क्या-क्या मूलभूत जानकारी होनी आवश्यक है, यह हमनें ऊपर विस्तार से समझा, लिहाजा किसी व्यक्ति के लिए क्या सही है इसका जवाब बहुत हद तक व्यक्ति की रुचि पर भी निर्भर करता है।
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Trading और Investing दोनों का ही लक्ष्य शेयर बाजार से पैसे कमाना है, यदि आप किसी कंपनी के बिजनेस मॉडल को समझने में रुचि रखते हैं तथा कंपनी में निवेश कर उस कंपनी का हिस्सा बनना चाहते हैं तो Investing आपके लिए अच्छा विकल्प है।
वहीं यदि आपकी रुचि कंपनी विशेष के बजाए सिर्फ बाजार के अल्पकालिक रुझान को समझते हुए मुनाफा कमाने में है तो Trading आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
शेयर बाजार में किसी भी प्रकार के निवेश के लिए आपको एक डीमैट एवं ट्रेडिंग एकाउंट की आवश्यकता होती है, जिसे आप किसी भी बैंक अथवा Zerodha जैसी ब्रोकरेज फर्म के साथ खुलवा सकते हैं।