TDS क्या होता है और क्यों कटता है? यहाँ जानें टीडीएस से जुड़ी पूरी जानकारी

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टैक्स किसी भी सरकार की कमाई का प्रमुख स्रोत है, टैक्स के पैसे से ही देश में सड़कों, अस्पतालों समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं का निर्माण और उनका रखरखाव करना संभव हो पाता है। सरकार द्वारा लिया जाने वाला टैक्स दो तरीके का होता है, जिसमें प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) तथा अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) शामिल है।

अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है, जिसे हम जीएसटी (GST) के रूप में भी जानते हैं। वहीं प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स एवं गिफ्ट टैक्स शामिल होते हैं। इनकम टैक्स यानी आयकर से आप अच्छे से परिचित होंगे, यह किसी व्यक्ति की इनकम पर लगाया जाने वाला टैक्स है।

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सरकार द्वारा इनकम टैक्स वसूलने के ही एक तरीके की इस लेख में चर्चा करेंगे, जिसे स्रोत पर कर कटौती या TDS कहा जाता है। यहाँ विस्तार में जानेंगे टीडीएस क्या होता है, टीडीएस कहाँ लागू होता है, TDS कैसे और क्यों काटा जाता है, काटे गए टीडीएस की राशि कैसे देख सकते हैं तथा TDS रिफ़ंड कैसे लिया जाता है?

स्रोत पर कर की कटौती या TDS क्या है?

टीडीएस का पूरा नाम टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स है। यह टैक्स कलेक्ट करने का एक तरीका है, जिसमें सरकार आय के स्रोत से ही देय टैक्स की वसूली कर लेती है। टीडीएस कलेक्शन सामान्यतः नियोक्ता (Employer) या भुगतानकर्ता द्वारा किया जाता है और टैक्सपेयर की ओर से आयकर विभाग को जमा किया जाता है।

सामान्यतः किसी व्यक्ति की कुल सालाना कमाई का हिसाब लगाने के बाद ही उसकी टैक्स लायबिलिटी का निर्धारण किया जा सकता है। लेकिन आयकर अधिनियम के अनुसार, किसी भी कंपनी या व्यक्ति को भुगतान की गई राशि यदि एक निर्धारित सीमा से अधिक है तो अग्रिम रूप से स्रोत पर ही टैक्स की कटौती (TDS) की जानी चाहिए।

आयकर अधिनियम के अनुसार भुगतान करने से पहले स्रोत पर टैक्स की कटौती करना और उसे सरकार के पास जमा करना भुगतान करने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी है।

किस तरह की आय पर TDS कटौती होती है?

टीडीएस सामान्यतः किसी व्यक्ति की आय (Income) पर लगाया जाता है। ऐसे कुछ आय के प्रमुख स्रोतों, जिनपर सोर्स पर ही टैक्स की कटौती की जाती है निम्नलिखित हैं

TDS कैसे काम करता है?

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 192 से 196 तक विभिन्न प्रकार की आय श्रेणियों जैसे सैलरी, ब्याज, प्रोफेशन इत्यादि पर लगने वाली TDS की दर तथा उस निर्धारित सीमा के बारे में बताया गया है, जिससे अधिक का भुगतान करने पर भुगतान करने वाले व्यक्ति को TDS कटौती करना तथा टीडीएस रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होता है।

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किसी व्यक्ति को मिलने वाले वेतन (Salary) के अलावा अन्य सब प्रकार की आय पर TDS की दर फिक्स्ड होती है। वेतन के मामले में नियोक्ता को इनकम टैक्स स्लैब को देखते हुए टीडीएस काटना करना होता है। गौरतलब है कि TDS आपकी टैक्स लायबिलिटी या देनदारी का एक अग्रिम और अनुमानित भुगतान होता है और आपकी वास्तविक टैक्स देनदारी का अंदाजा वर्ष के अंत में ही लगाया जा सकता है।

इस प्रकार यदि आपकी इनकम में से लायबिलिटी से अधिक TDS कटा है तो आप इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर उचित रिफ़ंड प्राप्त कर सकते हैं। इसके विपरीत यदि TDS कम कटा है, जबकि आपकी देनदारी अधिक बनती थी तो ऐसे में आपको आईटीआर भरने के दौरान शेष टैक्स का भुगतान करना होगा।

TDS रिटर्न क्या है?

यदि कोई व्यक्ति या कंपनी किसी सेवा की एवज में भुगतान कर रही है, तो उसको भुगतान पर अनिवार्य रूप से TDS राशि की कटौती करनी होगी। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि, वह भुगतान आयकर अधिनियम की धारा 192 से 196 के अंतर्गत आने वाले भुगतानों (नीचे बनी सारिणी देखें) में शामिल हो तथा एक निर्धारित सीमा से अधिक हो।

टीडीएस काट लेने के बाद भुगतानकर्ता को सामान्यतः तीन महीनों के भीतर (Quarterly) इसकी जानकारी तथा काटी गई राशि आयकर विभाग में जमा करनी होती है, जिसे TDS रिटर्न कहा जाता है।

इनकम टैक्स रिटर्न की तरह TDS रिटर्न दाखिल करने के लिए भी अलग-अलग फॉर्म हैं। इनका चयन किये गए भुगतान के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि कोई नियोक्ता (Employer) अपने कर्मचारी का TDS काटता है तो उसे फॉर्म 24Q भरना होगा, वहीं यदि भुगतान गैर-वैतनिक हो फॉर्म 26Q भरना होगा।

TDS कटौती के कुछ उदाहरण

ऊपर हमनें TDS क्या है तथा किस प्रकार की आय पर कटता है इसकी जानकारी दी। आइए अब कुछ उदाहरणों की सहायता से टीडीएस को और अच्छे से समझते हैं

यदि आप लॉटरी या किसी ऑनलाइन गेम जैसे Dream11 तथा My11Circle इत्यादि से कोई धनराशि जीतते हैं तो आयकर की धारा 194B के तहत जीत की राशि देने वाले व्यक्ति / संस्था को 30% की दर से TDS कटौती करनी होगी और आपको जीत की केवल 70% राशि ही प्राप्त होगी।

इसके अलावा यदि आप किसी किराये के मकान में रहते हैं, जिसका महीने का किराया 60,000 रुपये है तो इस स्थिति में चूँकि भुगतान आप कर रहे हैं अतः आपको 5% की दर से (धारा 194IB) प्रतिमाह 3,000 रुपये का TDS काटना होगा और त्रिमसिक रूप से आयकर विभाग को 9,000 रुपये की राशि का भुगतान तथा TDS रिटर्न दाखिल करना होगा।

TDS सर्टिफिकेट क्या होता है?

TDS की कटौती के पश्चात TDS काटने वाले व्यक्ति द्वारा टैक्सपेयर को TDS प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए। टीडीएस प्रमाण पत्र एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो इस बात की पुष्टि करता है कि, आपकी आय पर टैक्स की कटौती की गई है। इसका इस्तेमाल आयकर रिटर्न दाखिल करने, टैक्स रिफ़ंड प्राप्त करने आदि रूप में किया जा सकता है।

भुगतान के प्रकार के आधार पर टीडीएस प्रमाणपत्र निम्नलिखित रूपों में जारी किए जा सकते हैं

टीडीएस कटौतीप्रमाण पत्र का स्वरूप प्रमाण पत्र जारी करने की आवृत्तीकब जारी किया जाना चाहिए
वेतन भुगतानफॉर्म 16वार्षिक आधार पर जारी किया जाता हैकर निर्धारण वर्ष की 31 मई से पहले
गैर-वेतन भुगतान (ब्याज, परामर्श शुल्क, कमीशन, लॉटरी आदि)फॉर्म 16Aतिमाही आधार पर जारी किया जाता हैआवेदन दाखिल करने की अंतिम तिथि से 15 दिनों के भीतर
संपत्ति की बिक्रीफॉर्म 16Bप्रत्येक लेन-देन के साथ जारी किया जाता हैआवेदन दाखिल करने की अंतिम तिथि से 15 दिनों के भीतर
किराये का भुगतानफॉर्म 16Cप्रत्येक लेन-देन के साथ जारी किया जाता हैआवेदन दाखिल करने की अंतिम तिथि से 15 दिनों के भीतर

TDS रिफ़ंड कैसे प्राप्त करें?

यदि आपकी कुल टैक्स देनदारी से अधिक TDS काट लिया गया है तो आप आयकर रिटर्न दाखिल कर अतिरिक्त भुगतान का रिफ़ंड प्राप्त करने के लिए पात्र हैं। TDS समेत आपके द्वारा किये गए सभी टैक्स क्रेडिट या अग्रिम टैक्स भुगतान की जानकारी फॉर्म 26AS में होती है जो आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है।

इस फॉर्म को आयकर विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय आपके अग्रिम भुगतनों को ध्यान में रखते हुए वास्तविक टैक्स देनदारी की गणना की जाएगी और यदि आपने अधिक भुगतान किया है तो उसका रिफ़ंड आपके बैंक खाते में क्रेडिट कर दिया जाएगा।

बजट 2024 में TDS की दरों में बदलाव

बजट 2024-25 के दौरान वित्त मंत्री ने कुछ भुगतानों पर टीडीएस दरों को कम करने का फैसला लिया है। चूँकि ये दरेंभविष्य में प्रभावी होंगी जिसके चलते हमनें ऊपर सारणी में प्रस्तावित दरों का उल्लेख नहीं किया है।

आय का प्रकारवर्तमान दर प्रस्तावित दरकब से प्रभावी होगी 
194D*5%2%1 अप्रैल 2025
194D(A)5%2%1 अक्टूबर 2024
194G 5%2%1 अक्टूबर 2024
194H5%2%1 अक्टूबर 2024
194IB5%2%1 अक्टूबर 2024
194M5%2%1 अक्टूबर 2024
194O1%0.1%1 अक्टूबर 2024
194F हटाने का प्रस्ताव 1 अक्टूबर 2024
आयकर अधिनियम की कौन सी धारा, किस आय श्रेणी से संबंधित है जानने के लिए ऊपर बनी सारणी देखें

सार-संक्षेप

TDS यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स सरकार द्वारा इनकम टैक्स कलेक्ट करने का एक तरीका है। इसके तहत किसी व्यक्ति की आय में से पहले ही टैक्स काट लिया जाता है और उसे टैक्स काटने के बाद आय प्राप्त होती है।

आयकर अधिनियम के तहत विभिन्न प्रकार की आय श्रेणियों जैसे वेतन, ब्याज, कमीशन, किराया, प्रोफेशन आदि का उल्लेख किया गया है और कितनी राशि से अधिक की आय पर TDS काटा जाएगा तथा टीडीएस की दर क्या होगी इसकी जानकारी दी गई है।

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किसी भुगतानकर्ता व्यक्ति / कंपनी जैसे कोई नियोक्ता (Employer) की यह जिम्मेदारी है कि वह किये जा रहे भुगतान में से TDS की कटौती करे और TDS रिटर्न के साथ उस राशि को आयकर विभाग में जमा करे। हालांकि इसके लिए वह भुगतान किसी श्रेणी विशेष का तथा एक सीमा से अधिक होना चाहिए।

टीडीएस के कुछ फ़ायदों की बात करें तो यह कर संग्रह प्रणाली को अधिक कुशल बनाता है, करदाता को एकमुश्त टैक्स पेमेंट करने से राहत देता है, आय पर होने वाली टैक्स चोरी की संभावना को कम करता है।