म्यूचुअल फंड वर्तमान में निवेश का सबसे आसान और पसंदीदा विकल्प बन चुका है। ऐसे में अगर आप भी एकमुश्त या एसआईपी के माध्यम से म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए इसकी शर्तों और इससे जुड़े शुल्कों को जानना बेहद जरूरी है क्योंकि ये आपके रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं।
इन्हीं शुल्कों में एक की चर्चा इस लेख में करेंगे, जिसे एग्जिट लोड कहा जाता है। आगे विस्तार से जानेंगे म्यूचुअल फंड में एग्जिट लोड क्या होता है, आपके निवेश को कैसे प्रभावित करता है और इसकी गणना कैसे करी जाती है?
एग्जिट लोड (Exit Load) क्या है?
एग्जिट लोड, म्यूचुअल फंड्स अर्थात एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) द्वारा निवेशकों पर लगायी जाने वाली एक तरह की पेनाल्टी होती है। इसे तब वसूला जाता है, जब निवेशक एक निर्धारित समय सीमा के पहले अपना निवेश फंड से बाहर निकालते हैं। एग्जिट लोड को “रेडेम्प्शन चार्ज” भी कहा जाता है, इसका मुख्य उद्देश्य निवेशकों को फंड में लंबे समय तक बनाए रखना और शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग को हतोत्साहित करना है।
एग्जिट लोड का उदाहरण
एग्जिट लोड को यहाँ दिए गए उदाहरण की सहायता से समझा जा सकता है। मान लें आपने ₹50 की NAV और 1% एग्जिट लोड वाले किसी म्यूचुअल फंड की 1,000 यूनिट खरीदी और NAV के ₹60 हो जाने पर उन्हें बेचने का निर्णय लिया। 1% का एग्जिट लोड नवीनतम NAV यानी ₹60 से काटा जाएगा, जो 60 पैसा प्रति यूनिट होगा।
यह भी पढ़ें 👉 ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है और ट्रेडर इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं?
इस तरह आपको 1,000 यूनिट पर कुल 600 रुपये एग्जिट लोड या एग्जिट चार्ज के रूप में देने होंगे और आपकी कुल रिडीमेबल राशि ₹59,400 (₹60,000 – ₹600) होगी।
एग्जिट चार्ज कितना होता है?
म्यूचुअल फंड योजनाओं में एग्जिट लोड निवेश की श्रेणी और फंड की प्रकृति पर निर्भर करता है। इक्विटी की बात करें तो यह सामान्यतः 1% होता है, जबकि डेट फंड्स के मामले में यह 0 से 1% के बीच हो सकता है।
एग्जिट चार्ज की गणना NAV रिडीम करने के दौरान उसकी लेटेस्ट कीमत के आधार पर करी जाती है जैसा कि, ऊपर दिए गए उदाहरण में भी बताया गया है। एग्जिट लोड का पीरियड यानी वह अवधि जिसके भीतर निवेश से एग्जिट करने पर एग्जिट चार्ज देना होगा यह भी निवेश की श्रेणी और फंड की प्रकृति पर निर्भर करता है।
सामान्यतः इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर एग्जिट लोड आमतौर पर 1 वर्ष तक लागू होता है, वहीं डेब्ट म्यूचुअल फंड्स की स्थिति में यह अवधि कुछ दिनों से लेकर महीनों तक होती है। इसके अलावा हाइब्रिड फंड्स की बात करें तो इनमें यदि इक्विटी का हिस्सा ज्यादा है, तो एग्जिट लोड पीरियड 1 वर्ष होता है और अगर डेट का हिस्सा ज्यादा है, तो यह अवधि एक वर्ष से कम हो सकती है।
सार-संक्षेप
एग्जिट लोड या एग्जिट चार्ज म्यूचुअल फंड्स निवेशकों पर लगाया जाने वाला एक शुल्क है, जिसे म्यूचुअल फंड यूनिट्स को एक निर्धारित अवधि के भीतर रिडीम करने (निकालने) पर देना होता है। इस अवधि के पश्चात यह शुल्क शून्य हो जाता है, उदाहरण के लिए यदि किसी फंड का एग्जिट लोड पीरियड एक वर्ष है तो यूनिट्स खरीदने के एक वर्ष तक ही यह चार्ज लागू होगा और उसके पश्चात शून्य हो जाएगा।