Best 80c Investment Options: इनकम टैक्स में छूट पाना चाहते हैं तो इन विकल्पों में करें निवेश

Best 80c Investment Options: भारत में कोई भी व्यक्ति अपनी कर योग्य आय (Net Taxable Income) को कम करने अथवा इनकम टैक्स में सालाना 1.5 लाख रुपये तक की छूट प्राप्त करने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत शामिल किये गए निवेश विकल्पों में निवेश कर सकता है। निवेश के इन विकल्पों में PPF, NPS, ELSS, ULIP, NSC आदि शामिल हैं। 

पर्सनल फाइनेंस से जुड़े आज के इस लेख में हम चर्चा करने जा रहे हैं कुछ ऐसे Investments Plans के बारे में जहाँ निवेश कर आप भविष्य में अच्छा-खासा रिटर्न तो प्राप्त कर ही सकते हैं इसके साथ ही हर साल 1.5 लाख रुपये तक की आय पर इनकम टैक्स भी बचा सकते हैं, इन सभी Investment Options को आयकर अधिनियम की धारा 80c के तहत शामिल किया गया है, जिनके बारे में हम आगे एक-एक कर विस्तार से जानेंगे।

निवेश क्या है और क्यों जरूरी है?

भविष्य में आय अर्जित करने या मुनाफा कमाने के उद्देश्य से अपनी पूंजी / संसाधनों को विभिन्न एसेट्स में आवंटित (Distribute) करना निवेश (Investment) कहलाता है, निवेश के जरिए किसी निवेशक का मुख्य उद्देश्य समय के साथ अपनी पूंजी को बढ़ाना या किसी विशिष्ट वित्तीय उद्देश्य की प्राप्ति होता है।

हम सभी भविष्य के खर्चों की पूर्ति अथवा आर्थिक रूप से सुरक्षित और समृद्ध भविष्य के लिए अपनी आय का एक हिस्सा किसी न किसी रूप में निवेश करते हैं। बाज़ार में कई तरह के Investment Options हैं जहाँ निवेश किया जा सकता है, इनमें कुछ विकल्प अत्यधिक जोखिम भरे हैं और उनसे मिलने वाला रिटर्न भी अधिक होता है जबकि कुछ तरीके सुरक्षित हैं किंतु उनसे मिलने वाला रिटर्न भी तुलनात्मक रूप से कम होता है।

निवेश तथा बचत के इन्हीं विकल्पों में कुछ विकल्पों को सरकार ने आयकर अधिनियम की धारा 80c के तहत शामिल किया गया है, आयकर अधिनियम की धारा 80c के अनुसार यदि कोई व्यक्ति इस धारा के तहत शामिल किये गए विकल्पों में निवेश करता है तो वह अपनी कुल आय से सालाना 1.5 लाख रुपए की कटौती का दावा कर सकता है, 80 c के तहत आने वाली निवेश / बचत योजनाएं निम्नलिखित हैं

सार्वजनिक भविष्य निधि या पब्लिक प्रोविडेंट फंड भारत सरकार द्वारा संचालित एक दीर्घकालिक बचत और निवेश योजना है। इसमें प्रतिवर्ष 500 रुपये से 1.5 लाख रुपये तक का निवेश किया जा सकता है।

आयकर अधिनियम 80C के तहत PPF में किया गया निवेश तथा यहाँ से मिलने वाला ब्याज दोनों इनकम टैक्स से मुक्त होते हैं। PPF खातों की परिपक्वता अवधि 15 वर्षों की होती है, हालांकि 5 वर्ष के बाद निवेशक आधी रकम को कुछ विशेष परिस्थितियों में निकाल सकते हैं।

PPF खातों की सुविधा पोस्ट ऑफिस तथा सभी बैंक उपलब्ध करवाते हैं, इसके साथ ही किसी PPF खाते को एक बैंक से दूसरे बैंक या पोस्ट ऑफिस में भी ट्रांसफर किया जा सकता है। वर्तमान में PPF खातों पर मिलने वाले ब्याज दर की बात करें तो यह 7.10 फीसदी प्रति वर्ष है। PPF खाते 15 साल बाद परिपक्व होते हैं लेकिन 15 साल की अवधि के बाद, खाते को 5 साल के अंतराल में अनिश्चित काल तक बढ़ाया जा सकता है।

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) कर्मचारियों के लिए शुरू करी गई एक सेवानिवृत्ति बचत योजना (Retirement Savings Scheme) है, इसका प्रबंधन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा किया जाता है। प्रत्येक कर्मचारी तथा उसके नियोक्ता (Employer) दोनों के लिए PF में मासिक योगदान करना अनिवार्य है, वर्तमान में यह योगदान कर्मचारी के मूल वेतन और उसे मिलने वाले महंगाई भत्ते का 12% है।

EPF एकाउंट में कर्मचारी द्वारा किया गया 12% योगदान दो अलग-अलग खातों कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में 3.67% तथा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में 8.33% जमा होता है। EPF खाते में नियोक्ता द्वारा किया गया योगदान इनकम टैक्स से बाहर होता है जबकि कर्मचारी द्वारा किये गए योगदान पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत छूट प्राप्त करी जा सकती है।

यह भी पढ़ें:

कर्मचारियों को उनके EPF खाते पर ब्याज दिया जाता है और इसकी दर हर साल EPFO द्वारा घोषित की जाती है। ईपीएफ खाते से निकासी की अनुमति आमतौर पर सेवानिवृत्ति, इस्तीफे या रोजगार समाप्ति के बाद दी जाती है। हालांकि कर्मचारी कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे मेडिकल इमरजेंसी, होम लोन का भुगतान, विवाह आदि के लिए आंशिक निकासी कर सकते हैं।

गौरतलब है कि कर्मचारी अपने अनिवार्य EPF योगदान जो कि 12% है से अधिक रकम का योगदान भी कर सकते हैं. यह योगदान स्वैच्छिक प्रोविडेंट फंड (VPF) में किया जाता है। इस निवेश पर भी इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचत का लाभ उठाया जा सकता है।

Tax Saving Fixed Deposit सामान्य FD की तरह ही है, किंतु आयकर से छूट लेने हेतु इस विकल्प के तहत कम से कम 5 वर्षों तक निवेश करना आवश्यक है। इस योजना के तहत प्रतिवर्ष सामान्यतः 100 से 1.5 लाख रुपये तक का निवेश किया जा सकता है। टैक्स-सेविंग FD पर ब्याज दरें पूरी अवधि के लिए अपरिवर्तित रहती हैं हालांकि ब्याज की दरें बैंकों के अनुसार बदल सकती हैं।

इस प्रकार की FD में निवेशकों के पास Cumulative और Non-Cumulative ब्याज भुगतान के बीच चुनाव करने का विकल्प होता है। पहले विकल्प में ब्याज का पुनर्निवेश किया जाता है, जबकि दूसरे में एक नियमित अंतराल पर ब्याज का भुगतान किया जाता है। जैसा कि ऊपर बताया गया है टैक्स-सेविंग FD की लॉक-इन अवधि 5 सालों की होती है अतः केवल खाताधारक की मृत्यु के मामले को छोड़कर 5 सालों से पहले खाते से निकासी की अनुमति नहीं होती है।

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) म्यूच्यूअल फंड का एक प्रकार है, जहाँ प्रतिवर्ष 1.5 लाख रुपये तक किया गया निवेश इनकम टैक्स से मुक्त होता है। 80C के तहत आने वाली किसी भी अन्य निवेश या बचत योजना की तुलना में ELSS में किया गया निवेश अधिक रिटर्न देता है हालांकि इसमें जोखिम भी अन्य की तुलना में अधिक होता है।

म्यूचुअल फंड्स क्या होते हैं तथा इनमें कैसे निवेश किया जाता है जानने के लिए पढ़ें 👉 Mutual Fund kya Hai : म्यूचुअल फंड क्या है, कितने प्रकार के होते हैं तथा म्यूचुअल फंड के नुकसान और फायदे

आयकर में सालाना 1.5 लाख की छूट के साथ ही इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम से मिलने वाला रिटर्न भी 1 लाख रुपये तक टैक्स फ्री होता है। ELSS की लॉक-इन अवधि की बात करें तो यह 3 वर्षों की होती है।

ELSS फंड अपने पोर्टफोलियो का अधिकांश हिस्सा इक्विटी में निवेश करते हैं, जिससे निवेशकों को फिक्स्ड डिपॉजिट, PPF जैसी पारंपरिक कर-बचत योजनाओं की तुलना में अधिक रिटर्न मिलने की संभावना मिलती है।

  • NSC में किये गए निवेश पर सरकार अभी 7.7% फीसदी की दर से ब्याज दे रही है और इसे तिमाही आधार पर अपडेट किया जाता है।
  • इस योजना में कम से कम 1000 रुपये या 100 रुपये के गुणकों में कोई भी राशि निवेश करी जा सकती है, यहाँ निवेश करने की कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
  • एकल खाता धारक या संयुक्त खाते में एकल या सभी खाताधारकों की मृत्यु पर ही बचत खाते को समय से पहले बंद किया जा सकता है।
  • योजना के तहत मिलने वाला ब्याज सालाना जमा किया जाता है लेकिन ब्याज का भुगतान निवेशक को केवल मैच्योरिटी के समय ही किया जाता है।
  • NSC में तीन अलग-अलग तरीकों से निवेश किया जा सकता है जिनमें सिंगल होल्डर टाइप सर्टिफिकेट, जॉइंट ‘ए’ टाइप सर्टिफिकेट तथा जॉइंट ‘बी’ टाइप सर्टिफिकेट शामिल हैं।
  • वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के तहत न्यूनतम 1000 रुपये तथा 1000 के गुणजों में अधिकतम 30 लाख रुपये तक निवेश किये जा सकते हैं।
  • इस योजना में किया गया निवेश खाता खोलने की तारीख से 5 वर्षों के पश्चात परिपक्व हो जाता है हालांकि इसे सिर्फ एक बार 3 सालों के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
  • वर्तमान में इस योजना के तहत सालाना 8.2% की दर से ब्याज दिया जा रहा है, जिसे प्रत्येक तिमाही में अपडेट किया जाता है तथा ब्याज की अदायगी भी तिमाही आधार पर ही होती है।
  • खाता खोलने के पश्चात इसे पहले वर्ष कभी भी बिना किसी शुल्क के बंद किया जा सकता है जबकि 1 वर्ष के बाद लेकिन 2 वर्ष से पहले बंद करने पर मूलधन राशि से 1.5% तथा 2 वर्ष के बाद लेकिन 5 वर्ष से पहले खाता बंद करने पर मूलधन राशि से 1% काट लिया जाएगा।
  • वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के तहत किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में खाता खोला जा सकता है।

केंद्र सरकार द्वारा बेटियों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के उद्देश्य से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) की शुरुआत करी गई है। कोई भी माता-पिता इस योजना के तहत अपनी 10 वर्ष से कम उम्र की बेटी का खाता खुलवा सकते हैं, जो बेटी के 21 वर्ष का होने या 18 वर्ष की आयु के बाद उसकी शादी होने पर परिपक्व हो जाता है।

इस योजना के तहत एक वर्ष में न्यूनतम 250 रुपये तथा अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा किये जा सकते हैं, गौरतलब है कि योजना के तहत परिजनों को केवल 15 वर्ष तक ही निवेश करना होता है। वर्तमान में इस योजना के तहत 8 फीसदी वार्षिक की दर से ब्याज दिया जा रहा है।

सुकन्या समृद्धि योजना EEE कैटेगरी का निवेश उत्पाद है अर्थात इसमें निवेश की गई राशि, बचत खाते में मिलने वाला ब्याज तथा मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम तीनों Income Tax के दायरे से बाहर हैं, इस योजना में पोस्ट ऑफिस या किसी भी बैंक के माध्यम से निवेश किया जा सकता है।

नेशनल पेंशन सिस्टम भारत सरकार द्वारा संचालित एक पेंशन योजना है, जिसमें 18 से 60 आयु वर्ग का कोई भी व्यक्ति निवेश कर सकता है। यह योजना सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इसमें निवेश की गई राशि को सरकार द्वारा चुने गए फंड मैनेजरों (LIC, SBI पेंशन फंड, UTI, HDFC पेंशन फंड आदि) के माध्यम से अलग अलग क्षेत्रों जैसे शेयर बाज़ार, सरकारी तथा कॉर्पोरेट बॉन्ड आदि में निवेश किया जाता है।

निवेशक के पास अपनी इच्छानुसार फंड मैनेजर को चुनने तथा अपनी राशि को इक्विटी तथा डेट में किस अनुपात में निवेश किया जाए इसका विकल्प मौजूद रहता है। NPS में निवेश से मिलने वाला रिटर्न म्यूचुअल फंड की भाँति बाज़ार कारकों पर निर्भर करता है तथा आयकर से मुक्त होता है।

यह भी पढ़ें:

निवेशक को उसकी सेवानिवृत्ति या 60 वर्ष की आयु के बाद निवेशित राशि का 60 फीसदी एकमुश्त प्राप्त होता है, जबकि बाकी राशि को मासिक पेंशन के रूप में दिया जाता है। NPS में निवेश की गई राशि 60 वर्ष की आयु से पूर्व नहीं निकाली जा सकती किन्तु 3 वर्ष के बाद जमा राशि का 25% कुछ विशेष परिस्थितियों में निकाला जा सकता है।

ऐसा आंशिक आहरण NPS की पूरी अवधि के दौरान केवल तीन बार किया जा सकता है तथा प्रत्येक आहरण के मध्य (मेडिकल इमरजेंसी को छोड़कर) 5 वर्ष की अवधि होना अनिवार्य है। NPS खाते मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।

टियर 1 : ऊपर बताई गई सभी विशेषताएं इसी खाते की हैं। NPS में किया गया 1.5 लाख तक का वार्षिक निवेश आयकर अधिनियम 80C के तहत तथा अतिरिक्त 50,000 तक का निवेश आयकर अधिनियम 80CCD (1B) के तहत आयकर से मुक्त होता है। इस प्रकार NPS के माध्यम से सालाना 2 लाख तक की आय पर कर बचाया जा सकता है। इसके अलावा निवेश की परिपक्वता के बाद मिलने वाला रिटर्न भी आयकर से मुक्त होता है।

टियर 2 : इस खाते को खोलने के लिए व्यक्ति को टियर 1 खाता धारक होना अनिवार्य है। इस खाते में आयकर से किसी प्रकार की छूट नहीं मिलती, जबकि निवेश की गई राशि कभी भी निकालने का विकल्प रहता है।

ULIP एक अन्य लोकप्रिय बचत योजना है। जैसा कि, इसके नाम से स्पष्ट है यह निवेश तथा बीमा योजना का संयोजन है। आपके द्वारा निवेश की गई राशि का कुछ हिस्सा आपकी बीमा योजना में डाल दिया जाता है, जबकि बाकी राशि बाज़ार (शेयर बाज़ार एवं अन्य वित्तीय उपकरण) में निवेश की जाती है।

यहाँ आप मासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक रूप से किश्तों में निवेश कर सकते हैं। ULIP में निवेश की गई राशि कम से कम 5 वर्षों की अवधि तक के लिए निवेश की जाती है। हालाँकि यह म्यूचुअल फंड के समान है, किन्तु म्यूचुअल फंड के विपरीत यहाँ आपको अपनी निवेशित राशि को आवश्यकता अनुसार कभी भी डेट (बॉन्ड एवं अन्य वित्तीय उपकरण) से इक्विटी (शेयर बाज़ार) अथवा इक्विटी से डेट में हस्तांतरित करने का विकल्प दिया जाता है।

अतः कोई व्यक्ति बाज़ार में गिरावट की स्थिति में अपनी निवेशित रकम को बॉन्ड जैसे सुरक्षित वित्तीय उपकरणों में हस्तांतरित कर सकता है तथा नुकसान से बच सकता है। इस प्रकार यह योजना म्यूचुअल फंड से बहुत हद तक सुरक्षित है। ULIP में मिलने वाला रिटर्न भी पूर्णतः आयकर से मुक्त होता है।

सार-संक्षेप

दीर्घकालिक बचत योजनाओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार विभिन्न निवेश या बचत योजनाओं पर आयकर से छूट प्रदान करती है। आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत आने वाले विभिन्न विकल्पों में निवेश कर कोई व्यक्ति सालाना 1.5 लाख रुपये तक की आय पर इनकम टैक्स बचा सकता है।

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि 80सी के तहत कटौती की कुल सीमा ₹1.5 रुपये है, दूसरे शब्दों में 1.5 लाख रुपये की सीमा सभी निवेश / बचत योजनाओं के लिए है। करदाता अपनी कर बचत को अधिकतम करने के लिए ऊपर बताए गए निवेश विकल्पों का संयोजन चुन सकते हैं।

आर्टिकल शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *